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10 में से 9 कमरे खाली, न कोई मिलने आया, न वो बाहर गया... साबरमती जेल का वो हिस्सा जहां बंद है लॉरेंस बिश्नोई

पूरे देश में मौजूद कुल 1319 जेलों में से अगर किसी एक जेल पर सबकी निगाहें हैं, तो वो यही जेल है. कहने को गुजरात की कुल 16 जेलों में से ये एक सेंट्रल जेल है. लेकिन अहमदाबाद में मौजूद यही वो साबरमती सेंट्रल जेल है, जो इस वक़्त हाल के वक़्त में पुलिस और मीडिया के बनाए सबसे गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई का पता है.

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साबरमती जेल लॉरेंस के लिए किसी सुरक्षा कवच से कम नहीं
साबरमती जेल लॉरेंस के लिए किसी सुरक्षा कवच से कम नहीं

Gangster Lawrence Bishnoi in Sabarmati Jail: उसके खिलाफ 79 मुकदमें दर्ज हैं. 10 मामलों में उसकी गिरफ्तारी पुलिस के लिए ज़रूरी है. 40 मुकदमें अदालत में लंबित हैं. वो लॉरेंस बिश्नोई पिछले 14 महीनों से जेल से बाहर निकाला ही नहीं गया. और ना ही अगले 12 महीनों तक हिंदुस्तान के किसी भी राज्य की पुलिस उसे पूछताछ के लिए जेल से बाहर ला सकती है.

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दरअसल, भारत के गृह मंत्रालय ने एक खास कानूनी धारा के तहत कुख्यात गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई को ऐसा सुरक्षा कवच दे रखा है कि अगस्त 2025 से पहले लॉरेंस को गुजरात की साबरमती जेल से बाहर निकाला ही नहीं जा सकता. 

साबरमती सेंट्रल जेल में बंद है लॉरेंस बिश्नोई
पूरे देश में मौजूद कुल 1319 जेलों में से अगर किसी एक जेल पर सबकी निगाहें हैं, तो वो यही जेल है. कहने को गुजरात की कुल 16 जेलों में से ये एक सेंट्रल जेल है. लेकिन अहमदाबाद में मौजूद यही वो साबरमती सेंट्रल जेल है, जो इस वक़्त हाल के वक़्त में पुलिस और मीडिया के बनाए सबसे गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई का पता है. इस वक़्त इस जेल के अंदर करीब 2600 कैदी बंद हैं और उन्हीं 2600 में से एक हैं लॉरेंस बिश्नोई. 

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14 महीनों से जेल कमरे में अकेला बंद है लॉरेंस
साबरमती जेल के दो हिस्से हैं. एक नई जेल और एक पुरानी जेल. लॉरेंस इस वक़्त पुरानी जेल में बंद है. पुरानी जेल के एक अलग हिस्से में एक साथ दस कमरे हैं. उनमें से 9 खाली हैं. जबकि दसवें कमरे में लॉरेंस पिछले 14 महीने से अकेले रह रहा है. पिछले 14 महीनों में जब से लॉरेंस साबरमती जेल लाया गया है, तब से लेकर अब तक कोई भी बाहरी आदमी उससे नहीं मिला है. इन 14 महीनों में न कभी उसके घर वाले उससे मिलने आए, न कभी किसी बाहरी शख्स को उससे मिलने की इजाजत दी गई, न किसी और कोर्ट में पेशी के लिए वो खुद जेल से बाहर आया. और तो और इन 14 महीनों में आमने-सामने कभी वो अपने वकील से भी नहीं मिल पाया. 

अलबत्ता इस दौरान कुछ मुलाकातें जरूर हुईं. केस को लेकर वकील से कुछ बातें भी हुईं. लेकिन ये सबकुछ वी़डियो कांफ्रेंसिंग के जरिए हुई. यानी एक लाइन में कहें तो साबरमती जेल आने के बाद से पिछले 14 महीने से जेल के कुछ ख़ास स्टाफ को छोड़ दें, तो लॉरेंस तन्हा ही रहा है. 

