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दुर्गम पहाड़ियां, आफत भरा मौसम और गिरते-जलते प्लेन... किसी मुसीबत से कम नहीं नेपाल में विमान यात्रा

टेक ऑफ के बाद सीधे जाने की बजाय विमान एयरपोर्ट के पूर्वी हिस्से में रन-वे नंबर बीस की तरफ डगमगाता हुआ जा रहा था. और फिर देखते ही देखते रन-वे बीस पर ही रन-वे से प्लेन का एक हिस्सा टकरा गया. आग का एक गोला उठा और सबकुछ खत्म हो गया.

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इस प्लेन हादसे में 18 लोगों की जान चली गई
इस प्लेन हादसे में 18 लोगों की जान चली गई

Kathmandu Airport Plane Crash: 14 साल और 12 विमान हादसे. दुनिया में शायद नेपाल ऐसा अकेला देश है, जहां औसतन हर साल एक विमान हादसा ज़रूर होता है. बुधवार की सुबह काठमांडू एयरपोर्ट पर एक प्लेन ने जैसे ही टेकऑफ किया, तभी रनवे पर वो प्लेन क्रेश कर गया. हैरत की बात ये है कि इस हादसे में पायलट तो बच गया, लेकिन विमान में सवार 18 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई. मरने वाले तमाम लोग उसी एयरलाइंस के कर्मचारी थे, जिस एयरलाइंस का वो विमान था. हादसा क्योंकि एयरपोर्ट पर ही हुआ, लिहाजा वहां लगे कैमरों में सब कैद हो गया.  

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24 जुलाई 2024, त्रिभुवन एयरपोर्ट, काठमांडू
सुबह के 11 बजकर 10 मिनट हुए थे. नेपाल की प्राइवेट घरेलू एयरलाइंस कंपनी सौर्य एयरलाइंस का विमान काठमांडू के त्रिभुवन एयरपोर्ट से पोखरा के लिए उड़ान भरने को तैयार था. करीब 140 किलोमीटर की दूरी 40 मिनट में पूरी होनी थी. आसमान में बादल जरूर थे, पर मौसम साफ था. 50 सीटर इस विमान में पायलट समेत कुल 19 लोग थे. और ये सभी सौर्य एयरलाइंस कंपनी के ही मुलाजिम थे. यानी इस उड़ान में आम यात्री सवार नहीं थे. 

मरम्मत के साथ-साथ होना था टेक्निकल इंस्पेक्शन
वजह ये थी कि उस विमान में आई कुछ तकनीकी खामियों को दूर करने के लिए उसे पोखरा ले जाया जा रहा था. पोखरा में विमान के मरम्मत के साथ-साथ उसका टेक्नीकल इंस्पेक्शन होना था. एटीसी यानी एयर ट्रैफिक कंट्रोल ने इस विमान को टेकऑफ के लिए दो नंबर रन-वे पर भेजा था. विमान रन-वे पर पहुंच चुका था. इसके बाद जैसे ही एटीसी से जरूरी इजाजत मिली, प्लेन टेक ऑफ के लिए रन-वे पर दौड़ पड़ा. इस प्लेन को 37 साल के पायलट कैप्टन एमआर शाक्य उड़ा रहे थे.

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आग का गोला बन उठा प्लेन 
11 बजकर 11 मिनट पर विमान ने जैसे ही रन-वे छोड़ा, अचानक कुछ तकनीकी खामियों के चलते पायलट का विमान पर से कंट्रोल जाता रहा. टेक ऑफ के बाद सीधे जाने की बजाय विमान एयरपोर्ट के पूर्वी हिस्से में रन-वे नंबर बीस की तरफ डगमगाता हुआ जा रहा था. और फिर देखते ही देखते रन-वे बीस पर ही रन-वे से प्लेन का एक हिस्सा टकरा गया. आग का एक गोला उठा और सबकुछ खत्म हो गया. 

जिंदा पायलट और मुर्दा यात्री
लेकिन इससे पहले कि आग का गोला प्लेन उड़ा रहे पायलट को अपनी चपेट में लेता, वो प्लेन से बाहर गिर चुके थे. लेकिन प्लेन में सवार बाकी 18 लोग इतने खुशनसीब नहीं थे. आग को शोले और धुएं के गुबार के बीच कुछ ही पल में 18 जानें जा चुकी थी. चूंकि हादसा एयरपोर्ट पर ही हुआ था, इसलिए फायर ब्रिगेड और बचाव दल का दस्ता आनन-फानन में विमान के करीब पहुंच चुका था. घायल पायलट को फौरन अस्पताल ले जाया गया, बाकी की 18 लाशें मुर्दा घर.

