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प्रेमी से मर्डरर और फिर कैसे हैवान बनता चला गया आफताब... श्रद्धा वॉल्कर के कत्ल की खौफनाक दास्तान

दो करोड़ लोगों और 90 हज़ार पुलिसवालों को अनदेखा कर एक शख्स बेखौफ दिल्ली भर में घूम घूमकर पूरे 18 दिनों तक एक लाश के टुकड़ों को फेंकता रहा. और किसी को भनक और बू तक नहीं लगी. ये दिल्ली शहर की पुलिस और पुलिस के खौफ पर एक गंभीर सवाल है.

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श्रद्धा वॉल्कर अपने प्रेमी आफताब अमीन पूनावाला के साथ ही शादी करना चाहती थी
श्रद्धा वॉल्कर अपने प्रेमी आफताब अमीन पूनावाला के साथ ही शादी करना चाहती थी

अमूमन हर घर में फ्रिज होता है. उस घर में भी एक फ्रिज था. फ्रिज में खाने का सामान, पीने का पानी और दूध के साथ एक लाश के कुछ टुकड़े भी रखे थे. फ्रिज का मालिक हर दिन उसी फ्रिज से खाने का सामान निकलता, पानी निकालकर पीता और उसमें रखे दूध से ही चाय बनाता था. फिर आधी रात के वक्त उसी फ्रिज से लाश का एक टुकड़ा निकालता और दिल्ली की सड़कों पर निकल पड़ता. पूरे 18 दिनों तक वो ऐसा ही करता रहा. और पूरे 6 महीने तक उसने ये राज जमाने से छुपाए रखा. और जब उस फ्रिज और फ्रिज के मालिक का राज फाश हुआ तो हर कोई हैरान रह गया. जानिए इस दिल दहला देने वाले इस खौफनाक कांड की पूरी कहानी.

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दिल्ली पुलिस पर सवाल
देश की राजधानी दिल्ली में क़रीब दो करोड़ लोग रहते हैं. देश के सबसे ताकतवर लोगों का बसेरा भी यहीं है. इन दो करोड़ लोगों की हिफाजत के लिए लगभग 90 हज़ार पुलिसवाले हैं. दिल्ली का ऐसा कोई कोना नहीं जो पुलिसवालों से खाली हो. मगर इन्हीं दो करोड़ लोगों और 90 हज़ार पुलिसवालों को अनदेखा कर एक शख्स बेखौफ दिल्ली भर में घूम घूमकर पूरे 18 दिनों तक एक लाश के टुकड़ों को फेंकता रहा. और किसी को भनक और बू तक नहीं लगी. 

मुंबई से शुरू, दिल्ली में खत्म लव स्टोरी
ये दिल्ली शहर की पुलिस और पुलिस के खौफ पर एक गंभीर सवाल है. गंभीर इसलिए कि दिल्ली का न होकर भी मुंबई से हज़ार किलोमीटर दूर अनजान दिल्ली में आकर एक नौजवान इतना बेखौफ है कि इसी दिल्ली में पहले क़त्ल करता है फिर 18 दिनों तक लाश के टुकड़े लेकर पूरी दिल्ली में घूमता रहता है और फिर काम खत्म हो जाने के बावजूद वो दिल्ली से भागता नहीं बल्कि इसी दिल्ली में बेखौफ रहता है. ये कहानी दिल्ली में खत्म जरूर हुई मगर कहानी शुरू होती है मायानगरी मुंबई से.

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साल 2018, मलाड, मुंबई
25 साल की श्रद्धा विकास वॉल्कर नौकरी की तलाश में पहली बार मुंबई आती है. वो महाराष्ट्र के पालघर में ही अपनी मां-पिता और भाई को छोड़कर मुंबई आती है. श्रद्धा के पिता विकास मदन वॉल्कर पालघर में इलेक्ट्रॉनिक सामान की एक दुकान और सर्विस का काम करते थे. मदन वॉल्कर 2016 से ही अपने परिवार से अलग रह रहे थे. उनके परिवार में बेटी श्रद्धा के अलावा पत्नी सुमन और 23 साल का एक बेटा श्रीजय है. 2018 में मुंबई आने के बाद श्रद्धा को मलाड में एक मल्टीनेशनल कंपनी के कॉल सेंटर में नौकरी मिल जाती है. इसी कॉल सेंटर में 30 साल का आफताब अमीन पूनावाला भी नौकरी कर रहा था. यहीं श्रद्धा और आफताब की पहली बार मुलाकात होती है. 

