मुंबई में NCP नेता बाबा सिद्दीकी की हत्या के बाद लॉरेंस बिश्नोई गैंग चर्चा में है. बाबा सिद्दीकी को बॉलीवुड एक्टर सलमान खान का करीबी दोस्त माना जाता था और पिछले 6 साल से सलमान खान लॉरेंस गैंग के टारगेट पर हैं. लॉरेंस गैंग की तुलना डी कंपनी से हो रही है. राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने भी स्वीकार किया है कि लॉरेंस ने दाऊद इब्राहिम की 'D कंपनी' की तरह बिश्नोई गैंग खड़ा कर लिया है. बिश्नोई गैंग दिल्ली और आसपास सक्रिय है. मुंबई में पिछले दो दशकों की खामोशी के बाद इस नए गैंग की एंट्री ने सरकार से लेकर प्रशासन की टेंशन बढ़ा दी है.
एक समय मुंबई में हाजी मस्तान गैंग की तूती बोलती थी. उसे मुंबई के अंडरवर्ल्ड का पहला डॉन माना जाता है. साल 1950 से 1970 तक इस गैंग का मुंबई में खासा प्रभाव देखने को मिला. उसके बाद करीम लाला गैंग ने अंडरवर्ल्ड की जड़ें जमाईं. दाऊद इब्राहिम जैसे डॉन भी हाजी मस्तान गैंग से ही निकलकर आए और मुंबई में दहशत फैलाई. अब लॉरेंस बिश्नोई गैंग की एंट्री ने मुंबई की शांति में खलल डाल दिया है.
हाजी मस्तान
हाजी मस्तान को स्मगलिंग का किंग कहा जाता था. ये 1950-70 के दशक में मुंबई में सबसे प्रभावशाली अंडरवर्ल्ड डॉन बना. तमिलनाडु में जन्मा मस्तान 8 साल की उम्र में मुंबई आया और पहले साइकिल की दुकान खोली और फिर डॉक पर कुली बन गया. अपने शुरुआती वर्षों में फिल्मों का बेहद शौकीन रहा. धीरे-धीरे स्मगलिंग के कारोबार में आ गया. उस समय मुंबई में सोना, इलेक्ट्रॉनिक्स और अन्य महंगे सामानों की तस्करी के जरिए उसने अपनी पहचान बनाई.
हाजी मस्तान ने अंडरवर्ल्ड की दुनिया में अपनी स्थिति सिर्फ आपराधिक गतिविधियों से नहीं, बल्कि अपने करिश्माई व्यक्तित्व, फिल्मी दुनिया से नजदीकियों और सादगी भरे जीवन से बनाई. हाजी मस्तान अपने समय के सबसे अमीर और ताकतवर स्मगलरों में से एक रहा और उसका राजनीति में भी प्रभाव बढ़ गया था.
करीम लाला
करीम लाला का असली नाम अब्दुल करीम शेर खान था. ये अफगान पठान था जो भारत आया और मुंबई में अंडरवर्ल्ड की दुनिया में एंट्री की. करीब 30 साल तक अंडरवर्ल्ड पर राज किया. करीम लाला 1940-50 के दशक में मुंबई के अंडरवर्ल्ड का पठान गैंग का मुखिया बना. लाला ने अपनी शुरुआत एक छोटी नौकरी से की, लेकिन जल्द ही मुंबई के जुए के अड्डों, हवाला कारोबार और रंगदारी उगाही में शामिल हो गया. उसने तस्करी, शराब के धंधे और हवाला के जरिए अपनी आपराधिक गतिविधियों को फैलाया. बाद में दाऊद गैंग ने गैंगवाॅर में उसके पूरे गैंग को खत्म कर दिया था.
