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मुफ्त में नहीं मिली आइसक्रीम तो उतर आए गुंडागर्दी पर

03 अक्टूबर 2014, शाम के 4 बजकर 10 मिनट बज रहे थे. झांसी में इस रोज भी जिंदगी अपनी रफ्तार पर थी. अलबत्ता दशहरे की वजह से एक आइसक्रीम पार्लर में दूसरे दिनों के मुकाबले भीड़ थोड़ी ज्यादा भीड़ थी, लेकिन इस शाम यहां अचानक जो कुछ हुआ, उसे देख कर यहां मौजूद तमाम लोगों के रौंगटे खड़े हो गए.

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फ्री नहीं मिली आइसक्रीम, दुकान में की मारपीट
फ्री नहीं मिली आइसक्रीम, दुकान में की मारपीट

कहते हैं ऊपरवाले ने जब दुनिया बनाई, तो इंसानों को एक ऐसी चीज दी, जिसने उसे तमाम दूसरे जानवरों से अलग और खास कर दिया. ये चीज थी, विवेक... विवेक यानी सही और गलत का फर्क और विवेक यानी इंसानियत... लेकिन उन इंसानों को क्या कहेंगे, जो इंसान हो कर भी इंसान नहीं रहे. या फिर यूं कहें कि जो इंसान होकर भी जानवरों से नीचे गिर गए.

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03 अक्टूबर 2014, शाम के 4 बजकर 10 मिनट बज रहे थे. झांसी में इस रोज भी जिंदगी अपनी रफ्तार पर थी. अलबत्ता दशहरे की वजह से एक आइसक्रीम पार्लर में दूसरे दिनों के मुकाबले भीड़ थोड़ी ज्यादा भीड़ थी, लेकिन इस शाम यहां अचानक जो कुछ हुआ, उसे देख कर यहां मौजूद तमाम लोगों के रौंगटे खड़े हो गए.

अभी लोग ठीक से कुछ समझ पाते कि एकाएक गुंडों के एक गैंग ने इस पार्लर पर धावा बोला और फिर जो, जहां, जिस हाल में नजर आया, उसकी वहीं पिटाई शुरू कर दी. अचानक हुए इस हमले से क्या ग्राहक और क्या मालिक... सब जान बचाकर भागे, लेकिन गुंडों का कोहराम लगातर बढ़ता रहा. सरेआम मचाई गई इस गुंडागर्दी की पूरी कहानी सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गई.

पूरा वाकया
शाम के वक्त बदमाशों ने जब इस दुकान पर धावा बोला, तो किसी को इस हमले का अंदेशा नहीं था. लेकिन बदमाशों ने दुकान में पहुंचते ही,वहां से गुजरनेवाले हर आम-ओ-खास को पीटना शुरू कर दिया. और तो और बदमाशों ने एक शख्स को पास ही रखे बड़े से पत्थर से कुचलने की कोशिश की, लेकिन वो बाल-बाल बच गया. जबकि दुकान का मालिक भी किसी तरह उनके चंगुल से छूट कर भाग निकला. लेकिन इसके बाद भी बदमाशों का गुस्सा कम नहीं हुआ. वो ना सिर्फ पार्लर के अंदर दाखिल हो गए, बल्कि दाखिल होने से पहले के के बाद एक देसी कट्टे से तीन फायर किए. गुंडों की मार खा कर पार्लर के मालिक और यहां काम करनेवाले ज़्यादातर कर्मचारी तो भाग छूटे थे, लेकिन इत्तेफाक ये शख्स इन बदमाशों के हाथ लग गया. फिर इन गुंडों ने इसके साथ जो कुछ किया, उसके बारे में सोचना भी मुश्किल है. बगैर ये जाने-समझे कि ये शख्स कौन है, यहां क्या कर रहा है. उसकी बेरहम पिटाई शुरू कर दी. चार-चार लोगों के घिरा एक अकेला शख्स आखिर कहां तक बदमाशों का मुकाबला करता? लिहाजा, वो हाथ जोड़ कर खुद को बख्श देने की गुहार लगाता रहा, लेकिन बदमाशों का दिल नहीं पसीजा.लेकिन हद तो तब हो गई, जब नीचे गिरने के बावजूद बदमाशों ने उसे नहीं बख्शा और उसे जूतों से कुछ ऐसे कुचलना शुरू किया, जैसे नीचे गिरा शख्स कोई इंसान नहीं, बल्कि बेजान चीज हो. उधर, मौका देख कर एक बदमाश कैश काउंटर तक पहुंचा और बड़े आराम से वहां रखे रुपए लेकर भाग निकला.

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मुफ्तखोरी के चक्कर में की गुंडई
दुकान मालिक की मानें तो ये सारा बवाल मुफ्तखोरी को लेकर शुरू हुआ. शराब के नशे में धुत्त बदमाश मुफ्त की आइसक्रीम खाने पहुंचे थे, जिससे मना करने पर पहले तो वो वापस लौट गए, लेकिन बाद में हथियारों के साथ लौट कर दुकान में तोड़फोड़ और मारपीट शुरू कर दी.. हमला होने पर खुद दुकानदार दीपक और उसके कर्मचारी तो भाग निकले, लेकिन डॉक्टर गौरव खरे नाम का उनका एक दोस्त इन बदमाशों के हत्थे चढ़ गया.

वैसे झांसी पुलिस ने इस सिलसिले में रिपोर्ट दर्ज कर ली है, लेकिन एक सियासी पार्टी से नजदीकीवाले इन बदमाशों की इस करतूत को देख कर ये साफ है कि यहां उनके हौसले किस कदर बुलंद हैं.

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