Nithari Case: नोएडा का बहुचर्चित निठारी कांड एक बार फिर चर्चा में है. करीब 17 साल पहले हुए इस कांड में गिरफ्तार किए गए मुख्य आरोपी सुरेंद्र कोली और मोहिंदर सिंह पंढेर को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बहुत बड़ी राहत दी है. उन दोनों को कई मामलों में मिली फांसी की सजा रद्द कर दी गई है. इस केस से जुड़े 12 मामलों में कोली और 2 मामलों में पंढेर को फांसी की सजा निचली अदालत ने सुनाई थी. लेकिन हाईकोर्ट ने सबूतों के अभाव में उन्हें बरी कर दिया है. कोर्ट के इस फैसले के बाद पीड़ित परिवारों में आक्रोश है. उनका कहना है कि सीबीआई ने जानबूझकर लापरवाही की है. इसकी वजह से दो कुख्यात अपराधी सजा पाने से बचते हुए नजर आ रहे हैं.
निठारी कांड के पीड़ित परिवारों की मांग है कि सुरेंद्र कोली और मोहिंदर सिंह को फांसी की सजा दी जाए, ताकि उनके बच्चों के आत्मा को शांति मिल सके. इतना ही नहीं इन परिवारों और प्रत्यक्षदर्शियों ने ये भी आरोप लगाया कि कोली और पंढेर मानव अंगों की तस्करी में लिप्त थे. पंढेर इंटरनेशनल लेवल पर ये काम करता था. वो अक्सर विदेश आता-जाता था. उसकी गैर-हाजिरी में कोली उसकी कोठी की देखभाल करता था. चूंकि पंढेर रसूखदार था. उसकी कोठी पर अक्सर कई बड़े नेताओं और अधिकारियों का आना-जाना था, इसलिए उसे इस मामले में बचा लिया गया. उसके खिलाफ मौजूद सारे सबूत नष्ट कर दिए गए. आज उसी वजह से कोली और पंढ़ेर बचते नजर आ रहे हैं.
मानव अंगों की तस्करी में शामिल होने के आरोप
नोएडा सेक्टर 31 में स्थित डी-5 कोठी जहां 'नर पिशाच' सुरेंद्र कोली और मोहिंदर सिंह पंढेर ने दुनिया को झकझोर देने वाले वारदात को अंजाम दिया था, उसके पास ही एक धोबी परिवार लोगों के कपड़े प्रेस करके अपना गुजारा करता है. इस परिवार की एक मासूम बच्ची ज्योति (10) भी कोली और पंढेर का शिकार हुई थी. यह परिवार निठारी कांड के मुख्य गवाहों में से एक है. इनका मानना है कि कोठी के अंदर और बाहर जिस तरह की चीजें देखने को मिलती थीं, वो हमेशा शक पैदा करती थीं. इस वारदाते के खुलासे के बाद जब उन्होंने तमाम कड़ियां जोड़ी तो समझ आया कि यहां से मानव अंगों की तस्करी का काम होता था. कई अन्य प्रत्यक्षदर्शियों ने शक जाहिर किया था.
पीड़ित परिवारों और प्रत्यक्षदर्शियों का आरोप था...
1. कोठी के बाहर अक्सर एंबुलेंस नजर आती थी
ज्योति के परिजनों ने दावा किया था कि डी-5 कोठी के बाहर उन्हें अक्सर एंबुलेंस खड़ी नजर आती थी. उसमें से डॉक्टर और नर्स को उन्होंने कई बार निकलते देखा था. सभी लोग मास्क से अपने मुंह को ढ़ंककर रखते थे. कई बार एंबुलेंस के साथ एक कार भी आती थी, उसमें से हाईप्रोफाइल लोग निकलते और सीधे कोठी में घुस जाते थे. कुछ देर बाद वो लोग कुछ बॉक्स को लेकर जाते थे. एक बार ज्योति की मां ने पंढ़ेर के नौकर कोली से बार-बार डॉक्टरों के आने की वजह पूछी तो उसने बताया कि घर में माताजी बीमार हैं. उनके रूटीन चेकअप के लिए डॉक्टर आते हैं. उनका कहना है कि उन्होंने कभी उस कोठी में किसी बूढ़ी औरत को नहीं देखा था. ऐसे में कोली की बात पर उन्हें शक हुआ था.