पाकिस्तानी नाव से मिली थी 200 करोड़ की ड्रग्स
बात 2023 के शुरुआत की है. तब लॉरेंस सिद्धू मूसेवाला मर्डर केस में पंजाब की बठिंडा जेल में बंद था. इधर, लॉरेंस बठिंडा जेल में था और उधर, गुजरात की एटीएस यानी एंटी टेररिस्ट स्क्वॉयड एक ड्रग केस और ड्रग सिंडिकेट के मामले की जांच कर रही थी. दरअसल 14 सितंबर 2022 को गुजरात एटीएस ने भारतीय तट रक्षक बल के साथ एक ज्वाइंट ऑपरेशन में कच्छ ज़िले में बंदरगाह के करीब एक पाकिस्तानी नाव को पकड़ा था. अल-तैय्यासा नाम के इस पाकिस्तानी नाव से करीब 200 करोड़ रुपये की क़ीमत की हेरोईन बरामद हुई थी. 

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24 अगस्त 2023 से साबरमती जेल में ही बंद है लॉरेंस
इस केस की तफ्तीश के दौरान ये सामने आया कि भारत में ड्रग्स की इस खेप से लॉरेंस बिश्नोई का कनेक्शन है. चूंकि मामला बड़ा था और लॉरेंस से पूछताछ जरूरी, लिहाजा गुजरात एटीएस ने दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में लॉरेंस को कस्टडी में लेकर पूछताछ करने की अर्जी लगाई. अर्जी मंजूर होते ही 24 अगस्त 2023 को बठिंडा से गुजरात के नलिया कोर्ट ले जाया गया. बाद में कोर्ट ने उसे न्यायिक हिरासत में साबरमती जेल भेज दिया. और बस 24 अगस्त 2023 से अब तक लॉरेंस बिश्नोई इसी जेल में बंद है. 

हालांकि गुजरात एटीएस अपने केस में पूछताछ के लिए उसे दिल्ली से गुजरात ले गई, लेकिन अलग-अलग राज्यों में दर्ज दस अलग-अलग केस में गिरफ्तारी वॉरन्ट होने के बावजूद कोई भी राज्य की पुलिस लॉरेंस को साबरमती जेल से निकाल कर पूछताछ के लिए अपने साथ नहीं ले जा सकी है.

गैंस्टर के खिलाफ दर्ज हैं 79 मामले
लॉरेंस के खिलाफ कुल पांच राज्यों में 79 केस दर्ज हैं. इनमें से ज्यादातर एक्सटॉर्शन, धमकी, जान से मारने की कोशिश, हत्या, किडनैपिंग जैसे मामले दर्ज हैं. इन 79 मामलों में से 40 मुकदमे ऐसे हैं, जो देश के अलग-अलग राज्यों की अदालतों में अभी भी चल रहे हैं. चूंकि दस मामलों में गिरफ्तारी ही नहीं हुई, तो अब भी मुकदमा शुरू होने का इंतजार है. 9 ऐसे मामले थे, जिनमें लॉरेंस अलग-अलग अदालत से बरी हो चुका है. 2 मामलों में उसे सजा सुनाई जा चुकी है. 79 में से बाकी के मुकदमे बचे उसके अभी शुरू होने का बस इंतजार ही है. 

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वैसे आपकी जानकारी के लिए बता दें कि आज की तारीख तक यानी 23 अक्टूबर तक बाबा सिद्दीकी मर्डर केस में सीधे लॉरेंस बिश्नोई के नाम कोई मुकदमा मुंबई पुलिस ने दर्ज नहीं किया है. आगे चल कर अगर ये दर्ज हो जाता है, तो लॉरेंस बिश्नोई के सर 80 मुकदमे हो जाएंगे.