आफताब से शादी की जिद
करीब 8-9 महीने की मुलाकात के बाद दोनों में प्यार हो जाता है. 2019 की शुरुआत में श्रद्धा और आफताब फैसला करते हैं कि अब वो अलग-अलग रहने की बजाए एक साथ लिव इन में रहेंगे. इसी के बाद दोनों मलाड में किराए का एक घर ले लेते हैं. लिवइन में रहने के कुछ दिन बाद ही श्रद्धा एक रोज अपनी मां को आफताब के बारे में सारा सच बता देती है. मां से होते हुए ये बात बाप तक पहुंचती है. दोनों आफताब के साथ श्रद्धा के रिश्ते का विरोध करते हैं. बातचीत के लिए श्रद्धा को पालघर बुलाते हैं. श्रद्धा पालघर आती है. मगर मां बाप के समझाने के बावजूद वो आफताब के साथ लिव इन में रहने और उसी से शादी करने की जिद पर अड़ी रहती है. 

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श्रद्धा की मां सुमन का देहांत
मां बाप के गुस्सा करने पर आखिरकार श्रद्धा घर से अपना सारा सामान उठाती है और ये कहकर चली जाती है कि अब ये समझ लेना कि आज से आपकी कोई बेटी ही नहीं है. अब कुछ वक़्त तक श्रद्धा और उसके घरवाले एक दूसरे से दूरी बना लेते हैं. मगर श्रद्धा के दोस्तों श्रद्धा के फेसबुक और उसके वॉट्सएप स्टेटस से श्रद्धा के मां बाप को लगातार उसके बारे में जानकारी मिल रही थी. इसी दौरान 23 जनवरी 2020 को श्रद्धा की मां सुमन की मौत हो जाती है. मौत से पहले सुमन बीच बीच में अपनी बेटी से फोन पर बात किया करती है. मां की मौत की खबर सुनकर वो पालघर आती है. लेकिन फिर सारी रस्में निभाकर वापस मुंबई आफताब के पास चली जाती है.

श्रद्धा ने नहीं मानी थी पिता की बात
मौत से पहले श्रद्धा की मां सुमन ने अपने पति को बताया था कि आफताब सुमन से मारपीट करता है. उससे झगड़ा करता है. मां ने समझाया भी था कि अब आफताब को छोड़ दे. लेकिन तब श्रद्धा ने कहा कि आफताब ने माफी मांग ली है और वो सुधर गया है. मां की मौत के बाद श्रद्धा ने अगले 15-20 दिनों में अपने पिता से कुल दो बार फोन पर बात की थी. पिता ने बताया कि तब भी उसने ये कहा था कि आफताब उसे मारता पीटता है. तब पिता ने भी उससे रिश्ता तोड़ लेने की बात कही थी, लेकिन वो नहीं मानी. इसके बाद अगले करीब दो साल तक बाप बेटी में कोई बात नहीं हुई. अलबत्ता श्रद्धा के पिता उसके दोस्तों से बीच बीच में उसकी खैरियत लेते रहते थे.

