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लोहे की जंजीरों के साथ समंदर की तह में दफन हुआ ओसामा

ओसामा को गुमनाम समंदर के बीच जब दफनाया गया तो जिस बैग में उसकी लाश रखी गई थी उसी बैग में 136 किलो वजनी लोहे की जंजीरें रखी गईं थीं. ताकि ओसामा की लाश हमेशा-हमेशा के लिए समंदर की तह में ही दफन रहे.

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जंजीरों के साथ दफन हुआ ओसामा (ग्राफिक्स)
जंजीरों के साथ दफन हुआ ओसामा (ग्राफिक्स)

ओसामा बिन लादेन की मौत के तीन साल बाद भी ये पहेली अपनी जगह कायम थी कि आखिर उसे कहां और किस तरह से दफनाया गया? मगर अब तीन साल बाद खुद अमेरिका के पूर्व रक्षा मंत्री ने इसका खुलासा कर दिया है. ओसामा को गुमनाम समंदर के बीच जब दफनाया गया तो जिस बैग में उसकी लाश रखी गई थी उसी बैग में 136 किलो वजनी लोहे की जंजीरें रखी गईं थीं. ताकि ओसामा की लाश हमेशा-हमेशा के लिए समंदर की तह में ही दफन रहे.

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उसने दुनिया भर में ना मालूम कितने बेगुनाहों की कब्र खोदी थी. लेकिन ऊपर वाले का खेल देखिए कि जब वो खुद मरा तो खुद के लिए दो गज जमीन भी नहीं मिली. जमीन तो छोड़िए जो ताबूत भी उसके हिस्से में आई वो भी जंजीरों से भरी थी.

ये तो आप सबको पता है कि अमेरिका ने ओसामा बिना लादेन को मारने के बाद उसकी लाश अज्ञात समंदर के बीचो बीच दफन कर दी थी. मगर ओसामा की लाश कैसे दफनाई गई. किस तरह के बैग में लाश रखी गई थी, क्यों उसकी लाश के साथ लोहे की वजनी जंजीरें डाली गईं और दफनाने से पहले कैसे उसके लिए दुआएं मांगी गई. इसका खुलासा अब हुआ है.

अमेरिका के पूर्व रक्षा मंत्री और अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के पूर्व निदेशक लियोन पेनेटा ने अपनी किताब में पहली बार ओसामा बिन लादेन के आखिरी सफर का खुलासा किया है.

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और आखिर में लादेन के लिए पढ़ी गई दुआ
लियोन पेनेटा के मुताबिक पाकिस्तान के एबटाबाद में ओसामा को गोली मारने के बाद उसकी लाश काले रंग के एक बैग में डाली गई थी. इसके बाद उस बैग को ऑपरेशन में इस्तेमाल हेलीकॉप्टर में रख कर अफगानिस्तान में अमेरिकी एयरबेस तक लाया गया.

अमेरिकी एयरबेस से ओसामा की लाश को समंदर में इंतजार कर रहे विमानवाहक पोत यूएसएस कार्ल विंसन तक ले जाया गया. पेनेटा ने अपनी किताब 'वर्थी फाइट्स: ए मेमोयर ऑफ लीडरशिप इन वॉर ऐंड पीस' में लिखा है कि ओसामा बिन लादेन की लाश को बाकायदा मुस्लिम रीति रिवाज से दफनाया गया था. दफनाने से पहले बाकायदा ओसामा को सफेद कफन से ढका गया और अरबी में दुआएं पढ़ी गईं.

ओसामा के लिए आखिरी दुआ पढ़े जाने के बाद उसकी लाश काले रंग के एक भारी और बड़े बक्से में रखी गई. लोहे के बक्से का वजन काफी ज्यादा था. मगर इसके बावजूद लाश के साथ उसी बक्से में 300 पाउंड यानी कुल 136 किलो वजनी लोहे की जंजीर रखी गई. इसके बाद उस काले रंग के बक्से को समंदर में फेंक दिया गया.

लाश के साथ बक्से में 136 किलो भारी जंजीर इसलिए रखी गई ताकि बक्सा हमेशा समंदर की तह में ही रहे. कभी ऊपर ना आ सके.

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ओबामा ने की ओसामा के मारे जाने का ऐलान
ओसामा की लाश गुमनाम समंदर में इसलिए दफनाई गई क्योंकि अमेरिका नहीं चाहता था कि ओसामा की कहीं कब्र बने. अमेरीका को डर था कि ओसामा बिन लादेन को जहां भी दफनाया जाएगा. वो जगह जिहादियों के लिए शहादत की निशानी बन जाएगी.

ओसामा की कब्र न बनने देने के पीछे अमेरीका की सोच यही थी कि किसी भी हालत में मरने के बाद भी ओसामा को जिंदा न रहने दिया जाए. इसीलिए अमेरीका ने लाश को जमीन में दफनाने के बजाए समंदर में दफनाने का फैसला किया.

पेनेटा ने अपनी किताब में ये भी खुलासा किया है कि कैसे एबटाबाद में ओसामा की मौत की खबर मिलने के बाद तत्कालीन पाकिस्तानी सेनाध्यक्ष जनरल कयानी के होश उड़ गए थे. पेनेटा ने लिखा है कि पहले ओसामा की मौत का ऐलान जनरल कयानी को ही करना था. क्योंकि ओसामा की मौत पकिस्तान के एबटाबाद मे हुई थी. मगर कयानी को डर था कि अगर उन्होंने ओसामा की मौत का ऐलान किया तो पाकिस्तान में कट्टरपंथी हंगामा मचा देंगे. लिहाज़ा जनरल कयानी ने अपील की कि अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ही ओसामा की मौत का एलान करें और बाद में ऐसा ही हुआ.

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