एक नेशनल हीरो, जो दो ओलंपिक मेडल जीतने वाला इकलौता हिंदुस्तानी है. जिसके नाम पर वर्ल्ड टाइटल है, कॉमनवेल्थ गेम्स में 3 बार गोल्ड मेडल का खिताब जीत चुका है. इतना ही नहीं, पद्मश्री पुरस्कार, अर्जुन अवार्ड, राजीव गांधी खेल रत्न जैसे अवॉर्ड जीत चुका है, करोड़ों के इनाम पा चुका है लेकिन आज उसी हीरो पर पुलिस ने एक लाख रुपये का इनाम रख दिया है.
वक़्त का पहिया ऐसा घूमा कि ये सारी की सारी उपलब्धियां धरी रह गईं, यूं कहिए कि कामयाबी की चकाचौंध में की गई सिर्फ एक ग़लती से शोहरत का तिलिस्म कुछ इस तरह टूटा कि सालों की इज़्ज़त एक ही झटके में मिट्टी में मिल गई और बंदे की तलाश में अब दिल्ली पुलिस ना सिर्फ़ गैर ज़मानती वारंट लेकर देश का कोना-कोना छान रही है, बल्कि गिरफ्तारी से नाकाम रहने के बाद पुलिस ने जिसके नाम पूरे 1 लाख रुपये का इनाम भी रख दिया है.
यानी जो शख़्स कल तक सिर्फ़ दिल्ली का ही नहीं, बल्कि पूरे देश और दुनिया का हीरो था, देश के नौजवान जिसके नक्शे क़दम पर चलने का ख्वाब देखते थे, वो देखते ही देखते पुलिस और क़ानून की नज़र में एक मुल्ज़िम बन गया और मुल्ज़िम भी ऐसा-वैसा नहीं, बल्कि अपहरण और क़त्ल जैसे संगीन जुर्म का.
ये कहानी बेशक किसी फिल्म की मानिंद हो, लेकिन देश के सबसे क़ामयाब और सबसे नामचीन पहलवान सुशील कुमार की ज़िंदगी का यही सच है. उसी सुशील कुमार की, जो हरियाणा के एक छोटे से गांव से निकल कर अपनी मेहनत और टैलेंट की बदौलत कुश्ती के अंतरराष्ट्रीय फलक पर छा गए. जिन्होंने एक के बाद एक ढेरों खिताब अपने नाम कर ना सिर्फ अपना बल्कि पूरे देश का नाम कई बार रौशन किया. नामालूम कितने नौजवान उनकी तरह पहलवानी करने का ख्वाब देखने लगे, कुछ ऐसे भी थो जो शायद उनसे रश्क करने लगे.
अचानक कैसे सबकुछ बदल गया?
सुशील कुमार की ज़िंदगी में तब तक सबकुछ ठीक चल रहा था, जब तक 4 मई 2021 की तारीख़ नहीं आई थी. क्योंकि यही वो दिन था जिस रोज़ सुशील कुमार की तक़दीर के पहिये ने ऐसी करवट ली कि एकाएक सबकुछ बदल गया. पुलिस की मानें तो इस रोज़ सुशील कुमार अपने कुछ साथियों के साथ मॉडल टाउन के M ब्लॉक इलाके में मौजूद एक फ्लैट में पहुंचे और उनके साथियों ने फ्लैट में रहनेवाले सागर धनखड़ नाम के एक लड़के को उसके तीन साथियों समेत किडनैप कर लिया.
सागर खुद भी सुशील कुमार का बड़ा फैन और कुश्ती का नेशनल जूनियर चैंपियन था. चूंकि सुशील कुमार की गिनती देश के सबसे नामी और बड़े पहलवानों में होती है, तो उनके गुर्गों ने जब सागर और उसके दोस्तों को बताया कि सुशील कुमार खुद उसके फ्लैट के बाहर उससे मिलने आए हैं, तो सागर उसके साथी खुद ही चलकर फौरन उनकी कार के पास आ गए. फ्लैट के बाहर सचमुच सुशील एक होंडा सिटी कार में अपने कुछ और साथियों के साथ बैठे हुए थे और यहां उन्होंने गन प्वाइंट पर सागर और उसके साथियों को गाड़ी में बैठा लिया.
