दिल्ली के लाजपत नगर फ्लाई ओवर पर मंगलवार सुबह हुई हाईप्रोफाइल डकैती में एक पेच भी है. दरअसल लुटने वाला शख्स हेंसी क्रोनिए मैच फिक्सिंग मामले में आरोपी रहा है और कितनी रकम लुटी, इस बारे में वह पुलिस को स्पष्ट जानकारी नहीं दे रहा है..
मूलचंद फ्लाईओवर के पास यह डकैती हुई थी. पिस्तौल दिखाकर एक व्यापारी से करीब रुपयों से भरा ब्रीफकेस लूट लिया गया था. तब सामने आया था कि ब्रीफकेस में 8 करोड़ रुपये थे.
लेकिन लुटने वाला व्यापारी यह छिपा रहा है कि लुटेरे उससे कितने करोड़ लूट कर ले गए. वह यह भी छुपा रहा है कि लूट की रकम में भारतीय करेंसी के अलावा विदेशी करंसी कितनी थी. वह यह भी छुपा रहा है कि इतने सारे पैसे कहां से आए और कहां जा रहे थे.
दरअसल लुटने वाले शख्स राजेश कालरा पर साल 2000 में इलजाम लगा था कि बुकी संजीव चावला के कहने पर इसी ने साउथ अफ्रीका के कैप्टन हैंसी क्रोनिए को फोन खरीद कर दिया था और उसी फोन पर क्रोनिए संजीव चावला को मैच के बारे में सारे अपडेट देता था.
मैच फिक्सिंग का खुलासा होने के बाद राजेश कालरा पकड़ा गया और जेल भी गया. 13 साल बाद रिटायरमेंट से ऐन पहले दिल्ली पुलिस के कमिश्नर नीरज कुमार ने मैच फिक्सिंग के बारे में चार्जशीट तैयार करवाई और अदालत में पेश की. इस चार्जशीट में राजेश कालरा का भी नाम है, हालांकि वह जमानत पर बाहर है.
शक इसलिए भी गहराता है क्योंकि घटना की सूचना पुलिस को 35 मिनट बाद दी जाती है. यही वजह है कि पुलिस मौके पर काफी देर से आती है. पुलिस के आने के बाद कार में सवार लोग लुटने की बात तो बताते हैं पर कार में कितने पैसे थे यह सही-सही नहीं बताते.
बाद में कार सवार लोगों से पता चलता है कि कार में रखे पैसे राजेश कालरा और उसके बिजनेस पार्टनर राहुल आहूजा के थे. इसी के बाद जब राजेश कालरा और राहुल आहूजा पुलिस के पास पहुंचे तो पहले ये बताया कि कार में छह करोड़ कुछ लाख रुपए थे. पर राजेश कालरा के मैनेजर ने बताया कि कार में 4 करोड़ 69 लाख राजेश कालरा के थे जबकि तीन करोड़ राहुल आहुजा के. यानी कुल 7 करोड़ 69 लाख थे. पर फिर पता चला कि कार में इंडियन करंसी के अलावा यूरो और डॉलर भी थे. विदेशी करंसी की जो मात्रा बताई गई उसको देखते हुए पुलिस को शक है कि लूटी गई रकम दस से पंद्रह करोड़ तक हो सकती है.
पुलिस सूत्रों के मुताबिक राजेश कालरा, राहुल आहूजा उनके मैनेजर और ड्राइवर से पूछताछ के दौरान ये पता चला कि ये लोग पहले भी इसी तरह कार में करोड़ों रुपए रख कर करोल बाग और कनॉट प्लेस और बाकी जगह जाते रहे हैं. इस दौरान अकसर ये लोग 10 से 15 करोड़ तक अपने साथ ले जाते थे.
पुलिस सूत्रों के मुताबिक शुरूआती पूछताछ में राजेश कालरा ने बताया कि सारे पैसे साउथ दिल्ली में प्रॉपर्टी की एक डील से आए थे. इसी के बाद पुलिस ने साउथ दिल्ली में पिछले 15 दिनों में हुई प्रॉपर्टी की तमाम बड़ी डील के बारे में जब छानबीन की तो पता चला कि इतनी बड़ी कोई डील हाल में हुई ही नहीं.
पुलिस सूत्रों के मुताबिक बाद में उन्होंने बताया कि ये पैसे चांदनी चौक के एक डीलर से मिले थे. लेकिन ये बात भी गलत निकली.. पुलिस सूत्रों का कहना है कि राजेश कालरा और उसका पार्टनर राहुल आहूजा अब तक पैसों के बारे में कोई तसल्लीबख्श जवाब नहीं दे पाए हैं. और जिस तरह से वो लूटी गई सही रकम के बारे में बार-बार झूठ बोल रहे हैं उससे लगता है कि पैसा ब्लैक मनी और हवाला के कारोबार से जुड़ा है.
पैसों के इसी घालमेल के बाद दिल्ली की इस सबसे बड़ी लूट की मिस्ट्री सुलझाने के लिए पुलिस की कई टीमें सिर्फ पैसों का सोर्स खंगालने में लगी हैं.. वैसे पुलिस सूत्रो की मानें तो लूट की इस वारदात को सुलझाते-सुलझाते बहुत मुमकिन है कि वह दिल्ली में हवाला के एक बड़े रैकेट का पर्दाफाश भी कर दें.. सूत्रों की मानें तो राजेश कालरा मैच फिक्सिंग मामले में ज़मानत पर बाहर आने के बाद से पूरी तरह खामोश था.. गुड़गांव छोड़ कर वो साउथ दिल्ली में आ बसा और यहीं उसने प्रॉपर्टी डीलिंग का धंधा शुरू कर दिया.. गुड़गांव के ही राहुल आहुजा के साथ मिल कर.. पर पुलिस को शक है कि प्रापर्टी का धंधा सिर्फ दिखावे के लिए था.
दिल्ली पुलिस की करीब 24 टीमें इस काम में दिन-रात लगी हैं.. और उनकी राडार पर है हरियाणा का एक गैंग.. राजेश कालरा का ड्राइवर और सिक्यूरिटी गार्ड शक के घेरे में हैं.