आतंक की जमीन धीरे-धीरे खिसकती जा रही है. छुपने के लिए जगह भी अब कम पड़ रही है. ऐसे में आईएसआईएस का सरगना बगदादी फिर से अपनी ताकत हासिल करने के लिए एक नया खेल खेलने जा रहा है. ये खेल है जहर का. दरअसल बगदादी दुनिया भर से केमिकल एक्सपर्ट को इकट्ठा कर उनसे रासायनिक हथियार बनवा रहा है, ताकि आखिरी कोशिश के तहत वो बड़े पैमाने पर इनका इस्तेमाल कर सके. खबर है कि रासायनिक हथियारों की खेप वो सीरिया के रक्का शहर में जमा कर रहा है. खबर ये भी है कि बगदादी फिलहाल इसी रक्का शहर में छुपा है.
IS तैयार कर रहा है केमिकल वेपन
जिसका खौफ था आखिर वही हो रहा है. जब आतंक के आका बगदादी को लगा कि इराक से अब उसका हुक्का-पानी उठने वाला है तो उसने जैसे न जिएंगे और न जीने देंगे की कसम खा ली है. बगदादी ने इराक में महा तबाही की इबारत लिखनी शुरू कर दी है और इस तबाही की सबसे बड़ी गवाही दे रही है वो खबर जो आतंक के गढ़ रक्का से बाहर आई है. अमेरिकी खुफिया एजेंसी के मुताबिक इराक और सीरिया में आखिरी रण के लिए आईएसआईएस तैयार कर रहा है केमिकल वेपन सेल. जी, खबर पुख्ता है. सल्तनत लुटती देख बगदादी ने इराक और सीरिया के अलावा दुनियाभर में फैले अपने केमिकल वेपन एक्सपर्ट्स को जमा करना शुरू कर दिया है और उन्हें रासायनिक हथियारों को बनाने के काम में लगा दिया गया है. अमेरिकी रक्षा विभाग के प्रवक्ता के मुताबिक सीरिया में रक्का के नजदीक मयादीन और अलकायम के नजदीक सभी केमिकल वेपन एक्सपर्ट्स को जमा किया गया है.
अपने चीफ को बचाना चाहते हैं आतंकी
ऐसा माना जा रहा है कि आईएसआईएस ने अपने तमाम खास आतंकियों और हथियारों को यहीं जमा किया है. आतंक का ये पूरा प्लान सिर्फ इसलिए तैयार किया जा रहा है कि ताकि आईएसआईएस अपने आका अबू बकर अल बगदादी को बचा सके. ऐसा माना जा रहा है कि बगदादी भी यही छिपा हो सकता है. अमेरिकी खुफिया एजेंसी के मुताबिक पिछले कुछ हफ्तों में इराक और सीरिया में आतंकी छोटे बड़े कई केमिकल हमले कर चुके हैं. पहले भी ये खबरें आ चुकी है कि आईएसआईएस अपने बचे हुए मजबूत गढ़ों की सुरक्षा के लिए अपने रासायनिक हथियारों की क्षमता को बढ़ाने की कोशिश कर रहा है और सेनाओं के हमले से अपनी जान बचाने के लिए रिहायशी इलाकों में रासायनिक हथियारों का जखीरा जमा कर रहा है. यूनाइटेड नेशन्स को मिली जानकारी के मुताबिक, आतंकी अमोनिया और सल्फर का भंडार इकट्ठा कर रहे हैं. जिसका इस्तेमाल सेना को आगे बढ़ने से रोकने के लिए किया जा सकता है.
रासायनिक हमले से निपटने के लिए सेना तैयार
अमेरिकी डिफेंस मिनिस्ट्री ने भी माना है कि आखिरी पलों में आतंकी रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल करने की फिराक में हैं. हालांकि रासायनिक हमले से बचने के लिए सेना ने तैयारी भी कर ली है. साथ ही खबर है कि आईएस अपने आखिरी गढ़ को बचाने के लिए केमिकल प्लान्ट में धमाका भी कर सकता है. इससे पहले भी सीआईए ने ऐसे कई सबूत दिए थे जिनमें ये साबित हुआ था कि आईएसआईएस ने जंग के मैदान में रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल किया है. ऐसा माना जाता है कि करीब 3 साल पहले मोसुल पर कब्ज़े के बाद आतंकियों ने यहां की यूनिवर्सिटी से 40 किलो यूरेनियम और रेडियोएक्टिव केमिकल की चोरी की थी. जिसके दम पर उन्होंने रासायनिक हथियार तैयार कर लिए हैं. यूएन में इराक के राजदूत ने भी इस बात का खुलासा किया था कि आईएसआईएस ने न्यूक्लियर पदार्थ को अपने कब्जे में ले लिया है और अब आतंकी इसका इस्तेमाल अपनी जान बचाने के लिए कर सकते हैं.
