पुरानी कहावत है कि दीया बुझने से पहले फड़फड़ाता जरूर है, आईएसआईएस की हालत अब कुछ ऐसी ही है. इराक और सीरिया दोनों ही मुल्कों में बगदादी के गुर्गे बुरी तरह से घिर चुके हैं. भागने के लिए रास्ता नहीं मिल रहा. बगदादी के डर से सरेंडर करना नहीं चाहते. लिहाजा मौत और शिकस्त से पहले वो दहशत और वहशत का आखिरी खेल खेल रहे हैं. और इसी खेल में एक शहर से खदेड़े जाने से पहले उन्होंने एक कालेज में बंधक बना कर रखे गए सौ लोगों के सिर कलम कर दिए.
मोसूल को फतेह करने की कोशिश में मित्र देशों के साथ इराकी फौज ने मोसूल के करीबी शहर हमाम अल-अलील पर दोबारा कब्जा हासिल कर लिया है. मगर कब्जे के बाद जब इराकी सेना शहर के एक कॉलेज की बिल्डिंग में पहुंची वहां का मंजर देख कर रूह कांप गई. शहर के एक कॉलेज की खाली पड़ी इमारत में एक साथ सौ लोगों की सिर कटी लाशें मिलीं.
मोसूल के लिए हमाम-अल-अलील पर कब्जा जरूरी
इस वक्त इराक में मोसूल ही वो इकलौती जगह बची है, जहां आईएसआईएस के आतंकवादी अब भी काबिज हैं जबकि इराकी फौजें लगातार आतंकवादी ठिकानों की ओर बढ़ रही हैं. मोसूल तक पहुंचने के लिए इराकी सेना को हमाम-अल-अलील से होकर गुजरना था और यहां भी आईएस का कब्जा था. लिहाजा मोसूल फतह करने से पहले जरूरी था कि हमाम-अल-अलील पर कब्जा हो.
भागने से पहले आतंकियों के काटे बंधंकों के सिर
इसी सिलसिले में फौज ने सोमवार को मोसूल हमाम अल-अलील पर भी कब्जा कर लिया. इसी कब्जे के बाद कॉलेज में सिर कटी लाशों का सच सामने आया. मारे गए वो बेगुनाह लोग थे जिन्होंने आईएसआईएस का साथ देने से इनकार कर दिया था और आईएसआईएस ने उन्हें बंधक बना रखा था. कहा जा रहा है कि जब इराकी फौज के शहर में घुस आने की खबर आतंकवादियों को मिली तभी उन्होंने भागने से पहले बंधख बनाए सभी सौ लोगों के सिर काट दिए.
अब तक की जंग में 900 आतंकी ढेर
आईएसआईएस के लिए यहां हालात कितने नाजुक हो चुके हैं, इसका अंदाजा बस इसी बात से लगाया जा सकता है कि एक तरफ तो इन आतंकवादियों का सरगना अबु बकर अल बगदादी अपने आतंकवादियों से ऑडियो मैसेज के जरिए आखिरी दम तक लड़ने की बात कह रहा है, वहीं खबरों के मुताबिक बगदादी खुद मोसूल से भाग कर सीरिया में जा छुपा है. उधर, अमेरिकी फौज ने दावा किया है कि पिछले ग्यारह दिनों की लड़ाई में मोसूल की जंग में करीब 900 आतंकवादी मारे जा चुके हैं. हालांकि अब तक फौजें मोसूल के आस-पास के इलाकों में ही लड़ रही थी, लेकिन अब उनका ठिकाना मोसूल शहर है, जहां और भयानक लड़ाई की आशंका है क्योंकि आतंकवादियों ने यहां शहरियों को अपना ढाल बना रखा है.
'सरेंडर करो वरना गोली खाओ'
तीन तरफ से बगदादी के आतंकियों को घेर-घेरकर मारने का काम शुरू हो चुका है. बस एक रास्ता इन आतंकियों के लिए छोड़ा गया है, जिससे वो अपनी जान बचाने के लिए भाग सकें. मगर ये रास्ता भी मौत का रास्ता है. दुनिया के लिए दहशत का फरमान जारी करने वालों के लिए ये आखिरी ऐलान है. हाथ उठा कर सरेंडर कर दो, वरना बुजदिलों की तरह पीठ पर गोलियां खाओ और वहां जाओ जहां के नाम पर तुम दुनिया के नौजवानों को बरगला कर अपने आतंक के कुनबे में शामिल करते हो.
