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अमेरिका को नॉर्थ कोरिया की खुली धमकी कहीं विश्वयुद्ध की आहट तो नहीं!

नार्थ कोरिया और अमेरिका के बीच अब मामला संजीदा हो चुका है. इन दोनों देशों के नेताओं के दरमियान बात अब इस हद तक बढ़ गई है कि जंग का खतरा सिर उठाने लगा है. जंग किसी भी वक़्त शुरू हो सकती है. ऐसे में ज़रूरी हो जाता है कि हम ये जान लें कि अगर ऐसा हुआ तो तबाही की आंच कहां तक पहुंचेगी. कहीं ये विश्वयुद्ध की आहट तो नहीं.

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अमेरिका ने भी नार्थ कोरिया को सबक सिखाने की पूरी तैयारी कर ली है
अमेरिका ने भी नार्थ कोरिया को सबक सिखाने की पूरी तैयारी कर ली है

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नार्थ कोरिया और अमेरिका के बीच अब मामला संजीदा हो चुका है. इन दोनों देशों के नेताओं के दरमियान बात अब इस हद तक बढ़ गई है कि जंग का खतरा सिर उठाने लगा है. जंग किसी भी वक़्त शुरू हो सकती है. ऐसे में ज़रूरी हो जाता है कि हम ये जान लें कि अगर ऐसा हुआ तो तबाही की आंच कहां तक पहुंचेगी. कहीं ये विश्वयुद्ध की आहट तो नहीं. क्योंकि एक तरफ अरब देश तो दूसरी तरफ कोरियाई पेनिंनसुला जंग के ज्वालामुखी पर बैठा है. और ऊपर से अमेरिका नार्थ कोरिया के तानाशाह को तैश दिलाने की कोई कसर नहीं छोड़ रहा है. अब कहीं जंग छिड़ गई तो अंदाजा लगाइए कि फिर क्या होगा?

अमेरिका की तरफ है नार्थ कोरिया का निशाना
घबराहट सब में हैं, इत्मिनान किसी को नहीं. चैन है कि आता ही नहीं और आएगा भी क्यों कर. हालात ही अब कुछ ऐसे हैं. एक तरफ साउथ कोरिया, अमेरिका, जापान और चीन अपने अपने हथियारों से लैस हैं. बस बिगुल फूंके जाने का इंतज़ार है. तो दूसरी तरफ मैदान में अकेला खड़ा नार्थ कोरिया का तानाशाह इस बात को लेकर कशमकश में है कि वो अपनी मिसाइलों का रूख किस ओर करे. इसलिए उसने तय किया है कि हमला कहीं से भी हो उसकी मिसाइलों का रूख सिर्फ एक तरफ होगा और वो है अमेरिका. बकौल नार्थ कोरिया के इस तानाशाह किम जोंग उन के उसके पास इसकी वाजिब वजह भी है. क्योंकि सीरिया पर हमले के बाद अब अमेरिका का रवैय्या पूरी तरह से जंग का हो गया है और इसीलिए उसने कोरियाई पेनिनसुला में अपने जंगी जहाज़ों को भेजा है. लिहाज़ा किम जोंग उन ने अमेरिका को आखिरी चेतावनी दी है कि जंग के लिए तैयार रहें.

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अकेला पड़ गया है नार्थ कोरिया
किम जोंग की इस झुंझलाहट को समझना है तो इस नक्शे को पहले समझिए क्योंकि इसके बाद तस्वीर ज़्यादा साफ़ हो जाएगी. भले यहां से अमेरिका की दूरी करीब 10 हज़ार किलोमीटर हो, मगर साउथ कोरिया की सरहद उससे लगती है. और अमेरिका के दूसरे साथी जापान की दूरी महज़ एक हज़ार किलोमीटर है. चीन से भी रिश्ते कोई बहुत बेहतर नहीं हैं. क्योंकि किम जोंग की ज़हरीली मिसाइलों से खौफ उसे भी है. ले दे के उसके पड़ोस में रूस ही एक ऐसा देश है जिसके साथ कम्यूनिस्टों के दौर में उसका दोस्ताना रिश्ता रहा है. मगर मौजूदा वक्त में हालात ऐसे हैं कि उत्तर कोरिया खुद को अकेला ही समझता है. अकेले दम पर ही वो अमेरिका से लोहा लेने को न सिर्फ तैयार बैठा है बल्कि बराबरी की जंग का दम भी भर रहा है.

