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'कसाब क्लास' और सईद की सक्रियता, भारत के लिए कितनी खतरनाक?

मुंबई पर हमला करने वाले दसों आतंकवादी जिनमें अजमल क़साब भी शामिल था, ने कई बड़ी गलतियां की थीं जिसका खामियजा लश्कर को उठाना पड़ा. लिहाज़ा लश्कर ने अब नए आतंकवादियों की बाकायदा क्लास लेकर उऩ्हें ऐसी गलती ना दोहराने की नसीहत दी है. लश्कर ने अपनी इस नई क्लास का नाम रखा है स्पेशल क़साब क्लास.

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Kasab class
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26/11 यानी मुंबई हमले के गुनहगारों को भले ही आतंकी संगठन लश्कर ने शुरू में शहीद कहा था, पर उसी लश्कर का मानना है कि मुंबई पर हमला करने वाले दसों आतंकवादी जिनमें अजमल क़साब भी शामिल था, ने कई बड़ी गलतियां की थीं जिसका खामियजा लश्कर को उठाना पड़ा. लिहाज़ा लश्कर ने अब नए आतंकवादियों की बाकायदा क्लास लेकर उऩ्हें ऐसी गलती ना दोहराने की नसीहत दी है. लश्कर ने अपनी इस नई क्लास का नाम रखा है स्पेशल क़साब क्लास.

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पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा ने अपने नए सदस्यों को प्रशिक्षण के तहत ‘कसाब क्‍लास’ बुलाई जिसमें आतंकवाद की राह पकड़ने वाले युवकों को समझाया गया कि वे मुंबई हमले के दौरान जिंदा पकड़े गए आतंकी अजमल कसाब की गलतियों को न दोहराएं.

आधिकारिक सूत्रों के अनुसार लश्कर आतंकी मोहम्मद नवीद जट्ट उर्फ अबू हंजाला से पूछताछ में यह बात सामने आई है. हंजाला पाकिस्तान के मुल्तान शहर का निवासी है. उसे दक्षिणी कश्मीर में पिछले महीने के तीसरे सप्ताह में पुलिस ने गिरफ्तार किया था.

सूत्रों ने कहा कि अपनी पृष्ठभूमि के बारे में जानकारी देते हुए अबू हंजाला ने जांच अधिकारियों को बताया कि उसके पिता सेना से रिटायर्ड ड्राइवर हैं और वह और उसके भाई जमात-उद-दावा की ओर से संचालित मदरसों में गए. जमात-उद-दावा लश्कर का मुखौटा संगठन है.

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हंजाला लश्कर का पहला ऐसा आतंकी है जिसने पूछताछ में बताया कि वह कसाब से मिल चुका है. कसाब को 2008 के मुंबई हमले के मामले में पिछले साल नवंबर में फांसी दी गई थी.

इसमें जिन गलतियों का जिक्र होता है उनमें नौका नष्ट करने में कसाब एवं उसकी टीम की नाकामी, सेटेलाइट फोन से असली पहचान के साथ बातचीत करना, बंधक बनाने में अक्षमता और पकड़े जाने की बातें शामिल है. सूत्रों के मुताबिक, लश्कर ने अपने आतंकियों को 'कसाब एंड कंपनी' की इन गलतियों के बारे में बताया.

पहली ग़लती
जिस बोट पर दसों आतंकवादी मुंबई तक पहुंचे उसे बर्बाद कर देना चाहिए था. पर उन्होंने बोट खाली छोड़ दी.
दूसरी ग़लती
सैटेलाइट फ़ोन पर ज़रूरत से ज़्यादा बातें कर रहे थे
तीसरी ग़लती
सैटेलाइट फ़ोन पर बात करते वक्त दसों आतंकी अपना असली नाम ले रहे थे.
चौथी ग़लती
लोगों को बंधक बनाने में नाकाम रहे
पांचवीं ग़लती
कसाब पुलिस के हाथ लग गया