2. आए दिन विदेश दौरे पर रहता था पंढेर
निठारी केस में सबूतों को अभाव में कई मामलों में बरी हो चुके मोहिंदर सिंह पंढेर को मुख्य आरोपी माना जाता है. निठारी गांव के कई पीड़ित परिवारों ने इस बात की पुष्टि की थी. उनका तो यहां तक कहना था कि उसके इशारे पर ही कोली इन वारदातों को अंजाम देता था. ऐसे में उसे बरी कैसे किया जा सकता है. इतना ही नहीं पंढेर अक्सर विदेश जाया करता था. एक साल में वो कई बार आता-जाता था. लोगों को शक था कि वो मानव अंगों की इंटरनेशनल लेवल पर डील करने के लिए जाता था. उसके विदेश जाने की बात पुलिस चार्जशीट में भी है. उसके जमानत का आधार भी यही है, जिसमें कहा गया है कि वारदात के वक्त वो भारत में नहीं था. वो अपने बेटे से मिलने के लिए विदेश गया था.
3. नहीं मिला था शवों के बीच का हिस्सा
इंसानियत को शर्मसार कर देने वाले इस केस में मानव अंगों की तस्करी की बात मौके पर मिले शव और नरकंकाल भी पुख्ता करते हैं. कोठी के अंदर और बाहर नाले से मिलने वाले शवों की खास बात यह थी कि इनका बीच का हिस्सा नहीं मिला था. किसी भी शव के गुर्दे, सीना, पसलियों की हड्डियां तक नहीं मिली थी. कटे हुए जो सिर मिले थे, उनमें भी आंखे गायब थीं. इससे साफ जाहिर होता है कि मासूम बच्चों और लड़कियों को मारने के बाद उनके अंगों की तस्करी की जाती थी. ज्योति के भाई अर्जुन ने बताया था कि उसने सबसे पहले कोठी के अंदर का हाल देखा था, जो कि दिल दहला देने वाला था. पन्नियों में कटे हुए सिर रखे थे. बोरे कटे हुए हाथ-पैर से भरे थे. कोई भी शव पूरा नहीं था.
4. कटे अंगों से मिला था खास केमिकल
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, कोठी के अंदर से मिले शवों से बदबू नहीं आ रही थी. कोई भी शव सड़ा हुआ नहीं था. वहां मिले कटे हुए अंगों से केमिकल की बदबू आ रही थी. शायद उस केमिकल की वजह से ही शव खराब नहीं हुए थे. अब सवाल उठता है कि ऐसे मेडिकल केमिकल उस कोठी में कैसे पहुंचे? जाहिर तौर पर इसमें एक बड़ा रैकेट शामिल रहा है, जो कि मानव अंगों की तस्करी करता था. निठारी कांड में 8 साल की बेटी रचना को खोने वाले पप्पूलाल ने बताया था कि जब वो उस कोठी में घुसे, तो वहां नर कंकाल और कटे हुए सिर बिखरे पड़े हुए थे. इसके बावजूद वहां पर शव सड़ने की बदबू नहीं आ रही थी. इस केमिकल की जानकारी बिना डॉक्टरों की सलाह के नहीं हो सकती है. उनका आरोप है कि मोहिंदर सिंह पंढेर और सुरेंद्र कोली के साथ कई लोग मानव अंगों की तस्करी में शामिल थे. इन लोगों की पहुंच बहुत उपर तक है, इसलिए वो बच सकते हैं.
