फांसी का इंतजार कर रहे निर्भया के चार गुनहगारों में से एक मुकेश की फांसी को लेकर अब कोई शक और सवाल नहीं बचा. चारों में मुकेश पहला और इकलौता वो गुनहगार है जिसकी फांसी के बीच आने वाली सारी कानूनी अड़चनें और रहम की फऱियाद सब कुछ बुधवार को खत्म हो गई. फांसी से बचने के लिए अब मुकेश के पास कोई कानूनी रास्ता नहीं बचा है. यानी उसके हिस्से अब मुश्किल से 48 घंटे की सांसें बची हैं. पर फांसी से पहले अगले 48 घंटों में अभी बहुत कुछ होना बाकी है.
बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा- ये अदालत दया याचिका खारिज करने के राष्ट्रपति के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज करती है. और इसके साथ ही करीब 7 साल और डेढ़ महीने बाद निर्भया के चार गुनहगारों में से एक मुकेश की सारी लाइफ लाइन खत्म. अदालत के सारे दरवाज़े अब बंद. राष्ट्रपति का रहम खत्म. अब मुकेश और उसकी मौत के बीच कोई अड़चन नहीं बची. यानी चार में से एक की फांसी की तस्वीर अब बिल्कुल साफ हो चुकी है. पर सिर्फ फांसी की तस्वीर साफ हुई है. फांसी की तारीख को लेकर तस्वीर अब भी धुंधली है. और ये धुंध इन तीनों की वजह से है यानी अक्षय, विनय और पवन.
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तो मुकेश की सारी लाइफ लाइन खत्म. दूसरी डेथ वारंट के हिसाब से फांसी की तारीख अब भी एक फरवरी है. यानी मुकेश की ज़िंदगी और मौत के बीच सिर्फ 48 घंटे हैं. इन 48 घंटों में क्या होगा? क्या मुकेश तय तारीख पर यानी एक फरवरी को अकेला फांसी के फंदे पर चढ़ेगा या फिर बाकी तीन गुनहगारों के बाकी बची लाइफ लाइन के अंजाम का इंतज़ार किया जाएगा. दिल्ली जेल मनुअल 1988 के हिसाब से किसी एक जुर्म के लिए अगर एक से ज़्यादा को मौत की सज़ा होती है. तो उन सभी को एक साथ फांसी के फंदे पर लटकाया जाएगा. अलग-अलग नहीं.
अब अगर इस जेल मनुअल के हिसाब से चलें तो सारी लाइफ लाइन खत्म होने के बावजूद मुकेश, पवन, विनय और अक्षय की बाकी बची लाइफ लाइन के सहारे अपनी लाइफ कुछ और जी सकता है. यानी जब तक पवन, विनय और अक्षय का फैसला नहीं आ जाता. तब तक मुकेश को एक फरवरी को फांसी पर नहीं लटकाया जा सकता है. हां, अगर सुप्रीम कोर्ट खास इस केस में अगले दो दिनों के अंदर कोई आदेश जारी कर दे तभी एक फरवरी को फांसी मुमकिन हो सकती है. जिसकी उम्मीद ना के बराबर है.
इसमें कोई शक नहीं कि निर्भया के चारों गुनहगार पूरी प्लानिंग से कानून की कमज़ोरी का भरपूर फायदा उठा रहे हैं. इसकी बानगी बुधवार को एक बार फिर दिखी. सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति की दया याचिका खारिज करने की मुकेश की याचिका जैसे ही खारिज की लगभग उसी वक्त निर्भया का एक दूसरा गुनहगार अक्षय उसी सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटिशन का हथियार लेकर पहुंच जाता है. अब अक्षय की क्यूरेटिव पिटिशन की इसी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी. बहुत मुमकिन है गुरुवार को ही हो जाए. नहीं तो शुक्रवार. क्योंकि शनिवार तो वैसे ही फांसी का दिन है. तो उससे पहले फैसला ज़रूरी है वरना फांसी नहीं हो सकती.
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वैसे अक्षय की क्यूरेटिव पिटिशन जैसे ही खारिज होगी. उसी वक्त आपको एक नई खबर मिलेगी. खबर ये कि अक्षय के बाद उसी सुप्रीम कोर्ट ने उसी क्यूरेटिव पिटिशन का हथियार लेकर पवन जा पहुंचा है. क्योंकि पवन की क्यूरेटिव पिटिशन भी अभी बाकी है. और पवन तब तक क्यूरेटिव पिटिशन दाखिल नहीं करेगा जब तक की अक्षय की क्यूरेटिव पिटिशन पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला ना आ जाए. क्योंकि यही इनका पैटर्न है और यही इनका तरीका फांसी की तारीख को बार बार टालने के लिए.
अक्षय और पवन की क्यूरेटिव पिटिशन खारिज भी हो जाए तो भी दोनों के पास अभी दया याचिका का दरवाज़ा खुला हुआ है. दया याचिका का दरवाज़ा विनय के पास भी खुला हुआ है. लेकिन ये तीनों एक एक कर दया याचिका के इस दरवाज़े में तभी दाखिल होंगे. जब बाकी के सारे कानूनी दरवाज़े बंद हो जाएंगे. पर क्या ये सब कुछ अगले 48 घंटे में मुमकिन है? अगर नहीं तो फिर दो बार डेथ वारंट जारी कर चुकी पटियाला हाउस कोर्ट तीसरा डेथ वारंट कब जारी करेगा. 30 जनवरी या फिर 31 जनवरी को? क्योंकि कायदे से एक फरवरी से पहले पहले मौत की नई तारीख के साथ नया डेथ वारंट जारी होना ज़रूरी है. और वक्त है सिर्फ अगले 48 घंटे का.