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रोल मॉडल बना किडनैपर…
यानी कुछ वक्त पहले तक जो सुशील कुमार, सागर धनखड़ का रोल मॉडल और हीरो हुआ करता था, अब वही सुशील कुमार उसका और उसके साथियों का किडनैपर बन चुका था. लेकिन क्यों? क्यों किया सुशील कुमार ने सागर और उसके दोस्तों को किडनैप? इस सवाल का जवाब जानने से पहले एक बार उस रात आखिर क्या हुआ, इसपर नज़र डाल लेते हैं...
पुलिस की मानें तो सुशील और उनके साथी सागर को अगवा कर अपने साथ दिल्ली के मॉडल टाउन इलाके में मौजूद छत्रसाल स्टेडियम में लेकर गए. छत्रसाल स्टेडियम यानी वो जगह जिसे देश में कुश्ती का सबसे बड़ा केंद्र कहें तो ये गलत नहीं होगा. खुद सुशील कुमार ने ना सिर्फ़ इसी छत्रसाल स्टेडियम में साल दर साल कुश्ती की प्रैक्टिस की, बल्कि एक के बाद एक कई खिताब जीतने के बाद वो इसी छत्रसाल स्टेडियम में ओएसडी के तौर पर भी तैनात रहे. लेकिन 4 मई की रात इसी छत्रसाल स्टेडियम में उनसे अनहोनी हो गई.
असल में इन दिनों सुशील कुमार, सागर धनखड़ से किसी बात पर कुछ ज़्यादा ही नाराज़ थे और इसी गुस्से में उन्होंने सागर और उसके साथियों को अगवा कर कुछ इतनी बुरी तरह से पीटा कि सागर समेत उसके दो दोस्तों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा. सागर के बाकी दोस्तों की तो जैसे-तैसे जान बच गई, लेकिन बदकिस्मती से इस पिटाई में सागर धनखड़ को कुछ इतनी चोटें आईं थी कि उसकी जान ही चली गई. सागर की हालत कुछ इतनी नाज़ुक थी कि मारपीट की इस भयानक वारदात के बाद मौके पर पहुंची पुलिस सागर धनखड़ का बयान तक नहीं ले सकी और इससे पहले ही वो इस दुनिया से दूर चला गया.
आखिर क्यों उठाया गया इतना बड़ा कदम?
सागर की मौत के साथ ही पूरे खेल जगत और खासकर कुश्ती की दुनिया में हड़कंप मच गया. इसकी दो वजहें थी एक तो खुद सागर का जूनियर कुश्ती चैंपियन होना और दूसरा क़त्ल में सुशील कुमार की भूमिका सामने आना. असल में सुशील कुमार और सागर धनखड़ के बीच रुपयों की लेन-देन का एक मामूली विवाद था. कभी सुशील को रोल मॉडल मानने वाले सागर अब से पहले तक जिस फ्लैट में किराये पर रहता था, वो फ्लैट किसी और का नहीं, बल्कि खुद सुशील कुमार की पत्नी का था. यानी सुशील कुमार का ही था. लेकिन सागर ने दो महीनों का किराया दिए बग़ैर ही उस फ्लैट को छोड़ दिया. सूत्रों की मानें तो इसके बाद सुशील ने कई बार सागर से अपने बकाया किराए की मांग की लेकिन सागर रुपये देने में टाल-मोटल करता रहा और फिर इसी के बाद सुशील ने अपने साथियों के साथ मिलकर एक ऐसा फ़ैसला किया, जो बेहद गलत साबित हुआ.
दरअसल, हुआ यूं कि उस रात सागर और उसके साथियों को अगवा कर छत्रसाल स्टेडियम लाने के बाद सुशील कुमार और उनके लोगों सागर को बुरी तरह से पीटना शुरू कर दिया. जब सागर के दोस्तों ने बीच-बचाव करने की कोशिश की, तो सुशील ने उन्हें भी बुरी तरह पीटा. हालत कुछ ऐसी हुई पहलवानों की पिटाई से लड़के बुरी तरह लहूलुहान हो गए. स्टेडियम में चीख-पुकार मच गई, पुलिस की मानें तो यहां तक तो फिर भी गनीमत थी, लेकिन इसी मारपीट के बीच तब मामला और भी संगीन हो गया, जब सुशील कुमार के साथियों ने सागर और बाकी लड़कों को डराने के लिए फायरिंग शुरू कर दी.
