scorecardresearch
 

चीन-नॉर्थ कोरिया की तानाशाही दोस्ती से अमेरिका परेशान!

नॉर्थ कोरिया और अमेरिका के बीच अब ज़बानी जंग भी आखिरी मुकाम पर है. मार्शल किम जोंग उन तो पहले से ही जंग पर आमादा हैं. मगर अब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भी नॉर्थ कोरिया पर ऐसे हमले की धमकी दी है, जैसा दुनिया ने पहले कभी न देखी हो. लेकिन किम जोंग उन को डराने की हर अमेरिकी कोशिश के बीच में चीन की दीवार खड़ी है. चीन ने अमेरिका को इशारों इशारों में ये कह दिया है कि अगर उसने उत्तर कोरिया पर हमला किया या हमले की शुरूआत की तो चीन चुप नहीं रहेगा.

Advertisement
X
चीन और नार्थ कोरिया के बीच युद्ध में सहयोग को लेकर एक संधि भी है
चीन और नार्थ कोरिया के बीच युद्ध में सहयोग को लेकर एक संधि भी है

Advertisement

नॉर्थ कोरिया और अमेरिका के बीच अब ज़बानी जंग भी आखिरी मुकाम पर है. मार्शल किम जोंग उन तो पहले से ही जंग पर आमादा हैं. मगर अब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भी नॉर्थ कोरिया पर ऐसे हमले की धमकी दी है, जैसा दुनिया ने पहले कभी न देखी हो. लेकिन किम जोंग उन को डराने की हर अमेरिकी कोशिश के बीच में चीन की दीवार खड़ी है. चीन ने अमेरिका को इशारों इशारों में ये कह दिया है कि अगर उसने उत्तर कोरिया पर हमला किया या हमले की शुरूआत की तो चीन चुप नहीं रहेगा.

एक तरफ नॉर्थ कोरिया का मार्शल किम है, तो दूसरी तरफ महाशक्तिशाली देश का राष्ट्रपति. दोनों एक दूसरे को आमने सामने से देखे बिना ही इस कदर नफरत करने लगे हैं कि लगता है एक दूसरे पर हमला किए बिना चैन की सांस नहीं लेंगे. डोनाल्ड ट्रम्प ने सबसे बड़ी चेतावनी देते हुए किम को तबाह करने की कसम खा ली है तो वहीं किम ने जवाब में अमेरिकी द्वीप गोआम को बर्बाद करने की धमकी दे दी है. मगर दोनों की इस तनातनी की गूंज अब चीन में भी सुनाई पड़ने लगी है.

Advertisement

ट्रम्प को भी पता है और दुनिया भी ये जानती है कि जब तक चीन है. तब तक नॉर्थ कोरिया पर अमेरिका हमला कर ही नहीं सकता. इसकी वजह से नॉर्थ कोरिया से उसकी आर्थिक साझेदारी या दोस्ती नहीं बल्कि इसके कई कारण हैं.

ये भी सच है कि अगर बिना जंग के कोई नॉर्थ कोरिया मामले का निपटारा करवा सकता है तो वो चीन ही है. यही वजह है कि अमेरिका इस मामले में चीन के रोल पर ज़ोर दे रहा है. खुद ट्रम्प ने चीन को व्यापार बढ़ाने का लालच भी दिया. मगर चीन अभी दूर से ही तमाशा देखने की नीति अपना रहा है. हालांकि चीन खुद भी इस समस्या को शांति से हल करना चाहता है. क्योंकि वो जानता है कि जंग के हालात में उसे कई तरह की दिक्कतों से दो-चार होना पड़ेगा. और सबसे बड़ी समस्या नॉर्थ कोरियाई शरणार्थी होंगे. जो जंग छिड़ने पर जापान और साउथ कोरिया न जाकर सिर्फ चीन का रूख करेंगे.

अमेरिका अगर नॉर्थ कोरिया पर हमला करता है तो उसे लेने के देने पड़ सकते हैं क्योंकि जंग के हालत में चीन को हर हाल में नॉर्थ कोरिया का साथ देना ही होगा. ऐसा इसलिए क्योंकि अमेरिका और नॉर्थ कोरिया दोनों के एक साथ चीन की संधियां हैं. 1950 से लेकर 1953 तक नॉर्थ और साउथ कोरिया के बीच चली जंग में चीन और रूस ने उत्तर कोरिया का साथ दिया था. जिसके बाद यूएन की मध्यस्थता में हुई एक युद्धविराम संधि के साथ ही ये जंग खत्म हुई थी. इस संधि के दौरान वाशिंगटन और बीजिंग के बीच एक समझौता ये भी हुआ था कि अगर अमेरिका भविष्य में नॉर्थ कोरिया पर हमला करता है तो सीज़ फायर टूट जाएगा.

Advertisement

इसके अलावा 1961 में चीन और उत्तर कोरिया की वामपंथी सरकारों ने आपस में एक और अहम संधि की थी. जिसका नाम ‘चीन-उत्तर कोरियाई पारस्परिक सहायता और सहयोग मित्रता संधि’ था. इस संधि में कहा गया है कि अगर चीन और नॉर्थ कोरिया में से किसी भी देश पर अगर कोई दूसरा देश हमला करता है, तो दोनों देशों को तुरंत एक-दूसरे का सहयोग करना पड़ेगा. पिछले सालों में इन दोनों देशों ने इस संधि की वैधता की अवधि बढ़ाकर 2021 तक कर दी है.

विदेश मामलों के कुछ जानकार कहते हैं कि इस संधि से दोनों देशों को बड़ा फायदा मिला है. जहां चीन ने इससे अपने व्यापारिक हित साधे वहीं नॉर्थ कोरिया ये संधि करके अपने आप को और सुरक्षित करने में कामयाब हो गया.

आर्थिक नज़रिये से भी चीन के लिए नार्थ कोरिया बहुत ज्यादा अहम है. पिछले चार दशकों से उत्तर कोरियाई बाजार में चीन का एक छत्रराज कायम है. इसके अलावा अमेरिकी सेनाओं की इस क्षेत्र में मौजूदगी ने भी चीन को परेशान कर रखा है और इसीलिए वो जल्द इस समस्या को हल करना चाहता है. चीन लगातार यही कोशिश कर रहा है कि किसी तरह जंग के हालात को खत्म किया जा सके. इसीलिए चीनी विदेश मंत्री ने अमेरिका और उत्तर कोरिया दोनों को ही चेताते हुए कहा था कि अगर युद्ध हुआ तो उसमें जीत किसी की नहीं होगी जबकि दोनों को कभी न दूर होने वाले जख्म झेलने पड़ सकते हैं.

Advertisement

मगर अब चीन में इस बात की सुगबुगाहट तेज़ है कि जंग के हालात में चीन का रोल क्या होगा.. सरकारी अख़बार ग्लोबल टाइम्स के मुताबिक अगर अमरीका नॉर्थ कोरिया के ख़िलाफ़ सत्ता परिवर्तन के इरादे से हमला करता है तो चीन को चुप नहीं रहना चाहिए.

 

Advertisement
Advertisement