फ्रांस के नीस में आतंक का जो खौफनाक चेहरा देखने को मिला, उससे सबकी रूह कांप गई. ना बम, ना बंदूक. 70 किलोमीटर की स्पीड से आती एक लॉरी ने आतंक के खौफ को नई रफ्तार दे दी. पूरे दो किलोमीटर तक 70 की रफ्तार से एक लॉरी सड़क पर दौड़ रही थी. उस वक्त सड़क पर हजारों लोग थे. तेज रफ्तार लॉरी देख कर लोग अचानक भागने लगे. मगर लॉरी थी कि उन भागते लोगों का पीछा कर लगातार उन्हें अपने पहियों तले रौंदती रही. आठ मिनट बाद जब लॉरी रुकी तब तक 80 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी थी. जो देश इत्र की खुशबू से सराबोर रहता था, उस फ्रांस की फिजा में रह गया था तो बस दहशत ही दहशत.
पहले 'स्माइली' फिर 'फ्रांस'
दिल्ली से करीब 6 हजार किलोमीटर दूर समंदर किनारे बसा फ्रांस का खूबसूरत शहर नीस. फ्रांस के नेशनल डे की छुट्टी थी और हजारों की संख्या में लोग शहर के मशहूर फ्रेंच रिवेरा रिजार्ट के करीब समंद्र किनारे आतिशबाजी का मजा लेने के लिए इकट्ठा हुए थे. नीस की इस मस्ती से बस कुछ देर पहले एनक्रिप्टेड फोन एप्प टेलीग्राम पर अचानक एक स्माइली इमेज आता है. इमेज यूनाइटेड साइबर खलीफा की तरफ से जारी किया गया था. कुछ सेकेंड के इस स्माइली इमेज के बाद अचानक एक शब्द का एक मैसेज आता है 'फ्रांस.'
70 की रफ्तार से आई लॉरी
पहले स्माइली और फिर फ्रांस. जाहिर है इसका मतलब किसी को समझ नहीं आया और जब समझ आया तब पता चला कि ये फ्रांस पर हमले का एक नया कोड था. चूंकि शहर में छुट्टी थी लिहाज़ा लोग सड़कों पर थे और ठीक तभी नो एंट्री होते हुए भी अचानक एक भारी-भरकम और बड़ी सी लॉरी लगभग 70 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से समंदर किनारे उसी सड़क पर दौड़ने लगती है जिस सड़क पर बड़े-बूढ़े, बच्चे, औरतें सबी मस्ती कर रहे थे.
बेदर्दी से लोगों को रौंदा
बेलगाम लॉरी की रफ्तार देख कर पहले तो यही लगा कि शायद ड्राइवर का लॉरी पर कंट्रोल नहीं रहा या फिर लॉरी का ब्रेक फेल हो गया. इसके बाद तो देखते ही देखते सड़क पर वो कोहरमा मचा कि बस चारों तरफ चीख-पुकार मच गई. लॉरी सड़क पर मौजूद लोगों को अपने पहिए तले कुचलते हुए लगातार उसी रफ्तार से आगे बढ़ने लगा. मिनट भर के अंदर लोगों की गलतफहमी दूर हो गई. गलतफहमी ये कि लॉरी का ब्रेक फेल है या ड्राइवर का लॉरी पर कंट्रोल नहीं रहा क्योंकि सड़क पर घुसते ही अब लॉरी लोगों का पीछा कर-कर के उन्हें रौंद रहा था.
आठ मिनट का कोहराम
पूरे आठ मिनट और दो किलोमीटर तक लोगों को दौड़ा-दौड़ा कर कुचलने के बाद आखिरकार एक जगह लॉरी फंस कर रुक जाती है. इसके बाद अचानक लॉरी का ड्राइवर बाहर निकलता है. इस बार उसके हाथ में ऑटेमेटिक हथियार था. वो बाहर निकलते ही अब भीड़ का निशाना लेकर गोलियां बरसानी शुरू कर देता है. अब पहली बार यकीन हो चुका था कि ये कोई एक्सिडेंट नहीं बल्कि फ्रांस की सरजमीन पर हुआ एक और आतंकवादी हमला था. वो आतंकवादी हमला जिसके बारे में बस कुछ देर पहले ही इस स्माइली के कोड के साथ आईएसआईएस ने अपना पैगाम जारी किया था.
