पूरी दुनिया और दुनिया के तमाम ताकतवर मुल्क आईएसआईएस पर चौतरफा हमला बोले हुए हैं. मगर आप ये जान कर हैरान जाएंगे कि आईएसआईएस के पास इतने हथियार मौजूद हैं कि वो अगले दो साल तक इन तमाम ताकतवर देशों का मुकाबला कर सकता है. ये दावा खुद आईएसआईएस नहीं कर रहा. बल्कि ये चौंकाने वाला बयान यूएन यानी संयुक्त राष्ट्र ने दिया है. और कमाल देखिए कि जिन हथियारों से आईएसआईएस लड़ रहा है वो उसे किसी और ने नहीं बल्कि खुद अमेरिका ने दिए हैं.
आईएसआईएस के पास हथियारों का जखीरा
आईएसआईएस के पास सैकड़ों टोयटा ट्रक, एके-47 और क्लाशनिकोव जैसे मौत के सामान हैं. साथ ही हमवी आर्म्ड व्हीकल, एम1-ए1 अब्राम टैंक, एम-198 होवित्सज़र मोबाइल गन और ना जाने क्या-क्या तबाही मचाने वाले हथियार इस आतंकी संगठन के पास हैं.
तबाही की कीमत पर ही सही आईएसआईएस आखिर अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन और रूस जैसे मुल्कों से कैसे टकरा रहा है? आखिर दुनिया के तमाम अमनपसंद लोगों से भिड़ने से लिए उसके पास खौफनाक मौत के सामान कहां से आते हैं? और तमाम कोशिशों के बावजूद दुनिया आईएसआईएस को होनेवाले हथियारों के इस सप्लाई पर रोक क्यों नहीं लगा पा रही है? ये वो सवाल हैं, जो दुनिया के हर खास-ओ-आम के जेहन में कभी ना कभी जरूर उठते हैं.
अमेरिका के दिए हथियारों से दम भरता आईएसआईएस
यूएन की एक ताजा रिपोर्ट की मानें तो जिन अस्लहों के दम पर आईएसआईएस अब अमेरिका समेत दुनिया के तमाम मुल्कों से टकराने का दम भर रहा है, वो ट्रक, वो तोप और वो अस्लहे अमेरिका के ही दिए हुए हैं. बल्कि हकीकत ये है कि आईएसआईएस के पास मौजूद हथियारों का जखीरा फिलहाल कुछ इतना बड़ा है कि वो आनेवाले छह महीने से लेकर दो सालों तक अपनी जमीन पर किसी के भी दांत खट्टे कर सकता है.
लेकिन सवाल उठता है कि आखिर अमेरिका ऐसा क्यों कर रहा है? सवाल ये भी है कि पूरी दुनिया की निगाहों से बच कर आखिर कैसे आईएसआईएस अमेरिकी मदद हासिल कर रहा है? तो इन अहम सवालों के जवाब जानने से पहले आपको रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतीन का वो बयान को याद कर लेना चाहिए, जो उन्होंने इसी साल टर्की में हुए जी-20 समिट के दौरान दिया था और जिसे सुन कर अमेरिका समेत कई मुल्कों के हुक्मरानों के चेहरे लाल हो गए थे. पुतिन ने कहा था कि मैंने दुनिया को तथ्यों पर आधारित वो सुबूत सौंपे है, जो साबित करते हैं कि आईएसआईएस के तमाम इकाइयों की फंडिंग कहां से और कैसे हो रही है और सच ये है कि ये फंडिंग जी-20 के कुछ सदस्य देशों के साथ-साथ 40 अलग-अलग मुल्कों से की जा रही है.
दरअसल, आईएसआईएस को अमेरिकी फंडिंग अब एक ऐसा ओपन ट्रूथ बन चुका है, जो सबके सामने है भी और नहीं भी. और ये बात सिर्फ यूएन की रिपोर्ट से ही नहीं, बल्कि दुनिया के दूसरे कई रिसर्च में भी सामने आ चुकी है. एक रिसर्च तो तुर्की में रहने वाले पॉलिटिकल एनालिस्ट जेरेमी सॉल्ट का ही है. जो ये बताते हैं कि किस तरह अमेरिका समेत दूसरे कई मुल्कों के ट्रक, टैंक और अलग-अलग हथियार आईएसआईएस के हाथों तक पहुंच रहे हैं और किस तरह ये सिलसिला यहां सालों से चल रहा है.
ऐसे हाथ लगे हथियार
अमेरिका ने एक नहीं बल्कि कई बार खुद आईएसआईएस के इलाकों में हथियारों की एक्सीडैंटल एयर ड्रापिंग की है. नतीजा ये है कि सीरियाई कुर्दों के लिए गिराए गए अस्लहे आईएसआईएस के हाथ लग चुके हैं. इसी तरह इराक के मोसूल, रमाडी और पलमाइरा जैसे शहरों पर कब्ज़े के दौरान भी आईएसआईएस ने वहां के दूसरे विरोधियों और फौजियों से बड़ी तादाद में वो अस्लहे लूटे हैं, जो अमेरिका समेत दूसरे कई मुल्कों ने मुहैया कराए थे. बल्कि सच्चाई तो ये है कि अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश के कार्यकाल में ही इराक में की गई अमेरिकी फौज की बेवजह की घुसपैठ से ही आईएसआईएस की बुनियाद पड़ गई.
पैसे से भी मदद करता अमेरिका
जंग लड़ने के लिए हथियारों के अलावा और भी चीजों मे पैसे खर्च होते हैं. अब सवाल ये है कि इतनी लंबी लड़ाई लड़ने के लिए आईएसआईएस को पैसे कहां से मिल रहे हैं. तो यूएन की रिपोर्ट को मानें तो इनमें बड़ा हिस्सा अमेरिकी मदद से आ रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका से आईएसआईएस अब तक करीब 219 मीलियन डॉलर यानी तकरीबन डेढ़ खरब रुपए की मदद ले चुका है. ये आंकड़ा कई छोटे मुल्कों के बजट से भी ज्यादा है.