मुंबई क्रूज़ ड्रग केस को लेकर 2 और 3 अक्टूबर की रात मुंबई के गलियारों में जो कुछ हुआ, उसका तकरीबन पूरा का पूरा सच खुलकर सामने आ चुका है. मुंबई पुलिस की स्पेशल एनक्वायरी टीम यानी एसआईटी ने इस सिलसिले में अब तक केपी गोवासी के बॉडीगार्ड रह चुके प्रभाकर सैल समेत कई गवाहों से पूछताछ की है. कहानी का लब्बोलुआब यही है कि वो क्रूज़ ड्रग्स केस का गवाह नंबर वन केपी गोसावी ही था, जो एनसीबी अफ़सर बनकर आर्यन ख़ान को इस मामले से निकालने के लिए शाहरुख की मैनेजर पूजा ददलानी से करोड़ों रुपये वसूलने की कोशिश कर रहा था. लेकिन ऐन मौके पर आर्यन के साथ ली गई उसकी एक सेल्फ़ी ने उसकी पोल खोल कर रख दी और इसी के साथ वसूली का पूरा प्लान औंधे मुंह नीचे आ गिरा.
जांच में मिले अहम सबूत
अब तक की छानबीन में जहां मुंबई पुलिस ने इस साज़िश की तमाम कड़ियों को जोड़ लिया है, वहीं सबूत के तौर पर उसके पास गोसावी और ददलानी के कथित सीसीटीवी फुटेज के साथ-साथ मोबाइल फ़ोन की लोकेशन, सीडीआर और कई दूसरी टेक्निकल एविडेंस मौजूद हैं, जिन्हें झुठलाया नहीं जा सकता. कहानी की तस्दीक के लिए प्रभाकर सैल और विजय पघारे जैसे इंडिपेंडेंट विटनेस यानी स्वतंत्र गवाहों के बयान भी हैं, और तो और इस वसूली रैकेट में शामिल कई किरदारों के एक्सट्रा ज्यूडिशियल कनफेशंस यानी किसी भी कानूनी एजेंसी से दूर वसूली को लेकर की आपस में की गई बातचीत के सबूत भी मिल चुके हैं. लेकिन इतना होने के बावजूद जहां जाकर मुंबई पुलिस को रुकना पड़ रहा है, वो है इस मामले के उन किरदारों का अब तक मुंबई पुलिस से दूर होना, गोसावी एंड कंपनी पर जिन लोगों से वसूली का इल्ज़ाम लगा है. और वो लोग हैं शाहरुख की मैनेजर पूजा ददलानी और फिल्म एक्टर चंकी पांडेय के भाई चिक्की पांडेय.
बयान दर्ज कराने नहीं पहुंचे पूजा और चिक्की
दरअसल, प्रभाकर सैल की शिकायत के बाद इस मामले की एनक्वायरी कर रही मुंबई पुलिस ने इस मामले में अपना बयान दर्ज करवाने के लिए पूजा ददलानी और चिक्की पांडेय को सम्मन जारी कर रखा है, लेकिन दोनों ही अलग-अलग वजहों से अब तक मुंबई पुलिस के सामने हाज़िर नहीं हुए हैं. पूजा ददलानी ने जहां अपनी खराब तबीयत का हवाला दिया है, वहीं चिक्की पांडेय ने तो सीधे अपनी कोविड पॉज़िटिव की रिपोर्ट ही मुंबई पुलिस को थमा दी है. इस मामले में एक तरफ़ जहां ददलानी से रुपये वसूलने की कोशिश किए जाने की बात सामने आई है, वहीं ये भी पता चला है कि गोसावी ने ददलानी तक पहुंचने के लिए चिक्की पांडेय से भी बात की थी. और ऐसे में मुंबई पुलिस इस मामले की 90 फीसदी छानबीन पूरी कर लेने के बावजूद इन किरदारों से पूछताछ किए बिना आगे नहीं बढ़ पा रही है.
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शायद यही वजह है कि मुंबई पुलिस फिलहाल जहां इस मामले में कोई भी एफआईआर दर्ज करने बच रही है, वहीं वो इस मामले में ये लीगल ओपिनियन भी ले रही है कि अगर ददलानी और पांडेय ने मुंबई पुलिस से यूं ही दूरी बनाए रखी, तो क्या वो सिर्फ़ प्रभाकर सैल के बयान को आधार बना कर वसूली के मामले में केस दर्ज कर सकती है या नहीं?