ट्यूनीशिया का नागरिक था आतंकी
जाहिर है अब तक फ्रांस की सुरक्षा एजेंसियों को भी अंदाजा हो चुका था. लिहाजा लॉरी के ड्राइवर को फायरिंग करते देख वो भी जवाबी फायरिंग करते हैं. जिसमें लॉरी ड्राइवर मारा जाता है. इसके बाद लॉरी की तलाशी ली जाती है. पूरी लॉरी में वो भस अकेला था. हां, लॉरी के अंदर काफी हथियार जरुर रखे थे. इसके बाद लॉरी से बरामद कागजात से ही पता चलता है कि लॉरी ड्राइवर ट्यूनीशिया का नागरिक था लेकिन नीस में रहता था. उसके तार बगदादी के आईएसआईएस से जुड़े थे.
सालभर में तीसरा बड़ा हमला
पिछले साल भर में फ्रांस पर आईएसआईएस का ये तीसरा हमला था और वो भी तब जबकि पहले हमले के बाद से ही फ्रांस में आतंक से निपटने के लिए इमरजेंसी लागू है. जिस नीस शहर को सिटी ऑफ विक्ट्री यानी विजय का शहर कहा जाता था, वहां लोगों की भगदड़ और चीख-पुकार के बीच अगर कोई हारा है तो वो है इंसानियत. आतंक का शिकार बना नीस सैंकड़ों साल पहले ईसाइयत और इस्लाम के बीच चले धर्मयुद्ध का भी गवाह रहा है. आज फिर इतिहास दोहराव के कगार पर है जब धर्म के नाम पर खूनी जंग छेड़े आईएसआईएस के खतरे ने दुनिया की तस्वीर को भयानक बना दिया है.
जान बचाने के लिए समुद्र में कूदे लोग
आईएसआईएस और अल कायदा जैसे आतंकवादी संगठन पहले भी गाड़ियों को दहशत का जरिया बनाने की बात कह चुके हैं. उधर, चश्मदीदों की मानें तो नीस की सड़कों पर दौड़े मौत के इस ट्रक ने जो कोहराम मचाया है, वैसा किसी के लिए सोच पाना भी मुश्किल है. बहुत से लोगों का कहना है कि ट्रक लगातार देर तक साठ से सत्तर किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से लोगों को कुचलता हुआ आगे बढ़ रहा था और हालत ये थी डर के मारे सैकड़ों लोग जान बचाने के लिए पास ही समंदर में भी कूद पड़े.
डिलिवरी ड्राइवर था आतंकी
फ्रांस के अधिकारिक सूत्रों की मानें तो ये 31 साल का एक शख्स था, जिसका नाम मोहम्मद लहूएज बुहेल था. वो ट्यूनीशिया मूल का फ्रेंच नागरिक था, जो उसी शहर में रहता था, जहां उसने इस हमले को अंजाम दिया. मौका-ए-वारदात पर उसे गोलियों से ढेर करने के बाद जब पुलिस ने उसके ट्रक की तलाशी ली, तो कुछ दस्तावेजों से उसकी पहचान साफ हुई. पुलिस की मानें तो वो एक डिलिवरी ड्राइवर के तौर पर काम करता था और एक आध बार छोटे-मोटे गुनाहों में पकड़ा जा चुका था लेकिन वो इतना खौफनाक आतंकवादी था, इसका पता अभी चला.
