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जोधपुर सेंट्रल जेल बनेगा आसाराम का परमानेंट एड्रेस!

आसाराम को हमेशा-हमेशा के लिए सलाखों के पीछे रखने की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है. जी हां! महीने भर पहले जोधपुर पुलिस ने आसाराम के खिलाफ जो चार्जशीट दाखिल की थी उसे आख़िरी अंजाम तक पहुंचाने के लिए अदालत में बुधवार से बाकायदा मुक़दमा शुरू होने जा रहा है. तमाम सुबूतों और गवाहों के बायनों से होता हुआ ये मुकदमा ही अब ये तय करेगा कि आसाराम के गुनाहों का सच क्या है?

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आसाराम
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आसाराम को हमेशा-हमेशा के लिए सलाखों के पीछे रखने की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है. जी हां! महीने भर पहले जोधपुर पुलिस ने आसाराम के खिलाफ जो चार्जशीट दाखिल की थी उसे आख़िरी अंजाम तक पहुंचाने के लिए अदालत में बुधवार से बाकायदा मुक़दमा शुरू होने जा रहा है. तमाम सुबूतों और गवाहों के बायनों से होता हुआ ये मुकदमा ही अब ये तय करेगा कि आसाराम के गुनाहों का सच क्या है?

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पिछले दो महीनों से आसाराम को ढूंढने लोग अब उनके आश्रमों में नहीं, बल्कि जोधपुर सेंट्रल में आते हैं. पिछले दो महीनों से यही सेंट्रल जेल आसाराम का टेंपररी एड्रेस बन चुका है. जेल का फाटक खुलता भी है और बंद भी होता है लेकिन आसाराम के बाहर आने की हसरत हर बार दम तोड़ जाती है. मगर, अब तो जोधपुर पुलिस ने जैसे इसी सेंट्रल जेल को आसाराम का परमानेंट एड्रेस बनाने की उल्टी गितनी शुरू कर दी है.

क्योंकि आसाराम के खिलाफ़ इल्ज़ामों की लंबी फेहरिस्त के साथ चार्जशीट दाखिल करने वाली पुलिस अब उन्हें कटघरे में खड़ा करना चाहती है. सुबूतों के आईने में उनका सच बेनक़ाब कर गवाहों के बयानों से उनकी कलई खोलना चाहती है. क्योंकि अब आसाराम पर लगे इल्ज़ामों पर कोर्ट में ट्रायल की घड़ी आ चुकी है और अगर बुधवार यानी 4 अक्टूबर से शुरू हो रहे इस ट्रायल के बाद आसाराम पर लगे ये इल्ज़ाम सही साबित होते हैं, तो यकीनन आसाराम के लिए हमेशा-हमेशा के लिए खुली हवा में सांस लेना ही एक ख्वाब ही बन कर रह जाएगा. क्योंकि आसाराम के खिलाफ़ 14 अलग-अलग धाराओं में दाखिल इस चार्जशीट का फ़क़त एक ही इल्ज़ाम उन्हें ताउम्र के लिए सलाखों के पीछे रखने को काफ़ी है, जबकि आसाराम पर लगे सभी के सभी इल्ज़ाम बेहद संगीन हैं.

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पुलिस ने आसाराम के खिलाफ़ तमाम दूसरी क़ानूनी धाराओं के अलावा 376 (एफ) और 375 (सी) के तहत भी चार्जशीट दाखिल की है. जिसका मतलब किसी भी शिक्षक, रिश्तेदार, अभिभावक या धर्मगुरु द्वारा किसी लड़की से बलात्कार करना और किसी लड़की के साथ जिस्मानी तौर पर छेड़छाड़ करना है और इन दोनों ही गुनाहों में दस साल से लेकर उम्र क़ैद तक की सज़ा मुमकिन है. और तो और पुलिस ने आसाराम के खिलाफ़ आईपीसी की धारा 370 (ए) और पोक्सो एक्ट की धाराओं के तहत भी इल्ज़ाम लगाए हैं. और इन सभी की सभी धाराओं में अधिकतम सज़ा के तौर पर उम्र क़ैद हो सकती है.

