ग्लोबल आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएसआईएस) इराक और खुरासान (आईएसआईएल-के) का नया लीडर शिहाब अल-मुहाजिर को बनाया गया. मुहाजिर ही अब भारत, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, पाकिस्तान, मालदीव और श्रीलंका में आतंकी संगठन को ऑपरेट करेगा. यही नहीं इस ग्लोबल आतंकी संगठन का संपर्क खतरनाक हक्कानी नेटवर्क के साथ भी रहा है. ऐसा संयुक्त राष्ट्र (यूएन) महासचिव एंटोनियो गुटेरेस की एक रिपोर्ट के अनुसार कहा जा रहा है.
आपको बता दें कि उपरोक्त बातें ISIL (जिसे ISIS के रूप में भी जाना जाता है) के संभावित खतरे को लेकर यूएन महासचिव की 12 वीं रिपोर्ट में कहीं गई हैं. इसके मुताबिक, ISIL-K आतंकी संगठन के वर्तमान में अफगानिस्तान के कई प्रांतों में एक हजार से ढाई हजार लड़ाके अभी भी फैले हैं. दक्षिण एशिया में ISIL-K से सहानुभूति रखने वालों की ऑनलाइन भर्ती और कट्टरपंथीकरण चिंता का विषय है. यही नहीं इस संगठन के लोग मानव बम तैयार करने में जुटे हैं, जिनमें महिलाओं को शामिल कराया जा रहा है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि, ISIL-K अब पहले से कमजोर हुआ है लेकिन इसने हाल ही में कई हाई-प्रोफाइल हमलों की जिम्मेदारी ली है. जिसमें मई में काबुल में महिला अस्पताल पर घातक हमला शामिल हैं. अगस्त में जलालाबाद शहर की जेल पर हमला, नवंबर में काबुल विश्वविद्यालय पर हमला और दिसंबर में नंगरहार प्रांत में एक महिला अफगान पत्रकार की हत्या. ये सभी हमले ISIL-K आतंकी संगठन द्वारा किये गए.
यूएनएसजी की रिपोर्ट में कहा गया है कि शिहाब अल-मुहाजिर, को जून 2020 में संगठन का नया लीडर घोषित किया गया. जो कथित तौर पर अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भारत, मालदीव, पाकिस्तान, श्रीलंका और मध्य एशिया के देशों में ISIL-K को ऑपरेट करता है. रिपोर्ट के मुताबिक, इस आतंकी संगठन के लोगों को हक्कानी नेटवर्क के साथ संबंध बनाए रखने के लिए कहा गया है.
मालूम हो कि हक्कानी नेटवर्क को पाकिस्तानी सुरक्षा प्रतिष्ठान के लोगों का समर्थन है. ये संगठन अफगानिस्तान के सबसे अनुभवी विद्रोही संगठनों में से एक है. उत्तरी वजीरिस्तान, पाकिस्तान अफगानिस्तान की दक्षिण-पूर्वी सीमा हक्कानी नेटवर्क का सेफ पनाहगाह है. बता दें कि युद्धग्रस्त देश में अमेरिकी हितों के खिलाफ अफगानिस्तान में हुए कुछ सबसे घातक हमलों के पीछे इस चरमपंथी समूह का हाथ रहा है.
यूएन के महासचिव ने रिपोर्ट में कहा, "सदस्य देशों और संयुक्त राष्ट्र के एक्सपर्ट ने यह चिंता भी जताई है कि आतंकवादी कोरोना संकट से उत्पन्न नई कमजोरियों का फायदा उठाने की कोशिश कर सकते हैं. ऐसे में सभी अमनपसंद देशों को साथ आकर इस चुनौती से निपटना होगा.
एजेंसी इनपुट के साथ