बढ़ा दी गई इमरजेंसी
हालांकि अभी उसके सीधे तौर पर आईएसआईएस के संपर्क में होने के कोई पुख्ता प्रमाण नहीं मिले हैं, लेकिन जिस तरह आईएसआईएस के टेलीग्राम चैनल की ओर से हमले से पहले एक एनक्रिप्टेड मैसेज में फ्रांस का नाम लिखा गया था, उससे शक है कि इस हमले के पीछे आईएसआईएस ही है. उधर, पेरिस में हुए हमलों को कई महीने गुजरने के बाद अब फ्रांस धीरे-धीरे इमरजेंसी से आम जिंदगी में वापस लौट रहा था लेकिन अब इस हमले के बाद सरकार ने एक बार फिर से पूरे देश में इमरजेंसी का ऐलान कर दिया है. पिछले 18 महीनों में ये तीसरा मौका है, जब फ्रांस खून के आंसू रोया है. फ्रांस पर पहला आतंकवादी हमला पिछले साल जनवरी में तब हुआ था जब शार्ली हैब्दो मैग्जीन को आईएसआईएस ने निशाना बनाया. फिर दस महीने बाद ही फ्रांस पर सबसे बड़ा आतंकवादी हमला हुआ. पेरिस में सात जगहों पर एक साथ आईएसआईएस ने धावा बोल कर 147 लोगों की जान ले ली और अब नीस पर हमला हुआ है.
7 जनवरी, 2015 को शार्ली हैब्दो पर हमला
यही वो दिन था, जब अपने क्रांतिकारी पत्रकारिता के लिए पूरी दुनिया में मशहूर फ्रांस की पत्रिका शार्ली हैब्दो के दफ्तर में आतंकवादी हमला हुआ. दो हथियारबंद दफ्तर के अंदर दाखिल हो गए और अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी. और जब तक पुलिस ने हमलावरों को ढेर किया, तब तक तीन पुलिसकर्मियों समेत कुल 17 लोगों की जान जा चुकी थी. हाल के दिनों में ये फ्रांस में हुआ पहला आतंकवादी हमला था, जिसने पूरी दुनिया को दहलाने के साथ-साथ प्रेस की आजादी और दहशतगर्दी के फैलते जाल को लेकर पूरी दुनिया में एक नई बहस की शुरुआत कर दी. दरअसल, शार्ली हैब्दो मैग्जीन पर पैगंबर मुहम्मद का कार्टून छाप कर उनकी बेकद्री करने का इल्ज़ाम था लेकिन इस इल्जाम का बदला आतंकवादी इस तरह लेंगे, ये किसी ने भी नहीं सोचा था. बाद में ये साफ हुआ कि इस हमले के पीछे आईएसआईएस का हाथ था.
13 नवंबर, 2015 को पेरिस में कत्लेआम
फ्रांस अभी शार्ली हैब्दो पर हुए हमले से पूरी तरह उबर भी नहीं सका था कि ठीक दस महीने बाद इस देश ने अपने सीने पर दहशतगर्दी का दूसरा वार झेला. इस रोज फ्रांस की राजधानी पेरिस में एक साथ सात ठिकानों पर आतंकवादियों ने धावा बोला और ताबड़तोड़ गोलीबारी शुरू कर दी. जिसमें कुल 130 लोग मारे गए और इस हमले के पीछे भी आईएसआईएस ही था. ये हमला कितना भयानक था, इसका अंदाजा सिर्फ इसी बात से लगाया जा सकता है कि दूसरे विश्व युद्ध के बाद इसे हमले को फ्रांस में हुआ दूसरा सबसे बड़ा हमला करार दिया गया. वैसे तो इस हमले के दौरान ही फ्रांस पुलिस और अलग-अलग सुरक्षा एजेंसियों ने ज्यादातर आतंकवादियों को ढेर कर दिया, लेकिन हमले का मास्टरमाइंड अब्देलसलाम चकमा देकर निकल भागने में कामयाब रहा. हालांकि बाद में बेल्जियम में हुए आतंकवादी हमले के बाद अप्रैल 2016 में अब्देलसलाम को गिरफ्तार कर लिया गया.
14 जुलाई, 2016 को नीस में हमला
ये पिछले 18 महीनों के दौरान फ्रांस पर हुआ तीसरा आतंकवादी हमला है, जिसे आईएसआईएस की ओर से ही अंजाम दिया गया है. लेकिन इस हमले की जो सबसे खास और सबसे चौंकानेवाली बात है, वो है इसे अंजाम देने का तरीका. दरअसल, गोलीबारी और बम ब्लास्ट से अलग हटकर इस मामले में आतंकवादी ने एक बड़े ट्रक को ही दहशतगर्दी का हथियार बनाया और फ्रांस के नेशनल डे समारोह के दौरान उसने सैकड़ों लोगों को इस ट्रक से कुचल दिया, जिसमें 80 से ज्यादा लोग बेमौत मारे गए और बहुत से बुरी तरह जख्मी हो गए.
