पठानकोट हमले में शामिल आतंकवादियों द्वारा अगवा किए गए एसपी सलविंदर सिंह को पूछताछ के लिए एनआईए ने समन जारी किया है. एसपी को एनआईए के सामने सोमवार को पेश होना होगा. उनका लाई डिटेक्टर टेस्ट भी कराया जा सकता है. इसके साथ ही जांच एजेंसी ने एक सीमावर्ती गांव के खेतों और वायुसेना के ठिकाने से कुछ पैरों के निशान भी लिए हैं, जिन्हें सीएफएसएल भेजा है.
सूत्रों के मुताबिक, एनआईए की टीम ने पठानकोट के वायुसेना ठिकाने पर हुए आतंकी हमले से जुड़े सबूत एकत्र करने के लिए पठानकोट और इससे लगे गुरदासपुर जिले के विभिन्न इलाकों में सघन तलाशी की है. यहां से कई अहम सबूत मिले हैं. इनकी जांच के लिए केंद्रीय फॉरेंसिक प्रयोगशाला चंडीगढ़ भेजा गया है. इससे आतंकवादियों के सीमा में घुसने के रास्ते को समझने में मदद मिलेगी.
ड्राइवर के फोन कॉल का ब्योरा मंगाया
एनआईए के महानिदेशक शरद कुमार ने शुक्रवार को केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की और अब तक हुई जांच के बारे में उन्हें विस्तृत जानकारी दी है. एनआईए ने आतंकवादियों द्वारा मारे गए टैक्सी ड्राइवर इकागर सिंह के फोन कॉल का ब्योरा भी मंगाया है. उन मोबाइल फोन टावरों के स्थान की भी जानकारी मांगी गई है, जिसके जरिए उन फोन कॉल के लिए सिगनल भेजा गया था.
NIA की टीम कर रही है हमले की जांच
पठानकोट में हुए आतंकी हमले की जांच की निगरानी के लिए महानिरीक्षक रैंक के एक अधिकारी के नेतृत्व में एनआईए की 20 सदस्यीय टीम दो जनवरी से पठानकोट में डेरा डाले हुए है. पुलिस अधीक्षक रैंक के एक अधिकारी इस मामले के मुख्य जांच अधिकारी के तौर पर नियुक्त है. इसके साथ ही आईपीसी, गैर कानूनी गतिविधि निवारण अधिनियम और शस्त्र अधिनियम की धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया है.
...तो इसलिए शक के घेरे में हैं एसपी
- एसपी सलविंदर सिंह ने आतंकियों की संख्या चार-पांच, जबकि उनके दोस्त ने चार बताया था.
- एक टैक्सी ड्राइवर की हत्या करने वाले आतंकियों ने एसपी और उनके साथियों को बिना गंभीर नुकसान पहुंचाए कैसे छोड़ दिया.
- पठानकोट जैसी संवेदनशील जगह में बिना हथियार और पुलिस टीम लिए एसपी क्यों निकले.
एसपी ने कहा- पीड़ित हूं, संदिग्ध नहीं
एसपी सलविंदर सिंह ने बताया था वह खुद पीड़ित है, संदिग्ध नहीं. उनको गंभीर चोटें लगी हैं. वह किसी तरह मौत के मुंह से वापस आए हैं. पठानकोट के कोलिआं मोड़ पर उन लोगों ने गाड़ी रोकी थी. गाड़ी उनका दोस्त राजेश वर्मा चला रहा था. उसी समय अचानक आतंकी उनकी गाड़ी में घुस गए. उन्होंने अंदर की लाइट बंद करने के लिए कहा. उन्हें पीछे धकेल दिया. उनके हाथ सीट के पीछे बांध दिए. उन सभी को गन प्वाइंट पर ले रखा था.
दरगाह से लौटते वक्त हुआ था हादसा
उन्होंने बताया था कि आतंकियों के ये नहीं पता चला था कि वे पुलिस अफसर की गाड़ी में हैं. अगवा किए जाने के करीब 30-40 मिनट बाद पंजाब पुलिस की चेक पोस्ट पार करते ही आतंकियों ने सबसे पहले उनको गाड़ी से गिरा दिया. उस समय वह बेहोश थे. होश में आने के बाद उन्होंने पुलिस कंट्रोल रूम को आतंकियों की जानकारी दी, लेकिन पुलिस उनकी जानकारी पर यकीन नहीं हुआ. वह दरगाह पर मत्था टेकने के बाद वापस आ रहे थे.