दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने जिस आतंकी मॉड्यूल का पर्दाफाश किया है, वो भारत में तबाही मचाना चाहता था. इस पूरी आतंकी साजिश के पीछे पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई तो काम कर ही रही थी. साथ ही इस मामले में अंडरवर्ल्ड कनेक्शन का खुलासा होने की खबर ने भारतीय एजेंसियों की परेशानी बढ़ा दी. आईएसआई और अंडरवर्ल्ड का ये आतंकी गठजोड़ त्यौहारों के मौसम में सीरियल धमाके करने की फिराक में था. लेकिन इस साजिश की डोर एक सिरा दिल्ली पुलिस के हाथ आया और ये पूरा मामला बेनकाब हो गया.
पाकिस्तानी ख़ुफ़िया एजेंसी आईएसआई के नए चीफ फ़ैज़ हमीद का नाम पिछले हफ्ते ही बड़ी सुर्खियों में था. जिसकी वजह ये थी कि वो अफगान में तालिबान की सरकार बनाने के दौर में काबुल पहुंचे थे. उधर, दूसरा वो नाम है, जिससे आप सभी वाकिफ़ होंगे. वो नाम है हिंदुस्तान के मोस्ट वॉन्टेड अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम का. एजेंसियों की मानें तो भारत में तबाही मचाने का प्लान आईएसआई और डी कंपनी ने मिलकर बनाया था.
आईएसआई और डी गैंग इसी रिश्ते ने देश की ख़ुफ़िया एजेंसियों और कई राज्यों की पुलिस को डरा दिया है. एक लंबी ख़ामोशी के बाद आईएसआई और अंडरवर्ल्ड ने हिंदुस्तान को दहलाने और लहूलुहान करने के लिए हाथ मिलाया है. हालांकि इनका रिश्ता बहुत पुराना है. 1993 के दौर से ही ये साथ हैं. लेकिन अब नए सिरे से इनका साथ आना ख़तरे की घंटी है. ख़तरे का अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि महज़ 24 घंटे के अंदर-अंदर दिल्ली, यूपी और महाराष्ट्र की पुलिस को आईएसआई और अंडरवर्ल्ड के इस गठजोड़ की साज़िश की कहानी सुनाने के लिए प्रेस कांफ्रेंस बुलानी पड़ी.
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इस केस की परतें सितंबर के पहले हफ्ते में खुलना शुरू हुईं थी. दरअसल, इंटेलिजेंस ब्यूरो यानी आईबी को एक इनपुट मिला था. इनपुट ये था कि अक्टूबर में त्यौहार के मौक़े पर देश के कुछ राज्यों में ख़ास तौर पर दिल्ली और यूपी के अलग-अलग शहरों में आईईडी ब्लास्ट को अंजाम दिया जाना है. इस धमाके की साज़िश पाकिस्तानी खुफ़िया एजेंसी आईएसआई रच रही थी और लॉजिस्टिक सपोर्ट के लिए डी कंपनी उसकी मदद कर रही थी. इनपुट के हिसाब से साज़िश अपने एंडवांस्ड स्टेज पर पहुंच चुकी थी. धमाके के लिए आईईडी और अलग-अलग हथियार और गोला-बारुद भी बॉर्डर के रास्ते हिंदुस्तान पहुंच चुके थे. हालांकि इस पूरी साज़िश के तार तीन राज्यों से जुड़े थे. दिल्ली, यूपी और महाराष्ट्र. लेकिन केंद्रीय खुफिया ब्यूरो यानी आईबी ने इनपुट सिर्फ और सिर्फ दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल को ही दिया था. दबी ज़ुबान में इसकी शिकायत महाराष्ट्र एटीएस चीफ़ विनीत अग्रवाल ने भी की.
