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डिप्रेशन का शिकार था जर्मनविंग्स का को-पायलट

क्या किसी पायलट की सनक से भी कोई प्लेन क्रैश कर सकता है? क्या बस मोहब्बत में नाकामी भर किसी पायलट को डेढ़ सौ लोगों का कातिल बना सकती है?

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को-पाय़लट आंद्रेस लुबिज़
को-पाय़लट आंद्रेस लुबिज़

क्या किसी पायलट की सनक से भी कोई प्लेन क्रैश कर सकता है? क्या बस मोहब्बत में नाकामी भर किसी पायलट को डेढ़ सौ लोगों का कातिल बना सकती है? क्या महज़ गर्लफ्रैंड के साथ ब्रेकअप हो जाने की वजह से कोई पायलट डेढ़ सौ मुसाफिरों के साथ अपने ही प्लेन को किसी पहाड़ी से ले जाकर टकरा सकता है? मंगलवार को जर्मनविंग्स का जो प्लेन पहाड़ियों से टकरा कर क्रैश हो गया और जिसमें डेढ़ सौ लोगों की मौत हो गई उसका सच बिल्कुल यही है.

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जर्मन विंग्स की एयरबस ए-320 को पहाडी से टकरा कर विमान में सवार 149 मुसाफिरों की जान लेने वाला को-पाय़लट आंद्रेस लुबिज़ ज़ेहनी तौर पर परेशान था. इसकी वजह थी उसकी गर्लफ्रैंड. जिसके साथ उसका ब्रेकअप हो गया था. बस इसी सदमे में वो डिप्रेशन में चला गया था. डिप्रेशन में जाने के बाद करीब दो साल तक उसने नौकरी से छुट्टी भी ले ली. इस दौरान पूरे 18 महीने तक उसका इलाज भी चला.

इलाज के बाद भी डाक्टरों ने उसे हर साल कुछ साइकलोजिकल टेस्ट से गुजरने को कहा था. मगर इसी बीच उसने फिर से जर्मनविग्स कंपनी ज्वाइन कर ली. जांच में जुटी पुलिस के मुताबिक वो अब भी रिश्तों की समस्या से जूझ रहा था और अपने जज्बात से लड़ रहा था. इसी जेहनी हालत में मंगलवार को उसने बतौर को-पायलट स्पेन के बार्सिलोना से जर्मनविंग्स की एयरबस ए-320 में सुबह 8 बजकर 35 मिनट पर जर्मनी के डुसलडॉर्फ़ शहर के लिए उड़ान भरी थी.

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दरअसल उड़ान भरने के करीब आधे घंटे बाद तक सब कुछ ठीक था. बार्सिलोना में एयरलाइंस कंपनी के मुलाजिमों ने बताया कि उड़ान से पहले को-पाय़लट आंद्रेस लुबिज़ बेहद कामोश और गुमसुम था. उड़ान भरने के बाद जब आधा घंटा बीत गया तभी पायलट टॉयलेट जाने के लिए कॉकपिट से बाहर निकलता है. अब कॉकपिट में सिर्फ को-पायलट था. हालांकि नियम ये कहता है कि कॉकपिट में हर वक्त दो लोग जरूर होने चाहिए.

पायलट कॉकपिट से बाहर आने के बाद कीपैड पर पासवर्ड डाल कर कॉकपिट का दरवाजा बंद कर देता है. 9/11 के बाद हर एयरलाइंस में कॉकपिट को अंदर से बंद करना जरूरी कर दिया गया है. ताकि कॉकपिट में घुस कर कोई प्लेन को अपने काबू में ना कर सके और ना ही अपनी मर्जी से उसका रूट बदल सके. हर उड़ान से ऐन पहले सिर्फ पायलट और को-पायलट को ही कॉकपिट का दरवाजा खोलने का पासवर्ड बताया जाता है.

मगर कुछ मिनट बाद ही जब पायलट वापस लौटता है और कीपैड पर पासवर्ड डाल कर कॉकपिट का दरवाजा खोलने की कोशिश करता है तो दरवाजा नहीं खुलता. फिर इसी बीच अचानक विमान बहुत तेजी से नीचे की तरफ आने लगा. ये महसूस करते ही पायलट ने अब कॉकपिट का दरवाजा पीटना शुरू कर दिया. अंदर तमाम मुसाफिर भी अब चीख-पुकार मचान लगे थे. मगर को-पायलट ने फिर भी दरवाजा नहीं खोला. 38 हजार फीट की ऊंचाई से नीचे आकर विमान पहाड़ी से टकरा जाता है और इस तरह विमान में सवार उस को-पायलट समेत सभी 150 लोग मारे जाते हैं.

