छत्तीसगढ के सुकमा में कांग्रेस की परिवर्तन रैली थी. खुफिया सूत्रों से पता चला है कि बर्बर नक्सली पंकज उर्फ गगन्ना के साथी हफ्ते भर पहले से ही वहां डेरा डाले हुए थे. रैली खत्म हुई. काफिला जैसे ही जंगल से गुजरा. नक्लसियों ने बारूदी सुरंग में धमाका करके उसे थाम लिया. फिर दो घंटे तक चला नक्सलियों का खूनी तांडव.
तारीख, 25 मई 2013. दिन, शनिवार. वक्त, दोपहर के 3:00 बजे, जगह, सुकमा, छत्तीसगढ़. छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनावों के पहले कांग्रेस की परिवर्तन रैली चल रही थी...प्रदेश के सभी बड़े कांग्रेसी नेता रैली में मौजूद थे. आने वाले खतरे से अनजान सभी लोग खाना खाने के बाद करीब 20 गाड़ियों के काफ़िले में सुकमा से निकले. खतरा नक्सलिय़ों के हमले का. दरअसल नक्सलियों ने कांग्रेस और दूसरी पार्टियों को ऐसी रैलियां ना निकालने की धमकी दे रखी थी. लेकिन कांग्रेस ने सुकमा में रैली की और रैली खत्म होने के बाद कांग्रेस के सभी नेता और उनके समर्थक वहां से जगदलपुर के लिए निकले.
शाम करीब 4:15 बजे प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल की अगुआई में 20 गाड़ियों का काफ़िला सबसे ज्यादा नक्सल प्रभावित दरभा घाटी में जंगल में पहुंचता है. काफ़िले में नंदकुमार पटेल की गाड़ी के आगे दो एस्कॉर्ट गाड़ियां चल रही थी. इस बात से अनजान की आगे सड़क पर मौत का पूरा जाल बिछा हुआ है. दरअसल नक्सलियों ने रास्त में एक पेड़ गिरा कर उस पूरे जगह लैंड माइन बिछा रखी थी और पूरे इलाके को घेरकर कर उसमें छिप कर उनका इंतज़ार कर रहे हैं. तभी काफ़िले में सबसे आगे चल रही गाड़ियां जैसे ही नक्सलियों के गिराए पेड़ तक पहुंची तो काफ़िले की रफ्तार थम गई.
गाड़ियों के रुकते ही नक्सलियों ने माइंस उड़ा दीं और उसके बाद एक ज़ोर का ब्लास्ट हुआ और दोनों गाड़ियां धमाके में उड़ गईं. अभी कोई कुछ समझता कि जंगल में छिपे नक्सलियों ने दोनों तरफ से फायरिंग शुरु कर दी.
दरअसल किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था कि नक्सली इतना बड़ा हमला कर सकते हैं. धमाकों के बाद गोलीबारी के चलते अफरातफरी मच गई. किसी को कुछ भी नहीं सूझ रहा था. इसी बीच कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार गाड़ी में सवार अपने बेटे दिनेश पटेल के साथ गाड़ी से बाहर उतर गए. उधर नक्सली दोनों तरफ से माओवादी ज़िंदाबाद के नारे लगाते हुए लगातार फायरिंग कर रहे थे.
हालांकि काफ़िले में मौजूद सिक्योरिटी गार्डस ने भी नक्सलियों की गोलीबारी का जवाब दिया. लेकिन जल्द ही उनकी गोलियां खत्म हो गईं. अब नक्सली काफ़िले की तरफ बढ़े और हर गाड़ी की तलाशी लेनी शुरु कर दी. हालात बिगड़ते देख नंदकुमार पटेल ने अपने बेटे दिनेश पटेल के साथ सरेंडर कर दिया. उनके साथ सुकमा के एमएलए क्वासी लक्मा भी थे. उनको सरेंडर करते देख नक्सली तीनों को पकड़ कर जंगल के करीब 200 मीटर अंदर ले गए.
नक्सलियों ने सबसे पहले नेताओं के साथ मौजूद सिक्योरिटी गार्डस को अपना निशाना बनाया और उनकी हत्या करने के बाद करीब 100 नक्सलियों ने एक-एक गाड़ी को चेक करना शुरु किया. उस काफ़िले में कांग्रेस पार्टी के प्रदेश सचिव डॉ शिव नारायण द्विवेदी भी मौजूद थे. गोलीवारी के दौरान वो अपनी गाड़ी से उतर कर ज़मीन पर लेट गए. उनके साथ मौजूद उनके तीनों सिक्योरिटी गार्डस मारे जा चुके थे.
