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200 करोड़ की म्यूजिक इंडस्ट्री, गैंग्स ऑफ पंजाब... मूसेवाला हत्याकांड के बाद उठ रहे सवाल!

आख़िर पंजाबी म्यूज़िक इंडस्ट्री को पंजाब के गैंग्स निशाना क्यों बना रहे हैं? पंजाब के वो कौन-कौन से गैंग हैं, जो ना सिर्फ़ पूरी तरह से एक्टिव हैं, बल्कि पंजाब पुलिस और क़ानून व्यवस्था के लिए सिरदर्द बने हुए हैं?

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पंजाब में सक्रिय गैंग्स
पंजाब में सक्रिय गैंग्स
स्टोरी हाइलाइट्स
  • 1300 करोड़ रुपये की है भारत की म्यूजिक इंडस्ट्री
  • 200 करोड़ पंजाबी म्यूज़िक इंडस्ट्री से आते

पंजाबी म्यूज़िक इंडस्ट्री के कई ऐसे नाम और चेहरे हैं, जिन्हें या तो मार दिया गया, या गोली खाकर बच गए या फिर जानलेवा धमकी के साये के बीच जी रहे हैं. इनमें से अमर सिंह चमकीला, अवातर सिंह सिद्धू, दिलशाद अख़्तर और सिद्धू मूसेवाला को तो मार दिया गया. जबकि परमीश वर्मा गोली लगने के बावजूद बच गए और गिप्पी गरेवाल और मनकीरत औलख अब भी धमकी के साये में जी रहे हैं. 

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अब सवाल ये है कि आख़िर पंजाबी म्यूज़िक इंडस्ट्री को पंजाब के गैंग्स निशाना क्यों बना रहे हैं? पंजाब के वो कौन-कौन से गैंग हैं, जो ना सिर्फ़ पूरी तरह से एक्टिव हैं, बल्कि पंजाब पुलिस और क़ानून व्यवस्था के लिए सिरदर्द बने हुए हैं? तो पहले पंजाब की म्यूज़िक इंडस्ट्री की बात.

पंजाबी म्यूजिक इंडस्ट्री पर नजर

2018 की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत की पूरी म्यूज़िक इंडस्ट्री क़रीब 1300 करोड़ रुपये की है. इसमें से 200 करोड़ पंजाबी म्यूज़िक से आती है. लेकिन इस 200 करोड़ के अलावा क़रीब 500 करोड़ रुपये पंजाबी म्यूज़िक के लाइव इवेंट से आते हैं. यानी इस तरह एक साल में पंजाबी म्यूज़िक इंडस्ट्री क़रीब 700 करोड़ रुपये कमाती है. इसके अलावा पंजाब में ज़्यादातर सिंगर शादियों में भी गाने गाकर पैसे कमाते हैं. इसकी फ़ीस 10 से 40 लाख रुपये तक होती है. एक आंकड़े के मुताबिक एक अच्छा-खासा सिंगर एक साल में क़रीब 75 से 100 इवेंट करता है. कहते हैं कि पंजाब में एक छोटा सिंगर भी एक इवेंट में आसानी से 50 हज़ार रुपये कमा लेता है.

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म्यूज़िक इंडस्ट्री में एक बड़ा नाम टी-सीरीज़ है. टी-सीरीज़ के मुताबिक उसके कुल बिज़नेस का लगभग 40 फ़ीसदी पंजाब के गानों से ही आता है. ख़ास तौर पर यू-ट्यूब से. यू-ट्यूब ने म्यूज़िक इंडस्ट्री को, ख़ास कर पंजाबी म्यूज़िक इंडस्ट्री को एक अलग पहचान और जल्दी पैसा कमाने का एक नया प्लेटफॉर्म दिया है. एक आंकड़े के मुताबिक पंजाब में इस वक़्त क़रीब 400 म्यूज़िक बैंड हैं. जो हर रोज़ 15 से 20 नए गाने रिलीज़ करते हैं. 2019 के एक आंकड़े के मुताबिक अकेले उसी साल पंजाबी म्यूज़िक इंडस्ट्री ने 4000 नए गाने मार्केट में उतारे थे. 

अब ज़ाहिर है कि म्यूज़िक इंडस्ट्री में इतना पैसा होगा, तो गैंग्स ऑफ़ पंजाब की नज़र भी होगी. लेकिन एक अजीब बात ये है कि पंजाब में एक्टिव गैंग्स सिर्फ़ पैसों के लिए सिंगर को धमकाते या उनकी जान नहीं लेते हैं. बल्कि इसके ज़रिए वो ख़ुद को मशहूर भी करना चाहते हैं. दरअसल पंजाबी म्यूज़िक को सुननेवाली एक बड़ी जमात नौजवानों और छात्रों की भी है. पंजाब में एक्टिव हर गैंग इन नौजवानों और छात्रों को सामने रख कर ही उनके पसंदीदा सिंगर को अपना निशाना बनाते हैं. ताकि इसके ज़रिए उनकी पहचान और पहुंच नौजवानों और छात्रों तक हो. पिछले कुछ सालों में पंजाब के गैंगस्टर के बीच एक अजीब सा ट्रेंड चला है. .

