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गाजा में सीजफायर से पहले इजरायली हमले में 100 फिलिस्तीनियों की मौत, हमास से समझौता टूटने का खतरा

गाजा में हमास और इजरायल के बीच चल रही जंग चार दिनों के लिए थमने वाली है. गुरुवार सुबह 10 बजे से सीजफायर का ऐलान किया गया है. लेकिन इसी बीच नॉर्थ गाजा से एक बड़ी खबर आ रही है. इजरायली सेना ने अस्पताल और रिफ्यूजी कैंप के आसपास लगातार हमले कर रही है. इसमें 100 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं.

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हमास और इजरायल के बीच चल रही जंग चार दिनों के लिए थमने वाली है.
हमास और इजरायल के बीच चल रही जंग चार दिनों के लिए थमने वाली है.

गाजा में चल रही भीषण जंग कुछ दिनों के लिए थमने जा रही है. हमास और इजरायल ने आपसी सहमति से सीजफायर का ऐलान किया है, जो गुरुवार सुबह 10 बजे से शुरू होकर अगले चार दिनों तक चलेगा. इस दौरान हमास और इजरायल एक-दूसरे के बंधकों को छोड़ेंगे. लेकिन इससे पहले फिलिस्तीन ने इजरायली सेना पर सनसनीखेज आरोप लगाया है. फिलिस्तीनी विदेश मंत्री रियाद अल-मलिकी ने कहा है कि मंगलवार की देर रात से आईडीएफ ने हमले तेज कर दिए हैं. अस्पतालों और रिफ्यूजी कैंपों को निशाना बनाया जा रहा है. इस दौरान इनके आसपास हुए हमलों में 100 से अधिक फिलिस्तीनी मारे गए हैं. इनमें 52 लोग तो एक ही परिवार में रहने वाले थे.

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फिलिस्तीनी विदेश मंत्री ने लंदन में अरब देशों के विदेश मंत्रियों की एक ब्रीफिंग में कहा, ''बुधवार सुबह ही, नॉर्थ गाजा के जबालिया के कदौरा में एक ही परिवार के 52 लोगों को पूरी तरह से मिटा दिया गया. उन्हें इजरायल ने मार डाला.'' ऐसे में सवाल उठता है कि इस तरह के हमलों के बाद क्या हमास सीजफायर को जारी रखेगा? क्या फिलिस्तीनियों से जारी झड़प का असर बंधकों की रिहाई के समझौते पर हो सकता है? ये चिंता अमेरिका समेत कई देशों को भी सता रही है, जिनके बंधक इस वक्त हमास के कब्जे में हैं. इस समय अमेरिका के 9, थाईलैंड के 23, अर्जेंटीना के 15, जर्मनी के 12, फ्रांस के 6 और रूस के 6 नागरिक बंधक हैं. कुल 240 बंधक हमास के कब्जे में हैं.

इजरायल ने बंधकों की रिहाई के बदले चार दिन के युद्धविराम को मंजूरी दी है. पहले चरण में हमास 50 बंधकों को छोड़ेगा जिनमें ज्यादातर महिलाएं और बच्चे हैं. इसके बदले में इजरायल अपनी जेलों में बंद 300 फिलिस्तीनियों को रिहा करने पर सहमत हुआ है. लेकिन पहली किश्त में वो 150 फिलिस्तीनियों को ही रिहा करेगा. बंधक सौदे को लेकर जहां कुछ अड़चनें अब भी हैं, वहीं इस सौदे की इनसाइड स्टोरी बेहद दिलचस्प है. हमास ने जिस दिन इजरायल पर हमला किया था, यानी 7 अक्टूबर को, उसी दिन कतर ने बंधकों की रिहाई को लेकर एक सेल बना दिया था. इसमें तीन देशों के प्रतिनिधि शामिल थे. अमेरिका, इजरायल और कतर के प्रतिनिधि इस सेल का हिस्सा थे.

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इजरायली सेना के हमलों से बढ़ गई थी तल्खी

सबसे पहले अमेरिका ने कदम उठाया और उसने बंधकों की रिहाई के लिए कतर से बातचीत शुरू कर दी. अमेरिका इतनी तेजी से एक्शन में आया कि बंधकों के परिजनों से इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से पहले बातचीत कर ली. उन्हें भरोसा दिया कि बंधकों को रिहा करा लिया जाएगा. 20 अक्टूबर को 2 बुजुर्ग महिलाओं को हमास ने छोड़ा था. ये दरअसल बुधवार को हुए समझौते का पायलट प्रोसेस था. अमेरिका देखना चाहता था कि कतर हमास पर दबाव डालकर बंधकों को छुड़ा पाता है या नहीं. जब दोनों महिलाएं रिहा हो गईं तो भरोसा बढ़ा. 25 अक्टूबर को चरणबद्ध रिहाई पर पहली गंभीर बातचीत हुई. लेकिन उसके बाद इजरायल के हमलों से तल्खी बढ़ गई.