क़ानून के जानकारों का कहना है कि ऐसे में अगर आसाराम किसी एक धारा से पार भी पा गए, तो बाकी धाराएं उनके लिए बड़ी मुसीबत साबित होंगी. पुलिस ने आसाराम के खिलाफ़ दर्ज इस मुकदमे से 140 गवाहों की लंबी फेहरिस्त तैयार की है. जबकि पीड़ित लड़की का सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दिया गया बयान, आसाराम के चेले-चपाटों के कुबूलनामे, परिस्थिजन्य साक्ष्य, और दूसरे सुबूत इस मामले अहम पहलू साबित हो सकते हैं. अदालत आसाराम पर लगे संगीन इल्ज़ामों और शुरुआती छानबीन के नतीजों के मद्देनज़र ही आसाराम की ज़मानत अर्ज़ी ठुकराती रही है. और ऐसे में ये ट्रायल आसाराम को मुल्ज़िम से मुजरिम बनाने के बीच का सबसे अहम पड़ाव है.

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एक आसाराम और चौदह धाराएं
यौन शोषण के इल्ज़ाम में गिरफ्तार आसाराम को जोधपुर पुलिस ने 14 क़ानूनी धाराओं में कुछ ऐसा लपेटा है कि अब आसाराम के लिए खुली हवा में सांस लेना मुश्किल नज़र आ रहा है. बलात्कार से लेकर बाल यौन उत्पीड़न और यहां तक कि बाल तस्करी की संगीन धाराओं में घिरे आसाराम के तमाम जुर्मों के बही-खाते का हिसाब-किताब इसी मुकदमे से होगा.

और सचमुच बाबा की परेशानी की अति हो गई. जोधपुर पुलिस ने कानून की धाराओं में लपेट-लपेट कर बाबा की ऐसी हालत कर दी है कि अब जोधपुर का ये सेंट्रल जेल शायद उनका परमानेंट पता बन जाए. भारतीय दंड संहिता की 14 सख्त धाराओं को 1012 पन्नों में समेट कर 140 गवाहों के बूते जोधपुर पुलिस ने बाबा के जेल में रहने का पुख्ता इंतजाम कर दिया है.

अजीब बीमारी से मिली राहत की खबर
आसाराम की जिस अजीब बीमारी ने पिछले दो महीनों से सबको उलझा रखा था, अब वही अजीब बीमारी आसाराम के लिए पहली बार एक राहत की ख़बर लेकर आई है. इस बीमारी के इलाज के लिए आसाराम की अर्ज़ी को मंज़ूर करते हुए कोर्ट ने जेल प्रशासन से आयुर्वेद के माहिरों की मदद लेने का हुक्म दिया है. इससे पहले आसाराम इसी बीमारी के लिए कई बार एक ख़ास महिला वैद्य की मांग कर चुके हैं.

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हालांकि आसाराम की एक और अर्ज़ी अदालत ने खारिज कर दी है, जिसमें उन्होंने पीड़ित लड़की के कॉल डिटेल की मांग की थी. अदालत ने इसे ग़ैर ज़रूरी करार दिया है.

आसाराम का जीना मुहाल कर देती है रहस्यमयी बीमारी
आसाराम को भी एक कमाल की बीमारी है. जो नहीं चढ़ती तो नहीं चढ़ती, लेकिन जब चढ़ती है, तो जीना मुहाल कर देती है. लेबर पेन यानी प्रसव वेदना जैसी दर्द की वजह से आसाराम तड़प उठते हैं. फिर उनसे ना तो उठते बनता है और ना ही बैठते. लेकिन हैरानी ये है कि इस बीमारी का पता ना तो एमआरआई से चलता है ना ही ब्लड टेस्ट से. और तो और मॉर्डन मेडिकल साइंस के तमाम तरीके से इस बीमारी के आगे फेल हो जाते हैं.

आसाराम खुद को पिछले 13 सालों से जिस बीमारी का शिकार बताते रहे हैं, अगर वाकई उस बीमारी का इलाज आयुर्वेद में मौजूद है, तो आसाराम को अदालत के इस फ़ैसले से फ़ायदा मिलना तय है. चूंकि पिछले दो महीनों से अदालत आसाराम के साथ बेहद सख्त तरीके से पेश आती रहा है, अदालत की इस इजाज़त से आसाराम ने पिछले दो महीनों में पहली बार राहत की सांस ली है. अब देखना ये कि आयुर्वेद के आचार्य उनकी बीमारी का इलाज कर पाते हैं या फिर ऐलोपैथी की तरह उलझ कर रह जाते हैं.

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