उलझ गई रिश्वत की पहेली
अब सवाल ये उठता है कि अगर पूजा ददलानी और चिक्की पांडेय मुंबई पुलिस से मिले सम्मन के बावजूद पूछताछ के लिए हाज़िर नहीं हो रहे हैं, तो उसकी वजह क्या है? अगर एक पल के लिए ये मान भी लिया जाए कि ददलानी और पांडेय की तबीयत अब उतनी ख़राब नहीं है कि वो अपना बयान दर्ज ना करा सकें, तो फिर जो बात समझ में आती है, वो है इस मामले में क़ानूनी कार्रवाई का ख़तरा उन दोनों पर भी है. दरअसल क़ानून की नज़र में रिश्वत लेना और देना दोनों ही जुर्म है. ऐसे में अगर गोसावी एंड कंपनी पर रिश्वत वसूलने की कोशिश करने का इल्ज़ाम है, तो फिर ददलानी और चिक्की पर अपने-आप ही रिश्वत देने की कोशिश करने का जुर्म भी बनता है. ऐसे में दोनों का पुलिस से घबराना भी लाज़िमी है. बल्कि जानकार तो यहां तक बता रहे हैं कि इस मामले में सिर्फ़ वसूली की कोशिश ही नहीं हुई, बल्कि एडवांस के तौर पर 50 लाख रुपये वसूल भी लिए गए थे. लेकिन जब मामला उल्टा पड़ गया, तो आनन-फानन में ये रुपये ददलानी को लौटा दिए गए और अगर ये बात सच है, तो मामला और भी गंभीर हो जाता है.
समीर वानखेड़े की जानकारी में हुआ सबकुछ?
बल्कि सच्चाई तो ये है कि मामला कहीं इससे भी ज़्यादा गंभीर है. पूजा ददलानी का क़ानून के शिकंजे में आने का मतलब शाहरुख ख़ान का क़ानून की ज़द में आना भी है. दूसरी ओर गोसावी की गिरफ्तारी का मतलब एनसीबी के ज़ोनल डायरेक्टर समीर वानखेड़े का फंसना भी है. क्योंकि इतना तो साफ़ है कि पूजा ददलानी सिर्फ़ अपने तौर पर ही आर्यन को एनसीबी के चंगुल से छुड़ाने के लिए रिश्वत देने की कोशिश करेगी, ये बात समझ में नहीं आती है. और ठीक इसी तरह गोवासी बगैर एनसीबी के बड़े अफ़सरों या फिर यूं कहें कि समीर वानखेड़े की जानकारी के ये सारा जाल-बट्टा फैला रहा होगा, इस बात पर यकीन करना भी उतना ही मुश्किल है.
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ऐसे में अगर इस सिलसिले में देर सवेर कभी भी एफआईआर दर्ज होती है, तो इस मामले में बड़े चेहरों का फंसना भी तय है. ज़ाहिर है वसूली का ये गेम काफ़ी बड़ा है और इसे पूरी तरह समझने के लिए इसकी बारीकियों को जानना भी उतना ही ज़रूरी है. लेकिन बाकी के बारीकियों में उतरने से पहले आइए एक नज़र इस मामले के उन किरदारों पर डाल लेते हैं, जिनके इर्द-गिर्द ये पूरा का पूरा केस घूम रहा है. इन किरदारों में खुद आर्यन ख़ान तो है ही. आर्यन के अलावा पूजा ददलानी, चिक्की पांडेय, केपी गोसावी, प्रभाकर सैल, सैम डिसूजा, सुनील पाटिल, मनीष भानुशाली, मोहित कंबोज, विजय पघारे, काशिफ खान, रंजीत सिंह बिंद्रा, मयूर गुले और असलम शेख जैसे लोग शामिल हैं.
गोसावी की साजिश बेनकाब
वसूली को लेकर एनसीबी के ज़ोनल डायरेक्टर समीन वानखेड़े पर इल्ज़ाम लगानेवाले एनसीपी नेता नवाब मलिक हैं, तो खुद वानखेड़े और आर्यन के पिता शाहरुख ख़ान भी किसी ना किसी रूप से इस केस से जुड़े हैं. अब तक की छानबीन में जो बातें तकीबन साफ हो चुकी हैं, वो हैं गोसावी का एनसीबी अफ़सर बन कर वसूली की कोशिश करना. असल में मुंबई पुलिस के हाथ लोअर परेल का जो सीसीटीवी फुटेज लगा है, उसमें गोसावी की गाड़ी में पुलिस का स्टीकर लगा हुआ दिखाई दे रहा है. गोसावी गाड़ी में पुलिस लिखा होने के साथ-साथ उसके साथ रहनेवाले लोगों ने उसे लेकर जो खुलासा किया है, उसके बाद ये बात तकरीबन साफ़ है कि गोसावी ददलानी से एनसीबी अफसर बन कर ही वसूली की कोशिश कर रहा था.
