हिन्दुस्तान को आजाद हुए 70 साल हो चुके हैं. इस 15 अगस्त को हम आजादी की 70वीं वर्षगांठ मना रहे हैं. देश को आजाद कराने में लाखों लोगों ने अपनी जान की आहूती दे दी. हजारों लोगों ने अपने घर-द्वार छोड़ दिए. सैकड़ों लोगों ने अंग्रेजों के खिलाफ हुई क्रांति का नेतृत्व किया. जुर्म आज तक ऐसी घटनाओं पर एक सीरीज पेश कर रहा है, जो अंग्रेजों की नजर में अपराधी थीं, लेकिन क्रांतिकारियों द्वारा किए गए इन अपराधों की वजह से आजादी मिली. इस कड़ी में पेश है धानापुर कांड की दास्तान.
जानिए, धानापुर कांड की दास्तान
- चौरीचौरा और काकोरी कांड की तरह धानापुर कांड को इतिहास के पन्नों में उतनी जगह नहीं मिली, लेकिन इसकी अहमियत बहुत ज्यादा है.
- देश की आजादी से बहुत पहले धानापुर वो जगह है, जहां स्वतंत्रता सेनानियों ने सबसे पहले तिरंगा फहराया था, अंग्रेज तब देखते रह गए थे.
- महात्मा गांधी द्वारा चलाए जा रहे असहयोग आंदोलन के रुकने के बाद भी यूपी के चंदौली जिले में स्थित धानापुर में क्रांतिकारियों का जोश उफान पर था.
- 16 अगस्त, 1942 को सैकड़ों की संख्या में स्वतंत्रता सेनानियों ने ने धानापुर थाने को घेर लिया. वे लोग थाने पर तिरंगा फहराने की जिद करने लगे.
- दरोगा ने तिरंगा फराए जाने से मना कर दिया. लोग जब उग्र हुए तो उसने स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों पर गोलियां चलवा दी.
- पुलिस द्वारा की जा रही फायरिंग के बीच स्वतंत्रता सेनानियों थाना भवन पर चढ़कर तिरंगे को लहरा दिया.
- इस बीच तीन क्रांतिकारियों को गोली लग गई और वे वीर गति को प्राप्त हो गए. इससे क्रांतिकारियों का गुस्सा और भड़क गया.
- बताया जाता है कि लोगों ने थाने में दरोगा सहित तीन सिपाहियों को घेर कर जिंदा जला डाला. इस घटना से पूरे देश में हलचल मच गई.
- इस क्रांति की अगुवाई महान स्वतंत्रता सेनानी कांता प्रसाद विद्यार्थी ने की थी. साल 1896 में उनका जन्म चंदौली जिले के हेतमपुर गांव में हुआ था.
- देश आजाद होने के बाद उन्होंने कांग्रेस पार्टी से चुनाव लड़ा. धानापुर विधानसभा क्षेत्र के पहले विधायक हुए. लगातार दस वर्ष तक विधायक रहे.