आसमानी कहर तो अपना काम कर गई. अब जमीनी कहर की बारी है. उत्तराखंड की तबाही में कितने लोग मारे गए या कितने अब भी गायब हैं. यह दावे से कोई नही बता रहा. कितनी लाशें कहां पड़ी हैं या कौन कहां अब भी जिंदा फंसा है इस बारे में भी सही-सही बात कोई नहीं कर रहा, पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने एक ऐसा एलान कर दिया है, जिसके बाद एक चीज साफ है और वो यह कि जो अब भी जिंदा हैं वो 15 जुलाई तक सामने आ जाएं. वरना वो चाहे जिस हाल में हों 16 जुलाई से उन्हें मुर्दा ही माना जाएगा.
उत्तराखंड सरकार ने ऐलान किया है कि आसमानी कहर में गुम हुए लोग अगर 30 दिन तक घर नहीं लौटते तो यह मान लिया जाएगा कि वो सब अब इस दुनिया में नहीं हैं और 30 दिन की यह मियाद 15 जुलाई को खत्म हो जाएगी. मुख्यमंत्री ने तो शासन की दुहाई देकर जिंदगी और मौत की तारीख तय कर दी पर इस तारीख के गुजर जाने के बाद की तस्वीर क्या होगी? क्या होगा उन हजारों लोगों का जो हर पल हर घड़ी बस इंतजार कर रहे हैं. अपनों के जिंदा और सलामत लौट आने का, उनकी तो उम्मीदों की भी मौत होने वाली है.
16-17 जून की रात आसमान से बरसी आफत के बाद से अब भी उत्तराखंड में हजारों लोग गायब हैं और इन गायब लोगों की गिनती को लेकर अलग-अलग रिपोर्टस हैं. यूएन यानी संयुक्त राष्ट्र के हिसाब से अब भी 11 हजार लोग लापता हैं. उत्तराखंड के अलग-अलग थानों में दर्ज गुमशुदा रिपोर्ट के मुताबिक 7893 लोग गायब हैं. इनमें 1227 बच्चे हैं, जबकि सरकार के हिसाब से 3068 लोग गायब हैं.
देश के कोने-कोने में हजारों लोग अब भी हर पल उत्तारखंड में फंसे अपनों के लौट आने का इंतजार कर रहे हैं. चमत्कार की उम्मीद कर रहे हैं. उन्हें पहाड़ों में तलाश रहे हैं और ठीक उसी वक्त एक राज्य का मुख्यमंत्री लोगों को दिलासा देने की बजाए ये कहता है कि अब हम और इंतजार नहीं करेंगे. हमने तारीख तय कर दी है. उस तारीख के बाद किसी को जिंदा नहीं माना जाएगा.
अंदेशा है कि आसमानी आफत में दस हज़ार से ज्यादा लोगों की जानें गई हैं. किश्तों में कई बार सामूहिक अंतिम संस्कार भी हो चुका है पर अब भी सैकड़ों लोग ऐसे हैं, जिनके सामने अपने मौत के मुंह में समा गए पर उनकी लाशें नहीं मिलीं. मौत की तारीख तय करने वाले मुख्यंमत्री साहब क्या मुर्दों के बारे में भी कुछ कहेंगे?