2011 से ही ISIS जुटा रहा है नए हथियार
साल 2011 से ही आईएसआईएस नए हथियार जुटाने की कोशिश में है. इसी कोशिश में उसके हाथ इराक और सीरिया में कब्ज़े के बाद क्लोरीन, मस्टर्ड गैस, सैरिन गैस, टैबुन और वीएक्स रासायनिक तत्व का ज़खीरा लगा था. ये सारी गैसें नर्व गैस की श्रेणी में आती हैं, जो केमिकल अटैक में इस्तेमाल होने वाली गैसें हैं. इराक और सीरिया में आम लोगों और सेनाओं पर केमिकल हमले कर आईएसआईएस ने ये तो साफ कर दिया है कि वो खुद के वजूद को बचाने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है. मगर जिस तरह इतने बड़े पैमाने पर आतंकी केमिकल वेपन यानी रासायनिक हथियार तैयार कर रहे हैं वो यकीनन दुनिया के लिए घातक हो सकता है. इसकी शुरूआत इन आतंकियों ने इराक में फौज पर केमिकल अटैक कर के कर भी दी. बड़ी पुरानी कहावत है, चोर चोरी से जाए, मगर सीनाज़ोरी से ना जाए. इराक़ में आईएसआईएस के आतंकवादियों की हालत बिल्कुल ऐसी ही है.
IS आतंकियों पर भारी पड़ रही फौज
इस देश के सबसे बड़े और अहम ठिकानों में से एक मोसुल में फ़ौज और आईएसआईएस के बीच जारी जंग में आतंकवादियों की हालत लगातार पतली हो रही है. लेकिन जाते-जाते भी ये आतंकवादी अपनी हरकतों से बाज़ नहीं आ रहे हैं. इस बार आतंकवादियों ने फ़ौज पर केमिकल अटैक यानी रासायनिक हमला करने की हिमाकत की है. जी हां, आतंकवादियों ने मोसुल के अल-अबार इलाक़े में इराक़ी फ़ौज पर उस खतरनाक मस्टर्ड गैस से हमला किया है, जिससे पल भर में लोगों की जान जा सकती है. आतंकवादियों के इस हमले का नतीजा ये है कि इससे 20 से ज़्यादा फ़ौजियों की ज़िंदगी पर बन आई है, और उन्हें इलाज के लिए मैदान-ए-जंग से दूर हटा लिया गया है. आतंकवादियों ने फौज पर क्लोरीन मिसाइल दागी थी. जबकि इस बार मस्टर्ड गैस का हमला हुआ है. अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया जैसे मुल्कों की मदद से इराकी फौज लगातार आईएसआईएस के आतंकवादियों को देश से खदेड़ने में जुटी है.
मोसुल ही बचा है आखिरी ठिकाना
इस वक्त मोसुल ही उन आखिरी ठिकानों में से एक है, जहां आतंकवादी फौज का मुकाबला कर रहे हैं. लेकिन अच्छी बात ये है कि फौज ने आधे से ज़्यादा शहर पर कब्जा कर लिया है और फिलहाल आईएसआईएस के आतंकवादी पश्चिमी मोसुल के एक छोटे से इलाके में कैद होकर रह गए हैं. ऐसे में उनकी पीठ दीवार से लग चुकी है और उनके भागने के तमाम रास्ते लगातार बंद हो रहे हैं. जबकि आतंकवादियों का सरगना अबू बकर अल बगदादी पहले ही मोसुल से भाग चुका है. ऐसे में जाते-जाते आतंकवादी अब उन आखिरी हथियारों का इस्तेमाल करने से भी पीछे नहीं रहना चाहते, जिससे उन्हें जंग लंबा खींचने की उम्मीद रहती है. मोसुल में हुआ ये केमिकल अटैक इसी का सुबूत है. लेकिन अब आतंकवादियों की इस हरकत को देखते हुए आगे की लड़ाई में फौज रासायनिक हमलों से बचने के इंतजामों के साथ आतंकवादियों का सामना करना चाहती है.
