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क्या नॉर्थ कोरिया को सबक सिखाने की तैयारी में है अमेरिका?

बहुत कोशिश की अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कि वो अपने बयानों से नॉर्थ कोरिया के सुप्रीम लीडर मार्शल किम जोंग उन को डरा सकें, धमका सकें. मगर जब कोई तरीका काम नहीं आया तो कोरियाई पेनिनसुला में खुद अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प आ गए. एशिया के पांच देशों में घूम घूमकर वो किम जोंग के लिए चक्रव्यूह की तैयारी में जुटे हुए हैं. लेकिन दुनिया को डर इस बात का है कि भले किम जोंग उन को इस चक्रव्यूह से बाहर निकलने का रास्ता न पता हो लेकिन अपने स्टाइल में वो कोई मिसाइल या परमाणु बम के परीक्षण के धमाके से उसे तोड़ सकता है.

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ट्रंप का एशिया दौरा किम पर दबाव बनाने की रणनीति भी माना जा रहा है
ट्रंप का एशिया दौरा किम पर दबाव बनाने की रणनीति भी माना जा रहा है

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बहुत कोशिश की अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कि वो अपने बयानों से नॉर्थ कोरिया के सुप्रीम लीडर मार्शल किम जोंग उन को डरा सकें, धमका सकें. मगर जब कोई तरीका काम नहीं आया तो कोरियाई पेनिनसुला में खुद अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प आ गए. एशिया के पांच देशों में घूम घूमकर वो किम जोंग के लिए चक्रव्यूह की तैयारी में जुटे हुए हैं. लेकिन दुनिया को डर इस बात का है कि भले किम जोंग उन को इस चक्रव्यूह से बाहर निकलने का रास्ता न पता हो लेकिन अपने स्टाइल में वो कोई मिसाइल या परमाणु बम के परीक्षण के धमाके से उसे तोड़ सकता है.

किम से परेशान ट्रंप

मार्शल किम जोंग उन ने न सिर्फ पूरी दुनिया बल्कि दुनिया के सबसे ताक़तवर मुल्क के राष्ट्रपति को इस कदर मजबूर कर दिया है कि वो अब नॉर्थ कोरिया के लिए विरोध और अपने लिए समर्थन जुटाने में जुटा हुआ है. नॉर्थ कोरिया के आगे अमेरिकी राष्ट्रपति इस कदर परेशान नज़र आ रहे हैं कि 11 दिनों के एशियाई दौरे पर निकल पड़े हैं. डोनाल्ड ट्रम्प का इतना लंबा एशियाई दौरा इसलिए चर्चा में है क्योंकि इससे पहले पिछले 25 सालों में ऐसा किसी अमेरिकी राष्ट्रपति ने नहीं किया.

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तबाही का फाइनल प्लान

अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या ये किम की तबाही का फाइनल प्लान है. क्या अमेरिका नॉर्थ कोरिया को सबक सिखाएगा. क्या ट्रम्प ने किम के सफाए के लिए कमर कस ली है. जंग हुई तो क्या तय है तानशाह किम जोंग का अंत.क्या सच में किम की नाकेबंदी की उलटी गिनती शुरु हो चुकी है.

किम के अंत की आहट

अमेरिका के समर्थन में खड़े देश ऐसी उम्मीद जता रहे हैं कि ट्रम्प के इस एशियाई दौरे से उत्तर कोरिया के मार्शल किम जोंग के अंत की आहट सुनाई देने लगी है. क्योंकि डोनाल्ड ट्रंप का कहना है कि वो एशिया के 5 देशों की यात्रा में किम जोंग उन पर नकेल कसने की संभावनाएं तलाशने आए हैं. इस दौरे के ज़रिए वो उत्तर कोरिया को चारों तरफ से घेरने की कोशिश कर रहे हैं.

अमेरिकी प्रोपेगैंडा का असर

लेकिन ये तस्वीर का सिर्फ एक पहलू है. दूसरा पहलू दुनिया या तो देखना नहीं चाहती या फिर अमेरिकी प्रोपेगैंडा ने उसकी आंखे बंद कर रखी हैं. जबकि हक़ीकत तो ये है कि किम जोंग उन और यूएन में उनके नेता पहले ही कह चुके हैं कि नॉर्थ कोरिया के परमाणु हथियार किसी की तबाही के लिए नहीं बल्कि अपनी सुरक्षा के लिए है. लेकिन अगर कोई उनके देश की सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करता है तो वो इसका इस्तेमाल भी कर सकते हैं.