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ट्रेंड..ख़ुद को सोशल मीडिया पर हीरो साबित करने का. पंजाब में ऐसा एक भी गैंग नहीं है, जो सोशल मीडिया पर एक्टिव ना हो. जो अपने जुर्मों को सोशल मीडिया पर पोस्ट ना करता हो. जिसके हज़ारों लाखों फॉलोअर्स ना हों. सिद्धू मूसेवाला के क़त्ल को ही ले लीजिए. लॉरेंस विश्नोई गैंग का गोल्डी बराड़ क़त्ल के फ़ौरन बाद बाक़ायदा फ़ेसबुक पर पोस्ट कर इस क़त्ल की ज़िम्मेदारी लेता है.

कैसे बने पंजाब में बड़े गैंग्स?

अब सवाल ये है कि पंजाब में इतने सारे गैंग्स और उस गैंग के मेंबर आते कहां से हैं? तो हाल के सालों पर नज़र दौड़ाएं और पंजाब में एक्टिव हर गैंग और उसके मेंबर को टटोलें, तो एक बात साफ़ हो जाती है. हर गैंग या तो पंजाब के अलग-अलग यूनिवर्सिटी और कॉलेज में पढ़ रहे छात्रों को अपने साथ मिलाने की कोशिश करता है या फिर बेरोज़गार नौजवानों की तरफ़ झूठे सपनों का चारा फेंकता है. पंजाब में शायद ही ऐसी कोई यूनिवर्सिटी या कॉलेज हो, जो किसी ना किसी गैंग के असर से अछूता हो. यहां तक कि छात्र चुनाव में भी अलग-अलग गैंग्स की भागीदारी होती है. 

अब सबसे बड़ा सवाल पंजाब के गैंग्स के बारे में. आख़िर पंजाब में गैंग्स कल्चर कैसे शुरू हुआ? वो कौन-कौन से गैंग हैं, जो इस वक़्त पंजाब में एक्टिव हैं? और पंजाब पुलिस क्यों इन गैंग्स पर नकेल नहीं कस पाती है? तो चलिए सिलसिलेवार इन सवालों के जवाब जानते हैं. 

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यूं तो देश का शायद ही कोई ऐसा राज्य हो, जहां गैंग या गैंगस्टर ना हो. लेकिन पंजाब की कहानी सबसे जुदा है. यहां हर गैंग की कहानी या हर गैंग का जन्म किसी एक क़त्ल से होता है. लेकिन ख़त्म अगले क़त्ल से नहीं होता. बल्कि क़त्ल का सिलसिला बढ़ता ही रहता है. पंजाब इस देश का शायद इकलौता ऐसा राज्य है, जहां एक्टिव ज़्यादातर गैंग के ज़्यादातर मेंबर जेल में हैं. लेकिन फिर भी उनका गैंग ख़त्म या बंद नहीं होता. बल्कि जेल से ही चालू रहता है. यूं तो पूरे पंजाब में इस वक़्त छोटे-बड़े कुल मिलाकर क़रीब 70 गैंग एक्टिव हैं. इन 70 गैंग्स में क़रीब 500 मेंबर हैं. इनमें से लगभग 300 जेल में हैं. पर इन 70 गैंग्स में से जो सबसे ज़्यादा कुख्यात, ख़ौफ़नाक और ख़तरनाक हैं, वो ये आठ गैंग हैं. 

-लॉरेंस विश्नोई गैंग
-जग्गू भगवानपुरिया गैंग
-गोंडर एंड ब्रदर गैंग
-देवेंदर बंबीहा गैंग
-सुक्खा काहलों गैंग
-गुरबख़्श सेवेवाला गैंग
-शेरा ख़ुब्बन गैंग
-सुप्रीत सिंह हैरी छट्टा गैंग
-ग्राफ आउट

पंजाब में हाल के सालों में जितने भी गैंगवार हुए या जितने भी जुर्म हुए उनमें सबसे ज़्यादा हाथ इन्हीं आठ गैंग का रहा. कमाल ये है कि इनमें से ज़्यादातर गैंग के सरगना या तो मारे गए या पकड़े गए और फिलहाल जेल में हैं. मगर जेल के अंदर से ही इनका गैंग वैसे ही काम कर रहा है, जैसे बाहर रह कर करता था. बल्कि यूं कहा जाए कि कई गैंग के सरगना के जेल जाने के बाद ज़्यादा ताक़तवर हुआ तो ग़लत नहीं होगा. तिहाड़ जेल में बंद लॉरेंस बिश्नोई इसकी मिसाल है. लॉरेंस बिश्नोई ही वो गैंगस्टर है, जिस पर इस वक़्त सिद्धू मूसेवाला के क़त्ल के इल्ज़ाम लग रहे हैं. 