मोसूल छोड़कर भाग चुका है बगदादी
आतंक की खिलाफत खतरे में है. अब बगदादी के फतवों को सुनने वाला भी कोई नहीं है. उसके आतंकी या तो जमीन पर बिछ चुके हैं या जान बचाने के लिए मोसूल से किनाराकशी कर रहे हैं. मगर बगदादी है कि आतंक के सूरज के डूबने से पहले पूरे आसमान को सुर्ख करने के लिए आमादा है. हालांकि मौत के डर से बगदादी खुद तो मोसूल छोड़कर भाग गया है मगर अपने दज्जालों को कौल दे रहा है. मारो मारो इससे पहले कि मारे जाओ. इराकी सेना के ऑपरेशन मोसूल से इतना तो साफ हो गया है कि अरब की जिस रेतीली जमीन पर ढ़ाई साल पहले आतंक का काला सूरज उगा था, अब बस वो डूबने वाला है.
घेर कर मारने की है तैयारी
मोसूल के नक्शे से आतंक का काला साया मिटता जा रहा है. तीन तरफ से बगदादी के आतंकियों को इराकी सेना, कुर्दिश सेना और शिया मिलिशिया ने घेर लिया गया है और इराक के मोसूल से सीरिया के रक्का की तरफ जाने वाला रास्ता खाली छोड़ा गया है. ताकि इस रास्ते से आतंकी भागने की कोशिश करें और जिसके रास्ते में पड़ने वाले एक बड़े पुल को रणनीति के तहत पहले ही तोड़ दिया गया है ताकि दहशत के इन नुमाइंदों को घेर कर मारा जा सके.
दक्षिणी की तरफ से मोसूल सिटी पर कब्जे के लिए आगे बढ़ रही इराकी सेनाओं ने करीब एक दर्जन और गावों पर अपना कब्जा वापस हासिल कर लिया है और अब वो मोसूल के एयरपोर्ट से महज 4 किमी की दूरी तक पहुंच चुकी है. वहीं दूसरी तरफ कुर्द पेशमर्गा आर्मी ने मोसूल के पूर्वी हिस्से बशिका पर अपना कब्जा जमा लिया है. मोसूल सिटी से बशिका की दूरी महज 13 किमी है. मोसूल के उत्तरी पूर्वी हिस्से और सीरिया से लगने वाली सीमाओं की तरफ से पापुलर मोबिलाइजेशन फोर्स के नाम से मशहूर शिया मिलीशिया की फौज जिसमें सुन्नी लड़ाके भी शामिल हैं जिसने आईएसआईएस पर अपना शिकंजा कस रखा है और आतंकियों को घेर-घेरकर उनसे उनके किए का हिसाब ले रही हैं.
जारी है लोगों का पलायन
कुल मिलाकर अरब की जिस रेतीली जमीन पर बगदादी ने आतंक का काला झंडा गाड़ा था वो उखड़ने वाला है. अब बस ऐलान का इंतजार है. 15 लाख की आबादी वाले मोसूल शहर से करीब तीन लाख लोग पहले ही भाग चुके हैं. अब इराकी फौज की चढ़ाई के बाद करीब एक लाख लोग मोसूल छोड़ कर सरिया और तुर्की की तरफ जा रहे हैं. दरअसल मोसूल के लोगों को खतरा ये है कि हार करीब देख कर आईएस के आतंकवादी उन्हें अपनी ढाल बना सकते हैं. आईएस ने इसकी शुरूआत भी कर दी है. वो तेल के कुएं में आग लगाने के साथ-साथ सड़कों पर तेल फेंक कर उनमें भी आग लगा रहा है.
मोसूल में शिकस्त मतलब आईएसआईएस का खात्मा
आईएस के खात्मे के लिए मोसूल शहर की आजादी बेहद जरूरी है. दरअसल जून 2014 में मोसूल पर कब्जा करने के बाद बगदादी ने इसे न सिर्फ अपने आतंक के साम्राज्य की राजधानी बनाया. बल्कि यहीं से उसने खुद की खिलाफत का ऐलान भी किया. इसलिए अगर मोसूल में बगदादी की शिकस्त होती है तो जाहिर तौर पर इसका मतलब है इराक से इस्लामिक स्टेट का खात्मा. इतना ही नहीं मोसुल में तेल का अकूत भंडार है.. अगर ये शहर हाथ से जाता है तो आईएस की कमाई का एक बड़ा जरिया बंद हो जाएगा. इसके बाद इराक के महज 10 फीसदी हिस्से पर ही आईएस का प्रभाव रह जाएगा.