आईबी के इनपुट पर दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने अपनी तफ्तीश आगे बढ़ाई. आईएसआई और अंडरवर्ल्ड के इस मॉड्यूल की पहली कड़ी दिल्ली के ओखला में मिली. इस कड़ी का नाम था ओसामा. दिल्ली पुलिस ने ओसामा के इर्द गिर्द जाल बुनना शुरू किया. ओसामा की मदद से अब स्पेशल सेल के हाथ कई और सुराग लगे. अब कई और नाम सेल के हाथ लग चुके थे. आईबी की खबर पुख्ता हो चुकी थी. लिहाज़ा स्पेशल सेल ने एक साथ कई टीमें बनाईं. इन टीमों को मुंबई, लखनऊ, प्रयागराज, रायबरेली, प्रतापगढ़ रवाना कर दिया गया. यूपी और महाराष्ट्र पुलिस को भी भरोसे में लिया गया और फिर 14 सितंबर को स्पेशल सेल का ऑपरेशन शुरू हुआ.
सबसे पहले ओखला से ओसामा को गिरफ्तार किया गया. औसामा की गिरफ्तारी के बाद पता चला कि जान मोहम्मद शेख उर्फ़ समीर कालिया मुंबई से दिल्ली ट्रेन से आ रहा है. दिल्ली पुलिस की टीम ने कोटा में ही ट्रेन से समीर कालिया को गिरफ्तार कर लिया. इसके बाद मोहम्मद अबु बकर को दिल्ली में ही सराय काले खां से उठाया गया. वो भी बस से दिल्ली छोड़ कर निकलनेवाला था. ज़ीशान नाम के एक और शख़्स को प्रयागराज में पकड़ा गया. जबकि मोहम्मद आमिर जावेद को लखनऊ से गिरफ्तार किया गया. छठे संदिग्ध यानी मूलचंद उर्फ लाला को रायबरेली से पकड़ा गया.
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इन छह लोगों की गिरफ्तारी के बाद पता चला कि इनमें से दो यानी जान मोहम्मद शेख उर्फ़ समीर और मूलचंद भारत में डी कंपनी के लिए काम करते हैं. समीर पहले डी कंपनी के डॉन फहीम मचमच के आदेश पर काम करता था. लेकिन फहीम की मौत के बाद अब उसे सीधे दाऊद इब्राहीम का भाई अनीस इब्राहीम हुक्म देता था. पूछताछ के बाद ये पता चला कि इस मॉड्यूल के पास धमाके के लिए आरडीएक्स, हथगोले, पिस्टल और गोली बारूद पहले ही यूपी पहुंच चुके हैं. अब यहां से हथियारों का बंटवारा होना था. आरडीएक्स और हथियारों का कुछ हिस्सा अब यूपी से दिल्ली और मुंबई पहुंचना था. इसके अलावा कुछ दूसरे शहरों में भी जाना था. और ये काम करना था अंडरवर्ल्ड के लिए काम कर रहे समीर और मूलचंद को.
दरअसल, इस पूरी साज़िश के लिए आईएसआई ने डी कंपनी को दो काम सौंपे थे. पहला हथियारों को देश के अंदर सही जगह पहुंचाना और दूसरा आतंकी हमले के लिए हवाला के ज़रिए पैसे पहुंचाना. ये दोनों काम हो जाने के बाद आईएसआई के इशारे पर अलग-अलग शहरों में दशहरे के दौरान धमाके किए जाने थे. इन धमाकों के लिए बाक़ायदा आईएसआई ने गिरफ्तार छह लोगों में से दो लोगों को पाकिस्तान में आर्मी के ज़रिए ट्रेनिंग भी दी थी. ट्रेनिंग पाने वाले ये दो लोग थे ओसामा और ज़ीशान. ओसामा इसी साल अप्रैल में मस्कट पहुंचा था. वो मस्कट लखनऊ से सलाम एयर की फ्लाइट से गया था. मस्कट में ही ओसामा की मुलाक़ात प्रयागराज के रहनेवाले ज़ीशान से हुई थी. वहां इन दोनों के अलावा 15-16 और लोग थे. वो सभी बांग्ला बोलनेवाले थे. शायद बांग्लादेशी थे.
