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ओबामा के आने के बाद परिंदा भी नहीं मार पाएगा पर

अमेरिकी राष्ट्रपति के भारत दौरे को लेकर देश पूरी तैयारी में जुटा है. ओबामा 72 घंटे से भी कम वक्त हिंदुस्तान में रुकेंगे मगर उनकी हिफाजात के लिए जो इंतजाम किए गए हैं उसके बारे में जानकर आप हैरत में पड़ जाएंगे.

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अमेरिकी राष्ट्रपति के भारत दौरे को लेकर देश पूरी तैयारी में जुटा है. ओबामा 72 घंटे से भी कम वक्त हिंदुस्तान में रुकेंगे मगर उनकी हिफाजात के लिए जो इंतजाम किए गए हैं उसके बारे में जानकर आप हैरत में पड़ जाएंगे.

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ओबामा के विमान एयरफोर्स वन में तकनीक की ऐसी बाजीगरी है कि आसमान में उड़ान भरते वक्त कोई भी रडार इसकी परछाई तक नहीं देख पाता. अगर फिर भी अगर कोई एयर फोर्स वन की पोजीशन कोई जान ले, तो इसे निशाना बनाना आसान नहीं. कयोंकि जिस हवाई मार्ग से एयर फोर्स वन गुजरता है, उसे खाली रखने के लिए अमेरिकी एयर फोर्स के दो फाइटर प्लेन आगे-आगे उड़ान भर रहे होते हैं.  अगर किसी ने पीछे से एयर फोर्स वन पर मिसाइल दागी तो इसके कॉकपिट में मौजूद चौकन्ने पायलट को मिसाइल का सिग्नल मिल जाता है. सिग्नल मिलने के बाद पायलट को बस एक बटन दबाना होता है. जिसके बाद एयर फोर्स वन से निकलता है आग का ऐसा गोला, जो मिसाइल को गच्चा देकर उसे तबाह कर देता है.

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बस यूं समझ लीजिए कि जहां-जहां ओबामा के पांव पड़ने वाले हैं उसके आसपास मीलों तक हर कोने पर आंखें गड़ी हैं. ओबामा बेशक 25 जनवरी को तड़के दिल्ली पहुंचेंगे मगर उनकी हिफाजत के लिए उनकी सेना के हजारों जवान पहले से ही हर उस जगह के चप्पे-चप्पे को खंगाल चुके हैं या खंगाल रहे हैं जहां उनके कदम पड़ने वाले हैं. हालांकि बुनियादी तौर पर राष्ट्रपति की सुरक्षा की जिम्मेदारी अमेरिकी एजेंसी यूएसएसएस यानी युनाइटिड स्टेट्स सीक्रेट सर्विस के पास होती है. इनके एजेंट हमेशा सादी वर्दी में राष्ट्रपति के आसपास मौजूद रहते हैं. काले चश्मे के पीछे इनकी नजरें हमेशा प्रेसिडेंट के आसपास मौजूद लोगों पर ही गड़ी रहती है। इनके कोट पर लगे माइक्रोफोन और कान में लगे इयरपीस के जरिये ये हमेशा सिक्योरिटी कंट्रोल रूम के संपर्क में रहते हैं. सीक्रेट सर्विस के एजेंट अपने कोट के बटन कभी बंद नहीं करते. ताकि जरूरत पड़ने पर इनके हाथ छिपे हुए हथियार ताकि बिजली की तेजी से पहुंच पाएं.

अमेरिकी राष्ट्रपति की सुरक्षा की असल जिम्मेदारी होती है सीक्रेट सर्विस, सीआईए और अमेरिकी फौज की उस साझा टीम पर जिनके लोग जमीन, आसमान और समंदर से हमेशा राष्ट्रपति पर कड़ी नजर रखते हैं। ये सभी सुरक्षाकर्मी एक नेटवर्क के जरिये हमेशा सिक्योरिटी कंट्रोल रूम से जुड़ें रहते हैं। इनके पास राष्ट्रपति के खिलाफ किसी भी तरह के रासायनिक, जैविक या फिर परमाणु हमले से निपटने के इंतजाम भी हर वक्त मौजूद रहते हैं.

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अमेरिकी सुरक्षा घेरे के बाहर की सुरक्षा की जिम्मेदारी भारतीय खेमे की है. ओबामा की सुरक्षा में मुंबई और दिल्ली पुलिस के बेहतरीन अफसरों के अलावा, क्विक रिएक्शन टीम्स, स्वैट, एनएसजी, एसपीजी के कमांडो, पैरामिलिट्री फोर्स, डॉग स्क्वॉड, बम निरोधक दस्ते, सीबीआई, आईबी और खुफिया एजेंसी रॉ के लोग भी मौजूद रहेंगे. एक अंदाजे के मुताबिक इनकी तादाद नब्बे हजार से ज्यादा है.

अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ सुरक्षा का जो लाव-लश्कर दिल्ली आ रहा है वो इतना बड़ा है कि दिल्ली और गुड़गांव के कुल सात फाइव स्टार होटल पूरी तरह से उन्हीं के लिए बुक किए गए है. यहां उनके अलावा बाकी कोई मेहमान नहीं ठहरेगा. कई कमरे और फ्लोर तो सिर्फ उऩ खास खोजी कुत्तों के लिए बुक हैं जो राष्ट्रपति की हिफाजत के लिए उनके साथ अमेरिका से दिल्ली आ रहा है.

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