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कभी मछली खाने के लिए जेल में खुदवा दिया था तालाब, आज फल-बिस्किट के लिए तरस रहा बाहुबली मुख्तार

बाहुबली माफिया मुख्तार अंसारी के खाने को लेकर चर्चा इसलिए हो रही है, क्योंकि उसने अदालत से खाने के लिए फल और कुरकुरे मांगे हैं. हाल ही में जब वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बाराबंकी की एमपी-एमएलए कोर्ट में उसकी पेशी हुई तो उसने जज से गुहार लगाई.

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बाहुबली मुख्तार अंसारी इस वक्त यूपी की बांदा जेल में बंद है
बाहुबली मुख्तार अंसारी इस वक्त यूपी की बांदा जेल में बंद है

माफिया डॉन मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) अभी यूपी की बांदा जेल में बंद है. वह जेल के खाने से तंग आ चुका है. आलम यह है कि उसने एमपी-एमएलए कोर्ट में वर्चुअल पेशी के दौरान खाने को लेकर विशेष सत्र न्यायाधीश कमल कांत श्रीवास्तव के सामने गुहार तक लगा दी. मुख्तार ने जज से कहा कि मी लार्ड... मुझे खाने पीने का सामान, फल और कुरकुरे भिजवा दीजिये. ये तो रही आज की बात, लेकिन मुख्तार अंसारी के साथ हमेशा से ऐसा नहीं था. वह कभी इतना लाचार और बेबस नहीं रहा. मुख्तार का रसूख और दबंगई जेल में भी खूब चलती थी. वह जो चाहता था, वही खाता था. यूं तो मुख्तार अंसारी की जिंदगी से जुड़ी कई ऐसी वारदातें और किस्से हैं, जिन्हें लोग सुनते आए हैं. लेकिन मुख्तार के खाने का शौक किस कदर उस पर हावी था, इसकी कहानी बेहद दिलचस्प है.

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कभी मुख्तार के लिए पनाहगाह थी जेल

सच तो यह है कि कभी उत्तर प्रदेश की जेलें ही मुख्तार अंसारी के लिए पनाहगाह हुआ करती थीं. जहां से मुख्तार अपने तमाम कारनामों का ताना-बाना बुनता था. जहां जेल की चहारदीवारी उसकी मनमौजी में कभी बाधा नहीं बनी. हालात बिल्कुल अलग थे. नवंबर 2005 में बीजेपी विधायक कृष्णनंद राय की गोलियों से भूनकर हत्या कर दी गई थी, उस वक्त मुख्तार अंसारी यूपी की फतेहगढ़ जेल में बंद था. 

जेल में ही खुदवा दिया था तालाब 

वारदात से एक महीने पहले ही मुख्तार अंसारी को गाजीपुर जेल से फतेहगढ़ जेल में शिफ्ट कर दिया गया था. जानकार इसे भी मुख्तार अंसारी की साजिश का हिस्सा मानते थे. उस समय उत्तर प्रदेश पुलिस में आईजी (लॉ एंड ऑर्डर) हुआ करते थे बृजलाल. जो उस जमाने को याद करते हुए बताते हैं , "गाजीपुर जेल तो मुख्तार अंसारी का घर हुआ करती थी. मनपसंद मछली खाने के लिए उसने जेल में ही तालाब खुदवा दिया था. शाम को जेल के अंदर बाकायदा दरबार लगता था. जिले के बड़े-बड़े अधिकारी मुख्तार अंसारी के साथ बैडमिंटन खेलने आते थे."

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जेल में मछली की दावत

दरअसल, मुख्तार अंसारी को मछली खाना बेहद पसंद था. लेकिन जेल में उसे सादा खाना मिलता था. रोज-रोज बाहर से खाना आना भी मुमकिन नहीं था. इसी बात से परेशान होकर मुख्तार ने जेल के भीतर ही तालाब खुदवा दिया था और उसमें मछली डाली गई थी. जब भी उसका मन होता था, वो तालाब से मछली निकलवाकर वहीं बनवाता था और खाता था. यही नहीं, कई बार तो जिले के कई बड़े अफसर, नामी गिरमी नेता भी उसके साथ खाना खाने के लिए जेल आते थे. वो जेल में खेला भी करता था.

मुख्तार का रसूख और सियासी संरक्षण

इन सब के पीछे मुख्तार अंसारी का रसूख और राजनैतिक संरक्षण ही बड़ी वजह था. मुख्तार अंसारी के रसूख का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब यूपी एसटीएफ के डिप्टी एसपी शैलेंद्र सिंह ने साल 2004 में सेना के भगोड़े के पास से एलएमजी बरामद की थी और मुख्तार अंसारी पर पोटा लगाया था तो सरकार ही उनके खिलाफ हो गई थी. खुद शैलेंद्र सिंह बताते हैं कि उस समय के आला अधिकारी उन्हें इतना भला-बुरा कहते थे, जैसे उन्होंने मुख्तार अंसारी पर पोटा लगाकर बहुत बड़ा गुनाह कर दिया हो.