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जर्मनविंग्स का विमान को-पायलट ने जानबूझ कर क्रैश किया फिलहाल तो जांच अधिकारी यही मान कर चल रहे हैं. मगर इस सवाल का जवाब फिलहाल कोई नहीं दे रहा कि आखिर कॉकपिट का दरवाजा बंद करने के बाद आखिरी के आठ मिनट तक को-पायलट पूरी तरह खामोश क्यों था? उसने एक बार भी कुछ क्यों नहीं कहा? इसीलिए कुछ लोग ये सवाल भी उठा रहे हैं कि हो सकता है कि वो बेहोश हो गया हो य़ा फिर उसे दिल का दौरा पड़ा हो

जब प्लेन क्रैश हुआ तो पहले तो किसी को समझ ही नहीं आया कि ये हादसा हुआ कैसे? क्योंकि विमान में सवार कोई भी मुसाफिर या क्रू मेंबर ये बताने के लिए ज़िंदा ही नहीं बचा था. मगर मलबे से विमान का ब्लैक बॉक्स मिल गया. ब्लैक बॉक्स यानी वो चीज जो उड़ान के वक्त कॉकपिट में होने वाली सारी बातचीत को रिकार्ड कर लेती है. इसी ब्लैक बाक्स की जांच के दौरान पायलट की वो आवाज सुनाई दी जिसमें वो लगातार को-पायलट से कॉकपिट का दरवाजा खोलनने को कह रहा था. पायलट आठ मिनट तक को-पायलट से दरवाजा खोलने की गुहार लगाता रहा. मगर उन 8 मिनट में अंदर से एक बार भी को-पायलट की आवाज नहीं आई.

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जर्मन जांच अफसरों की मानें तो अंदर को-पायलट ने कॉकपिट का दरवाजा बंद करने के बाद ही विमान की ऊंचाई गिरानी शुरू कर दी थी. कॉकपिट की स्क्रीन पर उसे पूरा रूट और दक्षिणी फ्रांस के एलप्स पहाड़ी की चोटियां की दूरी साफ दिखाई दे रही थी.

इनवेस्टिगेशन ऑफिसर्स की मानें तो ब्लैक बॉक्स में दोनों पायलट्स के बीच जो बातचीत रिकॉर्ड हुई है, उसमें मेन पायलट कैप्टन पैट्रिक कॉकपिट से उठ कर टायलेट जाने से पहले को-पायलट आंद्रेस को प्लेन का चार्ज सौंपते हुए सुनाई दे रहे हैं. इसके बाद उनके कुर्सी से उठने की आवाज़ भी आती है... और फिर कॉकपिट का दरवाज़े बंद होने की भी.

इसके आगे ब्लैक बाक्स में मेन पायलट पैट्रिक बाहर से आठ मिनट तक कॉकपिट का दरवाज़ा पीटते, चीखते, को पायलट को बार-बार दरवाज़ा खोलने के लिए कहते और इंटरकॉम से उन्हें फोन करने की कोशिश करते हुए सुनाई देते हैं. लेकिन को पायलट आंद्रेस कोई जवाब नहीं देता.

जांच अधिकारियों के मुताबिक ब्लैक बाक्स से साफ है कि प्लेन क्रैश आंद्रेस ने जानबूझ कर किया है. जांच अधिकारी आखिरी नतीजे पर पहुंचें उससे पहले वो ये यकीन कर लेना चाहते हैं कि कॉकपिट का दरवाजा अंदर से बंद करने के बाद को-पायलट के साथ कोई हादसा तो नहीं हुआ था. यानी कहीं वो अचानक बेहोश हो गया या फिर उसे दिल का दौरा तो नहीं पड़ा. और इसका पता तभी चलेगा जब को-पायलट की लाश का पोस्टमार्टम होगा. उससे पहले उसकी लाश मिलनी और पहचानी जानी जरूरी है.

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