मुंबई ड्रग्स केस में सुपरस्टार शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान के फंस जाने के बाद एक वक्त ऐसा भी आया था, जब असली मुद्दा हाशिए पर चला गया था. तब महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक और एनसीबी के अफसर समीर वानखेड़े के बयानबाजी और तल्खियां सुर्खियों में थी. नवाब मलिक सोशल मीडिया के जरिए समीर वानखेड़े पर इल्जामों की झड़ियां लगा रहे थे. लेकिन अब ना तो समीर वानखेड़े एनसीबी में हैं और ना ही नवाब मलिक अब मंत्री हैं. नवाब मलिक तो अब जेल में हैं, और उनके खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ED) की चार्जशीट की शक्ल में एक सनसनीखेज कहानी सामने आई है.
पहला-- देश का सबसे बड़ा अंडरवर्ल्ड डॉन
दूसरी-- उस सबसे बड़े डॉन की बड़ी बहन
और तीसरा-- महाराष्ट्र की सियासत का एक कद्दावर चेहरा और कैबिनेट मंत्री
हम आपको इन तीन किरदारों की ब्लैक मनी, अंडरवर्ल्ड, डर्टी पॉलिटिक्स और टेरर फंडिंग की वो स्टोरी सुनाने जा रहे हैं, जो किसी का भी दिमाग़ घुमा देने के लिए काफ़ी है. वो स्टोरी जिसने महाराष्ट्र की सियासत में भूचाल लाने के साथ-साथ अंडरवर्ल्ड और सियासत की उस स्याह गठजोड़ को भी एक बार फिर से बेनक़ाब कर दिया है, जिसके बारे में गाहे-बगाहे चर्चाएं होती रहती हैं और वो स्टोरी जिसने एक कैबिनेट मंत्री को उसके चेंबर से निकाल कर सीधे ऑर्थर रोड जेल की सलाखों के पीछे पहुंचा दिया है.
1993 के मुंबई सीरियल ब्लास्ट के आरोपी दाऊद इब्राहिम और उसके इर्द-गिर्द रहनेवाले तमाम लोगों पर शुरू से ही भारतीय एजेंसियों की पैनी नज़र रही है. कुछ इसी कड़ी में अब से कोई दो महीने पहले रुपये-पैसों के नाजायज़ लेन-देन, हवाला कारोबार और कालेधन पर नज़र रखनेवाली एजेंसी ईडी यानी प्रवर्तन निदेशालय ने दाऊद इब्राहिम की बड़ी बहन हसीना पारकर से जुड़े कुछ लोगों के ठिकानों पर छापेमारी की थी. लेकिन ये छापेमारी क्या हुई, इस तिकड़ी से जुड़ी एक ऐसी अजीब और चौंकानेवाली कहानी सामने आ गई कि खुद मामले की जांच कर रहे अफसर भी कुछ देर के लिए हैरत में पड़ गए.
- कौड़ियों के भाव कैसे बिकी 300 करोड़ की ज़मीन?
- महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री का 'डॉन' के परिवार से ये कैसा रिश्ता?
- 300 करोड़ की ज़मीन के लिए कैसे दिए क़रीब 40 लाख रुपये?
- ईडी ने कैबिनेट मंत्री नवाब मलिक पर और कसा शिकंजा
- नवाब मलिक पर हवाला कारोबार और टेरर फंडिंग का संगीन इल्ज़ाम
लेकिन इससे पहले कि जुर्म के इस पाताललोक में हम और गहराई तक उतरें, सबसे पहले इस मामले के उस किरदार से आपको मिलाए देते हैं, जिसका एक बयान महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री और एनसीपी नेता नवाब मलिक के लिए ताबूत में आख़िरी कील साबित हुआ. जिसका नाम है अलीशाह पारकर. जी हां... अलीशाह पारकर. अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम का भांजा और दाऊद की बड़ी बहन हसीना पारकर का बेटा अलीशाह पारकर. वैसे तो अलीशाह अब तक सुर्खियों से दूर ही रहा है, लेकिन हवाला कारोबार के एक मामले में ईडी ने उससे पूछताछ क्या की, उसने तो सियासत की चमचमाती कालीन ने नीचे छुपी ब्लैक मनी और टेरर फंडिंग की पूरी की पूरी बजबजाती हकीकत को ही उधेड़ कर रख दिया. और बस इसी का वो बयान था, जिसके बाद ईडी की टीम ने ना सिर्फ़ महाराष्ट्र के कैबिनेट मंत्री और नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी यानी एनसीपी के नेता नवाब मलिक को गिरफ़्तार कर लिया, बल्कि अब तो पूछताछ के बाद उनका मौजूदा ठिकाना ऑर्थर रोड जेल की सलाखें ही बन चुकी हैं.