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लॉरेंस विश्नोई को जुर्म की दुनिया में आए कई साल हो गए हैं. बड़ा बनने का शौक तो उसे छोटे से ही था. पंजाब के अबोहर में पैदा हुआ लॉरेंस एक पूर्व पुलिस कांस्टेबल का बेटा है. उसने चंडीगढ़ में डीएवी कॉलेज से पढ़ाई की. हालांकि बीए फ़र्स्ट ईयर का इम्तेहान तीन कोशिशों के बावजूद पास नहीं कर पाया. लॉरेंस स्टूडेंट ऑर्गेनाइजेशन ऑफ पंजाब यूनिवर्सिटी यानी सोपू का चुनाव भी लड़ा. मगर हार गया. और इसी हार के साथ पहले विजयी छात्र गुट के साथ झगड़ा और फिर जुर्म की दुनिया में क़दम रखना शुरू किया. देखते ही देखते रंगदारी, वसूली, क़त्ल, हाई-वे रॉबरी, किडनैपिंग के मुक़दमे उसके सर चढ़ते गए और हर मुक़दमे के साथ वो बड़ा बनता गया. लॉरेंस पर इस वक़्त तीस से ज़्यादा मुक़दमे हैं. लॉरेंस कई बार पुलिस हिरासत से भाग चुका है. पहले वो जोधपुर जेल में बंद था. लेकिन अब दिल्ली की तिहाड़ जेल में. पिछले सात सालों से लॉरेंस जेल में है. मगर कहते हैं जब से वो जेल में बंद है, तब से वो और ज़्यादा ताक़तवर हो गया है. कहते हैं लॉरेंस विश्नोई के गैंग में 400 से ज़्यादा लोग हैं.

गोल्डी बराड़ से भी लाॉरेंस का हमेशा ही करीबी नाता रहा. स्टूडेंट पॉलिटिक्स के ज़माने से ही दोनों की दोस्ती हुई. गोल्डी बराड़ ने पंजाब और पंजाब के बाहर कई क़त्ल करवाए. इसमें लॉरेंस बिश्नोई ने भी उसकी मदद की. फिर जब पुलिस उसके पीछे पड़ी, तो वो भाग कर कनाडा चला गया. लेकिन लॉरेंस के संपर्क में अब भी था. कहते हैं 2015 में जब लॉरेंस पकड़ा गया और जेल गया, तब से ही जेल के बाहर का सारा काम गोल्डी बराड़ को सौंप दिया. कनाडा में बैठा गोल्डी बराड़ इस वक़्त लॉरेंस बिश्नोई का सबसे भरोसेमंद और मज़बूत हाथ है. 

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पंजाब के सक्रिय गैंग्स पर नजर डालें तो उनकी संख्या भी काफी ज्यादा है. अभी सात बड़ी गैंग राज्य में जुर्म की दुनिया का विस्तार कर रही हैं.

जग्गू भगवानपुरिया गैंग

अमृतसर और गुरदासपुर में ये गैंग सबसे ज़्यादा एक्टिव है. किडनैपिंग, वसूली, हाई-वे रॉबरी, इस गैंग का ख़ास पेशा है. हालांकि गैंग के चीफ़ जग्गू भगवानपुरिया को 2015 में ही पुलिस ने गिरफ़्तार कर लिया था. तब से वो जेल में है. लेकिन जेल के बाद उसका साम्राज्य आज भी कायम है. इस गैंग का रिश्ता सुक्खा काहलों गैंग से भी बेहद क़रीबी है.

गोंडर एंड ब्रदर गैंग

पंजाब के सबसे खतरनाक गैंगस्टर में से एक है ये. नाम है विक्की गोंडर. ये वही विक्की गोंडर है, जिसने पंजाब के एक और नामचीन गैंगस्टर सुक्खा काहलों को पुलिस हिरासत में दिन दहाड़े मार डाला था. इसी गैंग पर पंजाबी सिंगर मनकीरत औलख को धमकी देने का भी इल्ज़ाम है. 