दाऊद इब्राहिम
अंडरवर्ल्ड की दुनिया में दाऊद इब्राहिम का नाम सबसे बड़ा था. उसका साम्राज्य मुंबई से लेकर दुबई सहित दुनिया के कई देशों में फैला हुआ था. 70 के दशक में चोरी और तस्करी से जरायम की दुनिया में कदम रखने वाला दाऊद बहुत जल्दी संगठित अपराध का सबसे बड़ा सरगना बन गया. वो पहले करीम लाला के गिरोह में शामिल हुआ. लेकिन कुछ समय बाद ही अपना अलग नेटवर्क बना लिया. 1980 के दशक में उसका गैंग सक्रिय हो गया, जिसे 'डी कंपनी' के नाम से जाना गया.
'डी कंपनी' बहुत जल्द हफ्ता वसूली, रंगदारी, तस्करी और प्रॉपर्टी से जुड़ी गतिविधियों में शामिल हो गई. इसके बाद उसने धीरे-धीरे हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में भी अपनी पैठ बना ली. इस तरह पूरा बॉलीवुड अंडरवर्ल्ड के प्रभाव में आ गया. इसी बीच साल 1993 में मुंबई में सीरियल ब्लास्ट हुए, जिसमें सैकड़ों लोगों की जान चली गई. इसमें दाऊद इब्राहिम का नाम सामने आया, जिसके बाद वो दुबई भाग गया. उसके जाने के साथ ही पुलिस ने पूरी मुंबई को साफ करना शुरू कर दिया.
मुंबई में सुपरकॉप शिवानंदन ने तोड़ी अंडरवर्ल्ड की कमर
इसमें मुंबई पुलिस के तेज तर्रार अफसर डी. शिवानंदन का नाम प्रमुख है. उनको 1998 में अंडरवर्ल्ड और गैंगवार से निपटने के लिए मुंबई ज्वाइंट सीपी (क्राइम) बनाया गया था. शिवानंदन को सुपर कॉप कहा जाता था. उन्होंने पद संभालते ही गैंगस्टरों की कमर तोड़नी शुरू कर दी. सैकड़ों अपराधियों के एनकाउंटर कर डाले. 1600 से ज्यादा अपराधी पकड़े गए. संगठित क्राइम और आतंकवाद से निपटने के लिए उनकी पहल पर ही महाराष्ट्र में मकोका लागू किया गया था.
इस तरह दाऊद इब्राहिम और उसके गैंग के सदस्यों के विदेश भाग जाने के बाद मुंबई धीरे-धीरे शांत होने लगी. लेकिन दिल्ली और आस-पास के राज्यों में अपराधियों के नए नेटवर्क उभरने लगे. इनमें सूरजभान उर्फ 'ठकुरिया', कुलदीप फज्जा, लॉरेंस बिश्नोई, जग्गू भगवानपुरिया, संदीप उर्फ 'काला जठेड़ी', अशोक प्रधान, मनोज बाबा, सुशांत गुर्जर, अनिल दुजाना, सुनील राठी और आनंदपाल सिंह जैसे गैंगस्टरों का नाम प्रमुख है. इन्होंने पूरे उत्तर भारत में आतंक कायम कर दिया.
दो दशकों की खामोशी और मुंबई में बिश्नोई गैंग की एंट्री
अंडरवर्ल्ड के चंगुल से आजाद होने के बाद पिछले दो दशक से देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में अपेक्षाकृत शांति थी. राजनीतिक इच्छाशक्ति और पुलिस की सक्रियता की वजह से यहां मौजूद तमाम गैंग्स को साफ कर दिया गया था. जो बचे भी, वो सभी दुबई सहित दूसरे देशों में जाकर बस गए. डॉन दाऊद इब्राहिम ने दुबई में बैठकर लंबे समय तक डी कंपनी को ऑपरेट किया, लेकिन बाद में उसकी जड़ें भी काट दी गईं. लेकिन अब मुंबई में बिश्नोई गैंग की एंट्री हो चुकी है.
