जम्मू-कश्मीर के एक डीएसपी की गाड़ी से दो आतंकवादी पकड़े गए. अब पुलिस की गाड़ी में आतंकवादी मिलें तो कायदे से कोई खबर नहीं बनती. क्योंकि आतंकवादियों को पुलिस ही तो पकड़ती है. मगर यहां कहानी ज़रा अलग है. यहां कहानी ये है कि डीएसपी साहब आतंकवादियों को अपनी निगरानी में बाहिफाजत कहीं छोड़ने जा रहे थे. अब सच सामने आने के बाद सवाल ये उठ रहे हैं कि क्या डीएसपी आतंकवादियों से मिला हुआ था या फिर डीएसपी खुफिया एजेंसी के किसी खुफिया ऑपरेशन को अंजाम दे रहा था? वैसे आपको बता दूं कि ये वही डीएसपी वीरेंद्र सिंह है जिसपर संसद हमले के दोषी अफजल गुरु ने संसद हमले की साजिश में शामिल होने का इलज़ाम लगाया था।
11 जनवरी 2020, श्रीनगर-जम्मू नैशनल हाइवे, कुलगाम
जम्मू-कश्मीर पुलिस के डीएसपी देविंदर सिंह श्रीनगर से जम्मू के लिए अपनी सरकारी गाड़ी से निकले. देवेंद्र की कार में दो और लोग सवार थे. मगर जैसे ही डीएसपी की गाड़ी कुलगाम के नज़दीक पहुंची उसे रोक लिया गया. खुफिया जानकारी मिली थी कि हिजबुल मुजाहिदीन के कुछ आतंकी श्रीनगर से जम्मू जा रहे हैं. जहां वो किसी हमले को अंजाम दे सकते हैं. लेकिन इस जानकारी का डीएसपी देवेंद्र सिंह की गाड़ी से क्या कनेक्शन था. ये समझ से परे था. एक ऐसा पुलिस अधिकारी जिसे आतंकवाद के खिलाफ ऑपरेशन में अहम भूमिका निभाने के लिए 2018 में ही राष्ट्रपति मेडल से नवाज़ा जा चुका था. जो एंटी टेरर ग्रुप का सदस्य भी था. आखिर उसे कुलगाम की बैरीकेटिंग पर क्यों रोका गया?
ऐसे हुई थी गिरफ्तारी
हां ये ज़रूर था कि डीएसपी देवेंद्र सिंह चार दिन की छुट्टी पर थे. छुट्टी के दौरान देवेंद्र श्रीनगर से पहले जम्मू और फिर चंडीगढ़ जाने वाले थे. मगर पुलिस जांच के लिए जब उनकी गाड़ी को रोक गया तो उन्होंने मौके पर तैनात अधिकारी को अपना ओहदा और पहचान बताई. लेकिन उनका रसूख काम नहीं आया. बाद में जब कार में बैठे लोगों से पूछताछ हुई तो पता चला कि जम्मू-कश्मीर पुलिस के डीएसपी देविंदर सिंह की गाड़ी में जो दो लोग बैठे हुए थे, वो दोनों हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकवादी थे. एक का नाम हिज्बुल कमांडर सईद नवीद और दूसरे का रफी हैदर था. खुलासा होते ही डीएसपी समेत 3 लोगों को फौरन हिरासत में ले लिया गया.
आतंकियों को दूसरे शहरों में ले जाना था मकसद
जम्मू-कश्मीर पुलिस के एक डीएसपी की गाड़ी में दो आतंकवादियों के पाए जाने की खबर मिलते ही सुरक्षा एजेंसियां फौरन हरकत में आ गई. मामला बेहद गंभीर था. लिहाजा, सीनियर अफसरों ने पूछताछ शुरू कर दी. शुरूआती जांच में पता चला कि आतंकियों और देवेंद्र के बीच 12 लाख रुपये की डील हुई थी. जिसके तहत वो इन आतंकियों को अपनी गाड़ी से सुरक्षित जम्मू ले जा रहा था. आतंकियों का प्लान जम्मू के बाद चंडीगढ़ और फिर दिल्ली जाने का भी था. सूत्रों के मुताबिक वो दिल्ली, चंड़ीगढ़ और पंजाब में आतंकी हमले की योजना बना चुके थे. डीएसपी देवेंद्र सिंह उनके इन मंसूबों में उनका साथ दे रहा था.
पुलिस का भगोड़ा है आतंकी नवीद
पूछताछ में पता चला कि डीएसपी देवेंद्र सिंह काफी वक्त से इन आतंकियों के संपर्क में था. इतना ही नहीं 2018 में भी वो इन आतंकियों को लेकर जम्मू गया था. पकड़े गए दोनों आतंकियों में से एक आतंकी नवीद जम्मू कश्मीर पुलिस का भगोड़ा था. जो कि 2017 में हिजबुल मुजाहिदीन में शामिल हो गया था.
सच निकला अफजल गुरु का खुलासा!
रंगे हाथों आतंकवादियों के साथ गिरफ्तारी के बाद डीएसपी को लेकर अब ये शक और सवाल भी उठ रहे हैं कि क्या 2001 के संसद हमले के दोषी अफजल गुरु ने अदालत में देवेंद्र सिंह के बारे में जो कुछ कहा था क्या वो सच था? क्या संसद भवन पर हमले के लिए जैश के एक पाकिस्तानी आतंकवादी मोहम्मद को श्रीनगर से दिल्ली देवेंद्र ने ही भेजा था? क्या देवेंद्र जम्मू-कश्मीर पुलिस के साथ-साथ आतंकवादियों या फिर खुफिया एजेंसियों के लिए भी काम करता है?