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नासिर-जुनैद का कत्ल, मोनू मानेसर के भड़काऊ वीडियो और पुलिस की लापरवाही... जानें मेवात हिंसा की इनसाइड स्टोरी

पुलिस और कानून के राज में जहां हर गुनाह से निपटने के लिए अलग-अलग कानूनी धाराएं मौजूद हैं. हर लॉ एनफोर्सिंग एजेंसी की अपनी-अपनी जिम्मेदारियां बंटी है, वहां मोनू मानेसर और उस जैसे दूसरे नौजवानों के लिए गौ तस्करी रोकने के नाम पर यूं कोहराम मचाने का भला क्या मतलब बनता है.

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कई मामलों में वांछित होने के बावजूद अभी तक मोनू मानेसर खुलेआम घूम रहा है
कई मामलों में वांछित होने के बावजूद अभी तक मोनू मानेसर खुलेआम घूम रहा है

Monu Manesar: वो किसी एनफोर्समेंट एजेंसी के ऑफिसर की तरह गौ तस्करों का पीछा करता है. तथाकथित गौ तस्करों को पकडने के लिए कभी अपनी जान खतरे में डालता है, तो कभी दूसरों की जिंदगी भी दांव पर लगा देता है. ठीक पुलिसवालों की तरह ज़रूरत पड़ने पर वो और उसके लोग गौ तस्करों पर ताबड़तोड़ फायरिंग भी करते हैं. और अगर कहीं गलती से भी कोई गौ तस्कर उसके या उसकी टीम के हत्थे चढ़ जाए, तो फिर वो उसकी ऐसी हालत करता है कि फिर वो अपने कदमों पर चलने लायक नहीं बचता. हम बात कर रहे हैं शातिर मोनू मानेसर की. 

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मेवात हिंसा के पीछे मोनू मानेसर का नाम!
पुलिस और कानून के राज में जहां हर गुनाह से निपटने के लिए अलग-अलग कानूनी धाराएं मौजूद हैं. हर लॉ एनफोर्सिंग एजेंसी की अपनी-अपनी जिम्मेदारियां बंटी है, वहां मोनू मानेसर और उस जैसे दूसरे नौजवानों के लिए गौ तस्करी रोकने के नाम पर यूं कोहराम मचाने का भला क्या मतलब बनता है. वो खुद को कानून से ऊपर समझता है. उसने अपनी फोर्स बना रखी है. जो गौ रक्षा के नाम पर कानून का मजाक उड़ाती है और आतंकी फैलाती है. अब मेवात में हुई हिंसा के बाद वही मोनू मानेसर रातों-रात फिर चर्चा में आ गया है.

भड़काऊ वीडियो पर सियासत
सांसद असद्दुदीन औवेसी समेत कई नेता मोनू मानेसर को नूंह में भडकी हिंसा का जिम्मेदार बताते हुए हरियाणा सरकार पर उसे संरक्षण देने का इल्ज़ाम लगा चुके हैं. ऐसे में मोनू मानेसर और नूंह की हिंसा में उसकी भूमिका का सच जानना जरूरी हो जाता है. तो आईए, इसकी शुरुआत उस वीडियो से करते हैं, जिसे मोनू मानेसर की ओर से जारी किया गया भड़काऊ वीडियो कहा जा रहा है. मोनू मानेसर ने ब्रजमंडल यात्रा से पहले एक वीडियो जारी किया था. जिसमें वो यात्रा में शामिल होने की बात कह रहा है. लोगों से ज्यादा से ज्यादा संख्या में वहां पहुंचने का आह्वान कर रहा है.

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भड़काऊ वीडियो जारी करने का इल्जाम
इल्जाम है कि मानेसर का यही वो वीडियो है, जिसे मेवात के कुछ लोग नाराज हो गए और मेवात से गुजर रही ब्रज मंडल यात्रा के दौरान हिंसा भड़क उठी. लेकिन सच्चाई ये भी है कि मानेसर ने अपने 38 सेकंड के इस वीडियो में ऐसा कुछ भी नहीं कहा, जिसे भड़काऊ कहा जा सके. हां, मानेसर ने लोगों से बढ़ चढ़ कर ब्रजमंडल यात्रा में शामिल होने की अपील जरूर की और ये भी कहा कि वो और उसकी टीम के लोग भी इस यात्रा में शामिल होंगे. ऐसे में सवाल उठता है कि सिर्फ किसी एक आदमी के किसी यात्रा में शामिल होने की बात करने भर से आखिर मेवात के कुछ लोग इतने नाराज क्यों हो गए कि उनकी नाराजगी ब्रजमंडल यात्रा के दौरान इतनी बड़ी हिंसा की वजह बन गई? तो इसका सच जानने के लिए आपको मोनू मानेसर का बैकग्राउंड भी जानना चाहिए.