उत्तर भारत में दिल्ली, एनसीआर, हरियाणा, राजस्थान और पंजाब में खौफ कायम करने के बाद बाबा सिद्दीकी की हत्या करके बिश्नोई गैंग ने जिस तरह की दहशत कायम की है, वैसी ही दहशत 80-90 के दशक में अंडरवर्ल्ड गैंग ने कायम की थी. उस वक्त दाऊद इब्राहिम, छोटा शकील, अबू सलेम और छोटा राजन जैसे डॉन कुछ इसी तरह से अपना गैंग ऑपरेट करते थे. अरुण गवली, हाजी मस्तान, करीम लाला, समीर ठक्कर, रवि पुजारी और माट्या गैंग भी स्थानीय स्तर पर सक्रिय था.
जब गुलशन कुमार की हत्या से दहली मुंबई...
12 अगस्त 1997. मुंबई के अंधेरी वेस्ट में स्थित जीतेश्वर महादेव मंदिर. टी-सीरीज म्यूजिक कंपनी के मालिक गुलशन कुमार रोज की तरह दर्शन करके मंदिर से बाहर निकल रहे थे. अचानक तीन शूटरों ने उन पर गोलियों की बौछार कर दी. गुलशन कुमार को 16 गोलियां मारी गईं. उनकी मौके पर ही मौत हो गई. इसके बाद हमलावर फरार हो गए. इस जघन्य हत्याकांड ने फिल्म इंडस्ट्री सहित पूरे देश में हड़कंप मचा दिया. उस वक्त मुंबई में अंडरवर्ल्ड गैंग का खौफ चरम पर था.
इस वारदात के ठीक 27 साल बाद, 12 अक्टूबर 2024. मुंबई के बांद्रा स्थित ऑफिस से एनसीपी नेता बाबा सिद्दीकी निकल रहे थे. उसी वक्त तीन शूटरों ने उन पर ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी. सिक्योरिटी में रहने के बावजूद उन पर जानलेवा हमला हैरान कर देना वाला था. इस गोलीबारी में बाबा सिद्दीकी के पेट और सीने में कई गोलियां लगीं. उनको आनन-फानन में अस्पताल पहुंचाया गया. लेकिन तब तक उनकी मौत हो चुकी थी. इस हत्याकांड ने लोगों का दिल दहला दिया.
इन दोनों वारदातों के बीच दो दशक से ज्यादा का फासला है. हैरानी की बात ये है कि इन दोनों की मॉडस ऑपरेंडी बिल्कुल एक जैसी है. यहां तक कि तारीख और शहर भी एक है. गुलशन कुमार को 3 शूटरों ने 16 गोलियां मारी थीं तो बाबा सिद्दीकी को 3 शूटरों ने 6 गोलियां मारी. दोनों घटनाओं के मास्टरमाइंड और शूटरों के बीच कोई सीधा कनेक्शन नहीं है. मास्टमाइंड ने एक हैंडलर हायर किया. फिर हैंडलर ने शूटरों को हत्या की सुपारी दी और शूटरों ने वारदात को बड़े आराम से अंजाम दे दिया.
गुलशन कुमार की हत्या का मास्टमाइंड अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम को माना जाता है. उसने दुबई में बैठकर उनकी हत्या की सुपारी दी थी. वहीं, बाबा सिद्दीकी की हत्या की जिम्मेदारी कुख्यात लॉरेंस बिश्नोई गैंग ने ली है. इस गैंग का गुर्गा मोहम्मद जीशान अख्तर शूटरों का हैंडलर है. इसी गैंग ने मशहूर पंजाबी सिंगर सिद्दू मूसेवाला और करणी सेना के अध्यक्ष सुखदेव सिंह गोगामेड़ी की हत्या की है. इसी ने बॉलीवुड के सुपरस्टार सलमान खान के घर के बाहर फायरिंग भी की थी.
