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कमलेश तिवारी: दोस्त का नाम और आधार इस्तेमाल कर आरोपी ने ऐसे रची साजिश

हिंदू समाज पार्टी के कमलेश तिवारी से जुड़ने के लिए अशफाक शेख ने रोहित सोलंकी बनकर उनसे दोस्ती की थी. अशफाक शेख ने फर्जी पहचान बनाने के लिए फर्जी आधार कार्ड का इस्तेमाल किया था. अशफाक ने ये आधार कार्ड अपने सहयोगी के नाम पर बनवाया था.

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कमलेश तिवारी (फाइल फोटो)
कमलेश तिवारी (फाइल फोटो)

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  • ढाई साल से अशफाक के साथ काम कर रहे थे रोहित सोलंकी
  • मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव के डॉक्यूमेंटस साथ रखता था अशफाक

हिंदू समाज पार्टी के कमलेश तिवारी से जुड़ने के लिए अशफाक शेख ने रोहित सोलंकी बनकर उनसे दोस्ती की थी. अशफाक शेख ने फर्जी पहचान बनाने के लिए फर्जी आधार कार्ड का इस्तेमाल किया था. अशफाक ने ये आधार कार्ड अपने सहयोगी के नाम पर बनवाया था. जिस रोहित सोलंकी के नाम का आधार कार्ड बनवाया गया, उन्होंने बताया कि वह पिछले ढाई साल से अशफाक शेख के साथ काम कर रहे थे.

रोहित सोलंकी ने कहा, "रविवार को मुझे सोशल मीडिया के जरिए से पता चला की मेरे आधार कार्ड का गलत इस्तमाल किया गया है. वे सारे मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव के डॉक्यूमेंटस अपने पास रखता था. मैंने इस मामले में सूरत के वराछा पुलिस थाने में शिकायत दर्ज करवाई है."

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बता दें शेख ने रोहित सोलंकी के नाम से फर्जी फेसबुक आईडी बनाकर कमलेश तिवारी से संपर्क साधा था. शेख ने फेक फेसबुक आईडी के जरिए नजदीकी बनाकर कमलेश तिवारी से फोन पर बातचीत की और संगठन से जुड़ने की इच्छा जताई. जिसके बाद मिलने के लिए मीटिंग फिक्स की गई थी.

रोहित सोलंकी एक फार्मास्युटिकल कंपनी में मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव के तौर पर काम करता था, जबकी शेख उसमें टीम लीडर और मैनेजर के तौर पर काम करता था. फर्जी आधार कार्ड में सोलंकी की फोटो की जगह शेख की फोटो लगाई गई थी, जबकि अन्य जानकारी रोहित सोलंकी की थी.

पुलिस सूत्र के मुताबिक शेख , सोलंकी के रूप में जून के आखिरी हफ्ते में तिवारी से मिला था. पिछले हफ्ते सूरत छोड़ने से पहले शेख ने कथित तौर पर कमलेश तिवारी को फोन किया था और कहा था कि वह लखनऊ में उनसे पार्टी को बढ़ावा देने के प्लान की चर्चा करने के लिए मिलेगा. लखनऊ पहुचनें के बाद कथित तौर पर शेख ने कमलेश तिवारी को फोन किया और पक्का किया कि अगले दिन वो उनसे मिलेगा.

अशफाक शेख को पार्टी के साथ जोड़ने वाले ने बताया, "इन सारी चीजों को ध्यान में रखते हुए हमने उसको पार्टी के सदस्य के तौर पर नियुक्त किया. हमने सभी पात्रता भी पूरी की. बाद में हमें पता चला कि उसने नकली आधार कार्ड दिया था. शनिवार को हमने सारे डॉक्यूमेंट्स और आधार कार्ड की फर्जी कॉपी गुजरात एटीएस को सौंप दी."

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