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ISIS का सबसे बड़ा नरंसहार, 175 लोगों की दर्दनाक हत्या

सीरियाई सेना के मुताबिक ISIS ने पिछले हफ्ते दमिश्क के उत्तर-पूर्वी इलाके दुमेर में एक सीमेंट फैक्ट्री पर हमला किया था. हमले के दौरान वहां काम करने वाले करीब 300 मजदूरों को अगवा करके आतंकवादी अपने साथ ले गए थे.

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जैसे-जैसे सीरिया और इराक में आईएसआईएस की जमीन खिसकती जा रही है उसका सरगना अबू बकर अल बगदादी और ज्यादा बेरहम होता जा रहा है. अब तक किश्तों में लोगों के गला काटने, गोली मारने, जिंदा जला देने या बम से उड़ा देने की तस्वीरें जारी करने वाले बगदादी के आतंकवादियों ने पहली बार 175 लोगों को एक साथ मौत के घाट उतार देने की तस्वीरें जारी की हैं. ये पहली बार है जब आईएस ने इतनी बड़ी तादाद में एक साथ लोगों का कत्लेआम किया है.

सीरियाई सेना के मुताबिक ISIS ने पिछले हफ्ते दमिश्क के उत्तर-पूर्वी इलाके दुमेर में एक सीमेंट फैक्ट्री पर हमला किया था. हमले के दौरान वहां काम करने वाले करीब 300 मजदूरों को अगवा करके आतंकवादी अपने साथ ले गए थे. जिस फैक्ट्री से मजदूरों को अगवा किया गया, उसका नाम अल-बादिये सीमेंट कंपनी है.

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दमिश्क के पास अंजाम दी घटना
स्थानीय लोगों की मानें तो उन्होंने अगवा किए गए मजदूरों को ISIS की गाड़ियों में ले जाते हुए देखा था. स्थानीय निवासियों के मुताबिक उन्हें ताल दकवेह इलाके की तरफ ले जाया जा रहा था. खबर है कि उन्हें ऐसी जगह ले जाया गया जो आईएसआईएस के कब्जे वाले हैं. सीरियाई सेना के मुताबिक बाद में ISIS के आतंकियो ने अगवा किए गए 300 में से 175 मजदूरों को एक साथ मौत के घाट उतार दिया. इस कत्लेआम को दमिश्क के आसपास ही अंजाम दिया गया.

मानवाधिकार संगठन ने भी दिया दखल
खबर ये भी है कि करीब 140 मजदूर ISIS के चंगुल से भाग निकले थे. हालांकि, वो कहां हैं और किस हाल में हैं, इसके बारे में कोई जानकारी हासिल नहीं हुई है. हालांकि ISIS का दावा है कि 170 मजदूरों को रिहा कर दिया गया है. लेकिन वो कहां हैं, ये किसी को नहीं मालूम. लिहाजा ISIS के दावे पर सवाल उठ रहे हैं और उसकी मंशा पर शक पैदा हो रहा है. इस कत्लेआम और बाकी मजदूरों की रिहाई के लिए सीरियाई मामलों पर नजर रखनेवाले एक अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन ने भी इस मामले में दखल दिया है. ताकि कम से कम बाकी बेगुनाहों की जान बचाई जा सके.

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दूसरी तरफ आईएस के हमले के बाद से ही सीमेंट फैक्ट्री में सन्नाटा पसरा हुआ है. बताया जाता है कि ISIS के लड़ाके अब भी कारखाने पर कब्जा जमाए हुए हैं. फिलहाल ये साफ नहीं हो सका है कि आईएस ने इतनी बड़ी तादाद में मजदूरों को क्यों अपना निशाना बनाया? इस सीमेंट्र फैक्ट्री या इसमें काम करने वाले मजदूरों से आखिर उसकी क्या दुश्मनी थी?

क्या कम हो रही है बगदादी की ताकत?
क्या बगदादी की ये हैवानियत आईएसआईएस के कमजोर होने की निशानी है? या बगदादी इस कत्लेआम के जरिए ये बताने की कोशिश कर रहा है कि उसकी जमीन अभी कमजोर नहीं हुई है? हाल में जिस तरह से सीरिया और इराक में आईएस के ठिकानों पर लगातार हमले हुए हैं उससे ना सिर्फ बगदादी की ताकत कम हुई है बल्कि इन हमलों की वजह से ही अब लगातार सरिया और इराक में उसके कब्जे वाले इलाके एक-एक कर उसके हाथों से निकलते जा रहे हैं.

एक तरफ बगदादी का वहशियाना खेल जरी है तो दूसरी तरफ बगदादी की बर्बादी की दास्तान भी हर रोज लिखी जा रही है. सीरिया के शहर डेरीजोर से आई ये ताजा तस्वीरें बगदादी की बर्बादी की ही दास्तान सुना रही हैं.

टैंकों के जरिए ISIS का सफाया
दरअसल इस वक्त डीरीजोर के पूर्वी इलाके में सीरियाई सेना और बगदादी के आतंकवादियों के बीच बस आखिरी पल की लड़ाई चल रही है. और इसी लड़ाई से तय होना है कि ये शहर सीरियाई सेना के कब्जे में वापस आएगा या फिर आईएसआईएस यहां अपने झंडे फहराएगा. इस आखिरी लड़ाई की अगुआई कर रहे हैं सीरियाई फौज के बिग्रेडियर जनरल इसाम जेहरेद्दीन. वही जनरल जिससे आईएसआईएस के आतंकवादी बुरी तरह खौफ खाते हैं. सीरियाई फौज जानती है आईएस को यहां से खदेड़ना इतना आसान नहीं. इसलिए जंग में टैंकों को भी उतारा जाता है. जंग के मैदान में टैंक के उतरते ही आईएस आधी जंग हार चुका होता है.

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इराक से ISIS को खदेड़ रही है सेना
एक-एक कर अब इराक के उन तमाम शहरों को इराकी फौज वापस जीत रही है जिन पर आईएसआईएस के खलीफा बगदादी ने कब्जा कर रखा था. मगर इन शहरों को आईएस से वापस जीतने की आपने सिर्फ खबरें सुनी होंगी. आज हम आपको बाकायदा जंग और जीत के वो वीडियो दिखाएंगे. दिखाएंगे कि कैसे इराकी फौज के सबसे खतरनाक निशानेबाज यानी स्नाइपर्स ने आईएस के आतंकवादियों को चुन-चुन कर मारा है.

बगदादी ने अपने आतंक की कहानी इराक से ही शुरू की थी. देखते ही देखते उसने इराक में गृहयुद्ध से भी बदतर हालात पैदा कर दिए. इराक में मिली शुरूआती कामयाबी के बाद ही उसने सीरिया का रुख किया था. मगर अब उसी इराक में बगदादी को सबसे ज्यादा चुनौती मिल रही है.

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