लश्कर का मानना है कि 26/11 के गुनहगारों की इन गलतियों से उसे काफी नुकसान पहुंचा है. इससे ना सिर्फ भारतीय एजेंसियां बल्कि दुनिया को उसके खिलाफ पुख्ता सबूत मिल गए. वैसे लश्कर को इन सारी गलतियों में जो सबसे बड़ी गलती अखरी वो थी कसाब का जिंदा पकड़ा जाना. इसीलिए लश्कर ने इसका नाम स्पेशल कसाब क्लास रखा है. लश्कर का मानना है कि ऐसे ऑपरेशन के दौरान जिंदा पकड़े जाने से बेहतर है मर जाना. ताकि सबूत हाथ ना लगे. कसाब और उसके नौ साथियों को भी यही सिखाया गया था. मगर कसाब अकेला था जो जिंदा मुंबई पुलिस के हाथ लग गया. बाद में उसपर मुकदमा चला और फिर 21 नवंबर 2012 को उसे पुणे की यरवदा जेल में फांसी दे दी गई.

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कश्मीर से गिरफ्तार हुआ था हंजाला
अब आपको उस आतंकवादी से भी मिलवाते हैं जिसने हाफिज सईद के इस नए स्कूल की नई क्लास का खुलासा किया है. नाम है मोहम्मद नवेद जुट्ट उर्फ अबू हंज़ाला. लश्कर के आतंकवादियों की नई खेप का नया मोहरा. पाकिस्तान के मुलतान का रहने वाला ये वही नवेद है जिसने लश्कर के स्पेशल कसाब क्लास का खुलासा किया है. ये इसलिए भी अहम है क्योंकि इसने खुद वो स्पेशल क्लास अटेंड किया था. इतना ही नहीं उससे पहले ये जमात-उद-दावा के मदरसे में ये अजमल कसाब से भी मिल चुका था. नवेद को इसी साल 20 जून को दक्षिणी कश्मीर से एक मुठभेड़ के बाद गिरफ्तार किया गया था.

नवेद को स्पेशल कसाब क्लास और ज़रूरी ट्रेनिंग के बाद अक्तूबर 2012 में उत्तरी कश्मीर के केरान के रास्ते कश्मीर में घुसपैठ कराया गया था. उसके साथ लश्कर के 21 और आतंकवादी थे. 2013 की पूरी सर्दी खत्म होने तक सभी 21 आतंकवादी दचीगम के जंगलों में रहे. इसके बाद नवेद दक्षिणी कश्मीर पहुंच गया.

जब कसाब से मिला हंजाला
पांचवीं पास नवेद के मुताबिक उसका पिता पाक सेना का रिटायर्ड ड्राइवर है. उसके पिता ने ही नवेद और उसके भाई को जमात-उद-दावा के मदरसे में भेज दिया था. गिरफ्तारी के बाद जुट ने बताया कि 2008 में मुंबई हमले से कुछ महीने पहले वो पहली बार कसाब से मिला था. बकौल जुट तब वो पंजाब के मुलतान जिले में लश्कर के बोरीवला शाहीवला कैंप का हिस्सा था. नवेद जिस मदरसे में रहता और पढ़ता था कसाब का बाप उसी मदरसे में बतौर कसाई नौकरी करता था. उसी मदरसे में उसकी मुलाकात कसाब से हुई थी. नवेद के मुताबिक छोटी सी इस मुलाकात के दौरान कसाब ज्य़ादातर खामोश ही था. तब उसे कसाब के बारे में ज्यादा पता नहीं था. मगर इसके कुछ महीने बाद ही उसे पता चला कि कसाब ने मुंबई में बड़ा काम किया है.

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शौकत गनी की हत्या की साजिश!
नवेद के मुताबिक ट्रेनिंग पूरी होने के बाद लश्कर के बॉसेज ने उसे खास तौर पर दक्षिणी कश्मीर में ऑपरेशन के लिए चुना था. उसे कश्मीर में पुलिस औऱ अर्धसैनिक बलों पर हमले की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. पुलिस सूत्रों की मानें तो नवेद ने मई 2013 में पुलवामा में एक पुलिस अफसर की हत्या की थी. इसके अलावा जून 2013 में दक्षिणी कश्मीर के ही तराल, सोफियान और कुलगाम में सेना के कैंप और पुलिस पेट्रोलिंग पार्टी पर हमला करने के मामले में भी वो शामिल रहा है.

