क्या आपने कभी सुना है कि किसी लुटने वाले को खुद पता ना हो कि उसका कितना लुट गया? वो भी तब जब बात करोड़ों की हो? भला इतनी मोटी रकम कोई कैसे भूल सकता है? शायद भूल सकता है, तब जब उसके पास इन पैसों का कोई हिसाब-किताब ही ना हो.
दिल्ली की सबसे बड़ी लूट का सबसे बड़ा सच यही है कि फिलहाल किसी को यही नहीं पता कि कौन लुटा और कितना लुटा? लूट की रकम कितनी थी छह करोड़, आठ करोड़ या 15 करोड़? ऐसा पहली बार है जब खुद लुटने वाला छुपा रहा है कि आखिर लुटेरे उससे कितने करोड़ लूट कर ले गए? वो ये भी छुपा रहा है कि लूट की रकम में भारतीय करंसी के अलावा विदेशी करंसी कितनी थी? वो ये भी छुपा रहा है कि इतने सारे पैसे कहां से आए और कहां जा रहे थे?
लुटने वाले का है पुराना रिकॉर्ड
इस बार लुटने वाले और लूटने वाले दोनों ही पुलिस के शक के घेरे में हैं. इसकी वजह ना सिर्फ लूट की बड़ी रकम है बल्कि लूटे गए लोगों का पुराना रिकॉर्ड भी. वो रिकॉर्ड जो शक पैदा करता है कि लूटी गई रकम का ताल्लुक जुर्म के किसी बड़ी सिंडिकेट का हिस्सा हो सकता है.
मंगलवार को दिल्ली के लाजपत नगर में होंडा सिटी कार में जो रकम लूटी गई वह राजेश कालरा और उनके पार्टनर की थी. ये वही राजेश कालरा है जो 2000 में देश में मैच फिक्सिंग के सबसे बड़े बवाल के बाद विलेन की तरह सामने आया था.
राजेश कालरा पर इलजाम था कि बुकी संजीव चावला के कहने पर इसी ने साउथ अफ्रीका के कैप्टन हैंसी क्रोनिए को फोन खरीद कर दिया था. और उसी फोन पर क्रोनिए संजीव चावला को मैच के बारे में सारे अपडेट देता था. मैच फिक्सिंग का खुलासा होने के बाद राजेश कालरा पकड़ा गया और जेल भी गया. 13 साल बाद रिटायरमेंट से ऐन पहले दिल्ली पुलिस के कमिश्नर नीरज कुमार ने मैच फिक्सिंग के बारे में चार्जशीट तैयार करवाई और अदालत में पेश किया. इस चार्जशीट में राजेश कालरा का भी नाम है. हालांकि वो जमानत पर बाहर है.
वारदात की जगह, तरीका और समय से जुड़े हैं कई सवाल
साउथ दिल्ली का लाजपत नगर इलाका दिल्ली के सबसे बिजी रूट में से एक है. वह दिल्ली के सबसे ज्यादा ट्रैफिक वाले इलाके में से एक है. फिर भी लुटेरे वारदात के लिए उसी जगह को चुनते हैं. तमाम खतरा मोल लेकर. इसके बाद राजेश कालरा के घर से लेकर मौका-ए-वारदात तक और फिर वारदात तक कुल 25 मिनट लगते हैं. फिर चार कारों के इस खेल में एक सबसे अहम कार जिसमें कि सिक्यूरिटी गार्ड गन के साथ बैठा था, बस उसी की कार पीछे रह जाती है. क्यों?
