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अपहरण की हैरान कर देने वाली कहानी, बिजनेसमैन भाइयों को जहाज से बुलाकर किया अगवा

कोई बदमाश किसी को अगवा करने से पहले बाकायदा उसे दावत देकर बुलाए और अपने पास आने के लिए एयर टिकट तक भिजवा दे, क्या ऐसा भी कभी होता है? लेकिन दिल्ली से लेकर पटना तक फैली किडनैपिंग की ये कहानी कुछ ऐसी ही है. इस अजीब वाकये में अपहरण करनेवालों ने पहले अपने शिकार को 200 करोड़ की एक बिजनेस डील की बात कही और फिर इसके लिए बाकायदा फ्लाइट का टिकट घर भिजवा दिया लेकिन जैसे ही दो भाई ये डील करने पटना पहुंचे, एयरपोर्ट से ही उनका अपहरण हो गया.

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मोस्ट वॉन्टेड रंजीत डॉन और इनसेट में पीड़ित बिजनेसमैन
मोस्ट वॉन्टेड रंजीत डॉन और इनसेट में पीड़ित बिजनेसमैन

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कोई बदमाश किसी को अगवा करने से पहले बाकायदा उसे दावत देकर बुलाए और अपने पास आने के लिए एयर टिकट तक भिजवा दे, क्या ऐसा भी कभी होता है? लेकिन दिल्ली से लेकर पटना तक फैली किडनैपिंग की ये कहानी कुछ ऐसी ही है. इस अजीब वाकये में अपहरण करनेवालों ने पहले अपने शिकार को 200 करोड़ की एक बिजनेस डील की बात कही और फिर इसके लिए बाकायदा फ्लाइट का टिकट घर भिजवा दिया लेकिन जैसे ही दो भाई ये डील करने पटना पहुंचे, एयरपोर्ट से ही उनका अपहरण हो गया.

किडनैपर्स के चंगुल से आजाद होने के बाद ये दोनों अब बेशक जान की खैर मना रहे हैं लेकिन अब से चंद घंटे पहले तक इन दोनों भाइयों को ये पता भी नहीं था कि वो जिंदा बचेंगे भी या नहीं. दरअसल, दिल्ली के ये दो कारोबारी भाई दिल्ली से लेकर पटना तक फैले किडनैपर्स के एक ऐसे गिरोह के हत्थे चढ़ गए थे, जो करोड़ों की डील का झांसा देकर अक्सर लोगों को अगवा कर उनसे वसूली किया करते थे. लेकिन इस बार इन बदमाशों के लिए बाजी उल्टी पड़ गई. सौ से ज्यादा पुलिसवालों ने दस घंटे तक दस किलोमीटर घने जंगलों के अंदर किडनैपर्स के खिलाफ ऐसा अभियान चलाया कि न सिर्फ दोनों भाई सही-सलामत बरामद कर लिए गए, बल्कि गैंग के पांच बदमाश भी धर दबोचे गए.

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किडनैपर्स ने भिजवाया था एयर टिकट
दिल्ली के बदरपुर में रहने वाले इन दोनों ठेकेदार भाइयों को एक रोज मार्बल का काम दिलाने के नाम पर किसी गुमनाम शख्स का फोन आता है. फोन करने वाला शख्स बताता है कि मार्बल का ये काम पूरे दो सौ करोड़ रुपए का है लेकिन इससे डील को फाइनल करने से पहले उनके लिए एक बार पटना आकर साइट का मुआयना करना बेहद जरूरी है. जाहिर है डील तो बड़ी है ही, फोन करने वाला शख्स काम में अपना रुझान दिखाते हुए उन्हें पटना तक का एयर टिकट भी देने की बात कहता है और अगले चंद घंटों में एक ट्रैवल एजेंट इन दोनों कारोबारी भाइयों के घर के घर पटना की फ्लाइट का टिकट पहुंचा देता है.

फिल्मी अंदाज में किया अगवा
दिल्ली की आईजीआई एयरपोर्ट से चल कर गो एयर की फ्लाइट जैसे ही पटना के जयप्रकाश नारायण एयरपोर्ट पर पहुंचती है, दोनों भाइयों को बिल्कुल फिल्मी अंदाज में अगवा कर लिया जाता है. हालांकि तब भी दोनों को खुद के अगवा हो जाने का शक नहीं होता क्योंकि अगवा करने वाले बाकायदा उनसे फोन पर बात करते हुए एयरपोर्ट पर गाड़ी भिजवाने और वहां से होटल तक पहुंचाने का झांसा देते हैं लेकिन एक बार गाड़ी में बैठते इन दोनों भाइयों के साथ जो कुछ होता है, वो उनके लिए ख्वाबों से भी परे है.

