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एक शख्स को एक कत्ल करना था, लेकिन वो ये कत्ल किराए के कातिल से कराना चाहता था. उस शख्स ने किराए का कातिल तलाशने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया. और कुछ वक्त में ही उसकी ये तलाश पूरी हो गई. उसे किराए का कातिल मिल गया. फिर ऑनलाइन ही कत्ल का प्लान और सुपारी की रकम भी तय हो गई. और फिर उस कातिल ने कत्ल की वारदात को अंजाम दे डाला. मगर कत्ल की वजह जानकर हर कोई हैरान रह गया.
वो सोशल मीडिया पर बड़ी तेज़ी से सुपारी किलर्स की तलाश कर रहे थे. कभी वो गूगल पर सुपारी किलर्स टाइप कर किसी किराये के कातिल को ढूंढ रहे थे, कभी किसी और एप पर सस्ते में काम कर देनेवाले किसी सुपारी किलर्स का ग्रुप लिंक खोज रहे थे. इसी कोशिश में उनकी नजर सोशल मीडिया पर मौजूद एक ऐसी पोस्ट पर गई, जिसे देख कर उन्हें लगा कि अब उनकी तलाश पूरी हो गई.
यू-ट्यूब पर अजीत किंग के नाम के एक ग्रुप की तरफ से एक वीडियो डाली गई थी. जिसमें लिखा था 'अगर किसी को कोई परेशानी हो तो संपर्क करें. मर्डर, किडनैपिंग, लूट और चोरी करवानी हो, तो संपर्क करें."
यू-ट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म पर पोस्ट की गई वीडियो में लिखी ये पंक्तियां अपने आप में एक अजीब बात थी. कोई और होता तो शायद इन पंक्तियों को मजाक समझता लेकिन उन्हें तो पैसों की तलब इतनी ज्यादा लगी थी कि हर कोई सुपारी किलर नजर आ रहा था. और यहां तो अजीत किंग ग्रुप की ओर से खुलेआम सोशल मीडिया पर ये पोस्ट डाली गई थी.
22 जुलाई 2022, सुबह 7 बजे, शिवपुरी, मध्यप्रदेश
सोशल मीडिया पर जारी इस तलाशी अभियान के ठीक 6 दिन बाद मध्य प्रदेश के शिवपुरी में एक चौंकानेवाली वारदात हुई. 55 साल के किराना कारोबारी महेश गुप्ता को गुमनाम कातिलों ने तब घर में घुस कर गोली मार दी, जब वो रात को अपने कमरे में सो रहे थे. रात में किसी को इस वारदात का पता भी नहीं चला, लेकिन जब सुबह घरवालों ने महेश गुप्ता की गोली लगी हुई लाश देखी, तो पूरे परिवार में कोहराम मच गया.
आख़िर ऐसा कैसे मुमकिन था कि कोई रात में घुस कर किसी की गोली मार कर जान ले ले और घर में सो रहे दूसरे लोगों को कानों-कान इसकी खबर तक ना हो. खास कर ये बात तब और हैरान करनेवाली थी, जब परिवार के लोग रात को घर का दरवाजा बंद करके सोये हों लेकिन चूंकि मामला कत्ल का था, तो शिवपुरी पुलिस ने फौरन मामले की छानबीन शुरू कर दी. महेश गुप्ता की लाश को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए भिजवाया गया.
मृतक के घरवालों से पूछताछ
पुलिस ने थोडे इंतज़ार के बाद गुप्ता के परिवारवालों से पूछताछ शुरू कर दी. पुलिस को सबसे ज्यादा हैरानी इसी बात पर थी कि आखिर घर का दरवाजा बंद होने के बावजूद कातिल महेश गुप्ता के कमरे तक कैसे पहुंचे और चुपचाप उन्हें गोली मार कर कैसे निकल गए. ये बात इसलिए भी खटकनेवाली थी, क्योंकि महेश गुप्ता की किसी से कोई बड़ी दुश्मनी भी नहीं थी कि कोई उन्हें घर में घुस कर गोली मार कर जाता.
