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लड़कियों से डरते बगदादी के आतंकी

सीरिया और इराक जैसे मुल्कों में आईएसआईएस के खिलाफ टूट पड़े लोगों के सब्र की सबसे नई और सबसे चौंकाने वाली खबर सामने आई है. अब मर्दों को पीछे छोड़ लेडी फाइटरों ने खुद ही नए सिरे से आईएसआईएस को चुनौती देने की शुरुआत कर दी है.

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ISIS के खिलाफ लेडी फाइटर्स
ISIS के खिलाफ लेडी फाइटर्स

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आईएसआईएस के सरगना बगदादी ने अपने आतंकवादियों के लिए नया फरमान जारी किया है. बगदादी ने कहा है कि किसी भी दुश्मन के हाथों मर जाओ. पर उन लड़कियों के हाथों मत मरना. वर्ना जन्नत नहीं मिलेगी. बगदादी को ये ताजा फरमान इसलिए जारी करना पड़ा क्योंकि खुद बगदादी के गढ़ में ही लड़कियों ने आईएसआईएस के खिलाफ हथियार उठा लिए हैं.

सीरिया और इराक जैसे मुल्कों में आईएसआईएस के खिलाफ टूट पड़े लोगों के सब्र की सबसे नई और सबसे चौंकाने वाली खबर सामने आई है. अब मर्दों को पीछे छोड़ लेडी फाइटरों ने खुद ही नए सिरे से आईएसआईएस को चुनौती देने की शुरुआत कर दी है.

सीरिया में आईएसआईएस का सबसे बड़ा खौफ वाईपीजे
वाईपीजे यानी कुर्दिश भाषा में पीपल प्रोटेक्शन यूनिट. वैसे तो वाईपीजे की शुरुआत कुर्दिशों के साथ-साथ आम शहरियों को आईएसआईएस के जुल्मो-सितम से बचाने के लिए हुई थी, लेकिन जब से वाईपीजे में लड़कियों ने एसएलआर, एलएमजी और रॉकेट लॉन्चर जैसे अस्लहे थामे, यकीन मानिए आईएसआईएस के खूंखार और बेरहम आतंकवादियों की सिट्टी-पिट्टी भी गुम हो गई. जानते हैं क्यों? क्योंकि इन लड़कियों का खौफ मौत के बाद भी आईएसआईएस के आतंकवादियों का पीछा करता है. और वजह ये है कि आतंकवादी ये मानते हैं कि लड़कियों के हाथों मारे जाने पर उन्हें जन्नत में भी जगह नसीब नहीं होगी.

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लेडी फाइटरों से लगता है डर
बात अजीब सी लग सकती है. लेकिन दुनिया भर में इस्लामी हुकूमत कायम करने के नाम पर बेगुहानों को खून बहाने वाले आईएसआईएस के आतंकवादियों का कुछ ऐसा ही मानना है और यही वजह है कि आईएसआईएस को आज अगर किसी से सबसे ज्यादा डर लगता है, तो वो लेडी फाइटर ही हैं. फिर चाहे वो सीरिया की वाईपीजे हो या फिर इराक की ये कुर्दिश मिलिशिया. वाईपीजे सीरिया में आईएसआईएस के खिलाफ जो काम कर रही है, कुर्दिश मिलिशिया ने इराक में ठीक वही कसम उठा रखी है. और ये कसम है आईएसआईएस को मटियामेट करने के लिए आखिरी सांस तक लड़ते रहना.

वैसे तो आईएसआईएस ने भी कभी सिर कलम कर, कभी जिंदा जला कर और कभी ऊंचाइयों से फेंक कर नामालूम कितने लोगों की जान ली है और इनमें उनके खिलाफ लड़नेवाले फौजी भी शामिल हैं लेकिन कुर्दिश लेडी ब्रिगेड की इन जांबाजों की माने तो ये आतंकवादी लेडी फाइटरों से कुछ ज्यादा ही नफरत करते हैं. और इसकी वजह है, वही जन्नत में जगह ना मिलनेवाली. ऐसे में जब भी वाईपीजे या फिर कुर्दिश मिलिशिया की कोई लेडी फाइटर इन आतंकवादियों की चंगुल में फंसती हैं तो आतंकवादी सिर्फ उसकी जान ही नहीं लेते बल्कि दरिंदगी की सारी हदें पार कर उसके साथ बलात्कार भी करते हैं.

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मौके की तलाश में रहतीं लेडी फाइटर
लेकिन कहते हैं ना कि मैदान-ए-जंग में कूदनेवाला मौत से नहीं डरता तो कुछ इसी अंदाज में लेडी फाइटर भी अपने तमाम अस्लहों के साथ-साथ अपने पास एक खास खुफिया अस्लहा और एक अदद गोली जरूर छिपा रखती हैं ताकि जब दरिंदों के चंगुल से छूटने की कोई गुंजाइश ना बचे तो इसी गोली से वो खुद अपनी जान ले कर खुद को आतंकवादियों के साथ-साथ इन सारे दुनियावी झमेलों से भी आज़ाद कर लें.

ये शायद लड़कियों के हाथों मारे जाने के आतंकवादियों के खौफ का ही असर है कि इस वक्त इराक और सीरिया में 10 हजार से ज्यादा लड़कियां अलग-अलग लेडी फाइटर ब्रिगेड का हिस्सा बन कर आईएसआईएस से टकरा रही हैं. इन ब्रिगेड में कुछ फाइटर तो ऐसी हैं कि जिन्होंने अकेले सौ से ज्यादा आतंकवादियों को मार डाला.

आईएसआईएस के आतंकवादियों के सबसे बड़े खौफ यानी लेडी ब्रिगेड की बुनियाद पड़ी अगस्त 2014 को जब आईएसआईएस ने इराक में सिंजर की पहाड़ियों में जा छिपे यजीदी समुदाय को लूटने और बर्बाद करने की गलती की.

यजीदी समुदाय बना सॉफ्ट टारगेट
दरअसल, अगस्त 2014 में आईएसआईएस ने जब इराक में पैर पसारने की शुरुआत की तो उन्हें वहां के अल्पसंख्यकों में गिने जानेवाले यजीदी बिरादरी के लोग ही सबसे सॉफ्ट टार्गेट लगे. लिहाजा, इन आतंकवादियों ने चुन-चुन कर यजीदियों को लूटना और मारना शुरू कर दिया तब आईएसआईएस के जुल्मों-सितम से घबरा कर यजीदियों ने जान बचाने के लिए सिंजर की पहाड़ियों का रुख किया लेकिन आईएसआईएस ने वहां भी उनका पीछा नहीं छोड़ा. यहां से तकरीबन 5 हजार लोगों को अगवा कर लिया गया. जिनमें औरतों और बच्चों की भी एक बड़ी तादाद थी.

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अब यजीदियों के पास दो ही रास्ते थे या तो आईएसआईएस की बात मान कर इस्लाम कुबूल करना या फिर तड़प-तड़प कर मरना. लेकिन यजीदियों ने उम्मीद नहीं छोड़ी और यहीं आईएसआईएस के साथ यजीदियों के टकराव के जिस सिलसिले की शुरुआत हुई वो हर गुजरते दिन के साथ लगातार बढ़ती गई. चूंकि आतंकवादियों ने यजीदी महिलाओं को ही सबसे ज्यादा तड़पाया था तो यजीदी लड़कियों ने हथियार उठाने में देर नहीं की.

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