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पुलिस के फूल गए हाथ पांव
थोड़ी ही दूर चल कर गाड़ी में मौजूद लोग हथियारों के दम पर दोनों को बंधक बना लेते हैं और बताते हैं कि अब उनकी रिहाई की कीमत है पूरे 4 करोड़ रुपए. दोनों कारोबारी भाइयों के अपहरण की खबर जब पटना पुलिस तक पहुंची, तो वर्दीवालों के भी हाथ पांव फूल गए. मामला जितना हाई प्रोफाइल था, उतना ही अजीब क्योंकि बदमाशों ने अपने शिकार को बाकायदा दावत देकर बिहार बुलाया था और तब एक साथ सौ से ज्यादा पुलिसवालों ने शुरू किया ऑपरेशन किडनैपिंग.

परिवार ने ली पुलिस की मदद
उधर, किडनैपिंग के बाद दिल्ली में जैसे ही इन दोनों भाइयों के घरवालों को रिहाई के लिए 4 करोड़ रुपए की फिरौती चुकाने की कॉल आई, पूरे परिवार के हाथ-पांव फूल गए. सवाल दो-दो जवान बेटों की जिंदगी का था लेकिन फिरौती की रकम इतनी बड़ी थी कि सोच कर भी सबको पसीने आ रहे थे. ऐसे में घरवालों ने पुलिस की मदद लेने का फैसला किया. अपने दो बेटे सुरेश और कपिल की तलाश में उनके पिता बाबूलाल शर्मा भागे-भागे पटना पहुंचे और उन्होंने वहीं एयरपोर्ट थाने में रिपोर्ट लिखवाई.

जांच के लिए बनाई गई टीम
लेकिन जब पुलिस ने किडनैपिंग की कहानी और दोनों लड़कों को अगवा किए जाने का तरीका सुना, तो उसके भी कान खड़े हो गए. मामला बेहद अजीब था. जहां किडनैपर्स ने अपने शिकार को दो सौ करोड़ रुपए की डील करवाने की बात कह कर बाकायदा एयर टिकट देकर बुलाया था और फिर किडनैप कर लिया था. अब फौरन पुलिस ने पूरे बिहार में अपने मुखबिरों का जाल बिछा दिया. पुराने बदमाशों पर नजर रखी जाने लगी. साथ ही दोनों भाइयों के मोबाइल फोन सर्विलांस पर लेकर उनका लोकेशन पता करने की शुरुआत हुई और इस काम में स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप, दो जिलों की पुलिस, एंटी रंगदारी टीम और सीआरपीएफ तक को शामिल किया गया.

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पुलिस ने पकड़ी लोकेशन
इसके बाद एक-एक कर कई रोज गुजर गए और आखिरकार वो वक्त भी आया, जब खुफिया इत्तिला और टेक्नीकल सर्विलांस की बदौलत अगवा किए गए भाइयों का लोकेशन पता चल गया. और ये लोकेशन था पटना से कुछ किलोमीटर दूर लखीसराय जिले का श्रृंगिऋषि इलाके के जंगल से. लेकिन ये जंगल जितना घना था, नक्सलियों की मौजूदगी के चलते यहां जाना उतना ही खतरनाक लेकिन अगर दिल्ली के इन दो भाइयों को आजाद करवाना था, तो पुलिस के लिए यहां जाना भी बेहद जरूरी था. और तब रातों-रात इस जंगल में धावा बोलने की तैयारी हुई. पुलिस बड़ा लवाजमा 10 किलोमीटर लंबे रास्तों से होता हुआ जंगल के अंदर ठीक उस जगह पर पहुंचा, जहां अगवा किए गए दोनों भाइयों को बंधक बना कर रखा गया था और फिर हुआ एक ऐसा ऑपेशन जिसने पूरी कहानी पलट दी.

पुलिस ने ढ़ूंढ निकाला भाइयों का ठिकाना
आठ टीमों में बंटे सौ से ज्यादा पुलिसवाले पूरे दस घंटे तक घुप्प अंधेरे में लखीसराय के जंगलों की खाक छानते रहे. एक ऐसा जंगल जिसमें जितना खतरा जंगली जानवरों का था, उतना ही नक्सलियों और कदम-कदम पर बिछे लैंड माइंस का भी. लेकिन इसके बावजूद पुलिस आखिरकार उस ठिकाने तक पहुंच ही गई, जहां दिल्ली से बुलाकर अगवा किए गए दो भाइयों को रखा गया था और फिर तो इतनी गोलियां चलीं कि रात के अंधेरे में पूरा जंगल गूंज उठा.