महेश गुप्ता के बेटे पर शक
उधर, महेश गुप्ता का बेटा अंकित गुप्ता पुलिस से बातें कम कर रहा था, रो ज्यादा रहा था. रात को गोली चलने की आवाज़ के सिलसिले में पूछने पर अंकित ने जवाब दिया कि उन्हें लगा कि शायद आसमान में बिजली कड़की होगी. हालांकि बंद घर के अंदर कातिल के घुस आने को लेकर अंकित के पास कोई पुख्ता जवाब नहीं था. कुल मिलाकर, महेश गुप्ता की मौत के मामले में पुलिस का शक अब उनके बेटे अंकित गुप्ता पर ही गहराने लगा था.
सख्त पूछताछ में कत्ल का खुलासा
पुलिस ने इसी शक के आधार पर पहले तो अंकित गुप्ता को हिरासत में लिया और उसके मोबाइल फोन और कॉल डिटेल रिकॉर्ड यानी सीडीआर की भी जांच शुरू कर दी. इस कडी में पुलिस ने देखा कि अंकित गुप्ता कि पिछले कुछ दिनों से एक अंजान नंबर से लगातार बातचीत हो रही थी और कत्ल वाली रात से पहले भी 21 जुलाई को भी उसने इस नंबर पर बात की थी. पुलिस ने जब महेश गुप्ता के बेटे अंकित से इस नंबर को लेकर सवाल पूछे तो उससे जवाब देते नहीं बना और आखिरकार उसने कबूल कर लिया कि अपने पिता के कत्ल के पीछे उसी का हाथ है.
हैरान करनेवाली थी कत्ल की वजह
अंकित ने आगे पुलिस को बताया कि ये कत्ल उसने बिहार से बुलाए गए एक सुपारी किलर को एक लाख रुपये देने के बदले में करवाया है. लेकिन अब सवाल ये था कि आखिर एक बेटे ने अपने ही पिता का कत्ल सुपारी किलर्स के हाथों क्यों करवा दिया? अपने पिता से उसकी ऐसी क्या दुश्मनी थी? गिरफ्तार अंकित गुप्ता ने इस कत्ल के पीछे की जो कहानी सुनाई, वो हैरान करनेवाली थी.
नाबालिग दोस्त संग मिलकर रची खूनी साजिश
असल में अंकित गुप्ता को शराब और जुए की लत थी. यानी वो कमाता कम था, गंवाता ज़्यादा. ऐसे में पैसों को लेकर अक्सर उसकी अपने ही पिता महेश गुप्ता से कहासुनी भी होती रहती थी. अंकित के साथ उसका एक नाबालिग दोस्त भी था, जो अपनी ऐसी ही आदतों का शिकार था. उसे भी हमेशा पैसों की जरूरत रहती थी. ऐसे में अंकित ने अपने नाबालिग दोस्त के साथ मिलकर एक प्लानिंग की.
अपहरण का प्लान
दोनों ने रुपयों की खातिर शहर के ही एक बड़े केमिस्ट यानी दवा दुकानदार के अपहरण की साज़िश रची लेकिन चूंकि उन्होंने ऐसा काम पहले नहीं किया था, इसलिए उन्होंने सोचा कि वो किसी सुपारी किलर को रुपये देकर केमिस्ट का अपहरण करवा लेंगे और रुपये वसूलने के बाद एक हिस्सा सुपारी किलर को देकर और बाकी अपने पास रख लेंगे.