बेगुनाह शहरियों की जान पर बन आई है
मोसुल में चलती इस जंग के बीच सबसे बुरी हालत उन हजारों बेगुनाह शहरियों की है, जो शहर के उन अंदरुनी इलाकों में फंसे हुए हैं और जहां आतंकवादियों का कब्जा है. आतंकवादी उन्हें शहर से निकलने नहीं देना चाहते, उनका इस्तेमाल अपनी ढाल के तौर पर कर रहे हैं. और तो और ये बात अब संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी कही है कि ये हाल के दिनों में किसी मैदान-ए-जंग में बेगुनाह शहरियों पर आया सबसे बड़ा संकट है. ऐसे में अगर आगे भी यहां कोई केमिकल वार यानी रासायनिक युद्ध होता है, तो उसका असर आम लोगों पर भी पड़ना तय है. अपनी सल्तनत को हाथ से निकलते और खुद की मौत को नजदीक आता देख बगदादी और उसके आतंकी अब वहशीपन पर उतर आए हैं. इराक़ी फौज से खुद को बचाने के लिए बगदादी के आतंकवादी अब आम शहरियों पर ही रासायनिक हथियारों से हमले करने लगे हैं. इन रासायनिक हमलों की वजह से लोग घुट-घुटकर और तड़प-तड़पकर मर रहे हैं.
केमिकल वेपन का कर रहे इस्तेमाल
आईएसआईएस के आतंकियों को अब जब पूरा यकीन हो चला है कि इराकी फौजों के हमले से उनका बच पाना मुमकिन नहीं है, तो वो मोसुल की इस आखिरी जंग में उन हथियारों का इस्तेमाल करने लगे हैं जो जख्मी नहीं करता बल्कि तड़पा-तड़पाकर मारता है. दुनिया बगदादी और उसके आतंकियों की इन गोलियों से ज़्यादा डरी हुई नहीं है. दुनिया को अब इन बम धमाकों से भी ज़्यादा ख़तरा महसूस नहीं होता है, बल्कि दुनिया घबरा रही है उस सबसे नए खतरे से जिसे केमिकल वेपन कहते हैं. मोसुल से अब इस तरह की खबरें आम हो रही हैं कि आतंकी जो धमाके कर रहे हैं उसके बाद अजीबो-गरीब तस्वीरें और असर देखने को मिल रहा है. धमाके की जद में आने वाले इलाके के लोगों के जिस्म में इस तरह का अजीबो-गरीब असर हुआ है. कहीं खाल उधड़ गई तो कहीं हाथ-पैर जलकर उन पर काले फफोले पड़ गए हैं. हालांकि अभी जांच चल रही है.
केमिकल मस्टर्ड से भरे रॉकेट दागे
जानकार और वैज्ञानिक इस बात की तस्दीक कर रहे हैं कि ये उसी केमिकल वेपन का असर है जिसके खौफ में दुनिया जी रही है. एक इराकी वेबसाइट अलसुमारिया की रिपोर्ट के मुताबिक, आईएसआईएस के आतंकियों ने जानलेवा केमिकल मस्टर्ड से भरे हुए तीन रॉकेट को मोसुल से मिले कायराह इलाके में दागा है. जिसके धमाके में 7 लोग बुरी तरह झुलस कर मर गए. जबकि 5 साल के एक बच्चे का जिस्म बुरी तरह जल गया. इरबिल के अस्पताल में बच्चे का इलाज चल रहा है. बच्चे के घरवालों के मुताबिक, रॉकेट के धमाके के बाद अजीब सी गंध महसूस हुई और इसकी जद में आने वाले लोगों को उनके बदन में जलन महसूस होने लगी. संयुक्त राष्ट्र पहले ही मोसुल में आतंकियों के केमिकल हथियार इस्तेमाल करने की चेतावनी जारी कर चुका है. इतना ही नहीं, यूएन को पूरा अंदेशा है कि आईएसआईएस के पास मस्टर्ड गैस, अमोनिया और सल्फर जैसे खतरनाक रसायनों का जखीरा है, जिससे वो तबाही मचा सकते हैं.
रासायनिक हथियारों से इतना खौफ इसलिए है क्योंकि ये पल भर में ही हजारों–लाखों लोगों को मौत की नींद सुला देता है. कोई किसी तरह अगर बच भी गया तो बीमारियों की चपेट में आकर घुट-घुटकर मरने के लिए मजबूर हो जाता है. केमिकल वेपन खतरनाक इसलिए भी है क्योंकि जब तक लोगों को इस जहरीले हमले का अंदाजा लगता है तब तक काफी देर हो चुकी होती है.