दुनिया में दहशत का सबसे बड़ा नाम बनने की कोशिश
इराक और सीरिया के बाहर फ्रांस दुनिया का ऐसा बीसवां देश हैं जहां आईएसआईएस ने खूनी खेल खेला है. बाकी देशों में आस्ट्रेलिया, जर्मनी, अमेरिका, टर्की, बेल्जियम, सऊदी अरब, यमन, ट्यूनीशिया, इंडोनेशिा और बांग्लादेश जैसे देश शामिल हैं. इन देशों पर बगदादी के आतंकवादी आत्मघाती हमले कर सैकड़ों लोगों को मार चुके हैं. इराक में पैदा हुआ और सीरिया में बढ़े बगदादी के आईएसआईएस की दो साल पहले तक बस यही पहचान थी. मगर बगदादी का इरादा तो कुछ और ही था. पूरी दुनिया को दहलाना और पूरी दुनिया में अपनी दहशत कायम करना. बस अपने उसी इरादे को पूरा करने के लिए उसने एक-एक कर तमाम मुल्कों में अपनी पैठ बनानी शुरू कर दी.
भीड़भाड़ वाली किसी भी जगह को निशाना बनाता है ISIS
आस्ट्रेलिया, अलजीरिया, कनाडा, अमेरिका, सऊदी अरबिया, फ्रांस, टर्की, लीबिया, बोसनिया, यूनान, डेनमार्क, ट्यूनीशिया, यमन, अफगानिस्तान, कुवैत, जर्मनी, इंडोनेशिया, बेल्जियम और अब बांग्लदेश. जैसे तमाम देशों आईएसआईएस हमले कर चुका है. बगददी के निशाने पर एयरपोर्ट से लेकर, दफ्तर, कैफे से लेकर रेस्तरां, मॉंल से लेकर नाइट क्लब और यहां तक कि प्लेन भी शामिल हैं. इराक और सीरिया के बाहर जनवरी 2015 पेरिस में चार्ली हैब्दो के दफ्तर पर हमला कर बगदादी ने सबसे पहले दुनिया का ध्यान अपनी तरफ खींचा था पर आईएसआईएस ने सबसे घातक हमला तीन महीने बाद अप्रैल 2105 में यमन की एओक मसजिद में किया. इस बम धमाके में 130 लोग मारे गए.
भारत तक भी पहुंच बनाने की कोशिश
इसके बाद जुलाई 2015 में ट्यूनीशिया के बीच पर आईएसआईएस के आतंकवादियों ने अंधाधुंध फायरिंग कर कई लोगों की जान ले ली. अक्तूबर 2015 में आईएसआईएस ने दुनिया को तब दहला दिया जब उशने रशियन पेसेंजर प्लेन को गिरा दिया. इसमें सवार सभी 224 लोग मारे गए. फिर दो महीने बाद ही दिसंबर 2015 में बगदादी ने पेरिस पर सबसे बड़ा हमला बोल दिया. जिसमें करीब डेढ़ सौ लोग मारे गए. जनवरी 2016 में आईएस ने पहली बार अमेरिका में अपनी पहुंच दर्ज कराते हुए कैलीफोर्निया में गोलीबारी कर कई लोगों की जान ले ली. इसके बाद इसी साल ब्रसेल्स एयरपोर्ट, फिर टर्की एयरपोर्ट को अपना निशाना बनाया. इतना ही नहीं आईएस ने अमेरिका में नाइट गे क्लब में गोलीबारी कर पचास लोगों की जान लेने की जिम्मेदारी भी खुद ही ली. अब अफगानिस्तान और बांग्लादेश में आईएस की दस्तक के बाद जाहिर है नया खतरा भारत और पूरे एशिया को है.