कहते हैं जब वक्त बुरा होता है, तो हर चाल उल्टी पड़ती है. आईएसआईएस के साथ अब कुछ ऐसा ही हो रहा है. एक तरफ मुखिया अबु बकर अल बगदादी के मौत की खबर इसके आतंकवादियों को डरा रही है, तो दूसरी तरफ मैदान जंग में हर रोज मात मिल रही है. ताजा मामला इराक के फालुजा शहर का है, जहां आईएसआईएस के आतंकवादियों को दुश्मन खेमे की तरफ बारूद से भरा एक ट्रक भेजना भारी पड़ गया. दुश्मनों से पहले ये ट्रक खुद ही आईएसआईएस का ताबूत बन गया.
बारूद से लदा है ट्रक
इराक की राजधानी बगदाद से 65 किलोमीटर दूर फालुजा शहर के एक हाईवे पर ये ट्रक पूरी रफ्तार से दौड़ रहा है. वैसे तो इस ट्रक को देखकर इस बात का अंदाज़ा लगाना मुश्किल है कि इस ट्रक में क्या लदा है और ये किस मकसद से आगे बढ़ रहा है, लेकिन आईएसआईएस से आमने-सामने की जंग में शामिल विरोधी गुटों को इसकी असलियत खूब पता है. दरअसल, पूरी तरह बारूद से भरा ये ट्रक छह पहियों पर दौड़ता एक ऐसा ताबूत है, जो अपने साथ-साथ आस-पास की तमाम चीजों को भी बर्बाद कर सकता है.
सुसाइड बॉम्बर हैं ड्राइवर
बारूद से भरे इस ट्रक को आईएसआईएस के वो सुसाइड बॉम्बर चला रहे हैं, जिन्हें खास मिशन पर अपने दुश्मनों को टारगेट करने के लिए भेजा गया है और इस वक्त इस ट्रक के टारगेट पर विरोधियों का एक ऐसा बेस कैंप है, जहां डेरा डाले इराकी फौज और अलग-अलग देशों के जवान आईएसआईएस से लोहा ले रहे हैं. लिहाजा, विरोधी खुद इस ट्रक का निशाना बनने से पहले इस ट्रक को ही टारगेट करने का फैसला करते हैं और फिर एक बटन दबते ही ट्रक आग के गोले में तब्दील हो जाता है.
विरोधियों के रडार पर आ चुका है ट्रक
दरअसल, इस फिदायीन हमलावरों वाला ये ट्रक काफी पहले ही विरोधियों के रडार पर आ चुका था, लेकिन वो इसे टारगेट करने से पहले सही मौके और सही जगह का इंतजार कर रहे थे, ताकि निशाना सही लगे और खुद उन्हें कोई नुकसान ना हो. ऐसे में कुछ किलोमीटर आगे बढ़ जैसे ही वो ट्रक एक रेत के टीले के पास पहुंचा, विरोधियों की ओर से दागे गए एक एंटी टैंक रॉकेट ने पलक झपकते ही ट्रक के परखच्चे उड़ा दिए. ट्रक आग के गोले में बदल गया और फौरन ही इसकी रफ्तार पर ब्रेक भी लग गया.
सोशल मीडिया पर वायरल हो चुकी है इसकी तस्वीर
इराक के मैदान-ए-जंग से सामने आई एक ट्रक के खाक होने तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो चुकी है, लेकिन सीरिया और इराक जैसे मुल्कों में आईएसआईएस से जंग की ये कोई पहली और इकलौती तस्वीर नहीं है. इससे पहले भी मानव बमों से लदे ऐसे ट्रकों के अलग-अलग ठिकानों पर धमाके और ठिकानों पर पहुंचने से पहले ही उन्हें उड़ाए जाने की कई तस्वीरें सामने आ चुकी हैं.
धोखे का है खेल
दरअसल, ये सारा खेल धोखे का है. ज्यादातर मामलों में ऐसे ट्रकों को चलानेवाले फिदायीन हमलावरों को खुद इस बात का पता नहीं होता कि ट्रक बारूद से भरा है और वो खुद एक फिदायीन है. आतंकवादियों के आका उन्हें धोखे से दुश्मनों के ठिकानों पर भेज देते हैं और मौके पर पहुंच कर उन्हें दिए गए मोबाइल फोन से कॉल करने को कहा जाता है, लेकिन मोबाइल फोन से कॉल करते ही आईईडी का सर्किट कंप्लीट हो जाता है और बारूद डेटोनेट हो जाता है.