देवेंदर बंबीहा गैंग

एक वक़्त था, जब देवेंदर बंबीहा गैंग के नाम से हर गैंगस्टर कांपा करता था. हालांकि 2016 में पुलिस एनकाउंटर में बंबीहा मारा गया. लेकिन इसका गैंग आज भी एक्टिव है. कहते हैं सिद्धू मूसेवाला की देवेंदर बंबीहा से नज़दीकियां थीं. और लॉरेंस बिश्नोई देवेंदर का दुश्मन. मूसेवाला ने अपने एक अल्बम का नाम भी बंबीहा रखा था. 

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सुक्खा काहलों गैंग

पंजाब का ये वो गैंगस्टर था, जिसके सोशल मीडिया पर सबसे ज़्यादा फॉलोअर थे. जेल में रहते हुए जेल के अंदर से ना जाने कितने ही फोटो और वीडियो पोस्ट किए. ये कई बार जेल से भागा भी. एक वक़्त था जब इसकी तूती बोला करती थी. लेकिन बेहद कम वक़्त में विक्की गोंडर गैंग ने अदालत से जेल लौटते वक़्त बाक़ायदा पुलिस हिरासत में सुक्खा काहलों को मौत के घाट उतार दिया. लेकिन उसकी मौत के बावजूद उसका गैंग अब भी एक्टिव है. सोशल मीडिया पर अब भी कई पेज उसके नाम पर हैं. (एक पेज निकाल कर लगाएं)

गुरबख़्श सेवेवाला गैंग

पंजाब के मालवा, हरियाणा और राजस्थान में क़त्ल, लूट, किडनैपिंग और फिरौती के लिए ये गैंग बदनाम है. इस गैंग का सरगना रंजीत सेवेवाला था. 2015 में वो मारा गया. उसके बाद उसका भाई गुरबख़्श सिंह अब इस गैंग को चला रहा है. कहते हैं देवेंदर बंबीहा की मौत के बाद उस गैंग के ज़्यादातर सदस्य सेवेवाला गैंग में शामिल हो गए.  हालांकि ख़ुद गुरबख्श 2017 में पकड़ा गया, लेकिन बाकी गैंग की तरह वो भी जेल से ही अब अपना गैंग चला रहा है.

शेरा ख़ुब्बन गैंग

शेरा और ख़ुब्बन दो सरगना थे इस गैंग के. डकैती, मर्डर, वसूली और हाई-वे पर लूटपाट, इस गैंग का ख़ास काम था. दर्जनों केस इस गैंग के सर थे. पर बाद में दोनों सरगना मारे गए. हालांकि इस गैंग के बाक़ी बदमाश अब भी इस गैंग को एक्टिव बनाए हुए हैं.

सुप्रीत सिंह हैरी छट्टा गैंग

बटाला का सुप्रीत सिंह उर्फ़ छट्टा इस गैंग का लीडर है. ये पंजाब में ख़ास तौर पर माझा और यूपी में एक्टिव है. इस गैंग का दूसरा कुख्यात मेंबर है गोपी घनश्यामपुरिया. ये दोनों ही मोस्ट वॉन्टेड की लिस्ट में पंजाब में बहुत ऊपर हैं. कहते हैं नवंबर 2016 में नाभा जेल ब्रेक में भी इस गैंग का हाथ था. 

पंजाब में गैंग्स के इतिहास को देखते हुए ये तय है कि सिद्धू मूसेवाला के क़त्ल के बाद एक और गैंगवार होगा. इस क़त्ल का बदला लेने के लिए. और ये बाद पंजाब पुलिस को भी अच्छी तरह पता है. पंजाब में इसी गैंगवॉर को देखते हुए पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पंजाब पुलिस के अंदर ऑर्गेनाइज्ड क्राइम कंट्रोल यूनिट नाम से एक नई टीम बनाई थी. जिसका काम सिर्फ़ और सिर्फ गैंग और गैंगस्टर से ही निपटना था. अब भगवंत मान की नई सरकार ने भी गैंग और गैंगस्टर से निपटने के लिए ख़ास एंटी गैंगस्टर टास्क फोर्स का गठन किया है.

पंजाब की कुल आबादी लगभग 3 करोड़ है. यानी देश की आबादी की महज़ 2 फ़ीसदी आबादी पंजाब में रहती है. लेकिन इसके बावजूद देश में सबसे ज़्यादा हथियारों का इस्तेमाल पंजाब में होता है. जनवरी 2022 की एक रिपोर्ट के मुताबिक देश भर में क़रीब 40 लाख लाइसेंसी बंदूकें थीं. जबकि अकेले पंजाब में 3 लाख 90 हज़ार लाइसेंसी बंदकें हैं. यानी देश दस फ़ीसदी लाइसेंसी बंदूकें सिर्फ़ पंजाब में ही हैं. ये तो लाइसेंसी बंदूकों की बात हुई. ग़ैर लाइसेंसी यानी अवैध हथियारों की तो कोई गिनती ही नहीं है.

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