कौन है मोनू मानेसर?
मोनू मानेसर का पूरा नाम मोहित यादव है. करीब 28 साल मोनू हरियाणा के ही मानेसर का रहनेवाला है, जो एक साधारण से परिवार से आता है. उसके पिता ड्राइवर थे और बस चलाया करते थे. उसके पिता की मौत हो चुकी है. उसका एक छोटा भाई और एक बहन है. मोनू मानेसर शादीशुदा है. उसके दो बच्चे भी हैं. उसके परिवार की आय का सबसे बड़ा जरिया किरायेदारी है. बताते हैं कि मानेसर में मोनू और उसके परिवार के पास कई कमरे हैं, जिन्हें उसने किराये पर दे रखा है और ये उसके परिवार का एक बड़ा सोर्स ऑफ इनकम है. असल में मानेसर एक औद्योगिक शहर है, जहां प्रवासी मजदूर बड़ी तादाद में रहते हैं और मोनू मानेसर उसके परिवार का कारोबार भी इन्हीं मजदूरों के इर्द-गिर्द है. करीब 50 से ज्यादा गौरक्षकों की टीम की अगुवाई करनेवाले मोनू मानेसर खुद को बजरंग दल का गौरक्षा प्रांत प्रमुख बताता है. 

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गौ रक्षा के नाम पर तोड़े कानून
स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद मोनू ने पॉलिटेक्निक कॉलेज से डिप्लोमा किया, लेकिन आगे चल कर मोनू का रुझान गौ रक्षा की तरफ हो गया और उसने गौ तस्करों की धर पकड़ की शुरुआत कर दी. मोनू के इस रुझान को उसे 2011 में बजरंग दल में मुकाम मिला. जब उसने अधिकारिक रूप से संगठन का दामन थाम लिया. इसके बाद तो आने वाले दस सालों में मोनू ने जहां गौ रक्षा के नाम पर अनगिनत गायों को गौ तस्करों और कसाइयों के कब्जे से छुड़ाया, वहीं अनगिनत गौ तस्करों के भी छक्के छुड़ा दिए. अब इस काम में कानून तो टूटना ही था. लिहाजा, मोनू पर भी एक के बाद एक लगातार तमाम संगीन धाराओं में मुकदमे दर्ज होते रहे और तो और मोनू को कत्ल जैसे संगीन जुर्म के मामले भी कई बार नामजद किया जाता रहा. लेकिन सच्चाई यही है कि मोनू के तेवर ढीले नहीं पड़े. 

कनपटी पर सटाई थी बंदूक
इसी कड़ी में पिछले साल यानी साल 2022 में फिरोजपुर झिरका इलाके से मोनू मानेसर का एक ऐसा वीडियो सामने आया था, जिसमें वो एक शख्स की कनपटी पर बंदूक लगा कर उसे एक गाड़ी में बिठाता हुआ नजर आया. इसे मोनू मानेसर के बेअंदाज हो जाने के सबूत के तौर पर देखा और दिखाया जाता रहा. इल्जाम है कि मानेसर ये सब कुछ गौ तस्करी के रोकने के नाम पर कर रहा था. उसे कानून का कोई डर नहीं था.

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भिवानी हत्याकांड का आरोपी है मोनू मानेसर
लेकिन मानेसर सही मायने में सुर्खियों में तब आया, जब इसी साल फरवरी महीने में हरियाणा के भिवानी में नासिर और जुनैद नाम के दो तथाकथित गौ तस्करों की लाश उनकी बोलेरो गाड़ी समेत जली हुई हालत में मिली. इल्जाम लगा कि राजस्थान के भरतपुर के गोपालगढ़ घाटमिका रहनेवाले नासिर और जुनैद को मानेसर और उसके लड़कों ने अगवा कर हरियाणा के भिवानी के लोहारू में ले जाकर जिंदा जला दिया. दोनों की लाश 16 फरवरी को मिली थी. अब नाम आया था तो पुलिस ने मानेसर के खिलाफ नासिर और जुनैद के कत्ल के इल्जाम में केस भी दर्ज कर लिया. लेकिन सच्चाई यही है कि फरवरी से लेकर आज तक इस मामले में कभी मोनू मानेसर की गिरफ्तारी नहीं हुई. 

