तीस हज़ार फीट की ऊंचाई पर एक विमान उड़ रहा होता है. सब कुछ ठीक था. पर तभी अचानक ना सिर्फ विमान का जमीन से कनेक्शन टूट जाता है बल्कि वो रडार से भी गायब हो जाता है. सबको यही लगता है कि प्लेन शायद क्रैश कर गया. मगर फिर अचानक पता चलता है कि जमीन से संपर्क टूटने के बावजूद विमान आसमान में करीब सात घंटे तक उड़ता रहा. तो क्या दस दिन पहले 239 मुसाफिरों को लेकर उड़ा मलेशिया एयरलाइंस का विमान अपहर्ताओं के कब्जे मे है?
पिछले दस दिनों से दुनिया की सबसे बड़ी मिस्ट्री सबसे बड़ा रहस्य यही बना हुआ है कि आखिर 239 मुसाफिरों और क्रू मेंबरों को लेकर आठ मार्च को कुवालालांपुर इंटरनेशनल एयरपोर्ट से उड़ा मलेशिया एयरलाइंस का बोइंग एमएच 370 विमान गया तो गया कहां?
कई ऐसे सवाल हैं जिन्होंने दुनिया भर की जांच एजेंसियों की नींद हराम कर रखी है. हजारों मील के दायरे में आसमान से लेकर समंदर के चप्पे-चप्पे तक की खाक छान मारी गई. इस सबसे बड़े सर्च ऑपरेशन में दुनिया भर के हाईटेक उपकरण लगा दिए गए. लेकिन लापता विमान के बारे में तो कोई सुराग नहीं मिला अलबत्ता कुछ ऐसी चौंकाने वाली जानकारी जरूर मिली है जो अगर सच हुआ तो बेहद डरावना होगा.
और वो सच ये है कि फ्लाइट 370 में ना तो कोई तकनीकी खराबी आई थी और ना ही वो किसी हादसे का शिकार हुआ है. बल्कि जानबूझ कर विमान के संचार उपकरणों के साथ छेड़छाड़ की गई है और वो भी कुछ इस तरह और इस मकसद से कि दुनिया की निगाहों से विमान को छुपा कर किसी गुप्त जगह पर लैंड कराया जा सके.
दरअसल इस आशंका की दो अहम वजहें हैं. पहला, तमाम सर्च ऑपरेशन के बाद अभी तक विमान का मलबा नहीं मिला है. दुनिया भर में परमाणु विस्फोटों पर नजर रखने वाले संगठन सीटीबीटीओ के मुताबिक उसके सेंसर्स ने 8 मार्च को दक्षिण पूर्व एशिया में कोई ब्लास्ट रिकार्ड नहीं किया. यानी अगर विमान क्रैश हुआ होता तो उसके सेंसर्स उसका पता लगा लेते. और दूसरी वजह ये कि कुवालालंपुर इंटरनेशनल एयरपोर्ट से उड़ान भरने के घंटे भर बाद ही विमान का संपर्क एयर ट्रैफिक कंट्रोल यानी एटीसी से टूट गया था. ऐसा तब होता है जब विमान में कोई भयंकर खराबी आती है. मगर हैरतअंगेज तौर पर एटीसी से संपर्क टूटने से के बाद भी अगले सात घंटे तक विमान उड़ता रहा. पर उस रूट पर नहीं जिसपर उसे जाना था बल्कि गलत दिशा में. यानी विमान में कोई तकनीकी खामी नहीं थी.
मलेशिया एयरलाइंस के लापता बोइंग 777-200 में जो पहिए लगे हुए हैं वो बेहद खास हैं. इन पहियों की मदद से विमान को आम रनवे के अलावा किसी सॉफ्ट रनवे पर भी लैंड कराया जा सकता है. इतना ही नहीं इन खास पहियों की वजह से विमान छोटे रनवे पर भी ना सिर्फ उतर सकता है बल्कि टेकऑफ भी कर सकता है. इस तरह के विमान के जानकारों के मुताबिक विमान के मेन लैंडिग गेयर यानी पिछले पहियों में दोनों तरफ छह-छह पहियों का सेट लगा होता है यानी पीछे कुल 12 पहिए होते हैं. इसके अलावा बोगी व्हील्स भी विमान को सॉफ्ट रनवे पर उतारने में मदद करती हैं. तकनीक ये है कि लैंडिंग के वक्त विमान का वजन 12 पहियों पर बराबर-बराबर पड़ता है. जबकि बाकी मॉडल में चार या दो पहिए पर ही सारा वजन जाता है इसीलिए ऐसे खास पहिए वाले विमान आसानी से कच्ची ज़मीन या सड़क पर भी उतर जाते हैं. इसीलिए शक है कि किसी गुप्त जगह पर अस्थाई रनवे पर भी विमान को लैंड कराया जा सकता है.
अब ज़ाहिर है अगर विमान क्रैश नहीं किया और सुरक्षित लैंड हुआ है तो फिर बिना पायलट के ये मुमकिन नहीं है. तो क्या अपहर्ताओं के साथ लापता विमान का पायलट भी मिला हुआ है? या फिर विमान पर कुछ लोगों ने जबरन कब्जा कर लिया? लापता प्लेन में कुल 227 मुसाफिर और 12 क्रू मेंमबर थे. मलेशियाई अधिकारियों ने विमान में सवार सभी मुसाफिरों की पूरी जानकारी निकाली. इस जानकारी के बाद ये साफ हो गया कि विमान में कोई भी संदिग्ध मुसाफिर सवार नहीं था. यानी अब शक की सुई सीधे क्रू मेंबरों की तरफ घूमती है.
लापता विमान को कैप्टन ज़हारी अहमद शाह उड़ा रहा था जबकि उसका को-पायलट था फारिक अब्दुल हामिद. इन दोनों पर शक की सुई तो तभी से जा रही थी जब अमेरिकी एजेंसियों ने जांच में ये पाया था कि एयर ट्रैफिक कंट्रोल से संपर्क टूटने के बाद भी विमान सात घंटे तक उड़ता रहा था.
52 साल का कैप्टन जहारी अहमद शाह मलेशिया एयरलाइन्स के सबसे अनुभवी पायलट्स में से एक माना जाता है. क्वालालम्पुर के पॉश इलाके में पत्नी और तीन बच्चों के साथ रहने वाला जहारी अहमद मलेशिया के विपक्षी नेता अनवर इब्राहिम का कट्टर समर्थक है.
फिलहाल कवालालांपुर में जहारी अहमद के घर पर पुलिस का सख्त पहरा बिठा दिया गया है. उसके घरवालों से पूछताछ में पता चला है आखिरी उड़ान के दिन वो एयरपोर्ट अपनी पत्नी के साथ आया था. केबिन क्रू और मुसाफिरों के साथ भी गर्मजोशी से मिला था. यहां तक की उड़ान के दौरान एटीसी को दिए आखिरी संदेश में भी कुछ अटपटा नहीं लगा था.
अब सवाल ये है कि विमान अगर जहारी अहमद और उसके को-पायलट ने ही हाईजैक किया है तो उनका मकसद क्या है? और सबसे बड़ा सवाल ये कि अगर प्लेन हाईजैक ही हुआ है तो फिर उसे उतारा कहां गया है. क्योंकि दस दिन तक विमान हवा में तो उड़ नहीं सकता?