एनआईए ने पाकिस्तानी आतंकवादी बहादुर अली उर्फ सैफुल्ला मंसूर के खिलाफ नई दिल्ली में एनआईए की विशेष अदालत में आरोपपत्र दायर कर दिया है. उसके खिलाफ आईपीसी की विभिन्न गंभीर धाराओं में मामले दर्ज हैं. जिसमें विस्फोटक अधिनियम, शस्त्र अधिनियम, विदेशी अधिनियम, भारतीय वायरलेस टेलीग्राफी अधिनियम समेत गैर कानूनी गतिविधि अधिनियम के मामले शामिल हैं.
एनआईए की गिरफ्त में आया आतंकवादी बहादुर अली उर्फ सैफुल्ला मंसूर पाकिस्तान के लाहौर में गांव जिया बग्गा का रहने वाला है. शुक्रवार को एनआईए की विशेष अदालत में उसके खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया गया. जिसमें उसके खिलाफ धारा 120(बी) के तहत गैर कानूनी गतिविधि के 38 (निवारण) अधिनियम का मामला शामिल है. साथ ही भारतीय दंड संहिता के विस्फोटक अधिनियम, शस्त्र अधिनियम, खंड-14 विदेशी अधिनियम, और भारतीय वायरलेस टेलीग्राफी के (1ए) अधिनियम के तहत आरोप शामिल हैं.
यह पूरा मामला पाकिस्तान के संरक्षण में चलने वाले आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा की एक बड़ी साजिश से संबंधित है. जिसने भारत में कई आतंकी हमलों को अंजाम दिया है.
बहादुर अली उर्फ सैफुल्ला भी आतंकी संगठन लश्कर की ऐसी ही साजिश का एक हिस्सा है, जिसने अपने दो साथियों अबू साद और अबू दर्डा के साथ पाकिस्तान में प्रशिक्षण लेने के बाद अवैध रूप से नियंत्रण रेखा पार करके भारतीय क्षेत्र यानी जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ की थी.
12/13 जून 2016 की दरम्यानी रात में इन तीनों आतंकवादियों ने हथियार और गोला बारूद, नेविगेशन उपकरण, लड़ाकू सामग्री और अन्य सामान के साथ भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ की थी.
इन तीनों आतंकवादियों का मकसद दिल्ली और जम्मू-कश्मीर सहित देश के विभिन्न स्थानों पर आतंकवादी हमले करना था. बहादुर अली, अबू साद और अबू दर्डा को पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर में बैठे लश्कर के आकाओं ने भारतीय सीमा में प्रवेश के वक्त उन्हें यही फरमान सुनाया था.
एनआईए की जांच में खुलासा हुआ है कि लश्कर ने पाकिस्तान के विभिन्न प्रांतों से कमजोर वर्ग के युवकों की भर्ती के लिए संगठित मशीनरी की स्थापना की है. जिनका इस्तेमाल भारत के खिलाफ आतंकी साजिशों और युद्ध छेड़ने के लिए किया जाता है. इसका खुलासा भारत में पहले पकड़े जा चुके आतंकियों ने भी किया है.
एक बार इस आतंकी संगठन में भर्ती हो जाने वाले इन युवाओं को आतंकी ट्रेनिंग दी जाती है. साथ ही उनका वैश्विक नजरिया पूरी तरह बदल दिया जाता है और उन्हें 'सेना' के कौशल प्रदान किए जाते हैं. ताकि वे आतंक का प्रचार कर सकें.
उन युवाओं को आतंकी प्रशिक्षण देने के बाद लश्कर उन्हें अवैध रूप से भारतीय क्षेत्र में भेज देता है. यहां वे अपने समर्थकों और मददगारों के नेटवर्क की मदद से आतंकवादी कृत्यों को अंजाम देते हैं.