राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानी एनआईए ने मीडिया में आ रही इस खबर का पुरजोर खंडन किया है कि स्थानीय लोग बीस से पचास रुपये का भुगतान करके अपने मवेशियों के साथ पठानकोट एयरबेस में दाखिल हो जाते थे. इस खबर के पीछे एनआईए के सूत्रों का हवाला दिया गया था.
इस संबंध में मंगलवार को मीडिया में खबर आई थी कि पंजाब के जिस पठानकोट एयरबेस पर आतंकियों ने हमला किया था, वहां के सुरक्षाकर्मी महज बीस से पचास रुपयों में बिक जाते थे. खबर में बताया गया था कि खुद इंटेलिजेंस एजेंसियों ने इस बात की जानकारी गृह मंत्रालय को दी है.
मीडिया में आई खबरों के मुताबिक खुफिया एजेंसियों ने गृह मंत्रालय को जानकारी देते हुए बताया था कि पठानकोट एयरफोर्स स्टेशन के अंदर एक बड़ा घास का मैदान है. जहां के सुरक्षाकर्मी इस कदर लापरवाह थे कि वहां के स्थानीय चरवाहे बीस से पचास रुपये देकर वहां बकरी चराने के लिए जाते थे.
भारत के लिए अहम इस एयरबेस की सुरक्षा में चरवाहों का स्टेशन के अंदर जाना एक बड़ी खामी थी. लेकिन सुरक्षाकर्मी थोड़े-बहुत पैसे लेकर आम स्थानीय नागरिकों को अंदर घुसने देते थे. और यहां पर यह रोज का किस्सा था.
मीडिया में आई खबर में गृह मंत्रालय को दी गई किसी जानकारी का हवाला देकर कहा गया था कि एयरबेस के अंदर बकरियों के चरने के लिए बढ़िया घास का मैदान है. पूरे एरिया की इकलौती दुकान भी बस एयरबेस की कैंटीन ही है. जिसकी वजह से लोग डेली यूज की चीजें खरीदने और भेड़-बकरियां चराने अंदर ही जाते हैं. कुछ ने तो अंदर जाने के लिए फर्जी परियच पत्र भी बनवा रखे हैं.
उसी खबर में कहा गया था कि एयरबेस के आस-पास गुर्जर समुदाय के लोग ज्यादा संख्या में रहते हैं. आतंकी हमले के बाद सरकार इनकी गिनती करवा रही है, जिससे इनकी सही संख्या का पता चल सके. साथ ही उनके पहचान संबंधी दस्तावेजों की जांच भी की जा रही है.
एनआईए ने इस पूरी खबर का खंडन करते हुए सभी मीडिया संस्थानों को एक बयान जारी किया है. जिसमें कहा गया है कि सुरक्षाकर्मियों को पैसे देकर एयरबेस में प्रवेश पाने की खबर पूरी तरह निराधार है. अभी इस पूरे मामले की जांच चल रही है. उसके बाद ही सभी तथ्य सामने आएंगे.