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8 मई 2022
श्रद्धा और आफताब पूनावाला अब मुंबई छोड़कर दिल्ली आ जाते हैं. इसकी दो वजह थीं. एक श्रद्धा के साथ-साथ आफताब का परिवार भी इस रिश्ते के खिलाफ था. दूसरा दिल्ली में बेहतर नौकरी की उम्मीद थी. दिल्ली आने के बाद दोनों पहली रात पहाड़गंज के एक होटल में गुजारते हैं. फिर अगले दिन सैजदुल्लाजाब के एक होटल में ठहरते हैं. फिर तीसरे रोज दोनों अपने कॉमन फ्रेंड के साथ उसके घर पर छतरपुर में रुकते हैं. फिर कुछ दिन बाद छतरपुर में ही एक घर किराए पर ले लेते हैं. यही वो घर है, जिसका पता है- D-93/1 छतरपुर. दिल्ली आने के बाद श्रद्धा नौकरी की तलाश शुरू करती है जबकि आफताब को एक कॉल सेंटर में काम मिल चुका था.

दो महीने से बंद था श्रद्धा का मोबाइल
श्रद्धा से उसके पिता या भाई की अरसे से बात नहीं हो रही थी. पर श्रद्धा के दोस्तों के जरिए उन्हें ये पता चल चुका था कि दोनों अब दिल्ली में हैं और छतरपुर में कहीं रह रहे हैं. इसी दौरान 14 सितंबर को श्रद्धा के भाई श्रीजय को श्रद्धा के दोस्त लक्ष्मण नाडर ने फोन कर बताया कि पिछले दो महीने से श्रद्धा का मोबाइल बंद है. क्या तुम्हारे पास उसका कोई फोन आया. ये सुनकर श्रद्धा के पिता ने लक्ष्मण को फोन मिलाया और उससे अपनी बेटी के बारे में पूछा. लक्ष्मण ने बताया कि अमूमन हर दो तीन दिन में श्रद्धा से उसकी बात होती रहती थी. लेकिन इधर पिछले दो ढाई महीने से कोई बात नहीं हुई है. उसका मोबाइल ही बंद है. 

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पालघर पुलिस ने दी थी दिल्ली पुलिस को सूचना
श्रद्धा के पिता ने ये सुनकर श्रद्धा के बाकी दोस्तों को फोन घुमाया. सभी ने यही कहा कि पिछले दो ढाई महीने से श्रद्धा से उनकी कोई बात नहीं हुई है. ये सुनकर श्रद्धा के पिता घबरा गए. सबसे पहले उन्होंने पालघर के मणिकपुर थाने में श्रद्धा की गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखाई. पर चूंकि श्रद्धा दिल्ली के छतरपुर से गायब हुई थी. लिहाजा महाराष्ट्र पुलिस ने रिपोर्ट दिल्ली की महरौली थाने को आगे बढ़ा दी.

9 नवंबर 2022
महरौली पुलिस ने श्रद्धा के पिता विकास वॉल्कर की शिकायत पर श्रद्धा की गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखी. उन्होंने दिल्ली पुलिस को श्रद्धा और आफताब के रिश्ते और दोनों के दिल्ली के छतरपुर में लिव इन में रहने की बात भी बताई. इसी के बाद महरौली पुलिस ने तफ्तीश शुरू की. सबसे पहले पुलिस ने आफताब के फोन में झांकना शुरू किया. पता चला कि आफताब की लोकेशन मई से ही दिल्ली में है. पर इस फोन से ये भी पता चला कि 19 मई के बाद से श्रद्धा का मोबाइल बंद है. ये बात हैरान करने वाली थी. इसी के बाद महरौली पुलिस की टीम आफताब तक जा पहुंची और उससे पूछताछ शुरू की.

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सख्ती करने पर आफताब ने खोला राज
शुरुआत में आफताब पूनावाला पुलिस को एक कहानी सुनाता है. वो कहता है कि श्रद्धा और उसका 19 मई को झगड़ा हुआ था. झगड़े के बाद उसी रोज श्रद्धा घर और उसे छोड़कर चली गई थी. उसने उससे बात करने की काफी कोशिश की. मगर उसका मोबाइल बंद था. हालांकि इस दौरान पुलिस ने छतरपुर में आफताब के घर की तलाशी भी ली थी, लेकिन तब ऐसा कुछ नहीं मिला. जिससे आफताब पर शक होता. लेकिन पूछताछ और सवाल जवाब के दौरान कई बार आफताब अपने ही बयानों को काटता रहा. पुलिस को पता चल गया था कि वो कुछ छुपा रहा है. इसी के बाद जब पुलिस ने सख्ती से पूछताछ शुरू की तो फिर आफताब ने एक ऐसी कहानी सुनाई जो करोड़ की आबादी और 90 हज़ार पुलिस वाली इस दिल्ली में शायद ही इससे पहले सुनी या सुनाई गई हो.

