पाकिस्तान के इतिहास में ऐसा इससे पहले कभी नहीं हुआ सिर्फ चार दिन अदालत बैठी और चौथे ही दिन अदालत ने छह साल की मासूम जैनब के गुहगार को फांसी की सज़ा सुना दी. पाकिस्तान में सबसे तेज़ फांसी के फैसले का ये रिकॉर्ड है. आपको बता दें कि पिछले महीने पांच जनवरी को लाहौर के नजदीक छह साल की जैनब घर के पास से गुम हो गई थी. बाद में उसकी लाश कूड़े के ढेर पर मिली. जैनब का अपहरण करने के बाद उसके साथ बलात्कार किया गया और फिर उसे मार दिया गया. इस हादसे ने पूरे पाकिस्तान को ऐसा खौला दिया था जैसे छह साल पहले निर्भया कांड ने पूरे हिंदुस्तान को हिलाया था.
बलात्कारी को 4 दिन में सजा
उन्हें चार दिन लगा रेपिस्ट को फांसी की सज़ा सुनाने में, हमने चार साल लगा दिए. फ़क़त 15 दिन हैं उसके पास फांसी से बचने के लिए, और छह साल बाद भी हमें पता नहीं निर्भया के गुनहगारों को फांसी कब होगी? पाकिस्तान की जैनब को चार दिन में ही इंसाफ मिल गया, हिंदुस्तान की निर्भया छह साल से इंसाफ का बस इंतज़ार कर रही है.
स्पेशल कोर्ट ने किया सजा का ऐलान
वाकई हैरत होती है अपने देश के सोए हुए सब्र और उन बेसब्र आंखों को देखकर जो इंसाफ की आस में पथरा जाती हैं. वर्ना वो गुस्सा, वो आक्रोश, वो आंहें, वो आंसू, वो बातें, वो शिकवे, ये वादे, वो मंज़र हरेक ने देखे. हरेक ने इसे महसूस किया. फिर भी छह साल हो गए पर निर्भया के गुनहगार अब भी अपने अंजाम तक नहीं पहुंचे. जबकि पाकिस्तान में छह साल की मासूम जैनब के गुनहगार को फकत चार दिन में फांसी पर लटकाने का फैसला आ गया. जी हां, जिस जैनब की मौत ने पूरे पाकिस्तान में उबाल ला दिया था, उसी जैनब के गुनहगार को पाकिस्तान की स्पेशल कोर्ट ने फांसी की सज़ा सुनवाई है. वो भी सिर्फ चार दिन की अदालती कार्रवाई के बाद.
56 गवाह, 4 दिन और फिर फैसला
पाकिस्तानी पुलिस ने लाहौर के कोट लखपत जेल में बंद आरोपी इमरान अली के खिलाफ एटीसी जज सज्जाद हुसैन की अदालत में 13 फरवरी को चार्जशीट दाखिल की थी. इसके बाद अदालत में जैनब के भाई और चाचा समेत कुल 56 गवाहों के बयान दर्ज हुए. फॉरेंसिक रिपोर्ट और पॉलीग्राफी टेस्ट की रिपोर्टरखी गई. तमाम गवाहों और सबूतों के मद्देनजर अदालत इमरान अली को जैनब के अपहरण, रेप, हत्या और उसके साथ अप्राकृतिक घटना को अंजाम देने का दोषी माना.
4 मामलों में मौत की सजा
अदालती कार्रवाई के सिर्फ चौथे दिन ही 17 फरवरी को फैसला सुनाते हुए जस्टिस सज्जाद हुसैन ने इमरान को 4 मामलों में एक साथ मौत की सज़ा दी. इनमें जैनब का अपहरण, रेप, मर्डर और फिर लाश के साथ उसने जो सुलूक किया वो भी शामिल था. इसके इलावा जैनब के साथ अप्राकृतिक कृत्य के लिए उसे उम्र कैद और 10 लाख रुपये का जुर्माना और लाश को कूड़े के ढेर में छुपाने के लिए 7 साल की कैद और 10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया.
जैनब समेत 9 वारदातें अंजाम दी दरिंदे ने
23 जनवरी को गिरफ्तारी के बाद से ही इमरान अली लाहौर की कोट लखपत जेल में बंद था. इस केस की सुनवाई भी जेल में ही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए की गई. हालांकि जस्टिस सज्जाद हुसैन को फैसला लेने में वक़्त इसलिए भी नहीं लगा क्योंकि केस की सुनवाई के पहले ही दिन इमरान ने अपना जुर्म कबूल कर लिया था. साथ ही उसने ऐसी 8 और घटनाओं को अंजाम देने की बात भी कोर्ट को बताई. इसके बाद खुद इमरान के वकील ने पैरवी करने से ही इनकार कर दिया.
दोषी को सरेआम फांसी दिए जाने की मांग
अब इमरान के पास हाईकोर्ट में अपील करने के लिए 15 दिन का वक्त है. हालांकि खबर आ रही है कि जुर्म कबूल करने के बाद अब वो फांसी के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती नहीं देगा. अगर ऐसा हुआ तो अगले कुछ दिनों में ही उसे फांसी पर लटका दिया जाएगा. अदालत के इस तेज फैसले पर जैनब के घरवालों ने भी संतोष जताया है. मगर जैनब के वालिद की मांग है कि जैनब के गुनहगार को जेल के अंदर नहीं बल्कि सरेआम फांसी पर लटकाया जाए. ताकि इमरान जैसे बाकी लोग इससे नसीहत ले सकें. वहीं ज़ैनब की मां ने मांग की है कि इमरान को जेल में फांसी ना देकर सरेआम संगसार किया जाए.
ऐतिहासिक फैसला
पाकिस्तान के इतिहास में ये अब तक का पहला ऐसा अदालती फैसला है जिसमें इतना कम वक्त लगा और इसकी वजह सिर्फ एक थी. पाकिस्तानी अवाम का गुस्सा. जो जैनब की मौत के बाद पूरे पाकिस्तान में फूटा था. ठीक वैसा ही जैसे निर्भया की मौत के बाद हिंदुस्तान उबला था. मगर वक्त ने हमरे गुस्से को ठंडा कर दिया जबकि पाकिस्तान ने चार दिन में ही जैनब के गुनहगार का हिसाब कर दिया.