पुलिस सूत्रों के मुताबिक नवेद दक्षिणी कश्मीर के वाची से नेशनल कांफ्रेंस के विधायक शौकत ग़नी की हत्या की भी साजिश रच रहा था. मगर ग़नी के आसपास पुलिस की भारी सुरक्षा के चलते उसे मौका नहीं मिल रहा था. गिरफ्तारी से पहले इस साल पुलवामा कोर्ट परिसर के अंदर सनसनीखेजे शूटआउट और अप्रैल में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान पोलिंग बूथ पर हमला करने के मामले में भी नवेद शामिल था.

पिछले हफ्ते ही सरहद के करीब आया था सईद
पिछले हफ्ते ही लगभग भारतीय सरहद की दहलीज़ पर आकर दस्तक दे गया था आतंक का सबसे बड़ा सरगना हाफ़िज़ सईद. राजस्थान में जैसलमेर के करीब और फिर गुजरात में कच्छ और सिंध के इलाके में हाफिज सईद को देखे जाने की बात कही गई है. अब माना जा रहा है कि भारतीय सरहद के नजदक सईद का ये दौरा यूं ही नहीं है. बल्कि इसके पीछे कोई ना कोई मकसद जरूर है.

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अपने सिर पर 1 करोड़ अमेरिकी डॉलर का इनाम लिए ये शख्स एक बार फिर सुर्खियों में है... वजह ये कि इस बार वो हिंदुस्तान के बेहद क़रीब पाकिस्तान के ऐसे सरहदी गांव में दिखा है, जहां से हिंदुस्तान की दूरी 15-16 किलोमीटर से ज़्यादा नहीं... सूत्रों की मानें तो इन गावों में हाफ़िज़ सईद की ये मौजूदगी यूं ही नहीं है... बल्कि इस बार वो हिंदुस्तान के इन्हीं सरहदी गावों से दहशगर्दी की वो नापाक साज़िश बुन रहा है, जिसकी तपिश फिर से हिंदुस्तान को झेलनी पड़ सकती है.

क्या कहती है सईद की सक्रियता?
तारीख गवाह है कि हाफ़िज़ सईद जब-जब हिंदुस्तान-पाकिस्तान की सरहद पर पहुंचा है, हिंदुस्तान में बेगुनाहों की जान गई है. फिर चाहे वो 2008 का मुंबई हमला हो या फिर 2013 में हिंदुस्तानी फ़ौजियों के सिर कलम करने की वारदात. खुफ़िया एजेंसियों के पास इस बात के एक नहीं, बल्कि दसियों सुबूत है कि ये सबकुछ हाफ़िज़ सईद के इशारे पर ही हुआ है... और यही वजह है कि प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन जमात उद दावा के इस सरगना के सरहद पर दिखने के साथ ही हिंदुस्तानी फ़ौज के साथ-साथ तमाम खुफ़िया एजेंसियां भी अलर्ट हो गई है.

सूत्रों की मानें तो इस बार हाफ़िज़ सईद राजस्थान के जैसलमेर बॉर्डर के तनोट इलाके से सटे कुछ पाकिस्तानी गावों मसलन मीठी, बिटाला, इस्लामकोट, मीरपुर खास और खेरपुर में दिखा है. बताते हैं कि हाफ़िज़ सईद ने इस बार इन गावों में रहनेवाले हिंदू परिवारों को खास तौर पर यह कह कर आगाह किया है कि वो हिंदुस्तान के खिलाफ़ जमात उद दावा की ओर से चलाए जा रहे दहशतगर्दी के खेल में उनका साथ दे. सईद ने इन परिवारों से अपने बच्चों को जमात उद दावा के आतंकवादी कैंपों में भेजने की ताकीद की है और साफ़ कहा है कि अगर उन्हें पाकिस्तान में रहना है तो हिंदुस्तान के खिलाफ़ इस नापाक खेल में साथ देना ही होगा.

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सईद और उसके आतंकवादी संगठन जमात उद दावा पर अमेरिका ने ही हाल में प्रतिबंध का ऐलान किया था और कहा था कि सईद का संगठन सिर्फ़ अमेरिका या चंद मुल्कों का ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के खिलाफ़ है.

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