पंढेर के कपड़े पर खूनी छींटे, थाने में कबूला जुर्म
निठारी के नर पिशाचों की शिकार बनी ज्योति की मां सुनीता ने बताया था कि इस केस के खुलासे के बाद उन्हें सुरेंद्र कोली के शातिर दिमाग का एहसास हुआ. ऐसे कई मौके आए जब उन्हें शक हुआ, लेकिन वो हर बार उन्हें गच्चा दे गया. उन्होंने बताया था कि एक बार कपड़े प्रेस करने के दौरान उन्हें पंढेर के कपड़े पर खून के छींटे मिले थे. इस बारे में पूछने पर कोली ने बताया, ''साहब चिकन लेने गए थे. कसाई ने मुर्गा काटा तो खून के छींटे कपड़े पर पड़ गए.'' इतना ही नहीं ज्योति के पिता छब्बूलाल ने बताया था कि उसके सामने ही पंढेर और सुरेंद्र कोली ने थाने में सबके सामने हाथ जोड़कर कबूला था कि उन्होंने ज्योति को मारा है. पुलिस ने इसकी सीडी भी बनवाई, लेकिन कहां गई किसी को पता नहीं है.
कहां चूक गई सीबीआई, कैसे बरी हुए कोली-पंढ़ेर
अब सवाल ये उठता है कि सीबीआई से आखिर कहां चूक हो गई, जिसकी वजह से सुरेंद्र कोली और मोहिंदर सिंह पंढेर बचते हुए नजर आ रहे हैं. जबकि सीबीआई के पास और गवाह सबूत दोनों हैं. यहां तक हाईकोर्ट की खंड़पीठ जिसने फांसी रद्द करने का फैसला दिया है, उसने भी सीबीआई जांच पर निराशा जताई है. उनका कहना था कि इस केस की जिस तरह से जांच की गई है, उससे वो निराश हैं. न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र और न्यायमूर्ति एसएचए रिजवी की खंडपीठ ने कहा, ''अभियोजन अपराध साबित करने में नाकाम रहा है. परिस्थितिजन्य साक्ष्य जो पेश किए गए हैं, वो रेप और हत्या का दोषी करार देने के लिए पर्याप्त नहीं हैं. जांच से हम निराश हैं. अभियोजन केवल कोली के जुर्म कुबूलने के इकबालिया बयान पर ही केंद्रित है, जो अन्य साक्ष्यों को सपोर्ट नहीं करता है. यहां तक कि अभियोजन, मानव अंगों की तस्करी में संलप्तितता भी शामिल करने में विफल रहा है.''
सीबीआई पर सवाल, पुलिस ने भी की लापरवाही
देश में हुए ऐसे कई केस हैं, जिनमें सीबीआई की जांच पर सवाल खड़े हुए हैं. मसलन, जेसिका लाल मर्डर केस, बदायूं कांड, आरुषि मर्डर केस, कुंडा कांड और एनआरएचएम घोटाला में सीबीआई की जांच शक के घेरे में रही है. इसी तरह निठारी केस में भी सीबीआई पर शुरू से ही आरोप लगते रहे हैं. पीड़ित परिवारों ने तो यहां तक कहा है कि पंढेर ने सीबीआई को खरीद लिया है. सीबीआई उनके ऊपर दबाव डालकर बयान दर्ज करती है. सुनवाई के दौरान कोर्ट जाने में डर लगता है. पंढेर ने जज को भी खरीद लिया है. उसका बेटा जज से हाथ मिलाता है. दोनों जज के चैंबर में बैठकर सिगरेट पीते हैं. ज्योति की मां सुनीता ने बताया था कि पुलिस ने भी बहुत लापरवाही की है. बेटी गुम होने के बाद पुलिस ने एफआईआर दर्ज नहीं की थी. इस केस के खुलासे के बाद पुलिस ने एफआईआर दर्ज की थी, जब उनकी बेटी ज्योति के कपड़े और चप्पल मोहिंदर सिंह पंढेर की कोठी में मिले थे.