फ्लैशबैक: कैसे हुई लूट
मंगलवार सुबह करीब नौ बजे राजेश कालरा के घर कालकाजी से उसका मैनेजर राकेश शर्मा दो बैग में करोड़ों रुपये रख कर होंडा सिटी में चार लोगों के साथ निकलता है. पांचों को करोल बाग और कनॉट प्लेस जाना था. होंडा सिटी को एस्कॉर्ट करने के लिए उसके पीछे एक आई-टेन कार चल रही थी. जिसमें राजेश कालरा का सिक्यूरिटी गार्ड और दो लोगों के साथ लाइसेंसी गन के साथ चल रहा था. मगर मूलचंद फ्लाइओवर के नीचे बीआरटी कॉरिडोर पर पहुंचते ही ट्रैफिक की वजह से आई-टेन कार पीछे रह जाती है.
इसी बीच करीब 9 बज कर 25 मिनट पर पहले एक वैगन आर कार आती है और होंडा सिटी को टक्कर मारते हुए उसे ओवरटेक कर उसके आगे रुक जाती है. टक्कर होते ही होंडा सिटी का ड्राइवर नीचे उतरता है और वैगन-आर के ड्राइवर से लड़ने लगता है. ठीक उसी वक्त पीछे से एक सफेद वरना कार आती है. उसमें से चार-पांच लोग उतरते हैं और होंडा सिटी में सवार लोगों को गन प्वाइंट पर नीचे उतार देते हैं. फिर कार में रखे नोटों से भरे दोनों बैग लेकर उसी होंडा सिटी में फरार हो जाते हैं. बाद में पता चलता है कि वैगन आर और वरना दोनों ही चोरी की कारें थी. होंडा सिटी भी लुटेरे बाद में कोटला मुबारकपुर में सड़क किनारे छोड़ जाते हैं.
लूट के 35 मिनट बाद पुलिस को दी जानकारी
दिन-दहाड़े इतनी बड़ी लूट हो जाती है, लेकिन लूट की जानकारी पुलिस को वारदात के करीब 35 मिनट बाद दी जाती है. पुलिस के आने के बाद कार में सवार लोग लुटने की बात तो बताते हैं पर कार में कितने पैसे थे ये सही-सही नहीं बताते. कार सवार लोगों से पता चलता है कि पैसे राजेश कालरा और उसके बिजनेस पार्टनर राहुल आहूजा के थे.
पुलिस को शक, 15 करोड़ तक है लूट की रकम
राजेश कालरा और राहुल आहूजा पुलिस के पास पहुंच कर पहले यह बताते हैं कि कार में छह करोड़ कुछ लाख रुपये थे. पर राजेश कालरा के मैनेजर ने बताया कि कार में 4 करोड़ 69 लाख राजेश कालरा के थे जबकि तीन करोड़ राहुल आहूजा के. यानी कुल 7 करोड़ 69 लाख रुपये. इसमें इंडियन करंसी के अलावा यूरो और डॉलर भी थे. विदेशी करंसी की जो मात्रा बताई गई है उसको देखते हुए पुलिस को शक है कि लूटी गई रकम दस से पंद्रह करोड़ तक हो सकती है.
पुलिस सूत्रों के मुताबिक राजेश कालरा, राहुल आहूजा उनके मैनेजर और ड्राइवर से पूछताछ के दौरान ये पता चला कि ये लोग पहले भी इसी तरह कार में करोड़ों रुपये रख कर करोल बाग और कनॉट प्लेस और बाकी जगह जाते रहे हैं. इस दौरान अकसर ये लोग 10 से 15 करोड़ तक अपने साथ ले जाते थे.
क्या लुट गया पैसा हवाला से आया था?
लूट में पुलिस के सामने सबसे बड़ा सवाल यह था कि आखिर इतनी बड़ी रकम कोई कार में लेकर क्यों जा रहा था? पुलिस सूत्रों के मुताबिक शुरुआती पूछताछ में राजेश कालरा ने बताया कि सारे पैसे साउथ दिल्ली में प्रॉपर्टी की एक डील से आए थे. पुलिस ने साउथ दिल्ली में पिछले 15 दिनों में हुई प्रॉपर्टी की तमाम बड़ी डील के बारे में जब छानबीन की तो पता चला कि इतनी बड़ी कोई डील हाल में हुई ही नहीं.