आतंकी तेल के कुओं में लगा रहे हैं आग
पेंटागन के मुताबिक इराकी सेना अपने तय लक्ष्य से आगे चल रही है. हालांकि ये भी अंदेशा जताया जा रहा है कि आतंकियों से मोसूल को खाली कराने की ये जंग लंबी खिंच सकती है. इसके संकेत भी मिल रहे हैं. आतंकी इराकी सेना को मोसूल में दाखिल होने से रोकने के लिए जवाबी कार्रवाई में किसी भी हद तक जा रहे हैं. सेना के टैंकों को निशाना बनाने के अलावा आतंकी शहर के अंदर तेल फैला कर उसमें आग लगा रहे हैं. जिससे पूरे शहर में धुएं का जबर्दस्त गुबार उठ रहा है. और इसी गुबार की आड़ में वो खुद के लिए भागने का रास्ता तैयार कर रहे हैं.
लोगों की जान को है बड़ा खतरा
एक तरफ जहां मोसूल का ये महायुद्ध प्रतिष्ठा का सवाल बन चुका है. वहीं शहर में रहने वाले 15 लाख लोगों की सुरक्षा को लेकर भी फिक्र बढ़ने लगी है. अंदेशा है कि आतंकी अपनी जान बचाने के लिए आम लोगों का ढाल की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं. लिहाजा ऐसे हालात से निपटने के लिए इराकी सेना ने मोसूल शहर पर काफी तादाद में पर्चे गिराए हैं. जिसमें आम लोगों को नसीहत दी जा रही है कि लड़ाई के दौरान अपनी सुरक्षा के लिए उन्हें क्या करना है. संयुक्त राष्ट्र को अंदेशा है कि मोसूल में लड़ाई के चलते यहां से करीब एक लाख इराकियों को जान बचाने के लिए सीरिया या तुर्की भागना पड़ सकता है. इराक में आतंकियों के खौफ से करीब तीन लाख से ज्यादा लोग पहले से ही अपने अपने घरों को छोड़कर जा चुके हैं. लिहाजा दोबार ऐसे हालात पैदा होने की स्थिति में शरणार्थियों की मदद के इंतजाम अभी से शुरू कर दिए गए हैं.
मोसूल को आतंकियों के चंगुल से रिहा कराने के लिए शूरू हुए इस ऑपरेशन की तैयारी करीब एक महीने से चल रही थीं. अभी इराकी फौज मोसूल तक पहुंची भी नहीं है मगर अभी से ही आतंकी बौखलाए नजर आ रहे हैं. जानकार मान रहे हैं कि इराक में इस्लामिक स्टेट के पूरी तरह खात्मे की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है क्योंकि इराक का यही शहर अभी भी आईएस का गढ़ है. बाकी इलाकों से तो उसके पैर कब के उखड़ चुके हैं. सीरिया में भी सिर्फ रक्का शहर में ही इस्लामिक स्टेट का कब्जा रह गया है. ऐसे में मोसूल की हार बगदादी की अब तक की सबसे बडी शिकस्त होगी.
हैवानियत के वीडियो आए सामने
बगदादी के खिलाफ आखिरी जंग के दौरान इराकी फौज के हाथ कुछ ऐसे वीडियो लगे हैं जिनमें बगदादी के गर्गों की हैवानियत कैद हैं. ऐसे ही एक वीडियो में आतंकवादी इराक के किसी गुमनाम ठिकाने पर एक साथ पचास बेगुनाहों को गोली मारते दिखाई दे रहे हैं. बाद में इन तमाम लाशों को एक कब्र में एक साथ दफना दिया जाता है. आखों में पट्टी बांध कर बेगुनाहों बंधकों को ISIS के आतंकवादी मौत के रास्ते पर खींच रहे हैं. इन बेगुनाहों का कसूर सिर्फ इतना है कि ये सभी इराकी शिया मुस्लिम हैं और बगदादी इनको अपनी हुकूमत के लिए खतरा मानता है. और सिर्फ इसी जुर्म में बगदादी ने इनके नाम जारी मौत के परवाने पर अपनी मुहर लगा दी है.