देश का कानून एक है, लेकिन लॉरेंस के लिए अलग क्यों?
अब सवाल ये है कि जब देश में कानून एक है, जुर्म की सज़ाएं एक हैं, अदालत के काम करने का तरीका एक है, तो फिर जब ड्रग केस में गुजरात एटीएस लॉरेंस बिश्नोई को बठिंडा से निकाल कर अहदमबाद ले जा सकती है, तो बाकी राज्यों की पुलिस अपने-अपने मुकदमे के लिए उसे साबरमती जेल से निकाल कर ट्रांजिट रिमांड पर अपने राज्य क्यों नहीं ले जा सकती? अगर वजह ये है कि साबरमती सबसे सुरक्षित जेल है और यहां से लॉरेंस मोबाइल के जरिए अपने गैंग से संपर्क नहीं कर सकता, तो ये वजह भी बेतुकी है.

लॉरेंस ने पाकिस्तानी ड्रग माफिया से की थी वीडियो कॉल पर बात
एक ऑडियो याद होगा आपको. जिसमें आवाज़ थी अतीक अहमद की. अतीक अहमद भी उसी साबरमती जेल में बंद था, जिसमें इस वक्त लॉरेंस बंद है. और यहीं से फोन पर ही अपना गैंग चला रहा था. एक वीडियो कॉल को ही बात की जाए तो इसी साल जून में वो सामने आया था. जिसमें साबरमती जेल में बैठ कर लॉरेंस बिश्नोई पाकिस्तान के एक ड्रग माफिया से बात कर रहा है. उसे ईद की मुबारकबाद दे रहा है. ये दो बानगी काफी हैं ये बताने के लिए कि साबरमती जेल कितनी हाई सिक्योर है. 

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CRPC की धारा 267 बताती थी पेशी और मुकदमें का तरीका
तो फिर सवाल है कि पिछले 14 महीने से लॉरेंस इस साबरमती जेल से बाहर क्यों नहीं निकला? या निकाला गया? तो इसकी भी एक कहानी है. सीआरपीसी यानी आपराधिक प्रकिया संहिता की धारा 267 ये बताती है कि किसी अपराधी को मुकदमे के दौरान कब कैसे और क्यों अदालत में पेश किया जाना है. हमारे देश की जो न्यायिक प्रक्रिया है, उसके तहत पुलिस मुल्जिमों को पकड़ती है और फिर उसे अदालत के सामने पेश करती है. अब गवाहों और सबूतों के आधार पर अदालत ये तय करती है कि पुलिस ने जिसे पकड़ा है, वो गुनहगार है या बेक़सूर. 

अपराधी के लिए ये प्रक्रिया बताती है CRPC
यानी किसी भी जुर्म का फ़ैसला अदालत की दहलीज के अंदर ही होता है. इसी सीआरपीसी की धारा 267 के तहत हमारा क़ानून पुलिस को ये हक देता है कि वो अपराधियों को कोर्ट में पेश करे. अगर अपराधी किसी और राज्य का है और जुर्म कहीं और किया है, तो ऐसे में यही धारा पुलिस को ये हक देती है कि वो उस राज्य की अदालत से ट्रांजिट रिमांड लेकर पूछताछ के लिए या मुकदमा चलाने के लिए उस अपराधी को अपने साथ अपने राज्य ले जाए. यानी अगर लॉरेंस बिश्नोई ने दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान या मुंबई में कोई जुर्म किया है, तो इन सारी राज्यों की पुलिस पूछताछ के नाम पर या मुकदमा चलाने के लिए उसे अपने-अपने ले जाने के लिए बाध्य है. 

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सीआरपीसी की धारा 268 बनी है लॉरेंस का सुरक्षा कवच 
तो फिर इतने मुकदमे होने के बावजूद लॉरेंस बिश्नोई पिछले 14 महीनों से साबरमती जेल के बाहर क्यों नहीं आया? किसी और राज्य की पुलिस पूछताछ के लिए या ट्रायल के लिए उसे अपने साथ अपने राज्य क्यों नहीं ले गई? तो जिस तरह सीआरपीसी की धारा 267 एक अपराधी को ट्रांजिट रिमांड पर ले जाने, पुलिस हिरासत में पूछताछ करने या अदालत में पेश कर मुकदमा चलाने की इजाजत देती है, ठीक उसके उलट सीआरपीसी की धारा 268 इन तमाम अधिकारों को काट देती है और सीआरपीसी की यही धारा 268 लॉरेंस बिश्नोई का इस वक़्त सबसे बड़ा सुरक्षा कवच है. हालांकि नई आईपीसी और सीआरपीसी में इस धारा का नाम और नंबर दोनों बदल गया है. लेकिन अधिकार वही है. अब सवाल है कि धारा 268 का सुरक्षा कवच लॉरेंस के लिए ही क्यों? और ये धारा लॉरेंस पर लगाई क्यों गई?

