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दो लड़कियों का कत्ल और दोनों वारदात बनीं पहेली

दो लड़कियां, दोनों का क़त्ल. और दोनों बनी पहेली. क्योंकि एक में जहां लड़की का चेहरा ही गुम हो चुका था, वहीं दूसरे केस में लड़की सीधे कब्र में पहुंचा दी गई थी. इन दोनों पहेलियों में सबसे पहले बात मायानगरी मुंबई के उस रहस्यमयी कत्ल की, जिसमें मौत के साथ ही लड़की की पहचान गुम हो चुकी थी.

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वारदात
वारदात

दो लड़कियां, दोनों का क़त्ल. और दोनों बनी पहेली. क्योंकि एक में जहां लड़की का चेहरा ही गुम हो चुका था, वहीं दूसरे केस में लड़की सीधे कब्र में पहुंचा दी गई थी. इन दोनों पहेलियों में सबसे पहले बात मायानगरी मुंबई के उस रहस्यमयी कत्ल की, जिसमें मौत के साथ ही लड़की की पहचान गुम हो चुकी थी.

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23 सितंबर 2013 की सुबह 3 बजे बांद्रा पुलिस स्टेशन में फोन की घंटी घनघना उठी. फोन उठाते ही दूसरी तरफ से जो खबर मिली वो पुलिस की नींद उड़ने के लिए काफी थी. फोन करने वाले ने पुलिस को खबर दी थी कि बांद्रा सी-लिंक के पास झाड़ियों में कपड़े की एक गठरी में किसी की लाश पड़ी है.

खबर मिलते ही पुलिस टीम फौरन रवाना हो जाती है. सी-लिंक पर अब भी गाड़ियों का आना-जाना लगा हुआ था. मौके पर पहुंचते सचमुच एक गठरी पड़ी थी. जैसे ही पुलिस ने उस गठरी को खोला तो अंदर सचमुच लाश थी. एक लड़की की लाश. लेकिन हैरतअंगेज तौर पर लाश का सिर और धड़ गायब था. पर जिस्म के आधे-अधूरे हिस्से को देखकर ये पता चल गया था कि लाश लड़की की है.

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अब पुलिस के सामने लाश तो थी, पर अधूरी. लाश लड़की की है ये तो पता था. पर लड़की कौन है ये नहीं पता. आसपास ऐसी कोई चीज भी नहीं थी जो लड़की की शिनाख्त का पता दे सकती. चेहरा गायब और दूसरी कोई ऐसी कोई चीज नहीं. हां, जिस कपड़े में लाश को लपेट कर झाड़ियों में फेंका गया, उस कपड़े से इतना जरूर पता चल रहा था कि मरने वाली किसी अच्छे घर से है. क्योंकि कपड़ा बेहद कीमती नजर आ रहा था.

शुरुआती तफ्तीश से साफ हो जाता है कि कत्ल बेहद बेरहमी से किया गया है. सर और धड़ गायब करने का मतलब साफ था कि कातिल नहीं चाहता था कि मकतूल की शिनाख्त हो. फिर भी किसी सबूत की तलाश में पुलिस ने आस-पास की तमाम झाड़ियों को छान दिया, पर कोई सबूत हाथ नहीं लगा.

पुलिस ने लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. इसके बाद जांच शुरू हुई. सबसे पहले बांद्रा और आसपास के थानों से पता करने की कोशिश की जाती है कि कहीं किसी थाने में किसी लड़की की गुमशुदगी या अपहरण का मामला तो दर्ज नहीं है. पर कामयाबी हाथ नहीं लगती. आसपास दूसरी जगहों पर कहीं लाश के कुछ और टुकड़े मिले हों, ऐसी भी कहीं से कोई खबर नहीं मिलती. यानी मर्डर का ये केस पूरी तरह ब्लाइंड है. कातिल गायब और लाश बिना चेहरे के. अब ऐसे में पुलिस क्या करेगी? कैसे सुलझाएगी केस को?

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मुंबई का बांद्रा-वर्ली सी लिंक समंदर के ऊपर बना वो पुल है, जिससे होकर हर रोज़ तकरीबन 40 हज़ार गाड़ियां गुज़रती हैं. लेकिन इसी सी-लिंक से महज तीस मीटर की दूरी पर मुंबई पुलिस को मिली एक लड़की की अधकटी लाश ने उसके लिए एक नई चुनौती खड़ी कर दी है.

एक अहम सवाल ये है कि क़ातिल ने आखिर इतनी भीड़भाड़ वाली जगह पर लाश के हिस्से को निपटाने की कोशिश क्यों की? वो भी तब, जब यहां ना सिर्फ चौबीसों घंटे हैवी ट्रैफ़िक रहता है, बल्कि रात के वक्त भी रौशनी होती है. सी-लिंक का एक बड़ा एरिया सीसीटीवी कैमरों से भी कवर्ड है. जाहिर है पुलिस को इस बात का भी शक है कि लड़की या कातिल का रिश्ता बांद्रा या वर्ली के किसी इलाके से भी हो सकता है. क्योंकि सी-लिंक के आस-पास यही वो इलाके हैं, जहां लोगों की रिहाइश है. और आम तौर पर कोई भी क़ातिल किसी लाश या उनके टुकड़ों को लेकर बहुत दूर तक जाने की जोखिम नहीं उठाता.

