हिंदुस्तान के सबसे बड़े दुश्मनों में एक, सैकड़ों बेगुनाहों के कत्ल का गुनहगार, यूनाइटेड नेशंस की तरफ से 10 मिलियन यूएस डॉलर के इनामी आतंकवादी हाफिज सईद के सितारे अचानक गर्दिश में आ गए. पाकिस्तान में उसे एकाएक नज़रबंद कर लिया गया, लेकिन जो पाकिस्तान अब तक हाफ़िज़ सईद के खिलाफ़ अनगिनत सुबूतों की अनदेखी करता रहा, आख़िरकार अब उसने हाफ़िज़ सईद को अचानक नज़रबंद क्यों कर लिया? यही लाख टके का सवाल भी है.
हाफिज सईद की ज़िंदगी में अब तक सबकुछ ठीक चल रहा था. वो कभी बेगुनाहों का ख़ून बहा कर चुप-चाप बिल में जा घुसता. कभी जेहाद के नाम पर कश्मीर के अलगाववादियों को भड़काने की कोशिश करता. कभी हिंदुस्तान और अमेरिका को अपना दुश्मन बता कर खुद का कद ऊंचा करता. कभी अपने ही मुल्क के हुक्मरानों की खुल कर मज़्जमत भी करता. लेकिन अब तारीख़ बदल चुकी है. निज़ाम बदल चुका है. इसी के साथ हाफ़िज़ की तक़दीर बदल चुकी है.
शायद तभी, जो हाफ़िज़ सईद कल तक अपने सिर पर दस मिलियन यूएस डॉलर का इनाम लेकर भी पाकिस्तान में छुट्टा घूम रहा था. उसे रातों-रात अपने ही बाड़े में नज़रबंद होना पड़ गया. पहले सरकार ने मोस्ट अर्जेंट के टैग लाइन के साथ उस पर शिकंजा कसने का फरमान जारी किया और फिर अगले ही दिन उसे नज़रबंद करने पाकिस्तान की पुलिस लाहौर के उसके ठिकाने पर जा पहुंची. लेकिन जाते-जाते भी हाफ़िज़ सईद एक बार फिर ज़हर उगल कर गया.
दुनिया में कम ही ऐसे लोग होंगे, जिन्हें वाकई हाफ़िज़ सईद के खिलाफ़ हुई ये कार्रवाई, असरदार कार्रवाई लगती होगी. बल्कि जानकारों की मानें तो उसे नज़रबंद करने की ये कवायद सिवाय पाकिस्तानी ड्रामे के और कुछ भी नहीं. वरना हाफ़िज़ सईद के खिलाफ़ अकेले हिंदुस्तान ने ही पाकिस्तान को इतने सुबूत सौंपे है कि अगर एक बार भी पाकिस्तान ने उन्हें संजीदगी से लिया होता, तो हाफ़िज़ की बाकी की उम्र सलाखों के पीछे ही निकल जाती.
आख़िर पाकिस्तान के साथ अचानक ऐसी कौन सी मजबूरी आ गई कि जिसके खिलाफ़ मौजूद अनगिनत सुबूतों की वो अब तक अनदेखी करता रहा था, अचानक उसी हाफ़िज़ सईद पर उसे हाथ डालना पड़ गया. इसका जवाब है हिंदुस्तान के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दहशतगर्दी के खिलाफ़ छेड़ी गई मुहिम और सात समंदर पार अमेरिका में बदला निज़ाम. अमेरिका के नए राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप पहले ही दिन से आतंकवाद के खिलाफ़ सख्ती से पेश आने की बात कहते रहे हैं.
ना सिर्फ़ बात कहते रहे हैं सत्ता में आते ही उन्होंने सात मुल्कों के नागरिकों की अपने यहां एंट्री पर रोक लगा दी है. दूसरी ओर आतंकवाद के मसले पर मोदी और ट्रंप एक-दूसरे के साथ खड़े नज़र आते हैं. ऐसे में पाकिस्तान पर दबाव का बनना लाज़मी है. जानकारों की मानें तो यही वो वजह है, जिससे घबरा कर अब पाकिस्तान उसे नज़रबंद करने की बात करने लगा है, जो कल तक उसकी आंखों का तारा हुआ करता था. ऐसे में ये कार्रवाई का असली मतलब आनेवाला कल ही बताएगा.