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ट्रंप का दौरा उकसाने वाला

ऐसे में तनाव के इस माहौल में अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का ये दौरा न सिर्फ नॉर्थ कोरिया को उकसाने वाला है. बल्कि अजब नहीं कि वो अमेरिका को जवाब देने के लिए कहीं अगला परमाणु या मिसाइल टेस्ट न कर बैठे. आपको बता दें कि 5 नवंबर से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 11 दिनों तक एशिया में रहेंगे. उनके इस कूटनीतिक दौरे का मकसद मार्शल किम जोंग पर दबाव बनाना है.

चीन बनेगा राह में रोड़ा

जापान, दक्षिण कोरिया, चीन, वियतनाम और फिलीपींस. ट्रंप का ये दौरा उत्तर कोरिया की उस धमकी का जवाब माना जा रहा है, जो वो लगातार अमेरिका को देता जा रहा है. मगर एशिया में ट्रम्प की धाक जमाने की ये रणनीति कैसे कामयाब होगी ये आने वाला वक्त ही बताएगा. क्योंकि भले वो इस दौरे में चीन भी जा रहें हो मगर जानकार मान रहे हैं कि चीन उन्हें ऐसा आसानी से ऐसा करने देगा लगता नहीं.

एक तीर, दो शिकार

यूं भी अमेरिका की नीयत कोरियाई पेनिनसुला में शांति बनाए रखने की है या इस रीजन में चीन को चुनौती देने की है इससे सब वाकिफ है. उत्तर कोरिया कोरिया के कंधे पर बंदूक रखकर अमेरिका दरअसल एक तीर से दो निशाने लगाने की कोशिश कर रहा है.

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पेंटागन ने शुरू किया आकलन

वहीं दूसरी तरफ अमेरिकी रक्षा मुख्यालय पेंटागन ने बाकायदा ये आकलन शुरु कर दिया है कि जंग हुई तो अमेरिका की जीत के रास्ते क्या होंगे. पेंटागन ने अमेरिकी सांसदों को युद्ध की तैयारी पर रिपोर्ट भेजी हैं. क्योंकि अमेरिकी संसद ने पेंटागन से जंग की स्थिति में तैयारी पर इनपुट मांगा था.

जैविक, रसायनिक हथियारों से खतरा

सांसदों को भेजी गई रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी सैनिक उत्तर कोरिया की जमीन पर उतरेंगे तभी वहां एटमी हथियारों की लोकेशन का पता चलेगा. खतरा है कि उत्तर कोरिया जैविक और रसायनिक हथियार का इस्तेमाल कर सकता है. एटमी हमला होने पर अमेरिका के संभावित कदमों की पूरी डिटेल उस रिपोर्ट में दी गई है. उत्तर कोरिया के पास नर्व जैसे खतरनाक एजेंट्स बनाने की क्षमता है, जिसका सामना करना पड़ सकता है.

सांसदों ने मांगी रिपोर्ट

अमेरिकी सांसदों ने युद्ध की हालत में होने वाले नुकसान पर भी पेंटागन का आकलन मांगा. पेंटागन ने सबसे अच्छे और सबसे बुरे दोनों हालात का आकलन किया है. हमले का असर इस बात से तय होगा कि उत्तर कोरिया किस तीव्रता से अटैक करता है. पेंटागन की असली चिंता दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल की करीब ढाई करोड़ आबादी है जो सबसे पहले उत्तर कोरिया के हमले की जद में होंगे. क्योंकि हमले की सूरत में उत्तर कोरिया सबसे पहले दक्षिण कोरिया, फिर जापान और उसके बाद गुआम और आखिर में अमेरिका तक को निशाना बना सकता है.

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किम ने किया था हाईड्रोजन बम टेस्ट

आपको याद दिला दें कि इसी साल 3 सितंबर को नॉर्थ कोरिया ने एक ऐसे हाईड्रोजन बम का परीक्षण किया था, जिसके बारे में कहा गया कि ये 1945 में हिरोशिमा पर गिराए गए परमाणु बम से भी आठ गुना ज़्यादा ताकतवर है. नॉर्थ कोरिया के साथ-साथ यूरोप के कुछ इलाक़ों में तक आए ज़लज़ले ने इस बात की तस्दीक भी की थी. लेकिन इसी के साथ जानकारों ने आगाह कर दिया कि ऐसे एक के बाद एक ताबड़तोड़ परीक्षणों ने न्यूक्लियर सेंटर के सुरंग की ज़मीन कमज़ोर और मिट्टी दरदरी हो चुकी है.

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