सोशल मीडिया पर मिला सुपारी किलर
कुछ इसी सोच के साथ दोनों ने सोशल मीडिया पर सुपारी किलर्स की तलाश शुरू कर दी और उनकी ये तलाश पूरी हुई, अजीत किंग नाम के एक बदमाश के उस पोस्ट के साथ, जिसमें उसने जुर्म की वारदातों को अंजाम दिलाने के लिए बाकायदा सोशल मीडिया में पोस्ट की सूरत में ठेका लेने की बात कही थी. अब दोनों ने सोशल मीडिया के जरिए ही इस सुपारी किलर से संपर्क साधा. अजीत चौहान नाम के इस सुपारी किलर का ताल्लुक बिहार से था. अजीत की उम्र महज 19 साल की है, लेकिन पुलिस की मानें तो उसने यूपी, बिहार और हरियाणा जैसे राज्यों में अपने जुर्म का नेटवर्क फैला रखा था.
ऐसे फेल हुआ किडनैपिंग का प्लान
अंकित और उसके दोस्त के बुलावे पर अजीत चौहान बिहार से पहले झांसी पहुंचा और झांसी में दोनों बाइक पर सुपारी किलर अजीत को लेने पहुंचे. दोनों अजीत को शिवपुरी लेकर आए और एडवांस के तौर पर दस हजार रुपये भी चुका दिए. किडनैपिंग की ये डील पूरे एक लाख रुपये में हुई थी. शिवपुरी आने के बाद सुपारी किलर एक लाख रुपये लेने के बाद ही किडनैपिंग करने की बात पर अड़ गया. चूंकि दोनों के पास तब एक लाख रुपये नहीं थे, तो किडनैपिंग की प्लानिंग खटाई में पड़ गई. अब सुपारी किलर ने नई जिद पकड़ ली, उसने कहा कि अब वो बिहार से इतनी दूर आया है, तो बगैर कोई काम किए नहीं लौटेगा. उसे पैसों की जरूरत है, फिर चाहे अंकित और उसका दोस्त चाहे तो उससे कोई दूसरा काम करवा ले.
पिता के कत्ल की साजिश
इस पर अंकित और उसके नाबालिग दोस्त ने दिमाग लगाया. अंकित का एक भाई फौजी था. जिसने कुछ साल पहले खुदकुशी कर जान दे दी थी. उसकी मौत के बाद अंकित के पिता महेश गुप्ता को इंश्योरेंस के 1 करोड़ रुपये मिले थे. शराबी अंकित की नज़र इन रुपयों पर थी. तब अंकित और उसके दोस्त नितिन ने मिल कर आनन-फानन में इस एक करोड़ रुपये को हड़पने के लिए अपने ही पिता की हत्या करवाने की साज़िश रच ली. उसने अजीत चौहान से कहा कि अगर वो उसके पिता का कत्ल कर दे, तो पिता के पास मौजूद एक करोड़ रुपये में से वो उसका हिस्सा उसे देगा और उनके पैसों की परेशानी भी दूर हो जाएगी.
गोली मारकर महेश गुप्ता की हत्या
वारदात वाली रात अंकित ने साजिशन अपने पिता को मकान की तीसरी मंजिल पर बने कमरे में सुला दिया था. जबकि खुद नीचे सो गया. उसने सुपारी किलर से बात कर रात के वक्त घर का दरवाजा खुला छोड़ दिया, ताकि सुपारी किलर असानी से अंदर आकर अपना काम कर फरार हो जाए, ऐसा ही हुआ. कातिल घर के अंदर घुस आया और उसने तीसरी मंजिल पर सो रहे महेश गुप्ता को गोली मार दी और फरार हो गया.
गोरखपुर से पकड़ा गया सुपारी किलर
लेकिन बंद घर में घुस कर कातिल का महेश गुप्ता को गोली मार कर फरार हो जाना ही इस केस के सुलझने की वजह बन गया. पुलिस ने जब महेश गुप्ता के बेटे से इस सिलसिले में सवाल किए, तो वो कोई पुख्ता जवाब नहीं दे सका. इसके बाद पुलिस ने एक-एक कर अंकित गुप्ता के नाबालिग दोस्त और सुपारी किलर अजीत चौहान को भी गिरफ्तार कर लिया. अजीत वारदात को अंजाम देने के बाद गोरखपुर भाग चुका था. पुलिस ने वहां दबिश देकर उसे गिरफ्तार कर लिया.