मोनू ने कही थी यात्रा में शामिल होने की बात
नासिर और जुनैद के कत्ल के मामले के छह महीने गुजर जाने के बाद अब जब मानेसर ने नूंह से निकलनेवाले ब्रज मंडल यात्रा में शामिल होने की बात कही, तो फिर कई लोगों को मानेसर का बयान नागवार गुजरा और उन्होंने हिंसा का रास्ता चुन लिया. हालांकि सच्चाई ये भी मोनू मानेसर ने बेशक लोगों से इस यात्रा में बड़ी तादाद में शामिल होने की अपील की हो, लेकिन वो खुद इस यात्रा में शामिल नहीं हुआ. बाद में उसने खुलासा किया कि उसके यात्रा में शामिल होने से माहौल खराब होने का खतरा था, लिहाजा उसने ब्रज मंडल यात्रा में नहीं जाने का फैसला किया और इसके लिए खुद उसे उसके संगठन के लोगों ने भी मना किया था.

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हिंसा में आया कांग्रेस विधायक का नाम!
हालांकि इस मामले में सिर्फ मोनू मानेसर अकेले अंडर स्कैनर नहीं है. नूंह से ही कांगेस विधायक मामन खान का नाम भी हिंसा से जोड़ा जा रहा है. मानेसर जहां खुद ही मामन खान को इसका दोषी बता रहा है, वहीं मामन खान के बारे में कहते हैं कि वो पहले भी मानेसर को सबक सिखाने की धमकी दे चुके हैं. हरियाणा विधान सभा में विधायक मामन खान ने कहा कि "ये मोनू मानेसर दिखाता है कि कहीं ये अमित शाह के साथ तो कहीं अरुण जेटली के साथ फोटो खिंचवा रहा है, क्या डराना चाहता है ये, मेवातियों को कि मैं इतना बड़ा आदमी हूं. अबके मंत्री याद रखना, ये मेवात गया तो इसकी प्याज सी ना फोड़ी तो मेवात भी सॉरी कहेगा. इसने बहुत आतंक उठा लिया मेवात में. तीन लड़कों की हमारे जान ले ली है इसने."

पुलिस अभिरक्षा में युवक की मौत से बिगड़ा मामला
वैसे खुद सूबे के गृह मंत्री एक तरह से मानेसर को हिंसा के मामले में क्लीन चिट देते नजर आए, लेकिन ये भी एक सच है कि हिंसा के कुछ रोज़ पहले से ही दोनों पक्षों की तरफ से तनातनी चल रही थी. एक तरफ जहां ब्रज मंडल यात्रा को लेकर सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट डाले गए, वहीं फरीदाबाद में साइबर थाने में पुलिस हिरासत में हुई एक मौत ने मानों आग में घी का काम किया. असल में यात्रा से बमुश्किल दो दिन पहले फरीदाबाद पुलिस ने नूंह से एक लड़के को साइबर क्राइम के सिलसिले में पकड़ा था, जिसकी संदिग्ध हालत में पुलिस हिरासत में मौत हो गई, जिसके बाद आफताब और मोहम्मद समर समेत जहां नूंह के कुछ नेताओं ने पुलिस को लेकर गलत बयानी की, वहीं बजरंगदल से जुड़े बिट्टू बजरंगी ने भी दूसरे पक्ष को चुनौती देनेवाली बात कही. 

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मोनू मानेसर का सियासी निशाना
कई लोगों की जान लेकर और करोड़ों का नुकसान कर नूंह में हिंसा अब शांत हो चुकी है, पुलिस मामले की जांच शुरू कर चुकी है. इसी दौरान नूंह में भड़की हिंसा को लेकर जिस मोनू मानेसर का नाम रातों-रात सुर्खियों में आ गया, उसने इस हिंसा का इल्जाम कांगेस विधायक मामन खान पर लगा दिया. आज तक नूंह हिंसा को लेकर मानेसर से फोन पर बात की और उससे तीखे सवाल पूछे. मानेसर ने उन सवालों के जवाब में क्या कहा कि विधायक मामन खान दंगे का असली मास्टरमाइंड है, जिसने वहां लोगों को भड़काया. माहौल ऐसा बना दिया, जैसे वो जंग लड़ने जा रहे हों. 

मोनू मानेसर फरवरी में हुए नासिर और जुनैद के क़त्ल के मामले में भी सफाई दे रहा है. जबकि उसके खिलाफ नासिर और जुनैद के कत्ल के मामले में नामजद एफआईआर दर्ज है. वैसे मानेसर अपने बचाव में चाहे जो भी कहे, जब तक पुलिस मामले की जांच कर दूध का दूध और पानी का पानी ना कर दे, तब तक सवाल तो उठते रहेंगे.
 

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