भारत में सबसे ज्यादा कुख्यात हुआ लॉरेंस बिश्नोई गैंग
इस वक्त पूरे भारत में लॉरेंस बिश्नोई गैंग का नाम सबसे ज्यादा कुख्यात है. जेल में बैठा गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई अपने पूरे गैंग को ऑपरेट कर रहा है. उसके गुर्गे गोल्डी बराड़, संपत नेहरा, अनमोल बिश्नोई और रोहित गोदारा कनाडा में बैठकर भारत में आपराधिक गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं. इनमें रंगदारी, सुपारी किलिंग, टारगेट किलिंग, ड्रग्स तस्करी और फिरौती जैसे अपराध प्रमुख हैं. इनके संबंध भारत विरोधी खालिस्तानी आतंकियों और उनके संगठनों से भी हैं.
लॉरेंस बिश्नोई इस वक्त गुजरात के साबरमती जेल में बंद है. कनाडा में बैठा उसका भाई अनमोल बिश्नोई और दोस्त गोल्डी बराड़ उसके निर्देश पर वारदातों को अंजाम दे रहे हैं. वो फेसबुक के जरिए शूटर्स से संपर्क करते हैं. उनको पैसों का लालच देकर लोगों पर फायरिंग करवाते हैं. इस वक्त बिश्नोई गैंग के लिए 1000 से भी अधिक लोग काम कर रहे हैं. लॉरेंस बिश्नोई ने अपना नेटवर्क इस तरह से बनाया है कि वो जेल के अंदर रहे या बाहर, उसे ज्यादा फर्क नहीं पड़ता.
जेल में बैठकर अपना गैंग ऑपरेट कर रहा लॉरेंस बिश्नोई
वो जेल में बैठे-बैठे ही बड़ी आसानी से जो चाहता है, वो करता है. जेल से वो अपने दुश्मनों के नाम की सुपारी निकालता है और करोड़ों की वसूली करता है. एनआईए की पूछताछ में उसने अपने काम करने की पूरी मॉडस ऑपरेंडी बताई थी. दिल्ली की तिहाड़ जेल के अलावा राजस्थान के भरतपुर, पंजाब के फरीदकोट जेल में रहते हुए भी उसने उत्तर भारत के कारोबारियों करोड़ों रुपए की अवैध वसूली की थी. उसके गुर्गे जेल में कारोबारियों के नंबर उसे उपलब्ध कराते हैं.
लॉरेंस बिश्नोई जैसे ज्यादातर गैंगस्टर टेक सेवी हैं. वो आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करना बेहतर तरीके से जानते हैं. मोबाइल के जरिए वो एक-दूसरे के संपर्क में रहते हैं. दिल्ली पुलिस के एक बड़े अफसर की माने तो ये गैंगस्टर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे कि फेसबुक, मैसेंजर, विक्र और टेलीग्राम का इस्तेमाल अपने मैसेज भेजने के लिए करते हैं. इनके जरिए अपने गुर्गों को निर्देश देते हैं. पैसों की लेन-देन के लिए पेटीएम, फोनपे, गूगल पे जैसे ऐप्स का इस्तेमाल करते हैं.
वारदात में सोशल ऐप्स और नाबालिग लड़कों का इस्तेमाल
ज्यादातर गैंग्स वारदातों को अंजाम देने के लिए नाबालिग लड़कों का इस्तेमाल करते हैं. इसके पीछे सबसे बड़ी वजह ये होती है कि ये लड़के नए होते हैं. इनका कोई आपराधिक इतिहास नहीं होता है. ऐसे में वारदात को अंजाम देकर ये आसानी से भाग निकलते हैं. दूसरा पकड़े जाने के बाद भी इन्हें बाल सुधार गृह में डाल दिया जाता है, जहां से बालिग होकर छूट जाते हैं. तीसरा, इनको ऐप्स के जरिए सुपारी दी जाती है, ऐसे में पकड़े जाने के बाद ये लोग किसी का नाम नहीं बता पाते. ऐसे में फंसने की संभावना कम रहती है. आजकल कम उम्र के लड़के अपने महंगे शौक पूरा करने के लिए अपराध के दलदल में उतर जाते हैं. ये लोग उसका फायदा उठाते हैं.