जेल अधीक्षक हत्याकांड में भी आया था नाम

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मुख्तार अंसारी के लिए आगरा की सेंट्रल जेल हो, गाजीपुर जेल हो, लखनऊ जेल हो या फिर बांदा जेल. ये तमाम जेलें कभी उसके मंसूबों को नहीं रोक पाई. कई साल पहले लखनऊ में राज भवन के सामने लखनऊ के जेल अधीक्षक आरके तिवारी की गोली मारकर हत्या कर दी गई. इस हत्याकांड में मुख्तार के करीबी शूटरों का नाम आया था. उस पर साजिश रचने का आरोप लगा था, क्योंकि उस समय मुख्तार अंसारी खुद लखनऊ जेल में बंद था. 

 यूपी की जेल में नहीं रहना चाहता मुख्तार

अब बाहुबली मुख्तार अंसारी ना सिर्फ बांदा जेल बल्कि यूपी की किसी भी जेल में रहना नहीं चाहता है. यही वजह थी कि पंजाब की रोपड़ जेल में रहते मुख्तार अंसारी ने पूरी कोशिश की थी कि उसे यूपी ट्रांसफर ना किया जाए. सच यह है कि मुख्तार अंसारी को जिस मामले में रोपड़ जेल में बंद किया गया था, उसमें उसने कभी जमानत अर्जी डाली ही नहीं थी.

सुप्रीम कोर्ट के फरमान पर हुई थी यूपी वापसी

जब उत्तर प्रदेश सरकार उसको वापस लाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने लगी तो उसने पहले खराब स्वास्थ्य का हवाला दिया, फिर यात्रा न कर पाने का. तभी उसने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से पेशी कराने की गुहार भी लगाई थी, लेकिन उसकी एक नहीं चली और उसे रोपड़ से बांदा जेल शिफ्ट किया गया था. दरअसल, यूपी में बीजेपी की सत्ता आने के बाद मुख्तार अंसारी, अतीक अहमद, विजय मिश्रा जैसे दबंग माफियाओं पर एक्शन होने लगा था. बागपत जेल में मुख्तार अंसारी के शार्प शूटर मुन्ना बजरंगी की हत्या भी कर दी गई थी. 

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बिकरू कांड के मुख्य आरोपी विकास दुबे की गाड़ी पलटने के बाद उसका एनकाउंटर कर दिया गया. ये तमाम कार्रवाई ही मुख्तार अंसारी के खौफ का कारण बन गईं. आपको याद दिला दें कि 21 जनवरी 2019 को बांदा जेल से मुख्तार को पंजाब की रोपड़ जेल भेजा गया था. फिर सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 7 अप्रैल 2021 को यानी पूरे 2 साल 2 महीने 17 दिन बाद मुख्तार अंसारी को यूपी की बांदा जेल में लाया गया था. 

कौन है मुख्तार अंसारी?

मुख्तार अंसारी का जन्म गाजीपुर जिले के मोहम्मदाबाद में 3 जून 1963 को हुआ था. उसके पिता का नाम सुबहानउल्लाह अंसारी और मां का नाम बेगम राबिया था. गाजीपुर में मुख्तार अंसारी के परिवार की पहचान एक प्रतिष्ठित राजनीतिक खानदान की है. 17 साल से ज्यादा वक्त से जेल में बंद मुख़्तार अंसारी के दादा डॉक्टर मुख़्तार अहमद अंसारी स्वतंत्रता सेनानी थे. गांधी जी के साथ काम करते हुए वह 1926-27 में कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे. मुख़्तार अंसारी के नाना ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान को 1947 की लड़ाई में शहादत के लिए महावीर चक्र से नवाज़ा गया था. मुख्तार के पिता सुबहानउल्लाह अंसारी गाजीपुर में अपनी साफ सुधरी छवि के साथ राजनीति में सक्रिय रहे थे. भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी रिश्ते में मुख़्तार अंसारी के चाचा लगते हैं

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कुछ लोगों के लिए रॉबिनहुड था मुख्तार

ठेकेदारी, खनन, स्क्रैप, शराब, रेलवे ठेकेदारी में अंसारी का कब्ज़ा है. जिसके दम पर उसने अपनी सल्तनत खड़ी की थी. कहा जाता है कि वो रॉबिनहुड अगर अमीरों से लूटता था, तो गरीबों में बांटता भी था. ऐसा मऊ के लोग कहते हैं कि सिर्फ दबंगई ही नहीं बल्कि बतौर विधायक मुख्तार अंसारी ने अपने इलाके में काफी काम किया. सड़कों, पुलों, अस्पतालों और स्कूल-कॉलेजों पर मुख्तार अपनी विधायक निधी से 20 गुना ज़्यादा पैसा खर्च करता था.

 

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