वॉल स्ट्रीट जर्नल के पत्रकार डेनियल पर्ल तो याद होंगे आपको. वही डेनियल पर्ल जिनकी 19 साल पहले, यानी 2002 में पाकिस्तान में अलकायदा के आतंकियों ने कैमरे के सामने सिर कलम कर दिया था. 19 साल तक पाकिस्तान में डेनियल पर्ल के कातिलों पर मुकदमा चला, लेकिन अब पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने पर्ल के हत्यारों को बरी कर दिया है. पाकिस्तानी कोर्ट के इस फैसले से अमेरिका सख्त नाराज है.
वैसे तो इस दुनिया ने आतंकवाद ऐसे-ऐसे चेहरे देखे हैं, जिनके बारे में दावे से ये कह पाना शायद हर किसी के लिए मुश्किल हो कि कौन सा चेहरा सबसे खतरनाक और सबसे भयानक है. लेकिन हाल के सालों में ये शायद अपनी तरह की पहली तस्वीर थी, जिसमें एक बेगुनाह शख्स को आतंकवादियों ने गला काट कर मौत के घाट उतार दिया था और बाद में खुद ही इस भयानक क़त्ल का वीडियो भी जारी किया था.
डेनियल पर्ल. जी हां, यही नाम था उस बदनसीब अमेरिकी पत्रकार का, जो खोजी पत्रकारिता करते-करते साल 2002 में अमेरिका से पाकिस्तान पहुंचा था. लेकिन इससे पहले कि वो अमेरिका की मशहूर मैगज़ीन वाल स्ट्रीट जर्नल के लिए अपना ये मिशन पूरा कर पाता, कराची में आतंकवादियों ने उसे अगवा कर लिया था. और फिर पहली फरवरी को डेनियल पर्ल को इतनी भयानक मौत दी गई कि जिसके बारे में याद कर अब भी लोग सिहर उठते हैं. आतंकवादियों ने चाकू से पर्ल का गला रेत दिया था. ये और बात है कि बाद में आईएसआईएस समेत कई दूसरे आतंकी संगठनों ने और भी कई बेगुनाहों की इसी अंदाज़ में जान ली.
लेकिन अब 19 साल बाद एक बार फिर दुनिया में डेनियल पर्ल के चर्चे हैं. वजह ये कि पाकिस्तान में पल रहे डेनियल पर्ल के आतंकी क़ातिलों को जहां वहां की अदालत ने बेगुनाह करार देते हुए जेल से रिहा कर दिया है. मगर पाकिस्तान के इस फैसले पर अमेरिका कुछ ज़्यादा ही ख़फ़ा है. अमेरिका की नई जो बाइडेन सरकार ने इस मामले में बेहद सख्त रुख अपनाते हुए पाकिस्तान को आड़े हाथों लिया है. अमेरिका के नए विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने शुक्रवार को सीधे पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी को फोन किया और दो टूक कह दिया कि अगर वो पर्ल के हत्यारों को सजा नहीं दे सकता तो उसे उनके क़ातिलों को अमेरिका को सौंप देना चाहिए, ताकि उन पर केस चलाया जा सके.
पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को पर्ल के चार हत्यारों को पर्ल की हत्या के आरोप में बेकसूर करार देते हुए रिहा करने का आदेश दिया था. खास बात ये है कि अमेरिका में नई सरकार बनने के बाद दोनों देशों के बीच कोई औपचारिक संपर्क नहीं हुआ, लेकिन शुक्रवार की रात पहली बार संपर्क हुआ. तो ऐसा हुआ कि पाकिस्तान को शर्मिंदा होना पड़ा. ब्लिंकेन ने कुरैशी से साफ़ कह दिया कि पर्ल के हत्यारे अहमद उमर सईद शेख की रिहाई को अमेरिका किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं करेगा.
अमेरिका के गुस्से को इसी से समझा जा सकता है कि ब्लिंकेन और कुरैशी की बातचीत के बाद अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने भी साफ कर दिया है कि पाकिस्तान की इस हरकत को बाइडेन एडमिनिस्ट्रेशन ने बेहद संजीदगी से लिया है. पाकिस्तान से कहा गया है कि अगर वो पर्ल के परिवार को इंसाफ नहीं दिला सकता तो उन्हें अमेरिका को सौंप दिया जाए ताकि उन पर वहां केस चलाया जा सके.
अमेरिकी मीडिया के मुताबिक साल 2002 में वॉल स्ट्रीट जर्नल के पत्रकार डेनियल पर्ल पाकिस्तान में आतंकी संगठन अल-कायदा और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के रिश्तों की पड़ताल कर रहे थे. पर्ल ने इससे जुड़े कई सबूत भी जुटा लिए थे. लेकिन इसी दौरान उन्हें अगवा कर लिया गया था. इसके बाद उन्हें कई दिन बुरी तरह टॉर्चर किया गया और आखिरकार सिर काटकर उनकी जान ले ली गई. इस मामले से तब पूरी दुनिया में सनसनी फैल गई थी. उन दिनों किसी पत्रकार के साथ ऐसा भयानक सलूक लोगों ने पहली बार देखा था.
बाद में इस क़त्ल के जुर्म में अलकायदा के आतंकी अहमद उमर सईद शेख समेत चार लोगों को पकड़ा गया. लेकिन 19 साल बाद भी पर्ल के क़ातिलों के खिलाफ़ वहां की सरकार को कोई सबूत नहीं मिले. आखिरकार मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और वहां से भी उसे रिहा कर दिया गया. पर्ल के कातिलों की रिहाई से अमेरिका बेशक गुस्से में हो, लेकिन सच्चाई यही है कि अमेरिका में आतंकवादियों पर कभी सख्त कार्रवाई हुई ही नहीं. फिर चाहे वो अलकायदा का आतंकी अहमद उमर सईद शेख हो या फिर हाफिज सईद, मौलाना मसूद अज़हर, जकीउर्रहमान लखवी, दाऊद इब्राहिम या फिर कोई और.
वैसे भी इस मामले में तो पर्ल की तफ्तीश खुद पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई की पोल खोलनेवाली थी. ऐसे में जिन आतंकियों ने पर्ल की जान ली, भला उन आतंकियों को कहां सज़ा होती. ये और बात है कि अब सिंध सूबे की सरकार ने इस फैसले को फिर से चुनौती देने की बात कही है.
शायद तभी पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पर्ल के मामले में सरकार की उस अर्ज़ी को खारिज कर दिया, जिसमें हत्यारे अहमद उमर सईद शेख और उसके तीन सहयोगियों की रिहाई के आदेश रोकने की बात कही गई थी. हालांकि अदालत ने मुख्य आरोपी शेख और उसके साथी फहद नसीम, शेख आदिल और सलमान साकिब की अंतरिम हिरासत आदेश को एक दिन के लिए बढ़ा दिया, ताकि वो इस केस में सरकार का पक्ष सुन सके.