देखा जाए तो लॉरेंस बिश्नोई गैंग की मॉडस ऑपरेंडी काफी संगठित और प्रभावी है. इसमें टारगेट किलिंग, सोशल मीडिया का इस्तेमाल, सिक्योर कम्युनिकेशन और इंटरस्टेट नेटवर्क का कुशलतापूर्वक इस्तेमाल शामिल है. लॉरेंस भी जेल में रहकर वॉयस ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल यानी VOIP के जरिए कॉल करता है. इसमें इंटरनेट से कॉल की जाती है, जिसे ट्रेस कर पाना बहुत मुश्किल होता है. उसका गैंग पूरे भारत में एक बड़ा खतरा और सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक गंभीर चुनौती बन चुका है.
लॉरेंस बिश्नोई के राइट-लेफ्ट हैंड हैं गोल्डी और रोहित
गोल्डी बराड़ और रोहित गोदारा को लॉरेंस बिश्नोई का राइट और लेफ्ट हैंड माना जाता है. ये दोनों मिलकर ज्यादातर वारदातों को अंजाम देते हैं. गोल्डी बराड़ का असली नाम सतिंदर सिंह है. वो पंजाब के श्री मुक्तसर साहेब का है. साल 2021 में कनाडा भाग गया था. गृह मंत्रालय द्वारा जारी नोटिफिकेशन में उसे आतंकी संगठन बब्बर खालसा इंटरनेशनल से संबद्ध बताया गया है. जांच एजेंसियों को गोल्डी बराड़ की लास्ट लोकेशन अमेरिका में ही मिली थी. वहां वो फर्जी नाम से रह रहा है.
रोहित गोदारा राजस्थान के बीकानेर का रहने वाला है. साल 2010 में उसने जरायम की दुनिया में कदम रखा था. उसके खिलाफ 32 से ज्यादा मामले दर्ज हैं. उसने पिछले साल राजस्थान में करणी सेना प्रमुख सुखदेव सिंह गोगामेड़ी की हत्या की साजिश रची थी. उसको आखिरी बार पुर्तगाल और अजरबैजान के बीच आवाजाही करते हुए पाया गया था. वो साल 2022 में डंकी रूट से होते हुए अमेरिका भाग गया था. इंटरपोल ने पिछले साल दिसंबर में उसके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया था.
उत्तर भारत में जेल से ऑपरेट होने वाले प्रमुख गैंग्स...
1. संदीप उर्फ काला जठेड़ी गैंग
दिल्ली के चर्चित सागर धनखड़ हत्याकांड के बाद गैंगस्टर संदीप काला का नाम सामने आया था. वो काला जठेड़ी गैंग चलाता है. हरियाणा सोनीपत के रहने वाले संदीप काला के गुनाहों की फेहरिस्त बहुत लंबी है. साल 2021 में गिरफ्तारी से पहले वो कभी दुबई तो कभी मलेशिया में बैठकर हिंदुस्तान में अपना गैंग ऑपरेट कर रहा था. अब जेल के अंदर बैठकर बाहर खूनी खेल कर रहा है. साल 2004 में उसके खिलाफ मोबाइल चोरी का पहला केस दर्ज हुआ था. उसके बाद 200 से अधिक केस दर्ज हो चुके हैं. इनमें चोरी, लूट, हत्या और रंगदारी के मामले शामिल हैं. उसका गैंग दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और महाराष्ट्र में सक्रिय है. काला जठेड़ी और लॉरेंस बिश्नोई की जुगलबंदी जरायम की दुनिया में बहुत चर्चित है. दोनों ने साथ मिलकर कई वारदातों को अंजाम दिया है. फिलहाल जेल के अंदर से अपना गैंग ऑपरेट कर रहे हैं.
