इस्लामिक स्टेट (ISIS) के चंगुल में अगर किसी का अपना फंस जाए तो उस परिवार की हालत का अंदाजा लगाना भी मुश्किल है. हम आपको ऐसे ही 41 लोगों की कहानी बता रहे हैं जो पिछले 11 महीनों से ना सिर्फ इराक में ISIS के चंगुल में फंसे हैं, बल्कि 11 महीनों से ही भारत सरकार के पास उनकी कोई खबर तक नहीं है. ऐसे में उनके घरवालों के उम्मीद की डोर है, जो हर गुजरते दिन के साथ लगातार कमजोर पड़ती जा रही है.
इन पीड़ितों में ही शुमार स्वर्ण सिंह, परमिंदर सिंह और सुरजीत सिंह भी हैं. किसी का भाई अगवा कर लिया गया है तो किसी के घर का कोई और सदस्य. इन लोगों के गुस्से और निराशा का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जब सुरजीत से पूछा गया कि क्या उन्हें कुछ अपने परिवार वालों की जानकारी मिली तो उसने झुंझलाहट में जवाब दिया, 'पीएम साहब सलमान खान की बहन की शादी में जा सकते हैं, हमारी नहीं सुन सकते.'
गम, गुस्से, तकलीफ और झुंझलाहट से भरी से आवाज है उन लोगों की, जिनके अपने इस दुनिया के सबसे खौफनाक आतंकवादी संगठन ISIS के चंगुल में हैं. अपनों की आने की उम्मीद में अब इनकी आंखे पथराने सी लगी हैं.
क्या संसद, क्या इराकी दूतावास और क्या विदेश मंत्रालय. पिछले 11 महीने में शायद ही कोई ऐसा दरवाजा होगा जहां इन लोगों ने दस्तक नहीं दी लेकिन इनकी किस्मत है कि पटलने का नाम ही नहीं ले रही है. और तो और अपनों के इंतजार में सारा काम-काज छोड़ कर दिल्ली के गुरुद्वारा रकाबगंज में तकरीबन साल भर से डेरा डाले बैठे इन लोगों ने इतने दिनों में 9 बार विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से मुलाकात की है, लेकिन हकीकत यही है कि इन तमाम भागदौड़ और मुलाकात का हासिल अब तक सिफर ही है. इराक में फंसे इन लोगों के रिश्तेदारों की वापसी तो दूर, उनके बारे में सरकार के पास भी कोई खबर तक नहीं है.
पंजाब के इन लोगों के सगे संबंधी पैसा कमाने के लिए इराक चले गए थे, किसी को वहां फैक्ट्री में काम मिला, तो किसी को किसी कंस्ट्रक्शन साइट पर जॉब मिली, सोचा कि अगर कुछ सालों तक विदेश में रह कर मेहनत मजदूरी कर ली जाए, तो खुद के साथ-साथ परिवार की भी तकदीर संवर जाएगी. लेकिन हुआ ठीक उल्टा.
इराक के सियासी हालत के बीच ISIS का दबदबा क्या बढ़ा, इन 41 लोगों को वहां ISIS के आतंकवादियों ने तकरीबन 11 महीने पहले कथित तौर पर अगवा कर लिया. एक वो दिन था, एक आज का दिन. अब इतने दिन गुजरने के बावजूद इन हिंदुस्तानियों का अब तक कोई पता-ठिकाना नहीं है.
11 महीनों ने इन लोगों की इराक में फंसे अपने रिश्तेदारों से कोई बात नहीं हुई है. और उन्हें अब ये भी नहीं पता कि उनके रिश्तेदार वहां किस हाल में हैं. लेकिन अब जबकि ISIS के सरगना अबु बकर अल बगदादी की मौत की खबर सामने आई है, अपने रिश्तेदारों को लेकर इन लोगों की उम्मीद एक बार फिर से जवान हो उठी है. उन्हें लग रहा है कि अब शायद उनके रिश्तेदार कमजोर पड़ चुके ISIS के चंगुल से छूट सकते हैं. बस जरूरत है एक असरदार सरकारी कोशिश की.