सेल्फ़ी ने पिटवा दी एनसीबी की भद्द
मुंबई पुलिस को मिली जानकारी के मुताबिक गोसावी ने ददलानी से मुलाक़ात के दौरान के दौरान ना सिर्फ़ अपने साथ आर्यन की लेटेस्ट तस्वीरें उन्हें सबूत के तौर पर दिखाई थी, बल्कि इससे पहले उसने फ़ोन पर आर्यन तौर पर आर्यन और ददलानी की बात भी करवाई थी. ताकि ददलानी को उस पर पूरा यकीन हो जाए और वसूली का रास्ता साफ़ हो. वैसे भी आर्यन को हिरासत में लिए जाने के फ़ौरन बाद वो जिस तरह से आर्यन को लेकर एनसीबी के दफ्तर पहुंचा था और जिस तरह उसके साथ सेल्फ़ी खिंचवाई थी, उससे ज़्यादातर लोगों को लगने लगा था कि वो एनसीबी से ही जुड़ा है. लेकिन जब सेल्फ़ी ने एनसीबी की भद्द पिटवा दी, तो खुद एनसीबी को ही साफ करना पड़ा कि गोवासी एनसीबी अफ़सर नहीं बल्कि एक गवाह मात्र है. और जानकारों की मानें तो यही वसूली के इस गेम के फेल होने की सबसे बड़ी वजह है. फिलहाल मुंबई पुलिस इस मामले में केपी गोसावी से भी पूछताछ करने की तैयारी में है. फिलहाल गोसावी पुणे में उसके खिलाफ दर्ज चीटिंग एक पुराने मामले में गिरफ्तार हो कर जेल में बंद हो चुका है.
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अब वसूली के बड़े गेम के बेनकाब होने का साइड एफेक्ट ये है कि इस मामले के कई किरदार जिन पर इस गेम में शामिल होने का इल्ज़ाम है, वो खुद ही अब आपस में भिड़ने लगे हैं. पुलिस की रडार पर आ चुके सैम डिसूज़ा को जहां अब अपनी जान का खतरा सता रहा है, वहीं उसने इस मामले में केपी गोसावी, सुनील पाटिल और प्रभाकर सैल पर पूरी साज़िश रचने और उसे फंसाने का इल्ज़ाम लगाते हुए शिकायत दी है. इसी बीच सैम डिसूज़ा और सुनील पाटिल के बीच 24 अक्टूबर को व्हाट्सएप पर हुआ वो चैट आजतक ने हासिल किया है, जिससे इस मामले को लेकर वसूली कांड के किरदारों के बीच छिड़ी जंग की झलक दिखाई देती है.
सैम डिसूजा- तुमने मुझे ये किस मुसीबत में फंसा दिया?
सुनील पाटिल- मैं खुद ही परेशान हूं और इस मामले को लेकर तनाव में हूं...
सैम डिसूजा- तुमने मुझे किरण से क्यों मिलवाया? जबकि तुम्हें उसके रिकॉर्ड का पता था कि वो एक ठग है. ये तुम्हारी ग़लती है...
सुनील पाटिल- मैं खुद ही उसके भाई स्वपनिल को एक महीने से जानता हूं। मुझे नहीं पता कि उसे मेरा नंबर कैसे मिला? मुझे ये भी नहीं पता था कि वो एक ठग है
सैम डिसूजा- लेकिन तुमने तो कहा था कि तुम्हारी उससे बात होती है
ज़ाहिर है, इस व्हाट्स एप चैट और सैम के इल्ज़ामों से साफ़ है कि वसूली कांड के किरदारों के बीच कैसी भगदड़ मची है. उधर, इन सबके बीच मुंबई पुलिस के साथ-साथ एनसीबी की जांच भी लगातार आगे बढ़ रही है. एनसीबी की विजिलेंस टीम ने वसूली के इल्ज़ामों के मद्देनज़र दो दिनों तक गोसावी के बाडीगार्ड रहे प्रभाकर सैल से लंबी पूछताछ की. दूसरे दिन यानी मंगलवार को सैल से पूरे 11 घंटे तक पूछताछ हुई और इस दौरान उसने एनसीबी को बताया कि कैसे गोसावी पूजा ददलानी से 18 करोड़ वसूल कर 8 करोड़ समीर वानखेड़े को देना चाहता था.
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