हथियारों से पहले ज़ुबानी जंग
दूसरी तरफ अमेरिका की ट्रम्प सरकार भी पूरी तैयारी किए बैठी है. कोरियाई प्रायद्वीप पर उसने अपने स्ट्राइक ग्रुप भेज दिए हैं. जिसमें निमित्ज़ क्लास एयरक्राफ्ट भी है. यूएसएस कार्ल विन्सन भी और एक कैरियर विंग के अलावा दो मिसाइल डेस्ट्रॉयर और एक गाइडेड मिसाइल क्रूजर शामिल है. अब ज़ाहिर है नार्थ कोरिया की चौखट के इतने नज़दीक आकर अमेरिका अगर अपनी ताकत दिखाएगा तो किम भी चुप बैठने वालों में से तो है नहीं. लिहाज़ा हथियारों की जंग से पहले ज़ुबानी जंग शुरू हो चुकी है.

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अमेरिका ने की जंग की तैयारी
उत्तर कोरिया के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि अमरीका का जहाज़ भेजने का फैसला जल्दबाज़ी में उठाया गया कदम है. वो हमारी सीमाओं में घुसने की कोशिश कर रहा है. अगर अमरीका जंग चाहता है तो डेमोक्रेटिक पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ कोरिया (नॉर्थ कोरिया) इसके लिए तैयार है. दरअसल, सीरिया पर हमले के फौरन बाद डोनाल्ड ट्रम्प के हौंसले काफी बढ़े हुए हैं. इसलिए ट्रम्प एडमिनिस्ट्रेशन के कोरियाई पेनिनसुला में जंगी जहाज भेजने के इस फैसले को किम जोंग-उन के लिए फाइनल वॉर्निंग माना जा रहा है. हालांकि ट्रम्प ने अपने एडवाइजर्स से ये भी कहा है कि अगर प्योंगयांग नरम रूख अपनाए तो वो दूसरे कई ऑप्शन्स पर विचार कर सकते हैं. मगर मौजूदा हालात देखकर ऐसा लगता तो नहीं हैं. दूसरी तरफ नार्थ कोरिया पर हमले को लेकर चीन का भी मामला डांवाडोल ही नज़र आ रहा है. जानकारों का मानना है कि चीन को किम से खतरा तो है मगर इतना भी नहीं कि वो अमेरिका के साथ खड़ा हो जाए. अमेरिका भी ये समझ रहा है लिहाज़ा उसने ये भी कह दिया है कि चीन अगर साथ नहीं देगा तो वो अकेले ही नॉर्थ कोरिया के खिलाफ एक्शन लेगा.

न्यूक्लियर टेस्ट कर सकता है नार्थ कोरिया
हालांकि अमेरिका के लिए नॉर्थ कोरिया पर हमला करना इतना आसान भी नहीं होगा क्योंकि वो जानता है कि दुनिया के इस सबसे सनकी तानाशाह के पास कई ऐसी मिसाइलें हैं, जो अमरीका तक न्यूक्लियर धमाका करने की सलाहियत रखती हैं. नॉर्थ कोरिया की स्थापना करने वाले अपने दादा किम संग की 105वीं सालगिराह के मौके पर ऐसी संभावना है कि वो छठा न्यूक्लियर टेस्ट कर सकता है. ऐसे में अगर जंग के हालात बनते हैं कि तो ये कहा जा सकता है कि अमेरिका का तो पता नहीं मगर उत्तर कोरिया के पास खोने के लिए कुछ नहीं है.

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कोरियाई समंदर में हो सकता है भीषण घमासान
ज़ाहिर है मौजूदा वक़्त में अमेरिका को अगर किसी से ख़तरा है तो वो नार्थ कोरिया का सनकी तानाशाह ही है. लिहाज़ा राष्ट्रपति ट्रम्प ने अपने तेवरों से साफ कर दिया है कि इस बार अमेरिका आर-पार के मूड में है. अपने जंगी जहाज़ों को कोरियाई पेनिनसुला में उतार कर अमेरिका ने नार्थ कोरिया को आखिरी चेतावनी दे दी है और अगर किम जोंग उन के अड़ियल रवैय्ये में कोई तब्दीली नहीं आई तो ये जान लीजिए कि कोरियाई प्रायद्वीप के समंदर में फिर भीषण घमासान होगा.

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