एक ही कब्र में उतारा मौत के घाट
इसके बाद पहले तो इन्हें भेड़ बकरियों की तरह बांध कर काबू किया जाता है और फिर आतंकवादी इन्हें गाड़ियों में भरकर इनकी जिंदगी के आखिरी सफर पर निकल जाते हैं. एक ऐसा सफर, जिसके पूरा होने के साथ ही इन सभी के सभी बंधकों की जिंदगी पर भी फुलस्टॉप लग जाना है. और फिर तमाम आतंकवादी इन 50 बेगुनाह लोगों को लेकर एक ऐसी सुनसान जगह पर पहुंचते हैं, जहां पहले से ही आतंकवादियों ने अपने दुश्मनों को ठिकाने लगाने के लिए जमीन पर बड़ा सा गड्ढा खोद रखा है. ये गड्ढा क्या है, एक ऐसा सामूहिक कब्र है, जिसे मौत से पहले ही खोद कर रखा गया है.
और फिर मौके पर पहुंचते ही ये आतंकवादी वही काम करते हैं, जिसके खौफ से ये सभी के सभी बंधक पहले से ही सिहर रहे हैं हैं. पहले उन्हें घुटनों के बल बिठा दिया जाता है और फिर एक-एक कर सिर में गोली मार दी जाती है और इस तरह मौत वाली जगह पर ही उन्हें एक साथ दफना दिया जाता है. सूत्रों की मानें तो ये एक ऐसा वीडियो है, जो अभी-अभी इराकी फौज के हाथ लगा है लेकिन इस कत्लेआम को ठीक कब अंजाम दिया गया, फिलहाल इस बात की तस्दीक होनी अभी बाकी है.
रक्का में छुपे बगदादी का खेल खत्म करने की तैयारी
इराक में तो खैर आईएसआईएस पहले ही घिर चुका है. सीरिया में भी उस पर तेज हमलों का सिलसिला जारी है. कुर्दिश फाइटरों के साथ-साथ सीरियाई फौज ने आईएसआईएस के गढ़ माने जाने वाले सीरिया में उसे कुचलने के लिए खास प्लानिंग की है. उधर इराकी शहर मोसूल में चलती आर-पार की लड़ाई और इधर सीरिया में आईएसआईएस को उसके सबसे बड़े गढ़ यानी राक्का में घेरने की ये तैयारी. आईएसआईएस के लिए इतने मुश्किल हालात पिछले दो सालों में कभी नहीं हुए लेकिन अब आईएसआईएस के दिन बस गितने के रह गए हैं. आतंकवादियों का सबसे बड़ा सरगना अबु बकर अल बगदादी जहां मोसूल से भाग कर इसी राक्का शहर में आ छुपा है, वहीं सीरियाई फौज और कुर्दिश फाइटर बगदादी और उसके आतंकवादियों को चारों तरफ से घेरने की तैयारी कर रहे हैं.
रक्का को चारों तरफ से घेर रही है सेना
एक अंदाजे के मुताबिक इस वक्त राक्का में दो लाख सुन्नी शहरियों के साथ आईएसआईएस के करीब पांच हजार आतंकवादी छुपे हुए हैं, जिन्होंने एक तरह से इस पूरे शहर कब्जा कर रखा है. जबकि 30 हजार से ज्यादा कुर्दिश फाइटरों और सीरियाई फौजियों ने चारों तरफ से राक्का को घेरने की शुरुआत कर दी है. और यहां भी ठीक मोसूल की तरह ही राक्का के आस-पास के इलाको में आतंकवादियों के साथ फौजियों की जंग लगातार जारी है.
ड्रोन की मदद ले रही है सेना
सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल असद की मदद कर रही रूसी फौज जहां आतंकवादियों के ठिकानों पर बमबारी कर रही है, वहीं कुर्दिश फाइटरों ने अब आतंकवादियों का मुकाबला करने के लिए कमर्शियल ड्रोन कैमरों का इस्तेमाल शुरू कर दिया है... दरअसल इन ड्रोन की बदौलत आतंकवादियों के खुफिया ठिकानों की तस्वीरें फौज को आसानी से मिल जाती हैं. और इससे उनका सफाया करना आसान हो जाता है. सीरिया और इराक दोनों ही जगहों पर आतंकवादी गुरिल्ला युद्ध लड़ रहे हैं. इन्होंने बड़ी बड़ी मशीनों के सारे शहर में सुरंग खोद रखे हैं, जिनका इस्तेमाल वो छुपने के लिए तो करते ही हैं, जरूरत के मुताबिक इन सुरंगों से होकर वो हमले भी करते हैं. ऐसे में ड्रोन आतंकवादियों को ठिकाने लगाने का एक अहम जरिया साबित हो रहे हैं.