ज़ाहिर है अब पुलिस सी-लिंक में रीक्लेमेशन की तरफ आने और जाने वाले हर रास्ते पर लगे सीसीटीवी कैमरों के फुटेज की जांच कर रही है, ताकि उस जगह पर किसी संदिग्ध गाड़ी के रुकने या फिर ऐसी किसी दूसरी हलचल का कोई पता चल सके. लेकिन इससे पहले कि पुलिस को इस मामले में कोई कामयाबी मिले, मुंबई पुलिस पूरी मुंबई और आस-पास से गायब हुई किसी ऐसी किसी लड़की का पता लगाना चाहती है. क्योंकि इस ब्लाइंड मर्डर केस को सुलझाने के लिए पुलिस के सामने जो पहली और इकलौती शर्त है, वो है मरनेवाली लड़की की शिनाख्त करना.

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हालांकि फिलहाल पुलिस अधकटी लाश का पोस्टमार्टम करवाने के साथ-साथ उसके कुछ हिस्से डीएनए जांच के लिए भी रखवाना चाहती है, ताकि मरने वाली की पहचान का कोई दावा सामने आने पर उसके घरवालों के साथ डीएनए का मिलान कर इसकी तस्दीक की जा सके. कुल मिलाकर, एक लड़की की ब्लाइंड मर्डर का ये मामला जितना ख़ौफनाक, फिलहाल उतना ही पेचीदा है.

अब बात बनारस की लड़की की
बनारस में एक लड़की की मौत हुई और उसे दफना भी दिया गया. लेकिन मौत के 16 दिन बाद उसके घरवालों को इस मौत से जुड़े एक ऐसे सवाल का पता चला, जिसका जवाब सिर्फ़ और सिर्फ़ उनकी बेटी ही दे सकती थी. लिहाज़ा, घरवालों ने कब्र में दफ्न अपनी बेटी से ही इस सवाल का जवाब पूछने का फैसला किया.

17 साल की लड़की की लाश कब्र से निकाल ली गई. उसकी मौत अब से करीब 16 दिन पहले यानी 7 सितंबर को हुई थी. दरअसल, इस रोज़ सुबह इस लड़की के घरवालों को तब सदमा लगा, जब उन्होंने अपनी लाडली को घर के बाहर की मुर्दा हालत में देखा. पहली नज़र में देखकर ये लग रहा था कि लड़की की मौत ऊंचाई से गिरने की वजह से हुई है. लिहाज़ा, तब लोगों ने इस तकदीर का खेल मानकर ना सिर्फ़ इस हादसे को कुबूल कर लिया, बल्कि उसी रोज़ लाश का अंतिम संस्कार भी कर दिया गया.

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लेकिन अभी चंद रोज गुज़रे ही थे कि खुद लड़की की मां तस्लीम को अपनी बेटी की मौत के बारे में एक ऐसी बात पता चली, जिसने उसे बेचैन कर दिया. ये बात थी क़त्ल की. तस्लीम को खबर मिली कि उसकी बेटी मौत किसी हादसे की वजह से नहीं, बल्कि सोची समझी साजिश की वजह से हुई.

लाश क़ब्र से बाहर आ चुकी थी. और घरवालों को लगने लगा था कि उनकी बेटी अपने कातिल का नाम जरूर बताएगी. लेकिन चूंकि ये मामला कत्ल का था, हर सवाल का जवाब पुलिस को पूछना था. अब सवाल पुलिस के थे और जवाब मरनेवाली लड़की के.

कई सवाल थे, जिनका जवाब ढूंढ़ते हुए लड़की की मां जिस नतीजे पर पहुंची, उसने ना सिर्फ़ इस मां की, बल्कि पूरे परिवार के कान खड़े कर दिए. घरवालों को पता चला कि उनकी बेटी बगल के ही एक लड़के से प्यार करती थी और वारदात के रोज रात को उसी लड़के ने मोबाइल पर फोन कर उसे अपने पास बुलाया था. लेकिन इससे पहले कि वो घर लौटती, ऊपर से गिरकर रहस्यमयी हालत में उसकी जान चली गई.

अब घरवालों को लगने लगा कि कहीं ऐसा तो नहीं कि बगल के लड़के ने ही उनकी बेटी के साथ कोई ज़्यादती करने के बाद उसे चुप कराने के लिए उसे ऊपर से गिराकर उसकी जान ले ली? लेकिन इस सवाल का जवाब ढूंढ़ने के लिए लाश का पोस्टमार्टम ज़रूरी था. जबकि वारदात के दिन बेटी की लाश को उन्होंने आनन-फानन में दफ्न कर दिया था.

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लिहाज़ा, जब लड़की मां और उसके घरवालों को अपनी गलती का अहसास हुआ, उन्होंने पुलिस से शिकायत की और तब मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में लाश को कब्र से निकालकर इस मामले की तफ्तीश करने का फ़ैसला किया गया. अब लाश कब्र से बाहर निकाली जा चुकी है. बस, इंतज़ार है तो पोस्टमार्टम रिपोर्ट का. ताकि ये साफ़ हो सके कि वाकई ये मौत कोई क़त्ल है या फिर महज़ एक हादसा.

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