18 मई 2022, डी-93/1 छतरपुर, दिल्ली
वो 18 मई की रात थी, जब आफताब और श्रद्धा का झगड़ा हुआ. झगड़े की वजह वही पुरानी थी. श्रद्धा शादी करना चाहती थी और आफताब पूनावाला हमेशा की तरह टाल रहा था. मगर उस रात झगड़ा इतना बढ़ गया कि गुस्से में आफताब ने श्रद्धा का गला जोर से पकड़ लिया. और तब तक पकड़े रहा जब तक कि वो मर नहीं गई. कत्ल के बाद अब उसने ठंडे दिमाग से लाश को ठिकाने लगाने की साज़िश रचनी शुरू की. पहली रात उसने लाश के साथ उसी घर में गुजारी.

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19 मई 2022, छतरपुर, दिल्ली
अगले रोज यानी 19 मई को दिन में वो लोकल मार्केट की तिलक इलेक्ट्रॉनिक शॉप से एक बड़ा वाला फ्रिज खरीदकर लाता है. साथ ही एक बड़ी आरी भी. घर आने के बाद अब वो बाथरूम में बैठकर लाश के छोटे-छोटे टुकड़े करना शुरू करता है. छोटे-छोटे पॉलिथिन वो पहले ही ला चुका था. पर चूंकि मई का महीना था. गर्मी तेज़ थी. लाश लगभग 24 घंटे पुरानी होने वाली थी, लिहाजा बदबू आनी शुरू हो गई थी. अब वो लाश के टुकड़े करता. बाथरूम साफ करता और बीच-बीच में पूरे घर में परफ्यूम डालता जाता.

फ्रिज में रखता जा रहा था लाश के टुकड़े
लाश के टुकड़ों को वो बारी-बारी से फ्रिज में रख रहा था. उसी फ्रिज में जिसमें उसने पहले से ही पीने का पानी और दूध भी रखा हुआ था. पूरी लाश के टुकड़े एक दिन में हो नहीं सकते थे. इसलिए उसने बाकी टुकड़ों के साथ आधी अधूरी लाश भी फ्रिज में डाल दी. फिर रात को जुमैटो से खाना मंगवाया. खाना खाने के बाद आराम किया. फिर रात ठीक दो बजे वो लाशों के टुकड़ों की पहली किस्त पॉलिथिन में डालकर घर से बाहर निकलता है. पैदल ही महरौली के जंगल की तरफ जाता है. टुकड़े फेंकता है. वापस घर लौट आता है. फिर उसी कमरे में बड़े इत्मिनान से सो जाता है. जिस कमरे में फ्रिज और फ्रिज में लाश रखी थी.

5 जून तक चला लाश को ठिकाने लगाने का सिलसिला
19 मई को शुरू हुआ ये सिलसिला अगले 18 दिनों यानी 5 जून तक लगातार इसी तरह चलता रहा. इन 18 दिनों में हर रात आफताब ठीक दो बजे पॉलिथिन में पैक श्रद्धा की लाश के टुकड़ों को लेकर घर से निकलता और कहीं सूनसान जगह पर फेंक कर चला आता. उसने टुकड़े कभी भी एक ही इलाके में एक ही जगह पर नहीं फेंके. बल्कि हमेशा अलग-अलग इलाका चुना और अलग-अलग जगह. ताकि लाश के टुकड़े कहीं मिल भी जाएं तो लाश की असलियत न खुल पाए. इन पूरे 18 दिनों में आफताब कभी किसी पड़ोसी से नहीं मिला और न ही उनसे बात की.