2. नीरज बवाना गैंग
नीरज बवाना का असली नाम नीरज सहरावत है. वो दिल्ली के बवाना गांव का रहने वाला है. इसलिए अपने सरनेम की जगह अपने गांव का नाम लगाता है. जुर्म की दुनिया में इसी नाम से उसे जाना जाता है. नीरज के खिलाफ हत्या, लूट और जान से मारने की धमकी जैसे कई संगीन मामले दिल्ली और अन्य राज्यों में दर्ज हैं. वो फिलहाल दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद है. जेल में रहकर ही अपना गैंग चला रहा है. वहां बैठकर कई वारदातों को अंजाम दे चुका है. नीरज के गुर्गे बीच सड़क पर खून बहाने से नहीं डरते. दुश्मन गैंग के लोगों को मारने से भी उन्हें कोई गुरेज नहीं है. वो ज्यादातर वारदात दिल्ली-एनसीआर में ही करता है. उसके साथ रह चुका सुरेंद्र मलिक उर्फ नीतू दाबोदा उसका सबसे बड़ा दुश्मन माना जाता था. इसका का नाम पहलवान सागर धनखड़ हत्याकांड में भी सामने आया था.
3. जितेंदर मान उर्फ गोगी गैंग
गैंगस्टर जितेंद्र मान उर्फ गोगी तिहाड़ जेल से दुबई के एक कारोबारी से 5 करोड़ की रंगदारी मांगने के बाद सुर्खियों में आया था. उसे साल 2021 में रोहिणी कोर्ट में टिल्लू ताजपुरिया के दो शूटरों ने गोलियों से भून डाला. टिल्लू ने अपने गुर्गे पवन की हत्या का बदला लेने के लिए उसकी हत्या कराई थी. गोगी और टिल्लू के बीच रंजीश की शुरुआत कॉलेज के समय से हो गई थी. छात्रसंघ चुनाव में दोनों ने प्रत्याशी उतारे थे. इसके बाद उनके बीच मारपीट हुई थी. दिल्ली के अलीपुर गांव का रहने वाला गोगी तीन बार पुलिस हिरासत से फरार हो चुका है. इसने दिल्ली और हरियाणा में सबसे ज्यादा अपराध किए हैं. इस वजह से दिल्ली पुलिस ने उस पर चार और हरियाणा पुलिस ने दो लाख का इनाम रखा था. मकाको भी लगा था. उसकी मौत के बाद दीपक तीतर और दिनेश कराला जेल के अंदर से गैंग ऑपरेट कर रहे हैं.
4. हाशिम बाबा गैंग
हाशिम बाबा का असली नाम आसिम है. दिल्ली के यमुनापार में उसने गैंबलिंग का धंधा शुरू किया था. वो संजय दत्त की तरह बड़े बाल रखता था. बॉलीवुड हीरो की स्टाइल में फोटो खिंचवाता था. लेकिन बाद में अबु सलेम और दाऊद इब्राहिम की तरह बड़ा डॉन बनने का सपना देखने लगा. यमुनापार में फैले नासिर गैंग में शामिल हो गया. व्यापारियों को डरना धमकाना, रंगदारी मांगना, पैसे न देने पर गोली मार देना, इनका धंधा था. नासिर के जेल में जाने के बाद हाशिम बाबा गैंग की कमान संभालने लगा. कुछ समय बाद गैंग पर कब्जा कर लिया. नासिर जब जेल से बाहर आया तो दोनों के बीच झगड़ा हो गया. झगड़ ने धीरे-धीरे गैंगवार का रूप ले लिया. इसके गुनाहों की फेहरिस्त को देखते हुए दिल्ली पुलिस ने इसके सिर पर पांच लाख का इनाम रख दिया. इस पकड़ने के लिए पुलिस की 50 से अधिक टीमें लगाई गई. तब जाकर दो साल पहले हुए एक एनकाउटंर के बाद इसे गिरफ्तार किया जा सका. हाशिम बचने के लिए मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में छुपता था.