तभी उनके पीछे वाली गाड़ी में बैठे महेंद्र कर्मा गाड़ी से उतर कर उनकी बगल में लेट गए. इन दोनों के साथ कांग्रेस की पूर्व एमएलए फूलो देवी भी लेटी हुईं थीं. दरअसल नक्सली एक खास शख्स की तलाश में थे और वो शख्स थे छत्तीसगढ़ के पूर्व गृह मंत्री महेंद्र कर्मा. जब उनको पता चला तो उन्होंने सरेंडर कर दिया. उनके मिलते ही नक्सली महेंद्र कर्मा, डॉ शिव नारायण द्विवेदी और बाकी दूसरे लोगों को पकड़ कर जंगल के अंदर ले गए.
नक्सलियों की गोलीबारी में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता विद्याचरण शुक्ल भी घायल हो चुके थे. उनको तीन गोलियां लगीं थी. नक्सलियों को गोलीबारी करते हुए एक घंटे भी ज़्यादा का वक्त हो चुका था और नक्सलियों ने जिन लोगों को बंधक बनाया हुआ था उनके लिए एक-एक पल भारी साबित हो रहा था. जिन लोगों ने सरेंडर किया था उन्हें हल्की सी उम्मीद थी कि नक्सली शायद उनकी जान बख्श दें, लेकिन तभी कुछ ऐसा हुआ जिसकी उम्मीद किसी को नहीं थी.
हमले से घबराए काफ़िले में मौजूद सभी बड़े नेता नक्सलियों के सामने सरेंडर कर चुके थे. नक्सली सभी को पकड़ कर अपने साथ जंगल में ले आए थे. उन्होंने सभी लोगों को पेट के बल ज़मीन पर लेटने के लिए कहा. अब उन्होंने सभी से पूछताछ करनी शुरु कर दी. इस बीच नक्सली कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल और उनके बेटे दिनेश पटेल को पकड़ कर थोड़ी दूर ले गए. उनके साथ सुकमा के विधायक क्वासी लक्मा भी थे और फिर नक्सलियों ने बिना कुछ बोले नंदकुमार पटेल और उनके बेटे दिनेश पटेल की गोली मार कर हत्या कर दी लेकिन उन्होंने क्वासी लक्मा को छोड़ दिया.
इतने कत्लोगारत के बाद भी शायद अभी नक्सलियों का दिल नहीं भरा था. अब उन्होंने महेंद्र कर्मा का नाम लेना शुरु किया. महेंद्र कर्मा ने खुद अपनी पहचान बताई तो वो उनको भी अपने साथ पकड़ कर अंदर ले गए.. उनकी पहचान होते ही नक्सलियों ने उनको धमकी देते हुए कहा की वो पिछली बार उनके हमले में बच गए थे और इस बार उनके बचने का कोई चांस नहीं है. इसके बाद नक्सलियों ने उन पर गोलियों की बौछार कर दी. नक्सलियों ने कर्मा के करीब 50 गोलियां मारी. इतना ही नहीं कर्मा का बेरहमी से क़त्ल करने के बाद उनकी मौत का जश्न भी मनाया. डॉ शिवनारायण के मुताबिक हमले में शामिल नक्सलियों की उम्र 20 से 25 साल के बीच थी.
नक्सली अपनी कामयाबी पर बड़े खुश दिखाई दे रहे थे. इस बीच नक्सलियों ने कांग्रेस के बड़े नेताओं को चुन चुनकर मौत के घाट उतारा. इनमें कांग्रेस के पूर्व विधायक उदय मुदलियार की भी मौत हो चुकी थी. इस पूरे वाक्ये के चश्मदीद रहे डॉ शिवनारायण द्विवेदी की बाज़ू में एक गोली लगी थी और उनकी हाथ से ख़ून टपकता देख एक नक्सली कमांडर ने अपने एक साथी से उनको इंजेक्शन लगाने को कहा और उनको पानी भी पिलाया. उनके मुताबिक उनके क़ाफ़िले पर करीब एक हज़ार नक्सलियों ने हमला किया था. नक्सलियों ने बंधक बनाए लोगों को ये ताकीद भी दी कि अगर भविष्य में दोबारा ऐसा हमला होता है तो वो हाथ ऊपर कर लें तो नक्सली उनकी जान नहीं लेंगे.
किस्मत का खेल देखिए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजीत जोगी इस हमले में बाल-बाल बच गए. दरअसल उन्हें भी इस काफ़िले के साथ जगदलपुर जाना था. लेकिन तबियत खराब होने की वजह से वो नहीं गए और उनकी जान बच गए.
करीब एक घंटे तक चले इस हमले में दो दर्जन से ज्यादा लोग मारे गए, जबकि 35 कांग्रेस कार्यकर्ता और 19 जवान अभी भी लापता हैं. हमले की खबर मिलते ही इलाके में सीआरपीएफ के 6 हजार से ज्यादा जवानों को भेजा गया है और जंगलों में तलाशी अभियान चल रहा है और वरिष्ठ कांग्रेस नेता विद्याचरण शुक्ला गुड़गांव के मेदांता अस्पताल मे जिंदगी और मौत से लड़ रहे हैं.