नवाब मलिक पर ईडी ने संगीन इल्ज़ाम लगाए हैं और ये इल्ज़ाम है अंडरवर्ल्ड से रिश्ते रखने और टेरर फंडिंग करने का. वजह ये कि उन्होंने अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम की बहन हसीना पारकर से सबकुछ जानते हुए भी उसकी एक क़ब्ज़ाई हुई ज़मीन ना सिर्फ़ नाजायज़ तरीक़े से कौड़ियों के मोल ख़रीद ली, बल्कि ज़मीन ख़रीदने के बदले उनके चुकाए गए रुपयों का इस्तेमाल टेरर फंडिंग के लिए भी हुआ. जी हां, टेरर फंडिंग के लिए. ये कहानी अब से कोई बीस साल पुरानी है. जब दाऊद की बड़ी बहन हसीना ज़िंदा थी.
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने अपनी जांच में पाया कि मुंबई के कुर्ला इलाक़े में गोवा वाला कंपाउंड की क़रीब 3 एकड़ की एक ज़मीन पर हसीना पारकर की नज़र थी. इस ज़मीन का मालिकाना हक़ वैसे तो मुनीरा प्लंबर नाम की एक महिला के पास था, लेकिन उसने इस ज़मीन पर बसे किराएदारों से रुपये-पैसों की वसूली और दूसरे कामों के लिए ज़मीन की पावर ऑफ़ अटॉर्नी दाऊद इब्राहिम के ही एक ख़ास गुर्गे और 1993 मुंबई ब्लास्ट के एक गुनहगार सरदार वली शाह ख़ान को दे रखा था. लेकिन हसीना पारकर, सरदार वली शाह ख़ान और सलीम पटेल नाम के और शख़्स ने दूसरे कुछ लोगों के साथ मिलकर ना सिर्फ इस ज़मीन की झूठी पावर ऑफ अटॉर्नी बनवा ली, बल्कि इस ज़मीन को चुपके से एनसीपी नेता नवाब को बेच दिया.
ऐसा तब था, जब नवाब मलिक को हसीना पारकर की हकीकत पता थी और सरदार वली शाह ख़ान की भी. इस ज़मीन की क़ीमत तब क़रीब 300 करोड़ रुपये रही होगी, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि नवाब मलिक ने हसीना से ये ज़मीन महज़ 40 लाख रुपये में ख़रीदी. इसमें सिर्फ 5 लाख रुपये उसने कैश के तौर पर दिए और बाक़ी की रक़म चेक के ज़रिए चुकाई. लेकिन नवाब मलिक की ये सौदेबाज़ी ही अब उनके गले की फांस बन चुकी है. ईडी ने ना सिर्फ़ उन्हें गिरफ़्तार कर लिया है, बल्कि उनसे पूछताछ के बाद फिलहाल उन्हें ऑर्थर रोड जेल भेज दिया गया है.
इधर, मामले की जांच कर रही ईडी अब उनके ख़िलाफ़ चार्जशीट दाखिल करने की तैयारी कर रही है. ईडी के सूत्रों की मानें तो दाऊद इब्राहिम की बहन हसीना पारकर उन्होंने ज़मीन पर क़ब्ज़े, उनकी नाजायज़ ख़रीद-फ़रोख़्त, जबरन वसूली समेत दाऊद इब्राहिम के तमाम उल्टे सीधे धंधे संभाला करती थी. लेकिन सब कुछ जानते हुए भी एक नेता उनसे जुड़ना और सौदेबाज़ी करना अपने आप में एक चौंकानेवाली बात होने के साथ-साथ एक संगीन जुर्म भी है. ईडी ने अब तक की छानबीन के बाद इन तमाम किरदारों का कनेक्शन साबित करने के लिए भी अदालत में अपनी दलील पेश की है.
ईडी ने कहा कि नवाब मलिक ने जिनसे ज़मीन की सौदेबाज़ी की, उनका रिश्ता उन लोगों से था, जो सीधे तौर पर 1993 मुंबई सीरियल ब्लास्ट से जुड़े थे. इनमें पहला नाम तो उस सरदार वली शाह खान का ही है जो बम धमाकों में का गुनहगार है इन दिनों उम्र कैद की सजा काट रहा है. सरदार ही वो गुनहगार है, जिसने टाइगर मेमन के कहने पर बीएमसी की इमारत समेत कई दूसरी जगहों पर बम रखने के लिए रेकी की थी. उसी ने अल हुसैनी बिल्डिंग में जहां टाइगर मेमन रहता था, वहां एक कार में विस्फोट भी रखे थे. ईडी के मुताबिक नवाब मलिक सलीम पटेल को अच्छे से जानते हैं, जो दाऊद इब्राहिम गैंग का गुर्गा था. जो उन दिनों हसीना पारकर का बॉडीगार्ड और उसका ड्राइवर भी था. हसीना पारकर की मौत के पहले जब उसे गिरफ्तार किया गया था, तब उसने मुंबई पुलिस की पूछताछ में कई अहम ख़ुलासे भी किए थे.