पुलिस सूत्रों के मुताबिक बाद में उन्होंने बताया कि ये पैसे चांदनी चौक के एक डीलर से मिले थे. लेकिन ये बात भी गलत निकली. पुलिस सूत्रों का कहना है कि राजेश कालरा और उसका पार्टनर राहुल आहूजा अब तक पैसों के बारे में कोई तसल्लीबख्श जवाब नहीं दे पाए हैं. जिस तरह वह बार-बार झूठ बोल रहे हैं उससे साफ है कि पैसा ब्लैक मनी और हवाला के कारोबार से जुड़ा है.
हो सकता है सबसे बड़े हवाला रैकेट का पर्दाफाश
पुलिस पूछताछ में उन लोगों ने बताया था कि सारे पैसे वो करोल बाग, कनॉट प्लेस और चांदनी चौक के अलग-अलग बैंकों में जमा कराने जा रहे थे. बाद में पता चला कि वो सही कह रहे थे, क्योंकि इन जगहों पर राजेश कालरा और राहुल आहूजा दोनों के ही अलग-अलग बैंकों में खाते हैं. पुलिस सूत्रो की मानें तो लूट की इस वारदात को सुलझाते-सुलझाते मुमकिन है कि वो दिल्ली में हवाला के एक बड़े रैकेट का पर्दाफाश भी कर दें.
सूत्रों की मानें तो राजेश कालरा मैच फिक्सिंग मामले में जमानत पर बाहर आने के बाद से पूरी तरह खामोश था. गुड़गांव छोड़कर वो साउथ दिल्ली में आ बसा और यहीं उसने प्रॉपर्टी डीलिंग का धंधा शुरू कर दिया. गुड़गांव का राहुल आहूजा उसका पार्टनर बना. पुलिस को शक है कि प्रॉपर्टी का धंधा सिर्फ दिखावे के लिए था.
लुटेरों के पीछे है पुलिस की 24 टीमें
दिल्ली पुलिस ने लुटेरों को पकड़ने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. दिल्ली पुलिस की करीब 24 टीमें इस काम में दिन-रात लगी हैं. इनमें साउथ, साउथ ईस्ट, क्राइम ब्रांच, स्पेशल सेल और दूसरी जिला की कई पुलिस टीमें शामिल हैं. इसके अलावा हवाला के मामले को देखते हुए दिल्ली पुलिस जांच में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की भी मदद ले रही है.
राजेश कालरा, उसका पार्टनर राहुल आहूजा और राजेश कालरा का ड्राइवर जो वारदात के वक्त होंडा सिटी कार चला रहा था तीनों ही हरियाणा से हैं. लिहाजा पुलिस हरियाणा गैंग को सामने रख कर मामले की जांच आगे बढ़ा रही है. इस सिलसिले में अब तक हरियाणा और बाहरी दिल्ली के कई इलाकों में छापे भी मारे जा चुके हैं. शक है कि गैंग से जुड़े लोगों का रोहतक से कनेक्शन है.
किसी अंदर के शख्स की है मिलीभगत
पुलिस सूत्रों के मुताबिक लुटेरों के गैंग को किसी अंदर के ही शख्स ने पूरी जानकारी दी है. वर्ना कब कितने रुपये लेकर, किस कार और किस रास्ते से वो जाने वाले हैं ये लुटेरों को पता नहीं चलता. हालांकि किसी बड़े गैंगस्टर के भी इस लूटपाट के पीछे हाथ होने से इनकार नहीं किया जा सकता.
बकौल पुलिस हाल के वक्त में ऐसी बड़ी लूटपाट को अंजाम देने वाले हरियाणा के कुछ कुख्य़ात लुटेरे नीरज बवानिया, विकास लगरपुरिया और नीतू दबोड़िया के साथी पारस को भी ढूंढा जा रहा है. ये सभी कुछ वक्त पहले ही जेल से जमानत पर बाहर आए हैं और लापता हैं.