मिनटों में जल कर खाक हो गया पूरा विमान 
हादसे के तुरंत बाद की तस्वीरें देखकर पता चलता है कि प्लेन के रनवे पर गिरते ही अचानक उसमें आग लग गई थी. फिर देखते ही देखते आग और धुएं के गुबार ने आस-पास के पूरे इलाके को अपनी चपेट में ले लिया. जिस तरह से ये हादसा हुआ और जिस तेजी से विमान आग की चपेट में आया, उसके बाद लोगों के बचने की गुंजाइश बची ही नहीं थी. मिनटों में पूरा विमान जल कर खाक हो गया और विमान के नाम पर सिर्फ एक ढांचा बचा. हादसे में मारे गए सभी लोगों के शव पूरीतरह से जल चुके थे. ऐसे में उनकी पहचान भी मुश्किल हो चुकी है. फिलहाल इस हादसे की सटीक वजह का तो पता नहीं चल सका है, लेकिन नेपाली एजेंसियां मामले की तफ्तीश में जुटी हैं, ताकि सच सामने आ सके.

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नेपाल में सात जगहों पर सेवाएं 
सौर्य एयरलाइंस का सीआरजे-200 मॉडल का वो प्लेन कनाडा की बॉम्बार्डियर कंपनी का है. सौर्य एयरलाइंस के पास इस कंपनी के कुल तीन विमान हैं. दरअसल, सौर्य एयरलाइंस को नेपाल में घरेलू उड़ान सेवाएं देने के लिए 2017 में मंजूरी मिली थी. ये कंपनी नेपाल में सात जगहों पर अपनी सेवाएं देती हैं. ये जगह हैं- भद्रपुर, बिराटनगर, धनगढ़ी, काठमांडू, नेपालगंज, पोखरा और सिद्धार्थनगर.

ऐसा था वो विमान, ये थी खूबी
जो प्लेन क्रैश हुआ है वो 2003 का बना हुआ है. अधिकतम 860 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से उड़ने वाले इस विमान में 50 लोग ही बैठ सकते हैं, ये विमान करीब 6 हजार किलोग्राम का वजन लेकर उड़ सकता है. एक वक़्त में इसमें 8000 लीटर ईंधन ही भरा जा सकता है. एक बार ईंधन भरने के बाद ये अधिकतम लगभग 3 हजार किमी तक की उड़ान भर सकता है. ये विमान 40 हजार फीट की ऊंचाई तक जा सकता है. टेक ऑफ के लिए इसे कम से कम 1770 मीटर और लैंडिंग के लिए 1480 मीटर का रन-वे चाहिए होता है.

नेपाल में रोजाना औसतन 300 उड़ान
नेपाल में घरेलू उड़ान के लिए तीन प्रमुख एयरलाइंस कंपनियां हैं. नेपाल एयरलाइंस, बुद्ध एयर और हिमालय एयरलाइंस. इसके अलावा कुछ छोटी एयरलाइंस भी हैं. जिनमें सौर्य एयरलाइंस, श्री एयरलाइंस, तारा एयर, सिमरिक एयरलाइंस और ये यति एयरलाइंस शामिल है. नेपाल में रोजाना औसतन 300 के करीब ये तमाम एयरलाइंस उड़ान भरती हैं और उतरती हैं. ये आंकड़ें इस बात के गवाह हैं कि गुजरते वक्त के साथ नेपाल में एयर इंडस्ट्री ने काफी तरक्की की है. 

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बढ़ते विमान हादसों की वजह
लेकिन एक सच ये भी है कि खराब सुरक्षा व्यवस्था, ट्रेनिंग की कमी और कॉम्पीटिशन के चलते विमान के रखरखाव के साथ समझौता नेपाल में बढ़ते विमान हादसे की एक बड़ी वजह भी है. अगर पिछले 10-12 साल की बात करें, तो नेपाल शायद दुनिया का इकलौता देश है, जहां औसतन हर साल एक विमान हादसा होता है. हालांकि एक सच ये भी है कि नेपाल ऊंची-ऊंची चोटियों वाले पहाड़ों से घिरा है. मौसम इतनी तेजी से बदलता है कि पता ही नहीं चलता. और ऊपर से दुनिया के दस सबसे खतरनाक एयरपोर्ट में काठमांडू के त्रिभुवन इंटरनेशनल एयरपोर्ट का नाम भी शामिल है.

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