जंगल में लाश के अवशेष तलाश रही है पुलिस
आफताब ने अपनी कहानी तो सुना दी अब बारी महरौली पुलिस की थी. 18 दिनों में फेंके गए उन टुकड़ों को समेटने की बारी. आफताब की निशानदेही पर पुलिस अब तक कई जगह पर जा चुकी है. कुछ टुकड़े मिले भी हैं. पर ज़्यादातर ग़ायब हैं. वैसे भी लगभग छह महीने के वक्त बीत चुका है. टुकड़ों का मिलना अब आसान नहीं है. फिर पुलिस आरोपी को साथ लेकर महरौली के जंगल में खाक छान रही है.

लाश के टुकड़े करने वाले हथियार की तलाश
पुलिस को वो फ्रिज भी मिल चुका है, जिसमें श्रद्धा की लाशों के टुकड़े रखे गए थे. ये फ्रिज भी इसलिए मिल गया क्योंकि आफताब को खुद पर इतना भरोसा था कि पुलिस उस तक या उसके घर तक कभी पहुंच ही नहीं पाएगी. इस फ्रिज की फॉरिसिंक जांच से काफी कुछ सामने आ जाएगा. फिलहाल, आफताब दिल्ली पुलिस की हिरासत में है और उससे पूछताछ जारी है. पुलिस को अब उस आरी की भी तलाश है, जिससे उसने लाश के टुकड़े किए थे.

अमेरिकी क्राइम सीरिज "डेक्सटर" से मिला था आइडिया
आरोपी पूनावाला ने पुलिस को पूछताछ के दौरान बताया कि लिव-इन पार्टनर श्रद्धा वॉल्कर की हत्या करने के बाद उसकी लाश को टुकड़ों में काटने का आइडिया उसे एक अमेरिकी क्राइम टीवी सीरिज "डेक्सटर" से मिला था. इसी के बाद उसने लाश को काटने के लिए तेजधारी आरी और टुकड़ों को रखने के लिए एक फ्रिज खरीदा था. 

पुलिस ने बरामद किए श्रद्धा की लाश के कुछ अवशेष
पुलिस ने बताया आरोपी आफताब पूनावाला ने शातिराना अंदाज में ये प्लान किया था कि लाश के किस हिस्से को पहले निपटाना है, उसने जान लिया था कि लाश का कौन सा हिस्सा जल्द से जल्द सड़ना शुरू हो जाता है. पुलिस के मुताबिक, आरोपी की निशानदेही पर पहचान करने के बाद लाश के 16 अवशेष मिले हैं, लेकिन फोरेंसिक जांच के बाद ही इस बात की पुष्टि की जा सकती है कि वे पीड़िता के हैं या नहीं?

ऑनलाइन डेटिंग एप के जरिए मिले थे श्रद्धा और आफताब
पूनावाला और वॉल्कर एक दूसरे से ऑनलाइन डेटिंग एप्लीकेशन के जरिए मिले थे। बाद में, उन्होंने मुंबई में उसी कॉल सेंटर के लिए काम करना शुरू कर दिया और उनके बीच प्यार हो गया था. पुलिस ने कहा कि लेकिन उनके परिवारों ने रिश्ते पर आपत्ति जताई थी क्योंकि वे अलग-अलग धर्मों से ताल्लुक रखते हैं, जिसके बाद यह कपल इस साल की शुरुआत में महरौली आ गया था.

पिता को बेटी की मौत का यकीन नहीं!
श्रद्धा के पिता विकास मदान वॉल्कर का कहना है कि आफताब पूनावाला ने उनके सामने कबूल किया कि उसने श्रद्धा को मार दिया, वो बहुत नॉर्मल था और सब बता रहा था कि उसने श्रद्धा का गला दबाया फिर उसके टुकड़े किए और फेंक दिए. मगर विकास मदान वॉकर का कहना है कि जब तक डेथ रिपोर्ट नहीं आयेगी, तब तक उन्हें यकीन नहीं होगा कि श्रद्धा मर गई है.
 

 

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