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crime

आखिर क्यों हमास को कदम पीछे खींचने पड़े?

आखिरकार बाइडेन ने सीधे कतर के अमीर से बात की और 17 नवंबर को हुई बातचीत में पूरा दबाव बनाया. अगले 48 घंटे में बातचीत निर्णायक दौर में पहुंच गई. अमेरिका ने अपने खास दूत को नेतन्याहू से मिलने भेजा. इसके बाद 21 नवंबर को इजरायली कैबिनेट ने भी बंधक समझौते को हरी झंडी दे दी. इस समझौते के तहत जो हमास 47 दिन में सिर्फ चार बंधक छोड पाया वो अगले चार दिन में 50 बंधक रिहा करेगा. अब सवाल ये भी है कि आखिर क्यों हमास को कदम पीछे खींचने पड़े? अब तक लाखों लोगों को अपनी ढाल की तरह इस्तेमाल कर रहा हमास क्यों पीछे हट रहा है? इसके पीछे है इजरायल की सैन्य ताकत, जिसका सामना हमास के आतंकी पिछले 47 दिनों से कर रहे हैं.

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इजरायली सेना के हमलों से दहल गया हमास

पहले इजरायल ने गाजा पर अपनी सरहद में रहते हुए ही टैंकों और जंगी जहाजों से बेशुमार बम बरसाए. अपने सैनिकों को महफूज रखते हुए इजरायल ने दूर से हमले किए. इसके बाद बारी आई गाजा के भीतर घुसकर जमीनी हमले करने की. टैंक धड़धड़ाते हुए गाजा के भीतर दाखिल होने लगे. एक दो दस बीस नहीं सैकड़ो मरकावा टैंकों ने गाजा की धरती को रौंद डाला. घर के भीतर घुसकर ऐसे हमले किए कि हमास भी दहल गया. इजरायल ने किसी को नहीं बख्शा. हर उस ठिकाने पर हमले किए जहां हमास के आतंकियों के छुपे होने का शक था. पहले गाजा की एक इमारत पर इजरायली झंडा लहरा, फिर हमास की संसद से लेकर सिटी सेंटर हर जगह इजरायल का झंडा शान से लहरा गया.

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इजरायल ने हमास को ऐसे किया है कमजोर

इजरायल ने हर जगह हमले किए चाहे वो अस्पताल हो या फिर रिफ्यूजी सेंटर. मस्जिद हो या फिर स्कूल. हर जगह इजरायल ने भीषण हमले किए. इजरायल ने हमास के कई लडाकों को ढेर किया. कई कमांडर मारे गए. हमास के लड़ाके ईंधन के लिए जूझने लगे. बिजली पानी तक का संकट हो गया. लोगों के मरने वालों की संख्या 14000 के पार हो गई है. 10 हजार इमारतें गिर चुकी हैं. 43 हजार घर जमींदोज हो चुके हैं. 300 स्कूल कॉलेज तबाह हुए हैं. 25 अस्पताल हमलों के बाद बंद हो गए हैं. इजरायल ने अल शिफा अस्पताल पर भी हमले किए. इस अस्पताल के नीचे हमास ने सुरंग बना रखी थी. इजरायल ने हमास को पूरी तरह कमजोर कर दिया है. इसका नतीजा युद्धविराम है.

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दुनिया जानती है हमास की असली हकीकत 

विदेश नागिरकों को बंधक बनाए जाने की वजह से ही दुनिया के कई देश खासकर यूरोपिया देश लगातार बंधकों की रिहाई की कोशिश कर रहे थे. हमास ने हालांकि अब तक चार बंधकों को रिहा भी किया है. इस दौरान उसने ये जताने की भी कोशिश की थी कि वो बंधकों का खयाल रख रहा है. पहले 17 एक्टूबर को इजरायल की दो बुजुर्ग महिलाओं को छोडा गया. इनके नाम नूरित कूपर और योचेवेद लिफशिट्ज थे. इसके बाद 20 अक्टूबर को फिर दो अमेरिकी महिलाओं की रिहाई हुई थी. इनके नाम जूडिथ रानन और नतेली थे. इस दौरान हमास के आतंकी इन महिलाओं को कुछ खिलाते दिखे थे. लेकिन ये सारी कवायद अपनी छवि बनाने की थी. उनकी असल हकीकत दुनिया जानती है.

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