उन सभी को अलग-अलग ग्रुप में बांटा गया. ओसामा और ज़ीशान एक ग्रुप में थे. इसके बाद अगले कुछ दिनों में कई बोट्स बदलते हुए ये सभी जीयोनी शहर पहुंचे. जीयोनी पाकिस्तान में ग्वादर पोर्ट के क़रीब है. इसके बाद इन सभी को एक पाकिस्तानी अपने साथ थट्टा में एक फॉर्म हाउस में ले गया. ये थट्टा वही जगह और इलाक़ा है, जहां 26-11 हमले के लिए कसाब समेत दस हमलावरों को ट्रेनिंग दी गई थी. फॉर्म हाउस में तीन पाकिस्तानी भी थे. इनमें से दो जिनका जब्बार और हमज़ा था, उन्होंने इन सभी को ट्रेनिंग दी. जब्बार और हमज़ा पाकिस्तानी सेना की वर्दी में थे. ट्रेनिंग के दौरान ओसामा और ज़ीशान को आईईडी बनाने, हथगोले छोड़ने और एके-47 समेत अलग-अलग हथियार चलाने सिखाए गए. क़रीब 15 दिन की ट्रेनिंग के बाद ज़ीशान और ओसामा ठीक उसी रास्ते पाकिस्तान से मस्कट और फिर मस्कट से लखनऊ लौट आए.
जान मोहम्मद शेख उर्फ समीर कालिया पहले से ही मुंबई पुलिस की रड़ार पर था. समीर का नाम पहली बार तब सामने आया था, जब डी कंपनी के शूटर फहीम मचमच के क़रीबी फजलुर्रहमान को गिरफ्तार किया गया था. समीर कालिया दरअसल डी कंपनी के लिए स्लीपर सेल के तौर पर काम करता था. अब उसकी गिरफ्तारी के बाद महाराष्ट्र एटीएस समीर से पूछताछ करना चाहती है. इसके लिए एटीएस की एक टीम दिल्ली आ रही है.
दिल्ली पुलिस समेत यूपी पुलिस और महाराष्ट्र पुलिस ने इस मॉड्यूल के खुलासे के बाद त्यौहार के मौके पर राज्यों में सुरक्षा और कड़ी करने का फ़ैसला किया है. साथ ही पुलिस ये पता लगाने की कोशिश भी कर रही है कि इसके अलावा कोई और मॉड्यूल भी तो इस वक़्त एक्टिव नहीं है. पूछताछ करने के लिए सभी आरोपियों को पुलिस ने अदालत में पेश किया. जहां से उन्हें पुलिस हिरासत में भेज दिया गया.
गिरफ्तार किए लोगों में कुछ तो बेहद पढ़े लिखे हैं. यूपी का ज़ीशान एमबीए है और दुबई में अकाउंटेंट की नौकरी कर चुका है. लॉक डाउन के वक्त वो भारत लौट आया था और फिर यहां खजूर का बिजनेस करने लगा. आमिर, ज़ीशान का रिश्तेदार है और पेशे से टीचर. आमिर ने जेद्दा में कई साल मज़हबी तालीम भी दी. जान मोहम्मद उर्फ़ समीर कालिया पेशे से तो एक ड्राइवर है. हालांकि वो इकलौता है, जो 2001 में भी असॉल्ट राइफ़ल के साथ गिरफ्तार हो चुका था. मूलचंद उर्फ़ लाला पेशे से किसान है, मगर डी कंपनी के लिए स्लीपर सेल के तौर पर काम करता है. अबु बकर यूपी के बहराइच का रहनेवाला है. मगर उसने कई साल तक जेद्दा में नौकरी की. ओसामा का परिवार ड्राइ फ्रूट का बिजनेस करता है. इसी सिलसिले में वो कई बार मिडिल ईस्ट के देशों में आता जाता रहा है.
हालांकि इस आतंकी मॉड्यूल में नाम आने के बाद मोस्ट वॉन्टेड अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम की डी कंपनी ने सफ़ाई पेश की है. डी कंपनी का साफ कहना है कि उसका इस आतंकी मॉड्यूल से कोई लेना-देना नहीं है. दाऊद इब्राहीम के दाहिने हाथ अंडरवर्ल्ड माफिया छोटा शकील ने आज तक से फ़ोन पर बात करते हुए इस मॉड्यूल से किसी भी तरह का संबंध होने से इनकार कर दिया.