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अगवा भाइयों को कहीं और ले जाने की फिराक में थे आरोपी
यहां तक किसी गाड़ी से पहुंचने का कोई रास्ता नहीं था, ऐसे में पटना के एसएसपी मनु महाराज की अगुवाई में पुलिस की अलग-अलग आठ टीमों में बंटे सौ से ज्यादा लोगों ने पैदल ही बदमाशों के अड्डे तक पहुंचने का फैसला किया. ऊबड़-खाबड़ और जंगली रास्तों से होते हुए सफर की शुरुआत हुई और जब पुलिस बदमाशों के बिल्कुल करीब पहुंची, तब रात के करीब ग्यारह बज रहे थे. यहां पुलिस ने सही मौके का इंतजार किया लेकिन तब तक बदमाशों को पुलिस के पहुंचने की भनक लग चुकी थी और अब वो दोनों भाइयों को एक बार फिर से बेहोश कर जगह बदलने की तैयारी कर रहे थे लेकिन ऐन मौके पर पुलिस ने उन्हें घेर लिया. इसके बाद तो दोनों ओर से तकरीबन चालीस राउंड गोलियां चलीं और आखिरकार दस घंटे के इस ऑपरेशन के बाद पुलिस ने दोनों भाइयों को सही-सलामत आजाद करवा लिया.

मास्टरमाइंड के बारे में जानकर चौंक गए सब
अब पुलिस का मिशन कामयाब हो चुका था. साथ ही किडनैपिंग के शिकार भाइयों को पकड़ कर बैठे कुछ गुर्गों के साथ एक-एक कर पांच लोग गिरफ्तार किए जा चुके थे. लेकिन इस कहानी के मास्टरमाइंट के चेहरे से नकाब हटना अब भी बाकी था. और फिर जब नकाब हटा, तो लोग देखते रह गए. क्योंकि ये चेहरा था बिहार के नामी बदमाश और अपहरण उद्योग का पुराना नाम - रंजीत मंडल उर्फ रंजीत डॉन.

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पहले भी इसी तरह किया था अपहरण
अपने शिकार को करोड़ों की बिजनेस डील के बहाने और एयर टिकट देकर बुलवाने वाले किडनैपर्स के इस गैंग की मॉडस ऑपरेंडी यानी काम करने के तौर तरीके से ही पुलिस को उनके बारे में एक अहम क्लू दिया. क्योंकि कुछ समय पहले हरियाणा के ही एक और कारोबारी को भी पटना में कुछ इसी तरीके से अगवा किया गया था और किडनैपिंग के इस तरीके के पीछे हाथ था बिहार के खूंखार गैंगस्टर और जुर्म की दुनिया के पुराने खिलाड़ी रंजीत मंडल उर्फ रंजीत डॉन का.

अब भी फरार है बिहार का गैंगस्टर
जी हां, वही रंजीत डॉन, जिस पर बिहार समेत कई राज्यों में बलात्कार से लेकर अपहरण और रंगदारी वसूली से लेकर कत्ल तक के दो दर्जन से ज्यादा मामले दर्ज हैं. पुलिस अब रंजीत के ठिकानों के बारे में भी पता लगा चुकी थी. और इस तरह तमाम तरीकों से आखिरकार वो किडनैप किए गए भाइयों तक भी पहुंच गई लेकिन इस मामले का मास्टरमाइंड रंजीत अब भी फरार है.

रंजीत के पकड़े जाने का है इंतजार
सूत्रों की मानें तो रंजीत बिहार के अपहरण उद्योग का पुराना चेहरा है, जो इसी तरह धोखे से अपने शिकार फांसता है. उनसे खुद को वसूली करता ही है, शिकार को आगे दूसरे बदमाशों को भी बेच देता है और सिर्फ इसी इरादे से वो दिल्ली में मार्बल का काम भी करता रहा है. इधर, दिल्ली पुलिस ने उस ट्रेवल एजेंट को भी अब धर दबोचा है, जिसने रंजीत के इशारे पर ठेकेदार भाइयों को फ्लाइट का टिकट भी दिया था. जाहिर है, अब पूरा मामला शीशे की तरह साफ है. बस, पुलिस को रंजीत के पकड़े जाने का इंतजार है.

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