असल में सुशील के साथ उस रात सीधे-साधे खिलाड़ियों के साथ-साथ दो छंटे हुए बदमाश लॉरेंस विश्वोई और काला जठेड़ी गैंग के गुर्गे भी मौजूद थे और उनकी मौजूदगी में बात लगातार बिगड़ती चली गई. हालत ये हुई किसी तरह इस बवाल से किसी तरह जान छुड़ा कर एक लड़के ने पुलिस को फ़ोन कर दिया और आनन-फानन में मॉडल टाउन थाने की पुलिस भी मौके पर आ गई.
हालांकि कहानी में यहां भी ट्विस्ट था. पुलिस के आने की खबर स्टेडियम के सिक्योरिटी गार्डस ने सुशील कुमार को पहले ही दे दी और सुशील कुमार अपने साथियों के साथ मौके से फ़रार हो गया. स्टेडियम के बाहर गाड़ियों की तलाशी लेने के बाद पुलिस को एक लड़का एक कार में छुपा हुआ मिला. पहले तो पुलिस ने इसे मामले का पीड़ित और सागर धनखड़ का साथी समझा लेकिन अगले दिन सुबह पुलिस को तब हैरानी हई, जब पता चला कि वो तो सुशील का साथी था और पुलिस के आने की भनक लगने पर वो पकड़े जाने से बचने के लिए छुप गया था.
पुलिस अस्पताल में भर्ती सागर धनखड़ का बयान तो लेना चाहती थी, लेकिन उसकी हालत ऐसी थी कि पुलिस उससे पूछताछ नहीं कर सकी और दो दिन बाद उसने दम तोड़ दिया. इसी के साथ कुश्ती जगत का एक उभरता हुआ सितारा चंद रुपयों के मामूली झगड़े में इस दुनिया से दूर चला गया. उधर, सागर के बाकी दोस्तों ने पूछताछ में पुलिस को जो कहानी सुनाई, उससे पुलिसवाले भी सन्न रह गए. पुलिस की नज़रों में मामला मामूली नहीं बल्कि एक ओलंपियन के चैंपियन से क़ातिल बनने का था. क्योंकि पुलिस की तफ्तीश के मुताबिक सागर को अगवा करने से लेकर उसका क़त्ल करने तक हर करतूत में सुशील कुमार का हाथ था.
इसके बाद एक-एक कर इस मामले में कई मुल्ज़िम पुलिस की गिरफ्त में आए, लेकिन यहां तो कुश्ती का चैंपियन फरारी का भी चैंपियन साबित हआ. पुलिस अब उसके नाम पर गैर ज़मानती वारंट जारी कर चुकी थी, उसकी तलाश में लगी थी, लेकिन सुशील लगातार पुलिस को चकमा दे रहे थे. पुलिस ने उनकी पत्नी और दूसरे घरवालों से पूछताछ की, लेकिन सुशील का सुराग़ हाथ नहीं लगा. हार कर पुलिस ने सुशील का पासपोर्ट ज़ब्त कर लिया, ताकि वो देश से बाहर ना भाग सकें और तो और पुलिस ने सुशील कुमार का सुराग़ देनेवाले के लिए एक लाख रुपये इनाम का भी ऐलान कर दिया. यानी अब पुलिस की नज़र में ओलंपियन सुशील एक इनामी मुल्ज़िम बन चुके हैं.
जमानत याचिका पर कोर्ट में दंगल
इस मामले में तब एक बड़ा ट्विस्ट आया जब वारदात के 14 रोज़ बाद 18 मई को सुशील कुमार की ओर से रोहिणी कोर्ट में अग्रिम ज़मानत की याचिका दाखिल की गई. सुशील के वकील ने अदालत के सामने तर्क दिया कि सुशील कुमार इतने बड़े खिलाड़ी और ओलंपियन हैं, ऐसे में उन्हें साजिशन फंसाया गया है. सुशील कुमार की तरफ से पुलिस पर गलत आरोप लगाने, जबरन पासपोर्ट जब्त करने का आरोप भी लगाया गया.