धारा 268 लगाने की तीन वजह
दरअसल, सीआरपीसी (CRPC) की धारा 268 अब नए कानून के तहत भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 303 में तब्दील हो गई है. कानून कहता है कि किसी भी अपराधी पर ये धारा तीन ही सूरत में लगाई जा सकती है. पहली वो अपराध जिसके लिए अपराधी को जेल भेजा गया, दूसरी अगर उस अपराधी को किसी भी मामले में या किसी और केस में जेल से बाहर निकाला गया तो उससे कानून व्यवस्था को खतरा पैदा हो सकता है या खुद उसकी जान को खतरा हो सकता है और तीसरी पब्लिक इंटरेस्ट. इसे मीडिया ट्रायल भी आप कह सकते हैं. यानी उस अपराधी का वो केस, जो लगातार सुर्खियों बना हुआ हो.

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गृह मंत्रालय ने ऐसे लगाई थी सीआरपीसी की धारा 268
तो लॉरेंस बिश्नोई को इसी धारा की इन्हीं तीन वजहों से पिछले 14 महीने से साबरमती जेल के अंदर रखा गया है. 24 अगस्त 2023 को जैसे ही लॉरेंस बिश्नोई बठिंडा जेल से साबरमती जेल पहुंचा, उसी वक़्त आनन-फानन में गृह मंत्रालय ने तब की सीआरपीसी की धारा 268 लॉरेंस के साथ चिपका दी. तब ये एक साल के लिए था. अभी दो महीने पहले जैसे ही अगस्त में साल पूरा हुआ, गृह मंत्रालय ने लॉरेंस को जेल से बाहर निकालने पर रोक लगाने वाली इसी धारा को अगस्त 2025 तक के लिए बढ़ा दिया. यानी अगले साल अगस्त के महीने तक हिंदुस्तान की कोई भी एजेंसी, कोई भी राज्य पुलिस लॉरेंस या उसके गैंग की तरफ से किए गए किसी भी जुर्म के लिए उसे अपने राज्य में बुला कर या ला कर उससे पूछताछ नहीं कर सकती. ना ही किसी अदालत से उसका ट्रांजिट रिमांड ले सकती है. 

अगस्त 2025 तक साबरमती जेल में ही रहेगा लॉरेंस
तो फिर यहां सवाल उठता है कि जो 79 मुकदमे लॉरेंस के सिर हैं, उनका निपटारा कैसे होगा? या फिर जिन राज्यों की पुलिस को अलग-अलग मामलों में लॉरेंस से पूछताछ की जरूरत है, वो उससे कैसे पूछताछ करेगी? तो यही धारा ये बताती है कि जिस राज्य का जो भी मुकदमा हो, जो भी केस हो उसके लिए अगर लॉरेंस से पूछताछ करनी है, तो फिर उस राज्य की पुलिस को अदालत से इजाजत लेकर इसी साबरमती जेल में आना होगा और इसी जेल के अंदर लॉरेंस से पूछताछ करनी होगी. अगर इस दौरान किसी कोर्ट में लॉरेंस के खिलाफ कोई मुकदमा चल रहा है और उसमें लॉरेंस की पेशी जरूरी है, तो ऐसे में इसी साबरमती जेल से वीडियो कान्फ्रेंसिंग के ज़रिए वो उस मुकदमे का हिस्सा होगा. यानी किसी भी सूरत में कम से कम अगस्त 2025 तक लॉरेंस का परमानेंट पता यही साबरमती जेल होगी.

(साथ में मनीषा झा का इनपुट)

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