उन दिनों हसीना जिस ज़मीन का संपत्ति पर भी क़ब्ज़ा करती, उनमें से ज्यादातर की पावर ऑफ अटॉर्नी सलीम पटेल के नाम पर ही होती थी. और नवाब मलिक ने सबकुछ जानने के बावजूद उनसे रिश्ते रखने, डील करने और ज़मीन ख़रीदने से गुरेज़ नहीं किया. लेकिन जानकारों की मानें तो अदालत में उनके ख़िलाफ़ इन इल्ज़ामों को साबित करना ईडी के लिए एक बड़ी चुनौती साबित होनेवाली है. ख़ास कर टेरर फंडिंग वाले मामले में. ईडी ने नवाब मलिक के खिलाफ़ 3 फरवरी को केस दर्ज करने के बाद उन्हें 23 फरवरी को गिरफ्तार किया था. इसके बाद ईडी की जांच काफ़ी आगे बढ़ चुकी है.
उधर मलिक फिलहाल आर्थर रोड जेल में हैं. एक ग़ौर करनेवाली बात ये है कि इतने संगीन इल्ज़ाम में जेल में बंद होने के बावजूद फिलहाल ना तो सरकार ने उन्हें उनकी कुर्सी से उतारा है और ना ही पार्टी ने ही उनके खिलाफ कोई कार्रवाई की है.
लेकिन अपनी इनवेस्टिगेशन को लेकर ईडी के अपने दावे हैं. ईडी के सूत्रों की मानें तो नवाब मलिक ने विवादित ज़मीन खरीदने के लिए जो पैसा दिया, उसे हसीना पारकर ने दाऊद इब्राहिम तक पहुंचा दिया और उसका इस्तेमाल टेरर फंडिंग के लिए किया गया. ये डील 2003 से 2005 के बीच में हुई थी. इसके बाद से ये जमीन मलिक ने कई किराएदारों को दी और मलिक और उनकी कंपनी और उनके घरवालों ने इस प्रॉपर्टी से 11 करोड़ 70 लाख रुपये की कमाई की.
ईडी की एफआईआर में दाऊद इब्राहिम, हाजी अनीस उर्फ अनीस इब्राहिम शेख, शकील शेख उर्फ छोटा शकील, जावेद पटेल उर्फ जावेद चिकना, इब्राहिम मुश्ताक अब्दुल रज्जाक मेमन उर्फ टाइगर मेमन को आरोपी बनाया है. ईडी को जांच में पता चला है कि नवाब मलिक ने मेसर्स सॉलिडस इन्वेस्टमेंट कंपनी के जरिए मुनीरा प्लंबर की संपत्ति हड़प ली थी. इस कंपनी को नवाब मलिक के परिवार के सदस्य ऑपरेट करते थे, जबकि कंट्रोल नवाब मलिक के पास था. कंपनी में हसीना पारकर सहित डी-कंपनी के गैंगस्टर और गुर्गों की मिलीभगत थी. संपत्ति हड़पने के लिए, हसीना पारकर और नवाब मलिक ने एक साथ मिलकर साज़िश की कई कानूनी दस्तावेज बनाए.
मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच से पता चला कि मुनीरा एस. प्लंबर और उसकी मां मरियम बाई की संपत्ति नाजायज़ से कब्जाई गई थी. नवाब मलिक के कंट्रोल वाली सॉलिडस इन्वेस्टमेंट्स प्राइवेट लिमिटेड और हसीना पारकर, सरदार शाह वली खान, सलीम पटेल और नवाब मलिक ने गोवा वाला में संपत्ति हड़पी थी. इसमें बिल्डिंग समेत तीन एकड़ जमीन शामिल है. ईडी ने इस महीने की शुरुआत में मलिक, उनके परिवार के सदस्यों, उनकी कंपनी की संपत्तियों को अस्थायी रूप से कुर्क किया था. इसमें गोवावाला कंपाउंड, कुर्ला (पश्चिम), मुंबई के कई फ्लैट, प्लॉट और दूसरी संपत्ति शामिल है. अब गेंद कोर्ट के पाले में है.