इतना ही नहीं बल्कि कहा गया कि पुलिस ने उस रात सौ नंबर पर कॉल करनेवाले का नाम तक नहीं बताया है. उस रात की वारदात में ज़ख्मी सोनू का सच भी पुलिस छुपा रही है, जो कि एक अपराधी है. और कोविड के इस दौर में सुशील को डर है कि कहीं वो भी इसका शिकार ना हो जाएं, इन तमाम बातों के मद्देनजर इस मामले में सुशील कुमार को अग्रिम ज़मानत दी जानी चाहिए.
लेकिन पुलिस यानी अभियोजन पक्ष ने भी इस अर्ज़ी के खिलाफ़ मजबूती से अपने तर्क पेश किए पब्लिक प्रोसिक्यूटर ने अदालत से कहा कि सुशील कुमार के खिलाफ़ दर्ज मामला बेहद संगीन किस्म का है. सुशील कुमार उस रात सागर और उसके साथियों को खुद ही अगवा कर अपने साथ छत्रसाल स्टेडियम ले गए थे, जांच में क़त्ल का मोटिव भी साफ हो चुका है.
पुलिस की ओर से बताया गया कि मृतक सागर सुशील की पत्नी के एक फ्लैट में किराये पर रहता था और उसने दो महीने का किराया नहीं चुकाया था. पुलिस के पास इस मामले के सीसीटीवी फुटेज मौजूद हैं. फुटेज में सुशील कुमार डंडा लेकर सागर और उसके साथियों को पीटते दिख रहे हैं, पुलिस ने सुशील का पासपोर्ट सीज़ नहीं किया है बल्कि जांच के लिए उनके घरवालों से लिया है.
ज़ाहिर है कि पुलिस के तर्कों में भी दम था, लिहाज़ा रोहिणी कोर्ट ने दोनों पक्षों की इस गरमागरम बहस को सुनने के बाद सुशील कुमार की अग्रिम ज़मानत अर्ज़ी खारिज कर दी. अब सवाल है कि ऐसे में क़त्ल के इनामी मुल्ज़िम सुशील कुमार के पास फिलहाल कौन-कौन से रास्ते यानी कानूनी विकल्प हैं?
कहां हैं सुशील कुमार ?
अगर इन जवाबों को तलाशें तो सुशील कुमार अपनी अग्रिम ज़मानत अर्ज़ी लेकर ऊपर की अदालत में जा सकते हैं. अगर वहां से उन्हें अग्रिम ज़मानत मिल जाती है तो सामने आ सकते हैं, गिरफ्तारी के डर से आज़ाद होकर जांच में शामिल हो सकते हैं. चूंकि ज़मानत अर्ज़ी पहले ही खारिज हो चुकी है वो अदालत में आत्म समर्पण कर सकते हैं. इसके अलावा वो खुद को पुलिस के हवाले कर सकते हैं यानी पुलिस के पास आत्म समर्पण कर सकते हैं. हालांकि इस बीच पुलिस भी उन्हें गिरफ्तार भी कर सकती है.
इस कहानी में सवाल ये उठता है कि देश की इतनी बड़ी शख्सियत, जिसकी अपनी ही एक फैन फॉलोइंग है, आख़िर वो इतने दिनों तक पुलिस को चकमा दे रहे हैं, तो कैसे दे रहे हैं. तो इसका जवाब पुलिस की तफ्तीश में सामने आया है. पुलिस की मानें तो फरारी के शुरुआती दिनों में वो उत्तराखंड के एक बाबा के आश्रम में अपना ठिकाना तलाशने पहुंचे थे.
बाद में पता चला कि सुशील अपने साथियों के साथ नजफगढ़-बहादुरगढ़-झज्जर के बीच छिपते फिर रहे हैं. इन इलाकों में फार्म हाउस एवं फ्लैट में उनके ठिकाने हैं. इस काम में दिल्ली नगर निगम में पार्षद का बेटा सुशील कुमार की मदद कर रहा है. जाहिर है आनेवाले दिनों में सुशील के इन मददगारों की मुश्किलें भी बढ़ सकती हैं.