अफगानिस्तान में तालिबान डर गया है. अफगानिस्तान में तालिबान का नया खौफ पैदा हो गया है. यकीन नहीं होता, लेकिन ये सच है कि आजकल अफगानिस्तान के तालिबानी कमांडर अपनी जान बचाने के लिए छिपते फिर रहे हैं. अफगानिस्तान में कभी अपनी दहशत और खौफ की हुकूमत चलाने वाले तालिबानी कमांडरों के लिए खुद अपनी जान बचाना मुश्किल हो रहा है, क्योंकि तालिबान का नया दुश्मन बिलकुल उसी की तरह सोचता है.
अफगानिस्तान के नूरिस्तान इलाके की पहाड़ियों में एक सुनसान इलाका है और यहां कुछ हथियारबंद नकाबपोशों ने अपनी एक अदालत लगाते हैं और इस अदालत में जज, वकील और जल्लाद सभी नकाबपोश होते हैं. ये लोग यहां कानून बनाते हैं और वो हैवानों का कानून होता है. हाल ही में इन हथियारबंद नकाबपोश ने तीन लोगों को मौत की सजा दी. इसके लिए उन्होंने लकड़ी के एक खंभे पर तीन फंदे लटकाए, लेकिन प्लेटफार्म की जगह उन्होंने एक और लड़की का खंभा टिकाया, जिसपर खड़े होकर उन्होंने तीनों को फांसी दी.
दरअसल, नकाबपोश लश्कर-ए-तैय्यबा के आतंकवादी हैं और जिन तीन लोगों को फांसी दी गई वो तीनों भी कोई आम शख्स नहीं थे, बल्कि अफ्गानिस्तान तालिबान के लोकल कमांडर थे. अब आप सोच रहे हैंगे की आखिर लश्कर-ए-तैय्यबा ने तालिबानी कमांडरों को फांसी क्यों दी? तो वो भी सुन लीजिए, अभी कुछ वक्त पहले अफ्गानिस्तान में आम चुनाव हुए थे और इन सभी को इस चुनाव में गड़बड़ी और हिंसा फैलाने की ज़िम्मेदारी दी गई थी, लेकिन उन्होंने अपना काम ठीक से नहीं किया तो लश्कर-ए-तैय्यबा ने इन सभी के लिए मौत की सजा मुकर्रर की. सूत्रों के मुताबिक ये सब हाफिज़ सईद, मिस्र के अबू सैयय्द और चेचन्या के आतंकवादी अबू मुस्लिम के इशारे पर हुआ.
इन तीनों ने ही करीब लश्कर-ए-तैय्यबा के 100 आतंकवादियों को अफ्गानिस्तान के कामदीश और बर्ग-ए-मताल इलाकों में इन तालिबानी कमांडरों को ढूंढ़ने और फिर उनको पकड़ कर मौत की सजा देने के लिए भेजा था. सूत्रों के मुताबिक लश्कर के ये आतंकवादी पाकिस्तान के तालिबान के अब्दुल क्यूम जाकिर के ग्रुप के आतंकवादियों को ढूंढ़ कर उन्हें मौत के घाट उतार रहे हैं. ऐसा पहली बार हो रहा है कि एक आतंकवादी संगठन अपने दूसरे साथी संगठन के आतंकवादियों को मौत की सजा दे रहा है. यानी तालिबान लश्कर-ए-तैय्यबा से छिपता फिर रहा है.